October 23, 2025
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Naresh Dewangan

Naresh Dewangan

जगदलपुर, शौर्यपथ। राज्य शासन की व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति और शांति, संवाद एवं विकास पर केंद्रित सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप बस्तर संभाग में आज नक्सल विरोधी मुहिम को ऐतिहासिक सफलता मिली है। ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के अंतर्गत दण्डकारण्य क्षेत्र के 210 माओवादी कैडरों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।

यह आत्मसमर्पण विश्वास, सुरक्षा और विकास की दिशा में बस्तर की नई सुबह का संकेत है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर क्षेत्र में यह ऐतिहासिक घटनाक्रम नक्सल उन्मूलन अभियान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज होगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शासन द्वारा अपनाई गई व्यापक नक्सल उन्मूलन नीति ने क्षेत्र में स्थायी शांति की मजबूत नींव रखी है। पुलिस, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक संगठनों और सजग नागरिकों के समन्वित प्रयासों से हिंसा की संस्कृति को संवाद और विकास की संस्कृति में परिवर्तित किया जा सका है।

यह पहली बार है जब नक्सल विरोधी अभियान के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने एक साथ आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार डीकेएसजेडसी सदस्य, 21 डिविजनल कमेटी सदस्य सहित अनेक वरिष्ठ माओवादी नेता शामिल हैं। इन कैडरों ने कुल 153 अत्याधुनिक हथियार—जिनमें AK-47, SLR, INSAS रायफल और LMG शामिल हैं—समर्पित किए हैं। यह केवल हथियारों का समर्पण नहीं, बल्कि हिंसा और भय के युग का प्रतीकात्मक अंत है—एक ऐसी घोषणा, जो बस्तर में शांति और भरोसे के युग की शुरुआत का संकेत देती है।

मुख्यधारा में लौटने वाले प्रमुख माओवादी नेताओं में सीसीएम रूपेश उर्फ सतीश, डीकेएसजेडसी सदस्य भास्कर उर्फ राजमन मांडवी, रनीता, राजू सलाम, धन्नू वेत्ती उर्फ संतू, आरसीएम रतन एलम सहित कई वांछित और इनामी कैडर शामिल हैं। इन सभी ने संविधान पर आस्था व्यक्त करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था में सम्मानजनक जीवन जीने का संकल्प लिया।

यह ऐतिहासिक आयोजन जगदलपुर पुलिस लाइन परिसर में हुआ, जहाँ आत्मसमर्पित कैडरों का स्वागत पारंपरिक मांझी-चालकी विधि से किया गया। उन्हें संविधान की प्रति और शांति, प्रेम एवं नए जीवन का प्रतीक लाल गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण देव गौतम ने कहा कि “पूना मारगेम केवल नक्सलवाद से दूरी बनाने का प्रयास नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का अवसर है। जो आज लौटे हैं, वे बस्तर में शांति, विकास और विश्वास के दूत बनेंगे।” उन्होंने आत्मसमर्पित कैडरों से समाज निर्माण में अपनी ऊर्जा लगाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर एडीजी (नक्सल ऑपरेशन्स) विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ बस्तर रेंज प्रभारी, कमिश्नर डोमन सिंह, बस्तर रेंज आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस., बस्तर संभाग के सभी पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ अधिकारी और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

कार्यक्रम के दौरान पुलिस विभाग द्वारा आत्मसमर्पित माओवादियों को पुनर्वास सहायता राशि, आवास और आजीविका योजनाओं की जानकारी दी गई। राज्य शासन इन युवाओं को स्वरोजगार, कौशल विकास और शिक्षा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि वे आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

मांझी-चालकी प्रतिनिधियों ने कहा कि बस्तर की परंपरा सदैव प्रेम, सहअस्तित्व और शांति का संदेश देती रही है। जो साथी अब लौटे हैं, वे इस परंपरा को नई शक्ति देंगे और समाज में विश्वास की नींव को और मजबूत करेंगे।

