दुर्ग। शौर्यपथ।
राजनीति की ऊँचाइयाँ जब किसी नेता को मंत्री पद तक ले जाती हैं, तब अक्सर जीवन में प्रोटोकॉल और व्यस्तताओं का ऐसा जाल बुन जाता है कि पुराने मित्र और रिश्ते धीरे-धीरे पीछे छूट जाते हैं। परंतु यह भी एक सच्चाई है कि जो मित्र सच्चे होते हैं, वे किसी पद या ताज के मोह के कारण नहीं, बल्कि अपनत्व और आत्मीयता की डोर से जुड़े रहते हैं।
इसी सत्य को सहजता से परिभाषित करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव आज सुबह दुर्ग शहर में अपने पुराने मित्र मंडली के बीच सामान्य चाय-नाश्ते की चर्चा में शामिल हुए। गंजपारा स्थित एक होटल में बिना किसी औपचारिकता और प्रोटोकॉल के, मंत्री अपने साथियों के साथ पुराने दिनों की यादें ताजा करते नज़र आए।
जहां राजनीति और सरकारी दायित्वों का बोझ हर पल मंत्री के कंधों पर होता है, वहीं यह दृश्य शहरवासियों के लिए चर्चा का विषय बन गया कि इतना बड़ा पद पाने के बावजूद भी मंत्री यादव अपने आत्मीय रिश्तों को जीवित रखना नहीं भूले। यह इस बात का प्रतीक है कि पद भले ही अस्थायी हो, मगर मित्रता जीवन की अमूल्य धरोहर है जो हर परिस्थिति में साथ रहती है।
राजनीति और जिम्मेदारियों की कठोर राह में जब कोई नेता अपने पुराने दिनों की स्मृतियों और दोस्तों के संग बिताए पलों को सहेजकर आगे बढ़ता है, तब यह संदेश और गहरा हो जाता है कि –
? “मंत्री है तो क्या हुआ, इंसानियत और मित्रता ही असली पहचान है।”