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- स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से खुला 60 बिस्तर कोविड अस्पताल
- सेनेटाइजेशन, बैरक की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान, आने-जाने पर रोक
रायपुर / शौर्यपथ / रायपुर सेंट्रल जेल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का जेल के भीतर ही अब इलाज किया जाएगा। जेल में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से अलग कोविड अस्पताल (बैरक बनाकर) कैदियों और बंदियों का इलाज शुरू कर दिया गया है। यह व्यवस्था कोरोना पॉजिटिव केस मिलने के बाद की गई है, जिससे कैदियों की खास सुरक्षा में परेशानी भी नहीं आएगी और जेल के भीतर ही उनका इलाज भी संभव होगा।
वहीं जेल में कोरोनावायरस रोकथाम के उपायों में विशेष सतर्कता बरती जाने लगी है। पूर्व से ही जेल में रह रहे कैदियों को संक्रमण से बचाने के लिए जेल में एंट्री के समय और फिर बैरक में कैदियों को रखे जाने तक, हर चरण पर स्वच्छता और सावधानी का कड़ाई से पालन भी करवाया जा रहा है।
जेल डीआईजी डॉ.के.के. गुप्ता ने बताया जेल के भीतर ही 60 बिस्तर कोविड विशेष अस्पताल की व्यवस्था की गई है जिसमें कैदियों और बंदी (जो कोवि़ड पॉजिटिव मिले हैं) उनका इलाज किया जा रहा है। डॉ. गुप्ता ने बताया कैदियों और बंदियों को किसी अस्पताल में दाखिल कराकर इलाज कराने पर उनकी सुरक्षा को लेकर परेशानी हो सकती थी। इसे देखते हुए जेल प्रशासन के अनुरोध पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रायपुर के सहयोग से जेल में ही कोविड-19 अस्पताल खोला गया है, जहां पॉजिटिव मरीजों का इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया सामान्य तौर पर भी बाहर से आने वाले कैदियों को 30 दिन (अलग-अलग बैरक में ) क्वारेंटीन किया जा रहा है और पुनः मेडिकल जांच के बाद ही उन्हें सामान्य बैरक में भेजा जा रहा है। हालांकि जेल में कोविड संक्रमण ना हो इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी जेलों में अभियोगाधीन (अंडर ट्रायल) या बाहर से लाए गए कैदियों को 14 दिन तक अलग सेल में रखकर क्वारेंटीन किए जाने का निर्देश दिया था। इसे देखते हुए जेल प्रशासन सेंट्रल जेलों में अतिरिक्त व्यवस्था के तहत तीन बैरक बनाकर बाहर से आने वाले कैदियों को क्वारेंटीन कर रही है। यही व्यवस्था सभी जिला जेलों में भी की गई है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले जेल परिसर में 4 प्रहरी पॉजिटिव मिले थे। उनके प्राइमरी और सेकेंडरी कांटेक्ट में आए लोगों का रैपिड टेस्ट कराया गया, जिसमें कुछ कैदी और बंदी पॉजिटिव मिले थे। इसके बाद ही जेल प्रशासन ने जेल में ही कोविड पॉजिटिव मरीजों के इलाज का फैसला लिया।
ऐसी विशेष सतर्कता व्यवस्था- जेल डीआईजी डॉ.के.के. गुप्ता के अनुसार कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए जेल में स्वच्छता और सतर्कता उपाय बढ़ा दिया है। बाहर से आने वाले कैदियों को बनाए गए तीन बैरक में ( अलग-अलग समय सीमा में अलग- अलग बैरक में ) रखा जा रहा है। इस तरह 30 दिनों तक उन्हें अलग बैरक में रखने के उपरांत उनकी मेडिकल जांच की जा रही। सामान्य होने पर उन्हें सामान्य बैरक में भेजा जाता है। डॉ. गुप्ता के अनुसार बाहर से आने वाले बंदियों की जेल में घुसते समय मे़डिकल ऑफिसर और पैरा मेडिकल स्टाफ द्वारा थर्मल स्कैनिंग हो रही हैI उनकी हिस्ट्री और कांटेक्ट डिटेल और संपूर्ण जानकारी ली जा रही है। इसके बाद उन्हें सुरक्षा दृष्टिकोण से सामान्य नहीं बल्कि अलग बैरक ( सेल) में रखा जाता है। सभी बैरक में लिक्विड सोप, सेनीटाइजर की व्यवस्था है और सभी बंदियों को दो-दो वाशेबल मास्क दिए गए हैं। जेल के अंदर सभी बैरक, गेट, दरवाजों में भी सोडियम हाइपोक्लोराइड का छिड़काव नियमित किया जा रहा।
प्रिजन कॉलिंग सिस्टम - बाहरी व्यक्तियों से संक्रमण ना फैले इसका विशेष ध्यान देते हुए जेल प्रशासन ने अलग से व्यवस्था की है। कैदियों और बंदियों को अपने परिजनों और वकीलों से बातचीत कराने के लिए प्रिजन कॉलिंग सिस्टम की व्यवस्था की गई है ताकि बंदी टेलीफोन के माध्यम से अपने परिजनों और अधिवक्ताओं से बात कर सकें और साथ ही कैदियों की मानसिक स्थिति भी ठीक रहे।
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Feb 09, 2021 Rate: 4.00
