खेल /शौर्यपथ / भारत के पूर्व बल्लेबाज कृष्णामाचारी श्रीकांत ने 1983 विश्वकप विजेता टीम के अपने कप्तान कपिल देव की सराहना करते हुए कहा है कि उन्होंने खिलाडिय़ों को खुद पर भरोसा रखना सिखाया। श्रीकांत ने स्टार स्पोट्र्स के कार्यक्रम 'विनिंग द वल्र्ड कप-1983Ó में विश्वकप फाइनल के लम्हों को याद करते हुए कहा, "वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर फील्डिंग करने का फैसला किया। ओस पडऩे के कारण विकेट पर काफी नमी थी। हमें पहले बल्लेबाजी करनी थी और हमारे पास लॉड्र्स में खेलने के कोई खास अनुभव नहीं था। यह हमारे लिए बहुत नया था।"
पूर्व सलामी बल्लेबाज ने कहा, "वहीं अगर आप वेस्टइंडीज की गेंदबाजी आक्रमण को देखें तो उनमें एक से एक दिग्गज गेंदबाज थे और जोएल गार्नर ने अपनी लंबाई का पूरा इस्तेमाल करते हुए बल्लेबाजों को गेंद ठीक से देखना और खेलना मुश्किल बना दिया था।"
श्रीकांत ने कहा, "ऐसे वक्त में कपिल ने हमारे सामने उदाहरण पेश किया। उनका आत्मविश्वास और खेल के प्रति उनका नजरिया उनके बारे में सबसे अच्छी चीजें हैं। कपिल की खासियत थी कि उन्होंने भारतीयों को खुद पर भरोसा रखना सिखाया और यही उनकी महानता है। "
बता दें कि श्रीकांत ने कम स्कोर वाले फाइनल में सर्वाधिक रन बनाए थे। इस दौरान गेंद ओस के बीच 10 फीट की ऊंचाई से आ रही थी। श्रीकांत जूझ रहे थे, लेकिन मैंने उन्होंने अमरनाथ से बात की और उन्होंने श्रीकांत को अपना स्वाभाविक खेल खेलने को कहा। अगले ओवर में श्रीकांत ने चौका जड़ा और अंत में 38 रन बनाए, जो विश्व कप फाइनल का सर्वोच्च स्कोर रहा था।
फाइनल मैच में 183 रनों पर आउट होने के बावजूद भारत ने दिग्गजों से सजी वेस्टइंडीज की टीम को लॉर्डस में 43 रनों से हराकर पूरी दुनिया को चकित कर दिया। पहला विश्व कप 1975 में खेला गया था। वेस्टइंडीज दो बार विश्व कप जीत चुका था, लेकिन कपिल देव ने तीसरी बात खिताब जीतने का उनका सपना चूर-चूर कर दिया।