October 23, 2025
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बिलासपुर

बिलासपुर (207)

बीएआरसी और आईजीकेवी के संयुक्त प्रयास से विकसित किस्म किसानों के लिए वरदान साबित होगी

बिलासपुर / शौर्यपथ /
दिव्यांग सोनी की ख़ास रिपोर्ट

   कृषि विज्ञान केन्द्र, बिलासपुर द्वारा बीएआरसी-आईजीकेवी के सहयोग से विकसित धान की उत्परिवर्तित किस्म ‘विक्रम-टीसीआर’ के लोकप्रियकरण एवं प्रसार के उद्देश्य से एक दिवसीय प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर के सभागार में किया गया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गीत शर्मा के मार्गदर्शन में हुआ।

धान की किस्म ‘विक्रम-टीसीआर’ के विशेष गुण
मुख्य अतिथि डॉ. पी.ए. हसन, निदेशक, जैव विज्ञान समूह, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (बीएआरसी), मुंबई ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि यह धान की किस्म अधिक उपज देने वाली है,रोगरोधी है,कम अवधि में तैयार होती है, तथा मध्यम ऊँचाई के कारण फसल के गिरने की समस्या से मुक्त रहती है।उन्होंने कहा कि यह किस्म किसानों की कई व्यावहारिक समस्याओं का समाधान प्रदान करती है।

दलहन-तिलहन में भी नयी संभावनाएँ
डॉ. ए.डी. बलाल, प्रमुख, परमाणु कृषि एवं जैव-प्रौद्योगिकी प्रभाग, बीएआरसी, मुंबई ने जानकारी दी कि धान के अतिरिक्त अब दलहन एवं तिलहन फसलों की नई किस्में भी विकसित की जा रही हैं, जो जल्द ही किसानों को उपलब्ध कराई जाएंगी।

उपज बढ़ाने की तकनीकें
डॉ. दीपक शर्मा, प्राध्यापक एवं प्रमुख, पादप प्रजनन एवं अनुवांशिकी विभाग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने किसानों को बताया कि विक्रम-टीसीआर किस्म से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए कौन-सी तकनीकें और कृषि पद्धतियाँ अपनाई जाएं।

किसानों को प्रोत्साहन और सम्मान
डॉ. बी.के. दास, प्रमुख, केन्द्रीय सुधार अनुभाग, बीएआरसी, मुंबई ने किसानों से इस धान किस्म का अधिकाधिक क्षेत्रफल में उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में प्रगतिशील कृषक राघवेन्द्र सिंह चंदेल को ‘विक्रम-टीसीआर’ धान किस्म के प्रचार-प्रसार में योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

अधिष्ठाताओं ने साझा किए अनुभव
डॉ. एन.के. चौरे, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर;
डॉ. एस.एल. स्वामी, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, लोरमी; एवं
डॉ. संजय वर्मा, मुख्य वैज्ञानिक, क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र, बिलासपुर
ने किसानों को इस किस्म को अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया और इसके तुलनात्मक लाभ बताए।

कार्यक्रम संचालन
कार्यक्रम का संचालन डॉ. शिल्पा कौशिक ने किया तथा आभार प्रदर्शन डॉ. निवेदिता पाठक द्वारा किया गया।इस अवसर पर डॉ. शिल्पा कौशिक, डॉ. एकता ताम्रकार, इंजी. पंकज मिंज, डॉ. निवेदिता पाठक, डॉ. चंचला रानी पटेल, सुशीला ओहदार, हेमकांति बंजारे, डॉ. स्वाति शर्मा, संतोश वर्मा, इंद्रराम पटेल सहित कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय-‘विक्रम-टीसीआर’ धान किस्म का विकास भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (BARC) द्वारा म्यूटेशन ब्रिडिंग तकनीक से किया गया है। यह किस्म जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के अनुरूप टिकाऊ, उच्च उत्पादनक्षम और किसान हितैषी मानी जा रही है।

