दुर्ग । शौर्यपथ । जब जनप्रतिनिधि ही दोहरा मापदंड अपनाने लगे तो अधिकारियों की बल्ले बल्ले ही होगी और आम जनता परेशान कुछ ऐसा ही हाल दुर्ग निगम में चल रहा है । जो कार्य वार्ड प्रतिनिधि को साल भर पहले जो कार्य गलत लग रहा था वही कार्य अब जनहित का लगने लगा और सारे नियम ताक पर रख दिया गया और निगम के जल विभाग के इंजीनियर भी इस कार्य मे सहभागी बन रहे है वैसे भी निगम के इंजीनियर जनहित की कम स्वहित के कार्यो में ज्यादा ध्यान देते है ऐसा प्रतीत होता है जनहित के कार्य मे ध्यान देते तो जो निर्माण अब हुआ वह पहले हो जाता । मामला है इंदिरा मार्केट स्थित वाटर एटीएम का जिसका निर्माण कार्य पिछले साल हुआ था किंतु तब विपक्ष में रही कॉन्ग्रेस के पार्षद द्वारा कार्य को रुकवा दिया गया थ किन्तु साल भर बाद उसी स्थान पर वाटर एटीएम बन गया और अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब सत्ता में रही कांग्रेस और पार्षद की सहमति बन गयी ऐसा क्या हुआ कि एक साल पहले जो निर्माण गलत था अब जनहित का हो गया । वैसे भी व्यस्तम मार्केट में जनहित के कार्य मे कई तरह की खामियां है किंतु निगम प्रशासन की यह खामियां उसके स्वयम के लिए ठीक है । अगर आम जनता नाली के ऊपर को निर्माण कर तो निगम के ईमानदार इंजीनियर तोड़ फोड़ करने पहुंच जाते है किंतु स्वयम निर्माण करे तो तो यह विधि सम्मत हो जाता है । क्या निगम प्रशासन अपने बनाये नियम पर कभी चलेगा ? क्या जनप्रतिनिधि अपनी राय पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के कारण राय बदलते रहेंगे । क्या ऐसे ही धारणा वाले जनप्रतिनिधि को जनता चुनती रहेगी ? क्या ऐसे ही सुशासन की बात करती है कांग्रेस ?