Print this page

अक्ती तिहार पर रचाई गुड्डे-गुड़िया की शादी,विवाह गीत पर बच्चों के साथ बड़े भी झूमे

राजनांदगांव/शौर्यपथ/ अक्षय तृतीया अक्ती का पर्व घरों में पूजा अर्चना कर मनाया गया वहीं किसानों ने घरों व मंदिरों में जाकर अक्षय तृतीया पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की।बैशाख शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया पर्व पर छोटे बच्चों ने घरों में गुड्डे गुड़ियो विधिविधान से विवाह रचाकर पाणिग्रहण का आयोजन किया। उनके द्वारा घर में ही गुड्डे गुड़ियों को मायका और ससुराल बनाकर विवाह रचाया गया जिसमें पूरे रीति रिवाज के साथ अक्षय तृतीया पर गांव-गांव में बच्चों ने पूरे विधि विधान से गुड्डा गुड़ियों का विवाह रचाया।

अक्षय तृतीय जिसे छत्तीसगढ़ में अक्ती के नाम से जाना जाता है। इस दिन को काफी शुभ माना जाता है। अक्ती पर्व पर किसान अपने घर से बीज निकालकर कृषि कार्य का शुभारंभ करते हैं और खेतों में जाकर धान की बुआई कर भगवान से सुख समृद्घि व अच्छी बारिश की कामना करते हैं।


अक्षय तृतीया पर पर सबसे ज्यादा बच्चों में उत्साह दिखाई दिया। बच्चों को पर्व का महत्व बताने गुड्डे-गुड़ियों की शादी रचाई गई। घरों में बच्चों की टोली ने बड़ों के साथ मिलकर मंडप सजाया। फिर विधि-विधान के साथ गुड्डे-गुड़ियों की शादी की। छोटे से नगाड़े के साथ बॉक्स में बज रहे फिल्मी गीत पर झूमते हुए नन्हें-मुन्हें बराती निकले। घरातियों ने भी उनका स्वागत किया। सारा इंतजाम बच्चों की ओर से किया गया था। अक्ती के मौके पर गांव के गली मोहल्लों में विवाह गीत बजते रहे।इससे पहले बच्चों ने गुड्डे-गुड़ियों के ब्याह का निमंत्रण दिया। गुड़िया की शादी में बच्चों ने चूलमाटी से लेकर हल्दी चढ़ाने की रस्म निभाई। एक आम शादी की तरह ही सभी रस्म पूरी की गई। बच्चों का पक्ष गुड्डे और दूसरा पक्ष गुड़िया के साथ रहा। मंडप तक बरात पहुंचे और विवाह की रस्म पूरी की। बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए परिवारजन और मोहल्ले वासी भी पहुंचे। गुड्डे-गुड़िया को पीले चावल का तिलक लगाते हुए टिकवन भेट किया। फिर मंडप में बच्चों का उत्साहवर्धन करने बड़ों ने टिकावन दिया।

Rate this item
(0 votes)
Last modified on Friday, 10 May 2024 21:10
Mrinendra choubey

Latest from Mrinendra choubey