कार्यक्रम के अंत में सभी आत्मसमर्पित कैडरों ने संविधान की शपथ लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की। उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वे अब हिंसा के बजाय विकास और राष्ट्रनिर्माण की दिशा में योगदान देंगे।

‘वंदे मातरम्’ की गूंज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह क्षण केवल 210 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण का नहीं, बल्कि बस्तर में विश्वास, विकास और शांति के नए युग की शुरुआत का प्रतीक बन गया।

हर घर पहुंचा शुद्ध जल, 1495 लोगों ने पाया पानी का सुख

 

By - नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। बस्तर जिले के जगदलपुर ब्लॉक का बुरुंदवाड़ा सेमरा गांव जल जीवन मिशन की बदौलत अब हर घर जल वाला गांव घोषित हो गया है। इस गांव के 1495 निवासियों को अब नल के माध्यम से घर बैठे शुद्ध पेयजल मिल रहा है।

 

समस्या से मुक्ति, जीवन में खुशी

        बुरुंदवाड़ा सेमरा में पहले लोगों को पानी के लिए बोरिंग पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे पानी लाने में बहुत समय और मेहनत बर्बाद होती थी। गांव की सरपंच श्रीमती बुधरी बघेल और सचिव श्रीमती राधा नाग ने बताया कि पानी की जद्दोजहद के कारण लोग अक्सर थके रहते थे और बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते थे। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना के तहत गांव के सभी 209 घरों में नल कनेक्शन दिए गए हैं। इसके लिए गांव में 50 किलोलीटर क्षमता की टंकी और पाइपलाइन बिछाई गई। पानी पहुंचते ही गांव वालों की खुशी दुगुनी हुई है।

 

बढ़े स्वास्थ्य और शिक्षा

      पानी की समस्या दूर होने से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, और सबसे बड़ी बात यह है कि अब स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है। अब महिलाओं का समय पानी लाने में बर्बाद नहीं होता, जिससे वे अपने और बच्चों पर अधिक ध्यान दे पा रही हैं। साथ ही घर-परिवार के कार्य सहित खेती-किसानी के कार्य को भी आसानी के साथ कर रही हैं।

 

पानी का सही उपयोग

      सरपंच और सचिव ने मिलकर गांव में जागरूकता फैलाई है। वे लोगों को समझा रहे हैं कि पानी का उपयोग उतनी ही मात्रा में करें जितनी जरूरत है, ताकि जलस्रोत का स्तर बना रहे। साथ ही भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए हर घर और सार्वजनिक स्थानों पर सोख्ता गड्ढा (भूजल रिचार्ज पिट) बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जल बढ़ेगा स्तर, तब बढ़ेगा जीवन स्तर के संकल्प के साथ बुरुंदवाड़ा सेमरा गांव एक मिसाल बन गया है कि सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन से कैसे एक समुदाय की तकदीर बदल सकती है।

By - नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौयपथ। हमने पूर्व में राजमहल परिसर में लगे मीना बाजार की सुरक्षा नियमों की अनदेखी और अव्यवस्थाओं पर समाचार प्रकाशित किया था, लेकिन विभाग के जिम्मेदारों ने आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। शहर के मीना बाजार में सुरक्षा नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। "शौर्यपथ" ने बिना सेफ्टी बेल्ट, बिना जूते-हेलमेट के मजदूरों से ऊँचाई पर झूले लगवाए, झूले की अनुमति व फिटनेस जाँच , कटे तार ,मौत के कुएँ में 30 साल से अधिक पुरानी गाड़ियाँ बिना फिटनेस जाँच के चलवाई गईं। प्रवेश टिकट दरों पर न तो जीएसटी का उल्लेख है, न ही कोई अधिकृत दर सूची प्रदर्शित की गई और महिलाओं के लिए शौचालय की कोई सुसज्जित व्यवस्था भी नहीं की गई।

