दुर्ग। शौर्यपथ । रविशंकर स्टेडियम मार्ग पर सुराना कॉलेज के सामने इन दिनों हर दिन बाजार की चहल-पहल है। सब्जियां, कपड़े, घरेलू सामान से लेकर इलेक्ट्रॉनिक आइटम तक—यह बाजार लोगों की जरूरतों का केंद्र बन गया है। दुकानदारों की भी खूब आमदनी हो रही है और ग्राहकों को वाजिब दरों पर सामान मिल रहा है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि यह बाजार आखिर लग किसकी अनुमति से रहा है?
नगर निगम दुर्ग के ठीक पास लग रहे इस बाजार के संचालन की जानकारी निगम के अफसरों को है या नहीं—इस पर चुप्पी बरकरार है। नियमों के मुताबिक ऐसे अस्थायी या नियमित बाजारों की अनुमति निगम और जिला प्रशासन दोनों स्तर पर दी जानी चाहिए, मगर यहाँ ऐसा कोई स्पष्ट दस्तावेज या आदेश नहीं दिख रहा।
लोगों को डर है कि कहीं यह नया बाजार भी वही हाल न दोहराए, जैसा सुपेला संडे बाजार के साथ हुआ था—जब प्रशासन को अचानक हटाने की कार्रवाई करनी पड़ी और पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी।
लोगों का कहना है कि हमें बाजार से नहीं, बल्कि नियम-विरुद्ध गतिविधियों से आपत्ति है। प्रशासन की अनदेखी से भविष्य में विवाद या अतिक्रमण जैसी स्थिति बन सकती है।
अब सवाल यह है कि नगर पालिक निगम दुर्ग की महापौर अलका बाघमार और उनके अधिकारी इस उभरते बाजार को देखकर भी क्यों अनजान बने हुए हैं? क्या वाकई यह बाजार निगम की जानकारी के बिना चल रहा है, या फिर अनदेखी की नीति अपनाई जा रही है?
नागरिकों का कहना है कि यदि निगम व प्रशासन नियम से बाजारों को नियंत्रित करें तो न तो व्यापारियों को परेशानी होगी, न ही भविष्य में अवैध कब्जे का संकट खड़ा होगा। नियम से संचालित बाजार अपराध की संभावनाओं को भी खत्म करता है।