बिलासपुर / शौर्यपथ /
दिव्यांग सोनी की ख़ास रिपोर्ट

    उच्च शिक्षा के लिए संभाग का सबसे बड़ा शैक्षणिक संस्थान सी.एम. दुबे स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिलासपुर में छात्रों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज़ाद पैनल छात्रसंघ के नेतृत्व में छात्रों ने कॉलेज प्रांगण में धरना प्रदर्शन करते हुए प्राचार्य का पुतला दहन किया और कॉलेज प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की।
छात्रों का कहना है कि कॉलेज प्रशासन ने प्रवेश के समय आकर्षक विज्ञापनों के माध्यम से छात्रों को झूठे वादों और प्रलोभनों के आधार पर एडमिशन दिलाया, लेकिन प्रवेश के बाद न तो सुविधाएँ दीं, न ही शैक्षणिक माहौल में सुधार किया गया।
 *स्वच्छता की हालत बद से बदतर*
आज़ाद पैनल ने यह भी आरोप लगाया कि कॉलेज परिसर में स्वच्छता की स्थिति बेहद खराब है। महाविद्यालय भवन के अंदर ही केवल कुछ डस्टबिन लगाए गए हैं, जबकि कॉलेज प्रांगण, गलियारों और अन्य आधिकारिक क्षेत्रों में कचरे के ढेर लगे रहते हैं।
छात्रों ने तंज कसते हुए कहा कि —
“जब कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना टीम का मूल उद्देश्य ही स्वच्छता और सामाजिक जिम्मेदारी है, तब ऐसे हालात शर्मनाक हैं। एन एस एस के दस्य स्वच्छता जागरूकता की जगह फोटोशूट तक सीमित हैं।”
 *नकल प्रकरण में नियमों की खुली धज्जियाँ*
छात्रों ने बताया कि हाल ही में हुई परीक्षा में बीकॉमअंतिम वर्ष के कुछ छात्रों द्वारा मोबाइल फ़ोन का उपयोग कर अपने परिचितों को उत्तर साझा किए गए। यह परीक्षा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है, क्योंकि परीक्षा कक्ष में मोबाइल फ़ोन ले जाना पूर्णतः वर्जित है।
इसके बावजूद कुछ शिक्षकों ने इस गंभीर उल्लंघन को नज़रअंदाज़ कर दिया, जिससे नकल प्रकरण को बढ़ावा मिला।
 *छात्रसंघ की चेतावनी: अब आर-पार की लड़ाई*
धरने में उपस्थित आज़ाद पैनल के प्रमुख छात्र नेताओंने कॉलेज प्रशासन को चेतावनी दी कि—
“यदि 7 दिनों के भीतर छात्रों से किए गए वादे पूरे नहीं किए गए और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन को राज्य स्तर तक विस्तारित किया जाएगा। हम शांत हैं, पर कमजोर नहीं।”
 *आज़ाद पैनल की प्रमुख मांगे:*
कॉलेज प्रांगण एवं सभी विभागों में स्वच्छता सुनिश्चित कर पर्याप्त डस्टबिन लगाए जाएँ।
नकल प्रकरण में दोषी छात्रों व शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई हो।
छात्रों से दुर्व्यवहार करने वाले कर्मचारियों से सार्वजनिक क्षमायाचना करवाई जाए।
प्रवेश विज्ञापनों में किए गए झूठे वादों की जांच की जाए और पारदर्शी छात्र समिति गठित की जाए।
अंत में आज़ाद पैनल ने कहा —
“यह आंदोलन केवल कॉलेज के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा की सच्चाई और छात्र सम्मान की लड़ाई है। जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक धरना, प्रदर्शन और विरोध जारी रहेगा।”

   बिलासपुर / शौर्यपथ / विवादास्पद बयान देने के लिए विख्यात भारतीय जनता पार्टी के लाडले नेता अजय चंद्राकर ने एक बार फिर से अपने आका को खुश करने की कोशिश की। इस बयान को उन्हें संभावित मंत्रिमंडल में शामिल होने से जोड़कर भी देखा जा सकता है। अजय चंद्राकर जो विधानसभा में अपनी ही पार्टी के सरकार को घेरने में लगे रहते हैं। आज बिलासपुर में कहा कि कांग्रेस के नेता दिल्ली स्थित एक परिवार की चाटने और काटने में लगे रहते हैं। कभी महिलाओं की बेज्जती और उत्पीड़न के लिए नाम कमा चुके अजय चंद्राकर ने आज जब यह कहा तो कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें अच्छी खरी खोटी सुनाई।
युवा नेता टाकेश्वर पाटले ने कहा कि ये वे ही नेता है जो अपने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के अस्ति कलश के पास बैठकर हंसते हुए दिखाई दे रहे थे। काटने की बात पर उन्होंने कहा कि अपने ही पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सिकंदर बक्स को जिस तरह काटा उसे पर पहले जवाब देते। चाटने में भाजपाइयों का इतिहास काफी समृद्ध है और पिछले 14 वर्ष से एक नान बायोलॉजिकल आदमी की जयकारा चाटने की अद्भुत मिसाल है। सनातन संस्कृति का यश गान करने वाली और दलित विरोधी मानसिकता वाले से कांग्रेस को कुछ नहीं सीखना। अजय चंद्राकर के चाटने काटने वाले बयान बटोगे तो कटोगे के समान घोर विवादित हो रहा है। ऐसा समझा जा रहा है कि अपनी ही पार्टी में हासीये पर पड़े चंद्राकर कुछ भी करके लाइमलाइट में आना चाहते हैं।

