भिलाई। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर भिलाई स्टील प्लांट शेड्यूल्ड ट्राइब एम्प्लॉइज वेलफेयर एसोसिएशन एवं आदिवासी मंडल भिलाई के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को भव्य रैली का आयोजन किया गया। रैली का प्रारंभ रेल चौक से हुआ, जिसमें आदिवासी संस्कृति, पारंपरिक खानपान, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक एकता का मनमोहक प्रदर्शन देखने को मिला।
कार्यक्रम में शामिल आदिवासी मंडल के पदाधिकारियों का स्वागत फूल-मालाओं, पारंपरिक गीतों, ढोल-नगाड़ों और नृत्य की ताल पर किया गया। आयोजन में लगभग 2,500 सदस्यों को पारंपरिक नाश्ता — फरहा और टमाटर की चटनी — सरई पत्तों के दोने में परोसा गया, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति संगठन की प्रतिबद्धता का प्रतीक बना। मौके पर लगाए गए आकर्षक सेल्फी प्वाइंट ने भी लोगों का ध्यान खूब खींचा और आयोजन का मुख्य आकर्षण बन गया।
शाम को सेक्टर-4 स्थित इस्पात क्लब में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें करीब 500 एसटी कर्मचारी और उनके परिजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत संगठन के अध्यक्ष प्रदीप टोप्पो ने आदिवासी संस्कृति पर लिखी अपनी कविता के साथ स्वागत संबोधन से की। उन्होंने कहा, "इस आयोजन का उद्देश्य न केवल हमारी समृद्ध आदिवासी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का उत्सव मनाना है, बल्कि सभी एसटी कर्मचारियों को एक मंच पर एकजुट करना भी है। यह दिन हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है, पूर्वजों के संघर्ष और उनकी विरासत की याद दिलाता है तथा भविष्य के लिए प्रेरित करता है।"
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में के.के. तिर्की और डॉ. श्रीमती नीलि एस. कुजूर मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत पारंपरिक रीति से — हाथ धोकर, बैज और आदिवासी गमछा पहनाकर तथा गुलदस्ता भेंट कर — किया गया। अपने संबोधन में के.के. तिर्की ने कहा कि आदिवासी समुदाय प्रकृति से गहराई से जुड़ा हुआ है और उसका संरक्षण हमारी परंपरा का हिस्सा है।
कार्यक्रम में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, पारंपरिक नृत्यों और गीतों ने माहौल को उत्साह और गौरव से भर दिया। आयोजन के अंत में सभी प्रतिभागियों ने सामूहिक रूप से आदिवासी गौरव और एकता बनाए रखने का संकल्प लिया।