संवाददाता - नरेश देवांगन
जगदलपुर/शौर्यपथ/बरसात का मौसम दस्तक दे चुका है, और ऐसे समय में गांवों में नालियों की साफ-सफाई बेहद जरूरी हो जाती है। लेकिन जगदलपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत आमागुड़ा में स्थिति इसके ठीक उलट है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत सचिव ने सफाई कार्य के नाम पर शासकीय राशि तो निकाल ली, लेकिन वास्तविक रूप से किसी भी प्रकार की सफाई नहीं कराई गई।
ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत के अनुसार पंचायत के रिकॉर्ड में वर्ष 2021-22 में कोटवार घर से बलदेव घर तक नाली सफाई के लिए ₹48,680 खर्च दर्शाए गए हैं। बिल-बाउचर में उल्लेख है कि इस कार्य में गिट्टी और सेंटरिंग तार पर ही ₹24,200 खर्च कर दिए गए। सवाल यह उठता है कि नाली की सफाई में गिट्टी और सेंटरिंग तार का क्या उपयोग हो सकता है?
जब मौके पर जाकर स्थिति की पड़ताल की, तो पाया कि नालियां जस की तस गंदगी और कचरे से भरी हुई हैं। कई स्थानों पर नाली का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है, जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है और दुर्गंध से ग्रामीणों का जीवन बेहाल हो चुका है।
निवासियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि,
"जब से नाली का निर्माण हुआ है, हमने कभी किसी को सफाई करते नहीं देखा। अब तो नाली और सड़क में कोई फर्क ही नहीं रह गया है। मगर रिकॉर्ड में हजारों रुपए खर्च दिखाए गए हैं। ये सरासर घोटाला है।"
इस संबंध में ग्रामीणों ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत जगदलपुर को एक लिखित शिकायत सौंपते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत सचिव ने अपने चहेते लोगों के नाम पर फर्जी बिल बनाकर सरकारी राशि का दुरुपयोग किया है। गांव में कहीं भी सफाई का कार्य न होना, यह स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार का मामला प्रतीत होता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता से कार्रवाई करता है और क्या स्वच्छता मिशन को मजाक बनाते इन जिम्मेदारों पर कोई कठोर कदम उठाया जाता है?