बिलासपुर / शौर्यपथ /
तमाम इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के बावजूद दिवाली आए और मिट्टी के दिये की बात ना हो, बाजार न सजे यह संभव नहीं मिट्टी के दिये के बगैर दिवाली अधूरी है पर अब इन दियों पर महंगाई की छाया पड़ गई लगती है। बाजार में राजस्थान से आए हुए दिए व्यापारी जगदीश बताते हैं। वह 18 वर्ष से लगातार बिलासपुर आ रहे हैं और सीएमडी चौक के आगे उनकी दुकान लगती है। शहर के बहुत से दिया व्यापारी उनसे ही माल खरीद कर ले जाते हैं।₹20 के 12 दिये छोटे और बड़ा दिया ₹20 का एक चिल्लर में अब यही दाम है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में अलवर की मिट्टी इस तरह के काम के लिए बहुत अच्छी है। इन दियो से तेल का रिसाव नहीं होता दूसरी ओर स्थानीय दिये हैं और यह मुख्त: गोल बाजार क्षेत्र, लाल बहादुर शास्त्री स्कूल के पास बिक्री के लिए उपलब्ध होते हैं। इन पर भी महंगाई की छाया दिखाई देती है शायद तेल का बढ़ता दाम भी एक कारण है की अब दिया उतना ही लिया जाता है जो पूजा और मुख्य दरवाजे के आसपास प्रज्वलित करना जरूरी है। शहर में सबसे ज्यादा दिए की दुकानें मुंगेली नाका क्षेत्र में देखी जा सकती है और धनतेरस के एक-दो दिन पहले से छोटे व्यापारियों का ग्रामीण क्षेत्र से आना भी बढ़ेगा तब दाम में कुछ नरमी आएगी।

रायपुर / शौर्यपथ /  छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा बस्तर संभाग के न्यायिक अधिकारियों के लिए एक दिवसीय संभागीय न्यायिक सेमिनार का आयोजन प्रेरणा हॉल, कलेक्टरेट भवन, जगदलपुर में किया गया। इस सेमिनार में बस्तर संभाग के चार जिलों जगदलपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव के 43 न्यायिक अधिकारियों ने भाग लिया।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा एवं मुख्य संरक्षक, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी ने वर्चुअल माध्यम से सत्र का उद्घाटन किया। सेमिनार में श्री अमितेंद्र किशोर प्रसाद, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, पोर्टफोलियो न्यायाधीश, जिला कांकेर की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।

मुख्य न्यायाधीश ने बस्तर संभाग के न्यायिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में न्यायपालिका से अपेक्षाएँ बहुत अधिक हैं। लोग हमसे अत्यधिक आशा रखते हैं। यह सेमिनार केवल सीखने का मंच ही नहीं, बल्कि न्याय, निष्पक्षता और विधि के शासन के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि भी है।

मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कहा कि न्यायिक शिक्षा एक बार की प्रक्रिया नहीं है; बल्कि यह सतत प्रक्रिया है। आज के दौर में जहाँ कानून तेजी से विकसित हो रहे हैं और समाज नई चुनौतियों का सामना कर रहा है, वहाँ न्याय के संरक्षक होने के नाते हमें निरंतर अपने ज्ञान को समृद्ध करना और अपनी न्यायिक क्षमता को धार देना अनिवार्य है। सतत प्रशिक्षण सुनिश्चित करता है कि हम अपने संवैधानिक दायित्वों को दक्षता, ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ निभा सकें।

मुख्य न्यायाधीश ने आगे यह भी कहा कि बस्तर क्षेत्र अपने विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक परिदृश्य के साथ न्यायपालिका के लिए चुनौतियाँ और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है। हमारा दायित्व है कि न्याय समाज के हर कोने तक पहुँचे, विशेष रूप से वंचित और कमजोर वर्गों तक। यहाँ के न्यायिक अधिकारियों की भूमिका जनता के विश्वास को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है कि न्याय न केवल किया जाए, बल्कि होता हुआ भी दिखाई दे।

