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रायपुर / शौर्यपथ / आज लोकेश और राहुल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अनुकंपा नियुक्ति मिलने की खुशी के साथ घर की जिम्मेदारी निभाने में भी सक्षम हो गया है। घर-परिवार में त्यौहार जैसा माहौल लग रहा है। एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाईयां दे रहे है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की संवेदनशीलता से आमजनों के हित में त्वरित कार्य करने के निर्देश जिले के सभी कलेक्टरों को दिया गया है। इसी कड़ी में लोकेश और राहुल को भी अनुकंपा नियुक्ति मिली है और उनके जीवन में सकारात्मक बदलावा आया है। गरियाबंद जिले की श्री राहुल, श्री लोकश कुमार को अनुकम्पा नियुक्ति मिल गई है। गरियाबंद कलेक्टर श्री दीपक अग्रवाल के हाथों अनुकंपा नियुक्ति पत्र मिला है।
छत्तीसगढ़ शासन के प्रावधानों के तहत मुख्यमंत्री श्री साय अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों को तेजी से निराकृत करने के निर्देश दिये हैं। इसी के तहत अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों को तेजी से पूर्ण किया जा रहा है। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई के द्वारा अनुकंपा नियुक्ति मिलने से आज दोनों युवकों ने खुशी जताते हुए मुख्यमंत्री एवं जिला प्रशासन का आभार जताया। श्री राहुल एवं श्री लोकेश कुमार को भृत्य पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई है। अनुकंपा नियुक्ति मिलने के बाद उन्होंने कहा कि राज्य शासन की नीति के तहत त्वरित पहल से नौकरी मिल गई है। जिससे आर्थिक समस्याओं को दूर करने एवं परिवार के पालन पोषण में सहायक होगी।
उल्लेखनीय है कि अनुकंपा नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले गरियाबंद जिले देवभोग अंतर्गत ग्राम सुपेबेड़ा के निवासी श्री राहुल कुमार क्षेत्रपाल ने बताया कि उनके पिताजी स्वर्गीय श्री तुकाराम सहायक शिक्षक के रूप में शासकीय प्राथमिक शाला ठिरर्लीगुड़ा में पदस्थ थे, निधन 06 अक्टूबर 2022 को हुआ। निधन के बाद उनके पुत्र श्री राहुल कुमार क्षेत्रपाल को भृत्य पद के रूप में शासकीय माध्यमिक शाला झाखरपारा में नियुक्ति मिली है। उन्होंने बताया कि अनुकंपा नियुक्ति मिलने से परिवार के पालन पोषण एवं देखरेख में सहायता मिलेगी। साथ ही भविष्य भी सुरक्षित रहेगा। इसी प्रकार ग्राम दीवानमुड़ा के रहने वाले श्री लोकेश कुमार शांडिल्य के पिताजी स्वर्गीय श्री डोंगर सिंह शांडिल्य प्रधानपाठक के रूप में शासकीय माध्यमिक शाला दीवानमुड़ा में पदस्थ थे। निधन 30 जनवरी 2024 हो हुआ। निधन के पश्चात श्री लोकेश कुमार शांडिल्य को भृत्य के रूप में शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल झाखरपारा में अनुकंपा नियुक्ति मिली है। उन्होंने बताया कि पिता के जाने के बाद भविष्य चिंतित था। शासन की पहल से अनुकंपा नियुक्ति मिलने से परिवार के खुशहाली में मदद होगी।
स्वास्थ्य विभाग में मिली नौकरी से पहाड़ी कोरवाओं की बदल रही जीवनरेखा
रायपुर /शौर्यपथ / यह पहाड़ी कोरवा समारिन बाई है। कुछ दिन पहले तक इन्हें गिनती के कुछ लोग ही जानते थे। यह सिर्फ इनकी ही बात नहीं है। इनके गाँव की भी यहीं बात है। घने जंगल के बीच मौजूद इनके गाँव टोकाभांठा को भी बहुत कम लोग जानते हैं। मुख्य सड़क से दूर टोकाभांठा में रहने वाली पहाड़ी कोरवा समारिन बाई का जीवन भी घने जंगल में बसे गाँव की तरह गुमनाम सा था। जहाँ सुबह का सूरज तो रोज निकलता था, लेकिन इनकी जिंदगी में गरीबी का अंधेरा जस का तस रहता था। दिन के उजाले में पहाड़ के नजदीक पहाड़ जैसी जिंदगी जीने वाली समारिन बाई ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें नौकरी मिल जायेगी और अंधेरे से घिरी गरीबी को दूर कर कडुवाहट भरी जिंदगी में मिठास तथा जीवन में उल्लास का उजियारा लाएगी।
