0 जितने बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा रहा है उससे कंही अधिक बच्चों की फीस स्कूल के एकाउंट में हस्तांतरित कराया जा रहा है
राजनांदगांव /शौर्यपथ / शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत प्रायवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग प्रायवेट स्कूलों को फीस देती है। उच्च कार्यालय को लगातार यह शिकायते मिल रही थी कि डीईओं कार्यालय में पदस्थ जिम्मेदार लोगों के द्वारा आरटीई प्रतिपूर्ति राशि में गड़बड़ी की जा रही है। जितने बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा रहा है उससे कंही अधिक बच्चों की फीस स्कूल के एकाउंट में हस्तांतरित कराया जा रहा है और यह सब सुनियोजित ढंग से षड़यंत्र के तहत किया जा रहा है। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा प्रायवेट स्कूलों में अध्ययनरत् आरटीई के बच्चों का सत्यापन कराया गया तो यह खुलासा हुआ कि गौतम टेकनो स्कूल, मोहला में सिर्फ 6 आरटीई के बच्चे पढ़ रहे है लेकिन इस स्कूल को 21 बच्चों के हिसाब से एक लाख पैंतालिस हजार रूपया स्कूल के एकाउंट में हस्तांतरित कर दिया गया वैसे ही रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, उदयपुर में 55 आरटीई के बच्चों का नाम सत्यापित किया गया जबकि इस स्कूल को 71 बच्चों का प्रतिपूर्ति राशि जो लगभग पांच लाख तैंतिस हजार चार सौ ग्यारह रूपया स्कूल के एकाउंट में हस्तांतरित किया गया। संयुक्त संचालक कार्यालय ने इस मामले की जांच आरंभ कर दी है और छुईखदान के बीईओ को रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, उदयपूर और रविन्द्र टैगोर स्कूल, खैरानर्मदा के बच्चों की जानकारी की मांग की गई लेकिन जानकारी संभागिय कार्यालय में उपलब्ध नही कराया जा रहा है, जिसको लेकर उच्च कार्यालय अब डीईओं कार्यालय में पदस्थ जिम्मेदार लोगों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करने के मूड़ में दिख रहा है। जानकार तो यहां तक बता रहे है कि यदि विगत ग्यारह वर्षो की प्रतिपूर्ति की जांच कराया जाए तो करोड़ों के गबन के मामले उजागर हो सकते है। इतना ही नही विभाग हड़बड़ी में गड़बड़ी कर बैठा क्योंकि रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, उदयपूर और रविन्द्र टैगोर स्कूल, खैरानर्मदा में अध्ययनरत् बच्चों को शालात्यागी बता दिया गया जबकि आरटीई नोडल अधिकारी श्री आदित्य खरे पहले ही विधान सभा में यह जानकारी दे चूके है कि कोरोना काल में बंद हुए प्रायवेट स्कूलों में प्रवेशित आरटीई के बच्चो को दुसरे स्कूलों में प्रवेश दिला दिया गया है और कोई भी बच्चा शालात्यागी नही है, कोई भी बच्चा स्कूल से वंचित नही है। अब विभाग इस मामले में चारों तरह से घिरता नजर आ रहा है और उच्च कार्यालय इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और विभाग के जिम्मेदार लोगों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। वहीं छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष क्रिस्टोफर पाल ने दोषियों के खिलाफ आर्थिक अनियमितता के आधार पर कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि इसके पहले भी कांकेर के तत्कालीन डीईओ एमआर खांडे ने भी अपने खाते में ही एक करोड़ 31 लाख स्र्पये जमा कर लिए थे, तब भी मामले की शिकायत की गई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाई थी।