मुख्य न्यायाधीश ने सभी न्यायिक अधिकारियों से आग्रह किया कि वे सहानुभूति, धैर्य और निष्पक्षता के साथ न्यायिक कार्य करें। याद रखें, प्रत्येक मामले के पीछे एक मानवीय कहानी होती है संघर्ष, आशा और न्यायपालिका में विश्वास की। हमें सदैव यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि न्याय समय पर, पारदर्शी और तर्कपूर्ण तरीके से दिया जाए।

अंत में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस प्रकार के सेमिनार समकालीन विधिक मुद्दों पर विचार-विमर्श, अनुभवों के आदान-प्रदान और श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों को अपनाने का मूल्यवान अवसर प्रदान करते हैं। इस सेमिनार में हुई चर्चाएँ न्यायिक अधिकारियों की दक्षता को बढ़ाएँगी और उन्हें न्यायिक कार्य की जटिलताओं को और अधिक कुशलता से संभालने योग्य बनाएँगी।

इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के प्रभारी रजिस्ट्रार जनरल, रजिस्ट्री अधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़े थे। कांकेर, कोंडागांव, जगदलपुर एवं दंतेवाड़ा के जिलों के न्यायिक अधिकारी उपस्थित थे। स्वागत भाषण प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जगदलपुर द्वारा दिया गया, परिचयात्मक उद्बोधन छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के निदेशक ने तथा धन्यवाद ज्ञापन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जगदलपुर द्वारा किया गया।

सेमिनार में बस्तर संभाग के कुल 43 न्यायिक अधिकारियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों द्वारा परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के मामलों की कार्यवाही का अवलोकन तथा इनके निपटारे हेतु नवीन उपकरण और तकनीकें, मध्यस्थता में रेफरल जज की भूमिका, डिक्री का क्रियान्वयन गिरफ्तारी एवं सिविल कारागृह में निरुद्धि तथा संपत्ति की कुर्की द्वारा समयबद्ध और प्रभावी प्रवर्तन हेतु रणनीतियाँ, सलाखों के पीछे या स्वतंत्र रिमांड और जमानत के प्रावधानों का गहन विश्लेषण, माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के नवीनतम निर्णयों के विशेष संदर्भ के संबंध में प्रस्तुतिकरण दिए गए।

शासकीय सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और एम्स रायपुर के बीच ऐतिहासिक समझौता

बिलासपुर / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। कुमार साहब स्व. दिलीप सिंह जूदेव शासकीय सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, बिलासपुर और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), रायपुर के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस साझेदारी से अब बिलासपुर समेत आसपास के जिलों के मरीजों को एम्स स्तर की अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएँ अपने ही शहर में उपलब्ध होंगी।

करार के अवसर पर

एम्स रायपुर की ओर से कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी ले. जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त), अधिष्ठाता (अनुसंधान) डॉ. अभिरुचि गल्होत्रा, सह-अधिष्ठाता (अनुसंधान) डॉ. एकता खंडेलवाल और अतिरिक्त प्राध्यापक डॉ. राकेश गुप्ता उपस्थित थे।
वहीं सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, बिलासपुर से चिकित्सा अधीक्षक डॉ. भानु प्रताप सिंह, प्रो. डॉ. अर्चना सिंह और सह-प्रो. डॉ. अभिषेक कुमार मौजूद रहे।

साझेदारी के लाभ

  • अस्पताल के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को एम्स रायपुर के विशेषज्ञों से नवीनतम तकनीकों और उन्नत चिकित्सा पद्धतियों का प्रशिक्षण मिलेगा।

  • दोनों संस्थान शोध कार्यों और नई तकनीकों को लागू करने में सहयोग करेंगे।

  • मरीजों को उच्चस्तरीय नैदानिक सेवाएँ, टेलीमेडिसिन, बहु-केंद्रीय अध्ययनों का लाभ मिलेगा।

अधिकारियों के विचार

डॉ. भानु प्रताप सिंह ने कहा –

“इस साझेदारी का सीधा लाभ आम नागरिकों को मिलेगा। अब प्रदेशवासियों को एम्स जैसी सुविधाएँ अपने ही शहर बिलासपुर में मिलेंगी।”