कोरबा जिले के अजगर बहार ग्राम पंचायत के अंतर्गत ग्राम टोकाभांठा में रहने वाली समारिन बाई अब पहले से काफी बदल गई है। उनकी जिंदगी और रहन-सहन में बदलाव की शुरुआत हाल ही के दिनों से हुई है। जिला प्रशासन की पहल पर जब विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा रहा था तब समारिन बाई की शिक्षा भी बहुत काम आई। कक्षा दसवीं तक पढ़ी समारिन बाई को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू में वार्ड आया की नौकरी मिल गई। फिर क्या था, जंगल में बकरी चराने वाली और गरीबी की वजह से आर्थिक तंगी से जूझने वाली समारिन बाई अस्पताल में अलग रूप में नज़र आ रही है। ट्रे में दवाइयां लेकर मरीजों के वार्ड तक और डॉक्टर, नर्स के साथ उनके आस-पास समारिन का दिन गुजर रहा है। उन्होंने बताया कि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन वह सरकारी अस्पताल में अपनी ड्यूटी करेगी। उन्हें तो लगता था कि हम पहाड़ी कोरवाओं की जिंदगी गरीबी के बीच जंगल में उनके पुरखों की तरह ही कठिनाइयों के बीच बीतेगी।
पहाड़ी कोरवा समारिन बाई का कहना है कि उनका समाज ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है। जंगल में गरीबी के बीच बहुत ही विषम परिस्थितियों में जीवन-यापन करना पड़ता है। ऐसे में शिक्षा से जुड़ पाना संभव नहीं हो पाता। खासकर लड़कियों को घर के काम करने पड़ते हैं, उनका स्कूल जाना और पढ़ाई पूरी कर पाना बहुत चुनौती है। मैंने किसी तरह पढ़ाई तो कर ली थी लेकिन नौकरी मिलेगी यह कभी सोचा ही नहीं था। समारिन बाई ने बताया कि उन्हें अस्पताल में नौकरी मिली है। इस जगह में रहकर वह जान पा रही है कि अन्य समाज के साथ कैसे रहना है। किस तरह पढ़ाई कर महिलाएं काम कर रही है। यहाँ बहुत कुछ सीखने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने बताया कि अभी मानदेय में जो राशि मिल रही है उससे घर का खर्च चला रही है। भविष्य में कुछ पैसे बचत करने की कोशिश भी करेगी ताकि अपने बच्चों का भविष्य बना पाए। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू में ही पहाड़ी कोरवा समार साय, बुधवार सिंह की भी स्वच्छक तथा वार्ड बॉय के रूप में नौकरी लगी है। मानदेय के आधार पर मिली नौकरी से दोनों खुश हैं और बताते हैं कि दिन भर जंगल में बिताने से बेहतर है कि यहां काम कर कुछ पैसे मिल जाएं। इससे घर परिवार का खर्च चल जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा पहाड़ी कोरवाओं को दी जा रही नौकरी की सराहना करते हुए कहा कि हमारी कड़ुवाहट भरी जिंदगी में नौकरी से मिठास जरूर आयेगी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के दिशा निर्देशन में कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग में जिले के पहाड़ी कोरवाओं तथा बिरहोरों को योग्यता के आधार पर मानदेय में नौकरी पर रखने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में पीवीटीजी के 19 युवाओं को अस्पतालों में विभिन्न पदों पर रखा गया है।
शौर्यपथ /कटहल को वेजिटेरियन का मीट भी कहा जाता है. कटहल एक ऐसी सब्जी है जिसे ज्यादातर लोग खाना पसंद करते हैं. कटहल से कई तरह की रेसिपीज बनाई जा सकती हैं. कटहल स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है. आपको बता दें कि कटहल में विटामिन ए, विटामिन सी, थाइमिन, पोटैशियम, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, आयरन, नियासिन और जिंक जैसे तमाम गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मददगार हैं. लेकिन कहते हैं न हर सिक्के के दो पहेलू होते हैं ठीक वैसे ही कटहल के हैं. कुछ लोगों के लिए कटहल का सेवन हानिकारक हो सकता है. तो चलिए जानते हैं किन लोगों को नहीं करना चाहिए कटहल का सेवन.