हम लगातार जिम्मेदारों को समाचार के माध्यम से अवगत कराते रहे, फिर भी कार्रवाई नहीं हुई। विभागीय आदेशों में स्पष्ट लिखा है कि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में संचालक जिम्मेदार होगा, फिर भी झूला संचालकों ने खुलेआम पोस्टर चिपकाकर लिखा — “दुर्घटना होने पर कंपनी जिम्मेदार नहीं।” यह सीधे-सीधे विभागीय आदेशों की अवहेलना है और जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़।

 

अब नया मोड़:

समाचार प्रकाशित होने के बाद RTO विभाग ने जांच के नाम पर महज़ खानापूर्ति की। जांच का उद्देश्य यह होना चाहिए था कि मौत के कुएँ के संचालन की अनुमति दी गई है या नहीं, और यदि दी गई है, तो किस नियम के तहत। लेकिन विभाग ने उस मुख्य सवाल से बचते हुए सिर्फ इतना बताया कि सभी गाड़ियों के दस्तावेज वैध हैं। प्रश्न यह उठता है कि क्या वैध दस्तावेज ही मौत के कुएँ में दौड़ने की अनुमति दे देते हैं? क्या विभाग ने यह परखा कि ये गाड़ियाँ तकनीकी रूप से ऐसे खतरनाक खेल के लिए फिट हैं या नहीं? क्या वाहन चालकों के द्वारा सुरक्षा नियमों का पालन किया जा रहा है यां नहीं? और तो और, जिस अधिकारी को जिले के बड़े अधिकारी ने इसकी जाँच के लिए कहा था , उनके बारे में चर्चा है कि उन्हें मीना बाजार की व्यवस्था से ज़्यादा वहाँ के जीने और खाने की चिंता रहती है। ऐसे में निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना जनता के साथ मज़ाक है।

 

बाबा साहेब ने कहा था — “संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, अगर उसे चलाने वाले बुरे हैं तो वह बुरा साबित होगा।” आज यही सच मैदान में दिख रहा है। कानून है, आदेश हैं, लेकिन उन्हें लागू करने वाले जिम्मेदारों की नीयत सो चुकी है। अब सवाल यह नहीं कि नियम क्या हैं, बल्कि यह है कि नियमों को तोड़ने वाले और आँख बंद करने वाले कौन हैं?

 

जनता के जीवन से खेलने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं —

यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासनिक बेईमानी और संवेदनहीनता की चरम सीमा है।

 

अब सवाल सीधा है —

क्या विभाग जनता की सुरक्षा करेगा, या मीना बाजार की मौज में डूबे अधिकारी?

जगदलपुर, शौर्यपथ। नगरपालिक निगम जगदलपुर ने दीपावली पर्व के दौरान शहर की यातायात व्यवस्था सुचारू बनाए रखने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। हर साल की तरह इस बार भी दीपावली के अवसर पर शहर में लाई, बताशा, दिया, फल-फूल और पूजा सामग्री बेचने वाले चिल्हर विक्रेताओं की भीड़ सड़कों पर देखने को मिलती थी, जिससे जाम की स्थिति उत्पन्न होती थी और लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता था।

इस समस्या को देखते हुए नगर निगम प्रशासन ने इस वर्ष सभी चिल्हर विक्रेताओं के लिए “हाता ग्राउंड” को निर्धारित विक्रय स्थल के रूप में चयनित किया है। निगम आयुक्त ने सभी विक्रेताओं से अपील की है कि वे दीपावली पर्व से संबंधित सामग्री का विक्रय हाता ग्राउंड में ही करें।

नगर निगम का कहना है कि इस निर्णय से एक ओर जहां शहर में यातायात व्यवस्था दुरुस्त रहेगी, वहीं दूसरी ओर विक्रेताओं को भी एक व्यवस्थित स्थान पर अपने सामान की बिक्री का अवसर मिलेगा। निगम ने यह भी स्पष्ट किया है कि मुख्य सड़कों, चौक-चौराहों या बाजार क्षेत्र में अतिक्रमण कर बिक्री करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

