खैरागढ़। गरीबी और विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे परिवारों के लिए संत रामपाल महाराज की अन्नपूर्णा मुहिम लगातार संजीवनी साबित हो रही है। ब्लाक के अवेली में रिखी राम पिता चमरूराम पटेल का परिवार सालो से कठिन हालात मे जीवनयापन करने मजबूर था। मुखिया रिखी राम पटेल लकवा के चलते एक हाथ-पैर से अशक्त हो गया तो बूढ़ी मां ही घर चलाने की कोशिश कर रही है। बेटी ने बारहवीं के बाद घर की हालत को देखते हुए पढ़ाई छोड़ दी। बेटा इस जद्दोजहद के बीच शिक्षा जारी रखा है। खेती-बाड़ी के लिए खुद की जमीन नहीं है, रहने को जर्जर छत वाली कच्चा मकान और बिल नही पटाने के कारण अंधेरो मे कटते उनके जीवन मे संत रामपाल की प्रेरणा से सेवा कर रही अन्नपूर्णा मुहिम ने परिवार तक आवश्यक सामग्री पहुंचाई। चावल, दाले, मसाला, तेल, प्याज, आलू सहित एक महीने का पूरा राशन, नहाने कपड़े धोने का साबुन, बर्तन रखने के लिए जाली, पानी स्टोर करने के टब, प्रत्येक सदस्य के लिए दो-दो जोड़ी कपड़े, बच्चों के लिए कॉपी, कंपास बॉक्स, स्कूल ड्रेस, जूते-चप्पल, जर्जर छत पर डालने तिरपाल, ओढऩे बिछाने 3 चारपाई, 3 गद्दे, 4 बेडशीट, चादर मच्छरदानीसहित तमा दैनिक जीवन मे उपयोग आनी वाले सामानो को दिया।
रिखी राम पटेल ने भावुक होकर कहा कि आज की दुनिया में कोई किसी का नहीं होता, लेकिन संत रामपाल ने हमें अपना लिया। वे हमारे लिए भगवान के स्वरूप हैं।पूर्व सरपंच खोमलाल साहू ने कहा कि उन्होने जीवन में बहुत संत और महात्मा देखा हैं जो लोगों से चंदा या पैसा मांगते हैं। जबकि संत रामपाल ऐसे संत हैं जो किसी से कुछ मांगते नहीं, बल्कि लोगों को उनकी जरूरत की सारी सामग्री उपलब्ध कराते हैं। यह पहली बार देखा है कि कोई संत इस तरह बिना स्वार्थ के, गरीबों की मदद कर रहा है।
संत रामपाल के मार्गदर्शन में संचालित अन्नपूर्णा मुहिम जरूरतमंद परिवारों तक राहत पहुंचाकर समाज में इंसानियत और भाईचारे का संदेश फैला रही है। यह पहल दहेजमुक्त विवाह, रक्तदान शिविर, नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच, देहदान और नशामुक्ति अभियान जैसे अन्य समाज सुधार कार्यों की ही एक कड़ी है। यह घटना प्रमाणित करती है कि जब संत समाज के कल्याणार्थ आगे आते हैं, तब सबसे कमजोर और असहाय व्यक्ति भी नया जीवन जीने की आशा पा लेता है।