किसे नहीं करना चाहिए कटहल का सेवन-
1. डायबिटीज-
डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक है कटहल का सेवन. कटहल में एंटी-डायबिटीक गुण ब्लड शुगर लेवल को कम करने का काम कर सकते हैं. इसलिए जिन लोगों का शुगर लेवल लो रहता है उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए.
2. पेट के लिए-
अगर आपको पाचन संबंधी समस्याएं हैं तो आप भूलकर भी कटहल का सेवन न करें. क्योंकि कटहल में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिससे उलटी, पेट दर्द और अपच की समस्या हो सकती है.
3. स्किन एलर्जी-
कई बार कटहल खाने से स्किन एलर्जी भी हो सकती है. जिन लोगों की स्किन सेंसटिव होती है, उन्हें कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए वरना स्किन पर रैशेज की समस्या हो सकती है.
4. प्रेगनेंसी-
प्रेगनेंसी में कटहल का सेवन करने से बचना चाहिए. क्योंकि कटहल की तासीर गर्म होती है जो मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है.
शिक्षा /शौर्यपथ /सोशल मीडिया पर कथावाचक जया किशोरी मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में हमेशा चर्चा में बनी रहती हैं. उनके वीडियोज लोग सुनते और फॉलो भी करते हैं. जया किशोरी रिलेशनशिप से लेकर पैरेंटिंग टिप्स पर अक्सर बात करती हैं. हाल ही में उन्होंने पेरेंटिग को लेकर कुछ खास टिप्स दिए हैं, जिसे मां बाप फॉलो करते हैं उनके बच्चे काबिल और संस्कारी बनेंगे.
जया किशोरी के पैरेंटिंग टिप्स
1- जया किशोरी कहती हैं कि जब बच्चा अपनी तोतली जुबां में गाली देता है, तो आप खूब हंसते हैं. बस यहीं आप गलत करते हैं. आपका उसकी गालियों पर हंसना मतलब गाली देने के लिए प्रोत्साहित करना. बल्कि ऐसी कोई हरकत बच्चा करे तो उसपर हंसने की बजाय उसे समझाना चाहिए.
2-वहीं, कई बार बच्चे का हाथ उठाने पर भी लोग खूब हंसते हैं. लेकिन वही बच्चा जब बड़ा होकर हाथ उठाएगा तो आपके लिए गलत होगा. आपको कम उम्र से ही बच्चों को ऐसी गलत चीजें नहीं सिखानी चाहिए जो आगे चलकर परेशानी का सबब बने. आप बच्चे के सामने कोई अभद्र व्यवहार करते हैं, तो बच्चा उसे तुरंत कॉपी करता है. ऐसे में आपको उसके सामने सोच समझकर बातें करनी चाहिए.