निगम प्रशासन ने आम नागरिकों से भी सहयोग की अपील की है ताकि शहर में दीपावली का पर्व शांति, सौहार्द और स्वच्छ वातावरण में मनाया जा सके।

पूर्व सैनिकों ने बच्चों को बताया भारतीय वायुसेना का गौरवशाली इतिहास, बढ़ाई देशभक्ति की भावना

जगदलपुर, शौर्यपथ। 93वें भारतीय वायुसेना दिवस के अवसर पर बस्तर के जिला सैनिक कल्याण कार्यालय, जगदलपुर परिसर में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर बस्तर के पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों ने स्कूली बच्चों के साथ भारतीय वायुसेना के शौर्य, पराक्रम और गौरव का उत्सव मनाया।

कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देने के साथ किया गया। तत्पश्चात विंग कमांडर जे. पी. पात्रो (सेवानिवृत्त), जिला सैनिक कल्याण अधिकारी ने बच्चों को भारतीय वायुसेना के गौरवशाली इतिहास, उसकी भूमिका और राष्ट्र की सुरक्षा में उसके अद्वितीय योगदान के बारे में विस्तार से बताया।

कल्याण आयोजक सूबेदार अरविंद कुमार ने बच्चों को सशस्त्र बलों में शामिल होकर देशसेवा के लिए प्रेरित किया। वहीं सूबेदार भानु प्रताप द्विवेदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सहित विभिन्न अभियानों में वायुसेना की वीरता की झलकियां साझा कीं। समारोह का संचालन हवलदार तोप सिंह द्वारा किया गया।

बच्चों के साथ उपस्थित शिक्षकों ने भी इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से विद्यार्थियों में देशभक्ति और अनुशासन की भावना का विकास होता है।

कार्यक्रम के अंत में पूर्व सैनिकों ने संकल्प लिया कि वे भविष्य में भी ऐसे आयोजनों के माध्यम से युवा पीढ़ी को प्रेरित करते रहेंगे, ताकि बस्तर के बच्चे भी एक दिन नीली वर्दी पहनकर आसमान में देश का गौरव बढ़ाएं।

जगदलपुर, शौर्यपथ। बस्तर जिले के ऐतिहासिक चंदैया मेमोरियल मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च, जिसे स्थानीय लोग लाल चर्च के नाम से भी जानते हैं, में वार्षिक शांति महोत्सव का भव्य शुभारंभ हो चुका है। हर वर्ष की तरह इस बार भी यह चार दिवसीय आयोजन क्षेत्र में आध्यात्मिक ऊर्जा, प्रेम और एकता का संदेश फैला रहा है। 9 अक्टूबर की शाम चर्च परिसर में ज्योति प्रज्वलन और विशेष प्रार्थना के साथ महोत्सव की शुरुआत हुई। आयोजन का मुख्य उद्देश्य प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार को जन-जन तक पहुंचाना और समाज में शांति व विश्वास का माहौल बनाना है।

 

तीन दिन विशाल सभा, 12 अक्टूबर को विशेष आराधना

महोत्सव के तहत 9, 10 और 11 अक्टूबर को लाल चर्च परिसर के हैरल्ड चेपल मैदान में प्रतिदिन सायं विशाल सुसमाचार सभाएँ आयोजित की जा रही हैं, जबकि 12 अक्टूबर को चर्च के भीतर विशेष आराधना की जाएगी। इस वर्ष मुंबई से आए प्रेरित विल्सन फर्नाडिस मुख्य वक्ता के रूप में प्रभु का वचन प्रचारित कर रहे हैं। महोत्सव का विषय लूका रचित सुसमाचार 10:2 पर आधारित है — “पके खेत बहुत हैं, परंतु मजदूर थोड़े हैं, इसलिए खेत के स्वामी से विनती करो कि वह अपने खेत काटने को मजदूर भेज दे।”

