बिलासपुर / शौर्यपथ /
तमाम इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के बावजूद दिवाली आए और मिट्टी के दिये की बात ना हो, बाजार न सजे यह संभव नहीं मिट्टी के दिये के बगैर दिवाली अधूरी है पर अब इन दियों पर महंगाई की छाया पड़ गई लगती है। बाजार में राजस्थान से आए हुए दिए व्यापारी जगदीश बताते हैं। वह 18 वर्ष से लगातार बिलासपुर आ रहे हैं और सीएमडी चौक के आगे उनकी दुकान लगती है। शहर के बहुत से दिया व्यापारी उनसे ही माल खरीद कर ले जाते हैं।₹20 के 12 दिये छोटे और बड़ा दिया ₹20 का एक चिल्लर में अब यही दाम है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में अलवर की मिट्टी इस तरह के काम के लिए बहुत अच्छी है। इन दियो से तेल का रिसाव नहीं होता दूसरी ओर स्थानीय दिये हैं और यह मुख्त: गोल बाजार क्षेत्र, लाल बहादुर शास्त्री स्कूल के पास बिक्री के लिए उपलब्ध होते हैं। इन पर भी महंगाई की छाया दिखाई देती है शायद तेल का बढ़ता दाम भी एक कारण है की अब दिया उतना ही लिया जाता है जो पूजा और मुख्य दरवाजे के आसपास प्रज्वलित करना जरूरी है। शहर में सबसे ज्यादा दिए की दुकानें मुंगेली नाका क्षेत्र में देखी जा सकती है और धनतेरस के एक-दो दिन पहले से छोटे व्यापारियों का ग्रामीण क्षेत्र से आना भी बढ़ेगा तब दाम में कुछ नरमी आएगी।