3- बच्चों के सामने कभी झूठ मत बोलिए. कभी-कभी आप रिश्तेदारों से या दोस्तों से किसी बात को लेकर झूठ बोल देते हैं जिसको बच्चा सुन रहा होता है. ऐसे में उसके दिमाग में आता है कि झूठ बोलना सही है.
4- इसके अलावा आपको माता पिता के रूप में अपने घर का माहौल सकारात्मक रखना चाहिए. घर में हर वक्त लड़ाई-झगड़े होते हैं तो फिर माहौल बहुत टॉक्सिक हो जाता है, जिससे बच्चे के मन पर बुरा असर पड़ता है. बच्चों को अच्छी आदतें सिखाने से पहले आप उन आदतों को खुद भी फॉलो करें.
5- जया कहती हैं कि बच्चे को अच्छा इंसान बनने में 50 प्रतिशत योगदान उनके माता-पिता का होता है और 50 उनके दोस्तों और बाहर के माहौल का. आप पूरी कोशिश करें कि आप बच्चे के सामने कोई गलत व्यवहार न करें.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /'गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय, बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय.' गुरु के संबंध में संत कबीर दास का यह दोहा काफी लोकप्रिय है जिसमें गुरु को गोविंद यानी भगवान से भी ज्यादा महत्व दिया गया है. दोहे के अनुसार, गोविंद यानी भगवान और गुरु एक साथ खड़े हो तो पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए. क्योंकि गुरु के कारण ही भगवान के दर्शन का अवसर मिला है. गुरु पूर्णिमा गुरु के इसी महत्व को उत्सव की तरह मनाने का दिन है. जीवन में गुरु के महत्व की सराहना करने के लिए यह पर्व मनाया जाता है. महाभारत की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास की जन्म तिथि को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. बौद्ध धर्म में इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है. इस साल 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा मनाया जाएगा. व्रत नहीं रखने वाले लोग इस दिन सात्विक भोजन बनाते हैं. गुरु पूर्णिमा के खास मौके पर आप ये चार रेसिपी ट्राई कर सकते हैं.
गुरु पूर्णिमा के लिए चार आसान रेसिपी
सूजी हलवा
सूजी का हलवा बनाना बेहद आसान है. एक गहरे पैन में 1/3 कप चीनी में 1 कप पानी और आधा चम्मच इलायची पाउडर डाल कर चीनी घुलने तक पकाते हुए शुगर सिरप तैयार कर लें. एक पैन को गर्म करने के बाद एक चम्मच देसी घी डालें. अब पैन में आधा कप सूजी डालकर सुनहरा होने तक भून लें. अब इसमें तैयार किया गया सुगर सिरप डाल कर मिला लें. मध्यम या तेज आंच पर तीन-चार मिनट के लिए सूजी पकने तक बीच-बीच में चलाते हुए पकाएं. गैस ऑफ करें और अपने पसंद के भुने हुए ड्राई फ्रूट्स के साथ हलवा सर्व करें.
केसरी सेवइयां
केसरी सेवइयां बनाने के लिए सबसे पहले 8-10 काजू और 12-15 किशमिश गोल्डन होने तक घी में तल लें. एक कटोरी में दो चम्मच गर्म दूध में केसर के कुछ धागे डाल कर रख लें. अब बचे हुए घी में सेवइयां डालकर गोल्डन होने तक भून लें. इसके बाद सेवइ में आधा कप गर्म पानी डाल दें. केसर वाला दूध और आधा कप चीनी डालकर मीडियम-लो फ्लेम पर पानी सूखने तक पका लें. ड्राई फ्रूट्स से गार्निश कर सर्व करें.