 

उत्साह और एकता का माहौल

प्रचार समिति की अध्यक्षा श्रीमती अल्पना जॉन ने बताया कि यह आयोजन हर वर्ष की तरह इस बार भी अत्यंत उत्साहपूर्ण है। कलीसिया के बुजुर्गों, युवाओं और बच्चों की संयुक्त भागीदारी से पूरा वातावरण सेवा, समर्पण और एकता से भरा हुआ है।

बस्तर जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस महोत्सव में शामिल हो रहे हैं। सभी मिलकर प्रभु की आराधना, स्तुति और महिमा कर रहे हैं तथा नई आध्यात्मिक शक्ति और आशीषें लेकर लौट रहे हैं।

 

विशेष प्रार्थनाओं के विषय

इस महोत्सव में विशेष प्रार्थनाएँ की जा रही हैं—

1. सुसमाचार सारे जगत में पहुँचे

2. महोत्सव में पवित्र आत्मा की उपस्थिति बनी रहे

3. वक्ता सामर्थी प्रचार करें

4. पास्टर्स, अगुवे एवं वर्शिप टीम के लिए

5. आयोजन का उद्देश्य पूर्ण हो और प्रभु को महिमा मिले

6. उत्तम मौसम एवं अनुकूल वातावरण के लिए

7. सभी प्रबंधों व आयोजकों के लिए

8. अंतिम दिनों की जागृति के लिए

9. आत्माएँ बचाई जाएँ और प्रभु का राज्य बढ़े

यह शांति महोत्सव न केवल चर्च समुदाय के लिए, बल्कि पूरे जगदलपुर शहर के लिए शांति, विश्वास और सकारात्मकता का संदेश लेकर आया है।

जगदलपुर, शौर्यपथ। जिला बस्तर में पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा के कुशल मार्गदर्शन में अवैध शराब तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत भानपुरी पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने तीन लग्जरी वाहनों से 55 पेटी अंग्रेजी शराब (कुल 2750 पौवा) जब्त कर 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जब्त सामग्री की कुल कीमत लगभग 18 लाख रुपये आंकी गई है। यह कार्यवाही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग और अनुविभागीय अधिकारी भानपुरी प्रवीन भारती के पर्यवेक्षण तथा थाना प्रभारी निरीक्षक हर्ष कुमार धुरंधर के नेतृत्व में की गई।

मुखबिर की सूचना पर पुलिस टीम ने ग्राम फरसागुड़ा मार्ग में घेराबंदी कर तीन वाहनों — स्कॉर्पियो N (CG04-QD-7778), सियाज (CG04-PB-7951) और डस्टर (CG04-HD-6858) — को पकड़ा। वाहनों की तलाशी में मध्यप्रदेश निर्मित अंग्रेजी शराब बरामद की गई।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान —

1️⃣ मयंक गनवीर (23 वर्ष), निवासी प्रगति नगर रिसाली, भिलाई

2️⃣ अमन राय (25 वर्ष), निवासी मड़ोदा, उतई, दुर्ग

3️⃣ धनराज सिंह ठाकुर उर्फ लाला (26 वर्ष), निवासी सुपेला, भिलाई

4️⃣ चिराग यादव उर्फ चिकू (19 वर्ष), निवासी सेक्टर-10, भिलाई

5️⃣ हूपेंद्र नाग (28 वर्ष), निवासी मुरकुची, भानपुरी

6️⃣ जितेंद्र कुर्रे उर्फ कल्लू (30 वर्ष), निवासी जामकोटपारा, कोण्डागांव

7️⃣ प्रमेन्द्र कुर्रे उर्फ छोटू (24 वर्ष), निवासी जामकोटपारा, कोण्डागांव

पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से गोवा व्हिस्की की 55 पेटियां (495 लीटर), तीन लग्जरी वाहन और 9 एंड्रॉइड मोबाइल फोन जब्त किए हैं। सभी के खिलाफ आबकारी अधिनियम की धारा 34(2), 36 तथा बीएनएस की धारा 281 के तहत अपराध दर्ज कर आगे की विवेचना जारी है।

