रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ की राजनीतिक गलियों में देश-भक्ति, संवेदना और लोकतंत्र का सुंदर संगम देखने को मिला। जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के अध्यक्ष अमित बघेल ने पूर्व घोषित योजना के तहत 5 दिसंबर को आत्मसमर्पण किया। लेकिन उसी दिन एक दुखद परमहंस घड़ी भी आई, जब अमित बघेल की माता का देवलोक गमन हो गया।अमित बघेल के इस आत्मसमर्पण का क्षण पहले से तय था, परंतु माताजी के निधन की खबर प्रदेश भर में एक गहरे सन्नाटे और संवेदनशील भावनाओं का दौर लेकर आई।
ऐसे दुख की घड़ी में गृह मंत्री विजय शर्मा ने एक मानवीय एवं संवेदनशील निर्णय लिया। उन्होंने प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए कि अमित बघेल की माता जी के अंतिम संस्कार में किसी भी तरह की बाधा न आए और पूरा अंत्येष्टि संस्कार पूरी शांति, श्रद्धा और धर्म के अनुसार संपन्न हो।यह निर्णय केवल प्रशासनिक आदेश नहीं था, बल्कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में मानवीय सहानुभूति की एक नई मिसाल बना। जहाँ कानून प्रक्रिया अपना स्वाभाविक काम करती रहे, वहीं यह भी दिखा कि राजनीति में संवेदनशीलता और सहिष्णुता की कितनी अहम भूमिका है।
प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा की इस मानवीय पहल की चर्चा सोशल मीडिया से लेकर आम जनता और राजनीतिक दलों के बीच गूंज रही है।यह घटना छत्तीसगढ़ की लोकतांत्रिक संस्कृति को मजबूत करती है और सभी को याद दिलाती है कि राजनीति केवल सत्ता और विरोध तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उसमें मानवीय मूल्य और इंसानियत की भी प्रमुख जगह होनी चाहिए।इस बीच जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के अध्यक्ष अमित बघेल पर धार्मिक टिप्पणी से संबंधित कई थानों में एफआईआर दर्ज हैं और वे पिछले एक महीने से फरार थे। 2 दिसंबर को उन्होंने आत्मसमर्पण की घोषणा की थी जिसे 5 तारीख को अमल में लाया गया। माताजी के निधन के बावजूद उनके अंतिम संस्कार में प्रशासन द्वारा पूरी तरह से बिना किसी रुकावट और श्रद्धा पूर्वक व्यवस्था करना, छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक यादगार पन्ना बन गया है।
छत्तीसगढ़ की जनता और राजनीतिक समुदाय इस मानवीय पहल की खुले दिल से सराहना कर रहे हैं, जो राजनीति के भीतर सहिष्णुता और संवेदना के नयी मिसाल पेश करती है। ऐसे सजीव उदाहरण से ही लोकतंत्र की खूबसूरती उभरती है।