केंद्र की मोदी सरकार के बाद भाजपा की राज्य सरकारों का मजदूर विरोधी रवैया सामने आया
दरअसल भाजपा का ही चरित्र मजदूर विरोधी किसान विरोधी और गरीब विरोधी है
रायपुर / शौर्यपथ / पूरे देश से लॉक-डाउन के दौरान मज़दूरों की मौत की ख़बरों का सिलसिला चल रहा है. सड़कों से लेकर रेल की पटरियों तक ख़ून बिखरा हुआ है और ख़ून के छींटे केंद्र की भाजपा और भाजपा शासित राज्य सरकारों पर बदनुमा दाग़ की तरह हैं. प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि अभी तो श्रमिकों के लौटने का सिलसिला चल रहा है. अभी पता नहीं कि अभी कितने दाग़ लगने बाक़ी हैं और यह भी नहीं पता कि ये धब्बे कब और कैसे धुलेंगे.
महाराष्ट्र में औरंगाबाद की रेल दुर्घटना में 14 मजदूरों के मौत के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और मध्य प्रदेश के गुना में अपने घर गांव लौट रहे 14 मजदूरों के मारे जाने और 71 मजदूरों के घायल होने के दुखद समाचार मिले हैं। इससे पहले लखनऊ में छत्तीसगढ़ के मज़दूर दंपत्ति की सड़क दुर्घटना में मौत की ख़बर आ चुकी है.
प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि केवल चार घंटे के नोटिस पर आनन-फानन में लगाए गए लॉक-डाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की हुई दुर्दशा एवं उनके साथ किए गए अमानवीय व्यवहार का खौफनाक मंजर को पूरा देश देख रहा है। पूरे देश में लाखों प्रवासी मजदूर खाने, रहने की जगह इलाज दवाई या किसी भी सहयोग के बिना हजारों किलोमीटर दूर स्थित अपने गांवों को लौटने को मजबूर हो गए, ताकि उन्हें सरकार की बेपरवाही एवं सौतेले व्यवहार का शिकार न होना पड़े।
उन्होंने कहा है कि अभी कहना संभव नहीं कि पूरे देश में कितने मज़दूरों और उनके परिवारों को अपनी जान गंवानी पड़ी है क्योंकि दूर दराज़ से और दूसरे प्रदेशों से ख़बरें अभी व्यापक स्तर पर पहुंच नहीं रही हैं.
विडंबना है कि कोविड-19 की महामारी के समय पहले से ही मुसीबतों के बोझ तले दबे गरीब मजदूरों व श्रमिकों को राहत देने की बजाए भाजपा की राज्य सरकारें कोरोना की आड़ में उन्हें उनके ही अधिकारों से वंचित कर रही हैं।