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महिला कर्मचारी का हो रहा अपमान... स्वास्थ्य विभाग नही दे रहा ध्यान?

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नरेश देवांगन कि खास रेपोर्ट
    जगदलपुर/ शौर्यपथ/

    महिलाओं के खिलाफ हिंसा का महिलाओं की सुरक्षा पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है, जिसमें उनकी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक भलाई भी शामिल है, जो अक्सर श्रम बाजार में शामिल होने और बने रहने की उनकी क्षमता को प्रभावित करती है ऐसी घटना को नियंत्रित करने लिए सरकार कार्यशालाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, संगोष्ठियों, प्रशिक्षणों, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों आदि के माध्यम से महिलाओं और उनके अधिकारों से संबंधित विभिन्न कानूनों पर जागरूकता सृजन कार्यक्रम और प्रचार अभियान चलाती है। लेकिन महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की घटनाओं को तब तक नियंत्रित नहीं किया जा सकता जब तक कि आम लोगों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव न आए। ऐसा ही एक मामला स्वास्थ्य विभाग का है जहा एक कर्मचारी ने अपने ही विभाग के महिला कर्मचारी को अकेले में बिना किसी को जानकारी दिए मिलने के लिए अश्लील आपत्तिजनक मैसेज व्हाट्सप्प में लगातार भेजता है, उक्त आरोप महिला कर्मचारी ने लगाया है। जिसकी महिला कर्मचारी ने जिले के अधिकारी को शिकायत कि है। वही इस मामले कि जाँच में महिला कर्मचारी के द्वारा लगाए गए आरोप को टीम ने सही पाया है बावजूद इसके भी अब तक कर्मचारी के ऊपर कार्यवाही नहीं कि गई है। विभाग अपने ही महिला कर्मचारी कि शिकायत पर कार्यवाही करने को लेकर संवेदनशील नहीं दिखाई दे रही है। जिससे जिम्मेदारो पर कई सवाल खड़े हो रहे है।
     सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मामला स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी के द्वारा महिला कर्मचारी से अश्लील आपत्तिजनक व्हाट्सप्प में मैसेज कर महिला कर्मचारी को लगातार मैसेज कर चित्रकूट रोड या ओड़िशा रोड़ में किसी अन्य को नहीं बताते हुए मिलने आने को कहता रहा. जिस पर महिला फरवरी 2024 एक लिखित शिकायत जिले के अधिकारी को कि उक्त शिकायत के बाद कर्मचारी ने शिकायत पत्र को विभाग के ऑफिसियल ग्रुप में डाल महिला कर्मचारी कि छवि को धूमिल कर उसकी पहचान सार्वजनिक कर उसे अपमानित किया। शिकायत पे जाँच टीम बनी , लगाए गए महिला कर्मचारी के आरोप को जांच टीम ने सही पाया जिसके बाद उक्त कर्मचारी के विरुद्ध सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम -1966 के नियम -9 व महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम -2013, यौन उत्पीड़न के प्रावधानों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही किये जाने का प्रस्ताव रखा. इस कार्यवाही को आज लगभग 6 माह से ऊपर हो गए लेकिन उक्त कर्मचारी के ऊपर आरोप सही पाए जाने के बाद भी कार्यवाही जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा नहीं किये जाने से जिम्मेदारों पर कई सवाल खड़े हो रहे है. वर्तमान में उक्त कर्मचारी के साथ महिला कर्मचारी भी कार्य कर रही है ऐसे में भविष्य में किसी प्रकार कि अनहोनी घटना होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? क्या विभाग कार्यवाही नहीं कर महिला कर्मचारी के सात किसी अप्रिय घटना होने का इंतजार कर रही है?

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