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0 बरसात में बढ़े सर्पदंश के मामले: मेडिकल कॉलेज अस्पताल सतर्क
राजनांदगांव। बरसात का मौसम जहां हरियाली और ठंडक लेकर आता है, वहीं यह मौसम सर्पदंश जैसी घटनाओं में भी अप्रत्याशित बढ़ोतरी लाता है। पिछले एक सप्ताह में मेडिकल कॉलेज अस्पताल राजनांदगांव में सर्पदंश के 6 मरीज इलाज के लिए पहुंचे, जिनमें से 4 को जहरीले सांप ने काटा था। इनमें से 3 मरीजों की हालत गंभीर थी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। हालांकि, चिकित्सकों की सतर्कता, समर्पण और समय पर इलाज से सभी मरीजों की जान बचा ली गई है और वे स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।
0 गंभीर हालत में आए मरीज, समय पर इलाज से बची जान तीनों गंभीर मरीज लगभग तीन दिन तक वेंटिलेटर पर रहे। एक मरीज राजनांदगांव का निवासी था जबकि दो अन्य आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से लाए गए थे। सभी मरीज अस्पताल पहुंचने पर बेहोशी की हालत में थे और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग की सतर्क टीम के सदस्य डॉ चिन्मय जैन, डॉ आशीष डुलानी , डॉ गोपेश एवं डॉ राहुल ने बिना समय गंवाए इलाज शुरू किया। एंटी वेनम इंजेक्शन और अन्य जीवनरक्षक उपायों से उनकी हालत में तेजी से सुधार हुआ। यह पूरी तरह से अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था और डॉक्टरों के प्रयासों की सफलता है।
0 क्यों बढ़ते हैं बरसात में सर्पदंश के मामले? (एक्सपर्ट व्यू डॉ प्रकाश खूंटे, एमबीबीएस एमडी मेडिसिन एवं प्रोफेसर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल राजनांदगांव)
डॉक्टर प्रकाश खूंटे के अनुसार, बरसात के मौसम में सांपों के बिलों में पानी भर जाता है, जिससे वे बाहर निकल आते हैं। अक्सर ये सांप घनी आबादी वाले क्षेत्रों या खेतों की ओर चले जाते हैं, जहां मानव-सांप आमना-सामना बढ़ जाता है। कई बार इंसान उन्हें देखते ही मारने की कोशिश करता है और ऐसे में सांप आत्मरक्षा में डंस लेते हैं। यही वजह है कि इस मौसम में सर्पदंश के केस बढ़ जाते हैं।
0 मेडिकल कॉलेज की टीम तैयार, एंटी वेनम की पर्याप्त व्यवस्था मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ अतुल देशकर ने बताया कि सर्पदंश से निपटने के लिए अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में एंटी वेनम इंजेक्शन उपलब्ध हैं। इसके अलावा इमरजेंसी टीम, विशेषज्ञ डॉक्टर और जरूरी उपकरण हर समय तैयार हैं। अब तक सर्पदंश के जितने भी मरीज अस्पताल लाए जा चुके हैं सभी को समय पर इलाज देकर बचाया गया है। बरसात को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त तैयारी की गई है।
0 "जहर नहीं, घबराहट ज्यादा खतरनाक"
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रकाश खुटे ने बताया कि सर्पदंश से होने वाली मौतों के पीछे अक्सर घबराहट और भ्रम कारण होते हैं। डॉ. खूंटे के मुताबिक, 80 फीसदी सांप गैर-जहरीले होते हैं, जबकि कुछ सांप कम जहरीले होते हैं और समय पर इलाज मिल जाए तो मरीज की जान बच सकती है। कई बार सांप ने किसी जानवर को खा लिया होता है, जिससे जहर का असर कमजोर हो जाता है।
० क्या करें अगर सांप काट ले? – वरिष्ठ चिकित्सक डॉ खूंटे की सलाह:
1. झाड़-फूंक या टोने-टोटके में समय न गंवाएं।
2. जिस अंग को सांप ने काटा हो, उसे स्थिर और नीचे रखें।
3. शरीर की मूवमेंट कम करें, ताकि जहर न फैले।
4. कोई चीरा या कट न लगाएं।
5. काटे गए स्थान के ऊपर ढीला कपड़ा बांधें ताकि दो उंगलियां अंदर जा सकें।
6. मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाएं और एंटी वेनम इंजेक्शन दिलवाएं।
0 जनजागरूकता की जरूरत मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि बरसात में विशेष सतर्कता रखें। खेतों, झाड़ियों, अंधेरे या गीले स्थानों में सावधानी से चलें। रबर के जूते, टॉर्च और डंडे का उपयोग करें। यदि सर्पदंश हो, तो डरें नहीं और तुरंत मेडिकल सहायता लें। यह रिपोर्ट इस बात की मिसाल है कि समय पर उपचार और जागरूकता से सर्पदंश जैसे खतरनाक हालात से भी जंग जीती जा सकती है। बरसात के इस मौसम में सतर्कता और सावधानी ही जीवन रक्षा का सबसे बड़ा उपाय है।
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