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कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान विश्व धरोहर की दौड़ में शामिल

यूनेस्को ने पहली सूची में किया शामिल
नेशनल पार्क पात्रता हासिल करने वाली छत्तीसगढ़ की पहली
 रायपुर /शौर्यपथ /अपनी समृद्ध जैव विविधता और जीव जंतुओं की दुर्लभ प्रजातियों के आवास के रूप में पहचाने जाने वाले बस्तर के  कांगेर घाटी नेशनल पार्क को यूनेस्को ने  2025 की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की तदर्थ  सूची में शामिल कर लिया है। अब वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा हासिल करने के लिए राज्य सरकार को  एक साल में अपना दावा पूरे तथ्यों के साथ पेश करना होगा। कांगेर घाटी को टेंटेटिव लिस्ट में भी शामिल किया जाना भी बड़ी उपलब्धि  है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी साइट को यह मौका मिला है। 200 वर्ग किमी में फैला कांगेर घाटी नेशनल पार्क कई वजहों से खास है। करीब दो साल पहले कांगेर घाटी नेशनल पार्क के तत्कालीन डायरेक्टर गणवीर धम्मशील ने करीब साल भर की तैयारी और रिसर्च, पुरातत्व विभाग समेत कई विभागों की शोध के आधार पर वर्ल्ड हेरिटेज साइट के लिए नेशनल पार्क का प्रस्ताव  यूनेस्को को भेजा था। यूनेस्को किसी जगह को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा तीन श्रेणियों में देता है। पहली श्रेणी प्राकृतिक धरोहर है, दूसरी सांस्कृतिक और तीसरी मिश्रित । आवेदन  पहली  श्रेणी के लिए  भेजा  गया था, जिसे  तदर्थ सूची  में  शामिल कर  लिया गया है, जो बड़ी  उपलब्धि है। यूनेस्को ने अपनी वेबसाइट पर इस  आशय की  घोषणा कर दी है। अब इसके  समर्थन  में  एक  साल  के  भीतर  तथ्यात्मक  जानकारी देनी होगी।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान  की  खासियत
* पार्क की जैवविविधता इसको बेहद खास बनाती है। ये पहाड़ी मैना का प्राकृतिक आवास भी है, जो इंसानों की तरह बोल सकती है।
* पार्क में कोटमसर समेत लाइम स्टोन की 16 प्राकृतिक गुफाएं हैं।
* ये गुफाएं लाखों साल पुरानी हैं और खास बात ये है कि ये अभी भी जिंदा हैं। यही चीज इन गुफाओं को देश के बाकी हिस्सों की गुफाओं से अलग बनाती हैं। चूना पत्थरों की नई संरचनाओं का निर्माण जारी है। इस गुफाओं में अंधी मछलियों से लेकर बहुत तरह के जीव जंतु
* पार्क की एक और खासियत यहां के धुरवा आदिवासी हैं, जो अपने साथ हजारों सालों की सभ्यता समेटे हुए हैं और जंगल को संरक्षित करने में योगदान दे रहे हैं।

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