0 बंद स्कूलों और गरीब बच्चों की झूठी जानकारी दी, एफआईआर दर्ज कराने की हुई मांग
राजनांदगांव / शौर्यपथ / शिक्षा विभाग में इन दिनों हडकंप मचा हुआ है क्योंकि जिम्मेदार अधिकारीयों की एक के बाद एक पोल खुल रही है और सख्त कार्यवाही कर सिकंजा उन पर कसते जा रहा है। कोरोना काल वर्ष 2019 से लेकर 2021 तक अविभाजित राजनांदगांव जिले में कितने प्रायवेट स्कूल बंद हुए, इन बंद स्कूलों में कितने आरटीई के गरीब बच्चे प्रवेशित थे, वे आज कहां है, इसकी जानकारी छिपा कर तत्कालीन आरटीई नोडल आधिकारी आदित्य खरे घिरते नजर आ रहे है। सूचना का अधिकार कानून के अंतर्गत आवेदको ने जब जानकारी की मांग की तो श्री खरे ने जानकारी उपलब्ध नही कराया और छत्तीसगढ़ विधान सभा में स्कूलवाईस जानकारी भेज दिया। अब शिकायतकर्त्ता उन पर कार्यवाही की मांग कर रहे है क्योंकि उनका कहना है कि यदि कार्यालय में जानकारी उपलब्ध था जो श्री खरे ने उन्हे जानकारी उपलब्ध क्यों नही कराया और जो जानकारी सदन को भेजी गई है वह भी झूठी है क्योंकि पीड़ित पालको ने लिखित शिकायत कर खरे के खिलाफ कार्यवाही की मांग कर रहे है क्योंकि उनके बच्चे बंद स्कूलों में आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित थे, लेकिन आरटीई कानून की धारा 9 के अंतर्गत उनके बच्चों को श्री खरे ने किसी भी अन्य स्कूलों में प्रवेश नही दिलाया, वे मजबूरी में सोना गिरवी रखकर, पैसे उधारी लेकर अपने बच्चों को अन्य प्रायवेट स्कूलों में पढ़ा रहे है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने संभागिय कमिश्नर से इस मामले की लिखित शिकायत कर आदित्य खरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की है, वैसे भी आरटीई फीस स्कैम की जांच उच्च स्तर पर हो रही है, और राज्य ने इस प्रकरण को टीएल में रखा है क्योंकि आरटीई प्रतिपूर्ति राशि की ऑडिट चल रही है और राज्य सरकार एक एक पैसे का हिसाब मांग रही है। अब सवाल यह उठता है कि श्री खरे ने सदन में झूठी जानकारी दी, सूचना का अधिकार के अंतर्गत आवेदको को झूठी जानकारी दी और कलेक्टर को झूठी जानकारी दी और जब आदित्य खरे के खिलाफ पीड़ित पालको ने दस्तावेजी साक्ष्य के साथ लिखित शिकायत की थी तो उनपर कोई कार्यवाही क्यों नही किया गया, और उन्हे किसका संरक्षण प्राप्त है।