दुर्ग। शौर्यपथ। एस आर हॉस्पिटल एंड कॉलेज चिखली दुर्ग छग के चेयरमेन व समाज सेवी संजय तिवारी को बड़ी जिम्मेदारी मिली है। उन्हें सनातन धर्म परिषद् न्यास की शाखा सनातन धर्म गौ रक्षा वाहिनी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। सनातन धर्म परिषद् न्यास के अध्यक्ष अवध बिहारी दास ने उन्हें यह महत्तवपूर्ण जिम्मेदारी प्रदान की है।
यह बता दें कि संजय तिवारी द्वारा समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया जाता रहा है। मानव सेवा के साथ वे गौ सेवा व गौवंश रक्षा के कार्य से भी लंबे समय से जुड़े हैं एवं स्वर्गीय सुधाकर तिवारी मेमोरियल गौशाला का संचालन करते हुए गौ माता की सेवा व गौवंश की रक्षा करते है एवं सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
एस आर हॉस्पिटल एंड कॉलेज के माध्यम से शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी नए आयाम स्थापित कर रहे है । उनकी इन्ही प्रयासों व नेक कार्यों को देखते हुए सनातन धर्म परिषद् न्यास ने उन्हें सनातन धर्म गौ रक्षा वाहिनी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है। सनातन धर्म परिषद् न्यास के अध्यक्ष अवध बिहारी दास ने संजय तिवारी को इस जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं व बधाई दी। उनकी नियुक्ति पर दुर्ग भिलाई के गौ सेवको व सनातनियों में हर्ष व खुशी का माहौल है।
गौरक्षक वाहिनी" से तात्पर्य ऐसी वाहिनी या समूहों से है जो गायों और गोवंश की रक्षा के लिए काम करते हैं। इन समूहों के सदस्य अवैध बूचड़खानों से गायों को बचाने, पशु तस्करों पर नज़र रखने और गौवंश के संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाने जैसे कार्य करते हैं। वे अक्सर कानून के तहत उचित कार्रवाई के लिए पुलिस को सूचना देते हैं या खुद ही वाहनों को रोकते हैं।
गौरक्षक वाहिनी का कार्य: ये समूह अवैध रूप से वध के लिए ले जाई जा रही गायों को बचाने का काम करते हैं, जिसके लिए वे राजमार्गों पर गश्त करते हैं और वाहनों की तलाशी लेते हैं।
कानूनी और जागरूकता अभियान: ये संगठन गौवंश की रक्षा के लिए बेहतर कानूनों की वकालत करते हैं और पशु माफियाओं के खिलाफ कड़े कानून बनाने की मांग करते हैं। वे जनजागरूकता के लिए रैलियां और मार्च भी निकालते हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व: "गौरक्षक" शब्द का अर्थ 'गौमाता के रक्षक' है, और भारत में गायों को पवित्र माना जाता है। इन संगठनों का उद्देश्य भारत की गौ संस्कृति और विरासत को संरक्षित रखना है।
संगठनात्मक संरचना: कई संगठन जैसे राष्ट्रीय गौ संरक्षक दल हैं, जो एक स्वयंसेवी संगठन के रूप में काम करते हैं और अपने नेतृत्व के अधीन कार्य करते हैं।