October 23, 2025
Hindi Hindi

स्व. अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज में रेबीज पर संगोष्ठी आयोजित

  • Ad Content 1

0 छत्तीसगढ़ की रजत जयंती एवं एनएमसी के तत्वावधान में हुआ कार्यक्रम, 127 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा

राजनांदगांव। शौर्यपथ/ स्व. अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति मेडिकल कॉलेज, राजनांदगांव में मंगलवार 14 अक्टूबर 2025 को छत्तीसगढ़ की रजत जयंती वर्ष एवं राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के तत्वावधान में रेबीज विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनमानस एवं चिकित्सा समुदाय में रेबीज जैसी घातक बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कॉलेज के डीन डॉ. पी.एम. लूका थे। आयोजन का संचालन चिकित्सा विभाग द्वारा किया गया, जिसके विभागाध्यक्ष डॉ. एन.के. तिर्की थे।संगोष्ठी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रकाश खुंटे, डॉ. धीरज भवाननी, डॉ. धनंजय ठाकुर एवं डॉ. आशीष दुलानी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर अतिथि वक्ता के रूप में एम्स की अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. सबा सिद्दीकी और छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध फिल्म कलाकार एवं पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ. अजय सहाय ने रेबीज के नियंत्रण, निदान एवं रोकथाम पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि रेबीज एक ऐसी वायरल बीमारी है जो संक्रमित जानवर के काटने, खरोंचने या लार के संपर्क से फैलती है और लक्षण प्रकट होने के बाद लगभग 100% घातक होती है। इसलिए समय पर टीकाकरण और जागरूकता ही इसका सबसे प्रभावी बचाव है।

कार्यक्रम में स्टाफ नर्स, जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर, इंटर्न और एमबीबीएस छात्रों सहित कुल 127 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए। संगोष्ठी में बताया गया कि विश्वभर में हर वर्ष लगभग 59,000 मौतें रेबीज से होती हैं, जिनमें से अधिकांश एशिया और अफ्रीका में होती हैं। भारत में यह संख्या 18,000 से 20,000 के बीच है, जिसमें 30 से 60 प्रतिशत मामले बच्चों में पाए जाते हैं। भारत में 97 प्रतिशत मानव रेबीज संक्रमण संक्रमित कुत्तों के काटने से होते हैं।

विशेषज्ञों ने बताया कि रेबीज के प्रारंभिक लक्षण बुखार, घाव वाली जगह पर झुनझुनी और दर्द के रूप में प्रकट होते हैं। इसके बाद रोग दो रूपों में दिखाई देता है — उग्र (फ्यूरियस) रेबीज और लकवाग्रस्त (पैरालिटिक) रेबीज। डॉ. सिद्दीकी ने कहा कि लक्षण दिखने के बाद रोग का कोई इलाज नहीं है, इसलिए घाव की त्वरित देखभाल, साबुन और पानी से धोना तथा तुरंत वैक्सीनेशन (पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफीलैक्सिस) ही जीवन रक्षक उपाय हैं। कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि रेबीज उन्मूलन का सबसे प्रभावी तरीका कुत्तों का सामूहिक टीकाकरण है। भारत सरकार द्वारा पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम 2023 के तहत आवारा कुत्तों की नसबंदी और एंटी रेबीज वैक्सीनेशन (ABC-ARV) कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। पालतू कुत्तों के लिए रेबीज टीकाकरण को अनिवार्य बताया गया।

विशेषज्ञों ने नागरिकों से अपील की कि वे अपने पालतू जानवरों का नियमित टीकाकरण करवाएँ, ताकि परिवार और समाज दोनों सुरक्षित रहें।

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)