 

पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा ने जिले में अवैध तस्करी पर रोक लगाने के लिए कड़ा रुख अपनाया है। उनके मार्गदर्शन में पुलिस लगातार सक्रियता दिखा रही है। हालिया कार्यवाही से यह साफ है कि बस्तर पुलिस अपराधियों को किसी भी सूरत में बख्शने के मूड में नहीं है।

भानपुरी पुलिस की यह कार्यवाही जिले में कानून व्यवस्था और जनसुरक्षा के प्रति पुलिस की सजगता का उत्कृष्ट उदाहरण मानी जा रही है।

नियमों की उड़ रही धज्जियाँ, आदेश की शर्तें टूटीं — फिर भी अधिकारी मौन, ऐसे में कार्यवाही करेगा कौन?

 

By- नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। लगातार समाचारों के माध्यम से मीना बाजार की अनियमितता, लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को उजागर किया जा रहा है। फिर भी विभागीय जिम्मेदार अधिकारी आज भी कार्रवाई से बचते दिख रहे हैं। प्रशासन की यह चुप्पी अब सवालों के घेरे में है — क्या मीना बाजार वाकई विभागीय संरक्षण में चल रहा है?

 

नगर दण्डाधिकारी कार्यालय, जगदलपुर द्वारा जारी आदेश पत्र 11/09/2025 में स्पष्ट उल्लेख है कि —

“मीना बाजार / प्रदर्शनी में आयोजन के दौरान यदि किसी प्रकार की दुर्घटना होती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी आयोजन संचालक की होगी।”

 साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि —

“उपरोक्त शर्तों के उल्लंघन पाये जाने की स्थिति में अनुमति स्वयंमेव निरस्त मानी जावेगी एवं संचालक के ऊपर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।”

 

लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

आदेश की लगभग हर शर्त का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है — फिर भी न अनुमति निरस्त हुई, न किसी संचालक पर कार्रवाई हुई। यानी आदेश अब बस कागज़ों पर ज़िंदा है, जबकि मैदान में उसकी कोई औकात नहीं बची? यह स्थिति यह दर्शाती है कि न तो संचालक प्रशासनिक आदेशों को गंभीरता से ले रहे हैं, और न ही निगरानी करने वाले अधिकारी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो आदेश सिर्फ फाइलों और नोटिस बोर्डों तक सीमित रह गया है, जबकि मैदान में जिम्मेदारी से बचने का खेल खुलकर खेला जा रहा है। 

 

मीना बाजार परिसर में लगे हर झूले, और मनोरंजन साधनों पर संचालकों ने पोस्टर चस्पा कर रखे हैं —

“किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर कम्पनी जिम्मेवार नहीं होगी।”

 

यह वही संचालक हैं जिन्हें आदेश के अनुसार जनता की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठानी थी। मगर वे पहले ही अपने हाथ खड़े कर चुके हैं — और प्रशासन सब देखकर भी मूकदर्शक बना हुआ है।ऐसे मे अगर कोई हादसा होता है तो आखिर जनता न्याय के लिए किसके दरवाजे पर दस्तक देगी? क्या संचालक यह कहकर बच जाएंगे कि झूला कंपनी जिम्मेदार है, या कंपनी यह कहकर कि हमने पहले ही लिखा था कि हम जिम्मेदार नहीं हैं?

 

अब सवाल उठना लाजिमी है

जब आदेश में साफ लिखा है कि उल्लंघन पर अनुमति स्वतः निरस्त मानी जाएगी, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं?

क्या प्रशासन किसी दबाव में है?