उन्होंने बताया कि इस पहल के लिए आयुक्त सुनील जैन और कलेक्टर संजय अग्रवाल ने उन्हें प्रेरित किया था।

वहीं ले. जनरल अशोक जिंदल (से.नि.) ने कहा –

“एम्स रायपुर हमेशा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, बिलासपुर को प्रशिक्षण, संकाय आदान-प्रदान और शोध कार्यों में सहयोग देगा। छत्तीसगढ़ शासन स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है।”

महत्व

एम्स रायपुर अपनी उत्कृष्ट नैदानिक सेवाओं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शोध कार्यों के लिए जाना जाता है। यह करार छत्तीसगढ़ की चिकित्सा प्रणाली को नई दिशा देगा और प्रदेश के लोगों को बड़े शहरों की दौड़-भाग से मुक्ति दिलाएगा।

? भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा का संभागीय सम्मेलन बिलासपुर में संपन्न, कांग्रेस पर जमकर बरसे उप मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष

? बिलासपुर / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने पिछड़ा वर्ग सम्मेलन के मंच से कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने बिलासपुर में आयोजित भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के संभागीय सम्मेलन में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि "जिस पार्टी ने 60 साल तक पिछड़ा वर्ग की अनदेखी की, वही अब चुनावी डर से माफी की बात कर रही है।"


? “आज पिछड़ा वर्ग जानता है कौन है सच्चा हितैषी” – अरुण साव

सम्मेलन को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा —

"कांग्रेस की राजनीति केवल वोट बैंक तक सीमित रही। पिछड़ा वर्ग को 60 वर्षों तक केवल इस्तेमाल किया गया। आज जब जमीन खिसक रही है, तो राहुल गांधी को माफी याद आ रही है। मगर अब यह समाज जागरूक है, और जानता है कि उसका सच्चा हितैषी कौन है।"

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछड़ा वर्ग को सम्मान और अवसर दोनों मिले हैं। समाज राष्ट्रहित में भाजपा और मोदी सरकार के साथ खड़ा है।


? ‘एक देश, एक चुनाव’ को बताया लोकतंत्र के लिए आवश्यक

साव ने सम्मेलन में ‘एक देश, एक चुनाव’ की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इससे न सिर्फ़ समय और संसाधनों की बचत होगी, बल्कि विकास की गति को भी नई रफ्तार मिलेगी।


? ‘पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत

सम्मेलन के दौरान सिम्स परिसर में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की गई। उप मुख्यमंत्री ने स्वयं पौधारोपण कर कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे भी अपने-अपने क्षेत्रों में इस अभियान को आगे बढ़ाएं।


? भाजपा ने हमेशा दिया पिछड़े वर्ग को सम्मान: किरण सिंह देव

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने सम्मेलन में कहा —

"पार्टी की नीति में सामाजिक समरसता सर्वोपरि रही है। भाजपा ने हमेशा पिछड़े वर्ग को गरिमामय प्रतिनिधित्व दिया है, चाहे वह मंत्रिमंडल हो या स्थानीय निकाय चुनाव।"

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों के माध्यम से आतंकवाद को निर्णायक जवाब दिया है और भारत की वैश्विक छवि सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित की है।


? सम्मेलन में मौजूद रहे ये प्रमुख चेहरे:

  • प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ,मंत्री लखनलाल देवांगन ,वरिष्ठ विधायक धरमलाल कौशिक,विधायक सुशांत शुक्ला, प्रणव मरपाची, प्रेमचंद पटेल,पिछड़ा वर्ग मोर्चा अध्यक्ष राकेश चंद्राकर,पूर्व नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल

  • पिछड़ा वर्ग आयोग अध्यक्ष नेहरू निषाद,क्रेडा अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी,महापौर पूजा विधानी,भाजपा जिला अध्यक्ष दीपक सिंह ठाकुर, मोहित जायसवाल,जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी,भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के पदाधिकारी व कार्यकर्ता


? विश्लेषण:

बिलासपुर सम्मेलन के जरिए भाजपा ने साफ संकेत दिया है कि आगामी चुनावों में पिछड़ा वर्ग पार्टी की रणनीति का केंद्र रहेगा। कांग्रेस की ‘माफी राजनीति’ को जनता के समक्ष उजागर कर भाजपा जनमानस को अपने पक्ष में लामबंद करने की कोशिश कर रही है।

