जगदलपुर / शौर्यपथ। पति के दीर्घायु व रक्षा के लिए सुहागिन महिलाओं ने शुक्रवार को दिनभर हरतालिका तीज व्रत कर निर्जला उपवास रखा। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र के लिए करती है। इस पर्व के दिन जो सुहागिन स्त्री अपने अखंड सौभाग्य और पति और पुत्र के कल्याण के लिए निर्जला व्रत रखती है। वहीं कुवांरी लड़कियां मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं।
इस पर्व को लेकर शहर के रश्मि देवांगन, रीना देवांगन, बबली लहरे, हेमलता देवांगन ने बताया की तीज पर्व भाद्रपद (भादो) महीने के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है। पति की दीर्घायु एवं परिवार के सुख समृद्धि के लिए यह व्रत मायके मे रखा जाता है। सुहागिन तीज मनाने के लिए अपने मायके जाती है जिन महिलाओं का मायके जाना संभव नही हो पाता है उनके द्वारा अपने ससुराल में ही रहकर इस उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है । हरतालिका तीज के एक दिन पहले गुरुवार को सुहागिनों ने हिंदू परंपरा के अनुसार रात में करेला-चावल (करू भात) ग्रहण कर निर्जला व्रत प्रारंभ किया। इस व्रत को महिलाये निर्जला उपवास रखकर आस पास के नदी या तलाब से बालू की मिट्टी निकाल शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर पूजा करती हैं, और पति के दीर्घायु होने की कामना करती है। इस पर्व के दिन जो सुहागिन स्त्री अपने अखंड सौभाग्य और पति और पुत्र के कल्याण के लिए निर्जला व्रत रखती है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस पूजा के पूजन सामग्री में प्रमुख रूप से गीली मिट्टी, बेल पत्र शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेउ, वस्त्र, मौसमी फल फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद आदि की आवश्यकता होती है।