Print this page

जिले में 986 हेक्टेयर में हुई कतार बोनी के माध्यम से धान की खेती

बालोद/शौर्यपथ /उप संचालक कृषि विभाग ने बताया कि जिले के किसान धान बोवाई व रोपाई कार्य में लगे हुए है। जिसके अंतर्गत बोवाई लगभग 90 प्रतिशत तक पूर्ण हो चुका है। इस वर्ष धान कतार बोनी का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है। गुरूर विकासखण्ड के ग्राम अरमरीकला, सोरर, चिटीद, धनेली, सनीद, गुरूर, भोथली, सोहपुर एवं गुण्डरदेही विकासखण्ड के गुरेदा, नाहंदा, अर्जुन्दा, ओटेबंध, सिरसिदा, देवरी (क) व बालोद विकासखण्ड अंतर्गत पिपरछेड़ी. घारवाही, भंगारी, निपानी, तरीद, करहीभदर, सेमरकोना, मटिया (वी), साल्हेटोला सहित जिले में 986 हेक्टेयर में धान की कतार बोनी की गई है, जो कि एक अच्छी पहल है। कतार बोनी का प्रचलन पिछले कुछ साल से बढ़ी है। किसान पारंपरिक रूप से धान को छिड़क कर रोपा पद्धति से बोते है, जिससे बीज मात्रा ज्यादा, खरपतवार प्रबंधन में समस्या एवं लागत भी अधिक आती है। उन्होंने बताया कि धान की कतार बोनी में बीज एवं खाद की कम मात्रा लगती है एवं खाद का सही उपयोग हो जाता है। बीज एवं खाद 3 से.मी. के करीब होने पर बीज का अंकुरण अच्छा एवं पौधों में तेजी से विकास होता है। धान के जड़ों का अधिक गहराई पर होने से सुखा सहने की क्षमता बढ़ जाती है। धान की कतार बोनी से हवा एवं प्रकाश की समुचित आवागमन होने पर प्रकाश संश्लेषण की क्रिया अच्छी होती है एवं पौधा मजबूत होता है, जिससे अच्छी पैदावार होने की संभावना बढ़ जाती है। धान (कतार बोनी) फसल सामान्य फसल की अपेक्षा जल्दी परिपक्व व कटाई योग्य हो जाते है, जिससे रबी की फसल लेने में पर्याप्त समय मिल जाता है।
धान सीधी बोवाई जिसे डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) भी कहा जाता है। धान की खेती करने का आधुनिक तरीका है, जिसमें नर्सरी तैयार करने और पौधे को रोपाई करने की पारंपरिक विधि के बजाय बीजों को सीधे खेत में बोया जाता है। यह एक कुशल, टिकाऊ और किफायती तरीका है, जो किसानों, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए कई लाभ प्रदान करता है। उन्हांेने बताया कि सीधे बीजाई पद्धिति से पानी की बचत, सीड ड्रील से बोवाई से श्रम की बचत, रोपाई की लागत बचत, पर्यावरण के अनुकुल मिथेन उत्सर्जन कम होता है। इसके साथ ही समय की फसल की अवधि कम होने से समय की बचत होती है।

Rate this item
(0 votes)
शौर्यपथ

Latest from शौर्यपथ