   रायगढ़/शौर्यपथ /कपड़ा मंत्रालय ने 2024 के लिए संत कबीर हथकरघा पुरस्कार और राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा की है। ये पुरस्कार देश के हथकरघा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले बुनकरों, डिजाइनरों, विपणक, स्टार्ट-अप और उत्पादक कंपनियों को सम्मानित करने के लिए दिए जाते हैं।
इस वर्ष छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के बुनकर आकाश कुमार देवांगन को उनके उत्कृष्ट जनजातीय बस्तर जाला कोसा साड़ी के लिए राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार के लिए चुना गया है, जिससे राज्य का मान बढ़ा है।
कुल 24 पुरस्कार विजेताओं — जिनमें 5 संत कबीर पुरस्कार और 19 राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार शामिल हैं — को 7 अगस्त 2025, गुरुवार को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित 11वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह के दौरान भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
इस भव्य समारोह में कपड़ा मंत्री श्री गिरिराज सिंह, सांसद, उद्योग जगत के नेता, डिजाइनर, निर्यातक, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, छात्र और देशभर से आए 500 से अधिक बुनकर उपस्थित रहेंगे।
राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम (NHDP) के तहत हथकरघा विपणन सहायता (HMA) घटक में स्थापित ये पुरस्कार उत्कृष्ट शिल्पकला, नवाचार और भारत की बुनाई परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए समर्पित व्यक्तियों एवं संस्थाओं को सम्मानित करते हैं।
जहाँ संत कबीर हथकरघा पुरस्कार में ₹3.5 लाख की नकद राशि, स्वर्ण सिक्का, ताम्रपत्र, शॉल और मान्यता पत्र दिया जाता है, वहीं राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार में ₹2 लाख की नकद राशि, ताम्रपत्र, शॉल और प्रमाणपत्र दिया जाता है।
पुरस्कार विजेताओं का चयन विशेषज्ञों की भागीदारी वाली कठोर और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है ताकि केवल योग्य और योग्यतम प्रतिभाओं को ही सम्मान मिले।
इस वर्ष के पुरस्कार सरकार की इस प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं कि भारत के हथकरघा कारीगरों का सतत समर्थन कर इस सांस्कृतिक और आर्थिक धरोहर को संरक्षित रखा जाए।

बिलासपुर/शौर्यपथ /नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) रायपुर जोनल यूनिट को मादक पदार्थ तस्करी के एक मामले में दो आरोपियों को दोषसिद्ध कराकर 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा दिलाने में महत्वपूर्ण सफलता मिली है। यह कार्रवाई अगस्त 2023 में बिलासपुर जिले के बिल्हा थाना क्षेत्र में 118.110 किलोग्राम गांजा जब्त करने के मामले से जुड़ी है।
एनसीबी इंदौर जोनल यूनिट ने एक विशेष अभियान के तहत कार्रवाई करते हुए, गांजे से भरी टाटा जेस्ट कार को पकड़ा था, जिसमें यह मादक पदार्थ कार की डिक्की और पिछली सीटों में छुपाया गया था। मौके से दो स्थानीय आरोपियों — प्रवीण कुमार वस्त्रकार और दीपक कुमार मरकाम (दोनों निवासी बिलासपुर, छत्तीसगढ़) को गिरफ्तार किया गया था। जांच में यह सामने आया कि गांजा ओडिशा से लाया गया था और उसे बिलासपुर में वितरित किया जाना था, जो एक संगठित अंतरराज्यीय तस्करी रैकेट की ओर इशारा करता है।
मामले की विस्तृत जांच के बाद दिसंबर 2023 में आरोपियों के विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई थी। लंबी सुनवाई के पश्चात 17 जुलाई 2025 को चतुर्थ जिला एवं अपर सत्र न्यायालय, बिलासपुर ने दोनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के तहत 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा और प्रत्येक पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया।
एनसीबी ने इसे नशा मुक्त भारत अभियान की दिशा में एक बड़ी सफलता बताया है और कहा है कि यह निर्णय संगठित तस्करी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की दिशा में एक मजबूत संदेश देता है।
ब्यूरो ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे नशीले पदार्थों की तस्करी और बिक्री की किसी भी जानकारी को राष्ट्रीय नारकोटिक्स हेल्पलाइन नंबर 1933 पर साझा करें। जानकारी देने वाले व्यक्ति की पहचान पूर्णतः गोपनीय रखी जाएगी।

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