दुर्ग। शौर्यपथ। नगर पालिक निगम दुर्ग के जल विभाग में इन दिनों गंभीर अनियमितताएँ उजागर हो रही हैं। विभागीय कर्मचारियों की वास्तविक नियुक्ति और कार्यस्थल के बीच गहरा विरोधाभास देखने को मिल रहा है।
शिवनाथ नदी पंप हाउस से लेकर रायपुर नाका और नए बस स्टैंड पंप हाउस तक अधिकांश कार्य प्लेसमेंट कर्मियों के भरोसे चल रहे हैं, जबकि नियमित पंप ऑपरेटर अपने मूल कार्य से हटकर अन्य शाखाओं में कार्यरत हैं — कोई भवन शाखा में लिपिकीय कार्य कर रहा है तो कोई उद्यान विभाग में निरीक्षक पद पर पदस्थ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार —
शिवनाथ नदी पंप हाउस (24 MLD और 42 MLD), रायपुर नाका फ़िल्टर प्लांट (24 MLD और 42 MLD स्काडा), तथा नया बस स्टैंड पंप हाउस में दर्जनों प्लेसमेंट कर्मचारी जलप्रवाह व्यवस्था को संभाल रहे हैं। वहीं नियमित कर्मचारी जैसे कि अनिल सिंह (वर्तमान में उद्यान निरीक्षक) और सतीश साहू (वर्तमान में भवन शाखा में लिपिकीय कार्यरत) अपने मूल विभाग से हटकर कार्य कर रहे हैं।
वहीं विभागीय स्तर पर सेवानिवृत्त और दिवंगत कर्मचारियों के पदों को वर्षों से रिक्त रखे जाने की वजह से भी स्थिति और अधिक जटिल बनी हुई है। इस बीच जलप्रपात प्रणाली की रीढ़ माने जाने वाले नियमित पंप ऑपरेटर जमीनी कार्यों से कट चुके हैं, जिससे नागरिकों तक जल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
जनता से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े इस विभाग में कार्य वितरण को लेकर सवाल उठने लगे हैं —
क्या यह विभागीय निष्क्रियता है, या फिर कर्मचारियों की मनमानी और चाटुकारिता का परिणाम?
नगर निगम दुर्ग में वर्तमान समय में आयुक्त सुमित अग्रवाल, महापौर श्रीमती अलका बाघमार, और जल प्रभारी श्रीमती लीना दिनेश देवांगन हैं, जिन पर यह जिम्मेदारी बनती है कि विभागीय व्यवस्था को पुनः संतुलित किया जाए और योग्य कर्मचारियों को उनके मूल पदस्थापना स्थल पर कार्यरत किया जाए।