क्या मीना बाजार को विभागीय संरक्षण प्राप्त है?

 

स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों का कहना है कि अगर यही स्थिति किसी छोटे व्यापारी या स्थानीय आयोजन में होती, तो अगले ही दिन नोटिस और सीलिंग की कार्यवाही शुरू हो जाती। लेकिन यहाँ अधिकारी खुद मौन हैं — जैसे सब कुछ किसी “सेटिंग सिस्टम” के तहत चल रहा हो? मीना बाजार में जारी यह अव्यवस्था अब केवल लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासनिक आदेशों का मखौल बन चुकी है।कानून और नियमों की खुली अवहेलना के बीच सवाल यही उठता है कि — क्या बस्तर प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी कुर्सी की छाया में कहीं खो दी है? अब वक्त आ गया है कि बस्तर प्रशासन जागे और अपने ही आदेश का सम्मान करे। वरना जनता यह मानने को मजबूर होगी कि यह पूरा खेल विभागीय संरक्षण की छाया में चल रहा है?

By- नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। जगदलपुर के राजमहल परिसर के मीना बाजार में चल रहे मौत के कुएँ की जांच अब जनता के बीच चर्चा का विषय बन गई है। हमारी पूर्व प्रकाशित खबर के बाद RTO विभाग की उड़नदस्ता टीम ने भौतिक निरीक्षण तो किया, लेकिन जांच का हाल ऐसा रहा मानो सुरक्षा नहीं, औपचारिकता की जांच की गई हो।

टीम ने रिपोर्ट में बताया कि “सभी दस्तावेज वैध पाए गए”, पर सवाल यह है कि जिन पुरानी गाड़ियों से यह जोखिम भरा खेल चल रहा है, क्या वे तकनीकी रूप से चलने योग्य हैं? क्या किसी विशेषज्ञ ने वाहनों की फिटनेस, ब्रेकिंग सिस्टम या सुरक्षा संरचना की जांच की? रिपोर्ट में इसका कोई ज़िक्र नहीं — क्योंकि यहाँ मामला किसी आम नागरिक का नहीं, मेला प्रबंधन और रसूखदारों का है।

 

दोहरी नीति पर सवाल:

हैरानी की बात यह है कि सड़क पर अगर कोई गरीब मजदूर या आम व्यक्ति अपनी पुरानी मोटरसाइकिल या बिना कागज़ की गाड़ी लेकर निकल जाए, तो यही विभाग पूरा कानून सिर पर उठाकर चलानी काट देता है। उसे रोकने, डराने और वसूली करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती। लेकिन जब वही कानून मौत के कुएँ के अंदर टूटता है, तब सबकी आँखें मूँद ली जाती हैं — क्योंकि वहाँ बड़े लोगों का परिचय और रसूख काम आता है। यही विभाग जो सड़क पर आम जनता से नियम पालन की दुहाई देता है, अब खामोश है जब नियमों की धज्जियाँ उनके सामने उड़ाई जा रही हैं। क्या कानून सिर्फ गरीबों के लिए बना है? क्या विभाग की सख्ती सिर्फ उन पर दिखती है जिनका कोई सियासी या अफसरशाही परिचय नहीं होता?

 

स्थानीय नागरिकों की नाराज़गी:

नागरिकों ने कहा कि अगर यही लापरवाही किसी आम व्यक्ति के मामले में हुई होती तो RTO का पूरा अमला उसके पीछे पड़ गया होता। पर यहाँ विभाग ने न फिटनेस जाँची, न सुरक्षा का ब्यौरा लिया — बस फाइलें पलट कर “सब वैध है” का ठप्पा लगा दिया।

 

निष्कर्ष:

जिले में नियमों की परिभाषा अब चेहरों से तय होने लगी है। मौत के कुएँ में जहाँ जनता की जान दांव पर है, वहाँ प्रशासन कागज़ों में फिटनेस और रसूख में इंसाफ ढूँढ रहा है।

सवाल अब जनता पूछ रही है —

क्या कानून सिर्फ गरीबों के लिए है और सुरक्षा सिर्फ रसूख वालों की सुविधा के लिए? क्यूंकि RTO उड़नदस्ता की यह जांच साबित करती है कि विभागीय कार्यवाई अब भी कागज़ों में ही सक्रिय है। मौत का कुआँ आज भी घूम रहा है — फर्क बस इतना है कि अब यह कानून की आंखों के सामने घूम रहा है।

श्रद्धालुओं ने भावुकता के साथ माता मावली को किया विदा

By - नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व का एक अत्यंत भावुक और गरिमामय अध्याय मंगलवार को समाप्त हुआ। लगभग 75 दिनों तक चलने वाले इस अद्वितीय और अद्भुत सांस्कृतिक महापर्व की अंतिम रस्म मावली विदाई के साथ इसका समापन हो गया। हजारों की संख्या में जुटे भक्तों द्वारा अपार श्रद्धा के बीच आराध्य देवी मावली माता की डोली और छत्र को ससम्मान विदा किया गया। परंपरा के निर्वहन में माता की डोली को जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर से गाजे-बाजे और भव्य शोभायात्रा के साथ साथ जिया डेरा तक ले जाया गया। इस अवसर पर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, महापौर संजय पांडे और अन्य जनप्रतिनिधियों सहित बस्तर दशहरा समिति के उपाध्यक्ष बलराम मांझी, बस्तर दशहरा समिति के पारम्परिक सदस्य मांझी-चालकी, मेम्बर-मेम्बरीन, नाईक-पाईक और कमिश्नर डोमन सिंह, पुलिस महानिरीक्षक सुन्दर राज पी, कलेक्टर हरिस एस, पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा तथा अन्य अधिकारी मौजूद थे।

 

गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुई ’माई जी’ की विदाई

मां दंतेश्वरी मंदिर के समीप निर्मित आकर्षक मंच पर माई जी की डोली को रखा गया, जिसे श्रद्धालुओं ने दर्शन किया और बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव द्वारा परंपरा के अनुसार माई जी की आरती की गई। पुलिस जवानों द्वारा हर्ष फायर कर सलामी दिए जाने के बाद कमलचंद्र भंजदेव ने माई जी की डोली को अपने कंधे पर धारण किया और जिया डेरा के लिए रवाना हुए। विदाई समारोह को बेहद गरिमामय बनाया गया। राज परिवार के सदस्यों ने स्वयं मावली माता की डोली को अपने कंधों पर उठाकर इस प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया। भक्तों ने पूरे रास्ते फूलों की वर्षा कर और जयकारे लगाकर अपनी माई जी को भावभीनी विदाई दी। डोली विदाई की यह रस्म बस्तर दशहरा पर्व की समाप्ति का प्रतीक है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि 600 वर्ष से अधिक पुरानी बस्तर की समृद्ध आदिवासी संस्कृति और परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन भी है। इस विदाई के साथ भक्तों ने अगले वर्ष फिर से उत्सव की शुरुआत की उम्मीद लिए देवी से क्षेत्र की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद माँगा।

 

श्रद्धा और सम्मान से सजी विदाई यात्रा

शोभायात्रा के दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूँज थी, वहीं माता मावली की डोली के सामने उनके साज-श्रृंगार के सामान कांवरिया कावड़ में लेकर चल रहे थे। पारंपरिक वेशभूषा में सिर पर कलश धारण किए महिलाएं, इस विदाई यात्रा की शोभा बढ़ा रही थीं। पूरे मार्ग पर श्रद्धालुओं ने जगह-जगह माई जी का स्वागत किया, पूजा-अर्चना की और भावुकता के साथ उन्हें विदाई दी। जिया डेरा से माता मावली की डोली एवं छत्र को एक सुसज्जित वाहन से दंतेवाड़ा के लिए रवाना किया गया।

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