मीठा पोंगल
पोंगल एक हेल्दी और पारंपरिक साउथ इंडियन डिश है. मीठा पोंगल बनाने के लिए एक नॉन स्टिक पैन में 1/4 मूंग दाल और 1 बड़ा चम्मच चना दाल भून लीजिए. घीरे-धीरे एक कप चावल डालकर गोल्डन ब्राउन होने तक भूनें. इस मिश्रण को एक प्रेशर कुकर में डाल कर आधा कप पानी डाल कर 5 सीटी लगाएं. पके हुए मिश्रण में एक कप दूध और 1/4 पानी डाल कर मिला दें. तड़का तैयार करने के लिए 2 चम्मच घी में 1 चम्मच काजू और 1 चम्मच किशमिश डाल कर फ्राई कर लें. तैयार पोंगल में तड़का डाल कर मिला लें और गरमा गरम सर्व करें.
पंचामृत
दूध, घी, दही, हनी और चीनी जैसे कुल पांच चीजों को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है. किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या पूजा में पंचामृत का विशेष महत्व होता है. इसे बनाने के लिए एक बड़े बाउल में एक कप दूध, एक चम्मच देसी घी, एक चम्मच दही, एक चम्मच हनी और एक चम्मच चीनी डाल कर मिला लें. अब इसमें एक कटा हुआ केला, चुटकी भर इलायची पाउडर और कुछ केसर के धागे डाल कर मिला लें.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /सिरदर्द ऐसी दिक्कत है जो कभी भी और कहीं भी हो सकती है. कभी नींद की कमी से तो कभी बुखार आने पर, ज्यादा शोर में बैठने से, आंखें किसी लाइट से चौंधियाने पर या फिर उल्टी जैसा महसूस होने पर भी सिर का दर्द होने लगता है. बहुत से लोग माइग्रेन की दिक्कत से भी परेशान रहते हैं. अक्सर लोग सिर के दर्द में दवाइयां खाने से परहेज करते हैं. वहीं, अगर हर दूसरे-तीसरे दिन सिर में दर्द होने लगे तो जायजतौर पर इतनी दवाई तो नहीं खाई जा सकती है. ऐसे में काम आते हैं घरेलू नुस्खे और कुछ कारगर ट्रिक्स. सिर के दर्द से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपाय आजमाकर देखे जा सकते हैं. ये उपाय अपना असर तेजी से दिखाते हैं और इनसे सिरदर्द की दिक्कत दूर होने में तेजी से असर महसूस होता है सो अलग. जानिए किस एक चीज से खासतौर से सिर का दर्द तुरंत कम हो सकता है.
सिरदर्द के घरेलू उपाय |
खाकर देखें ये चीज
सिर में होने वाले तेज दर्द को कम करने के लिए अदरक का सेवन करके देखा जा सकता है. अदरक के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दर्द को खींचने का काम करते हैं और तकलीफ कम करने में असर दिखाते हैं. जब सिर में दर्द हो तो आप अदरक का छोटा टुकड़ा खा सकते हैं, अदरक की चाय बनाकर पी जा सकती है या फिर अदरक को खाने की किसी और चीज के साथ मिलाकर खा सकते हैं.
कैफीन
चाय या कॉफी को पीने पर भी सिर के दर्द से छुटकारा मिलता है. कैफीनेटेड बेवरेज दर्द कम करने में असर दिखाते हैं. बहुत से लोगों को सिर का दर्द होने पर चाय पीकर आराम महसूस होता है. वहीं, कॉफी का सेवन कुछ के लिए फायदेमंद होता है. बस इस बात का ध्यान रखें कि आप जरूरत से ज्यादा कैफीन का सेवन ना करें.
पिएं पानी
कुछ स्टडीज में देखा गया है कि पानी की कमी यानी डिहाड्रेशन सिर दर्द को ट्रिगर कर सकता है. अगर शरीर में पानी की कमी हो तो सिर का दर्द बढ़ सकता है. ऐसे में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से सिर के दर्द से राहत मिल सकती है. हालांकि, एकसाथ ढेर सारा पानी पीने के बजाए घूंट भरते हुए थोड़ा-थोड़ा पानी पिएं जिससे सिरदर्द से राहत मिल सके.
एसेंशियल ऑयल्स
कुछ ऐसेंशियल ऑयल स्ट्रेस कम करने और सिर के दर्द से राहत दिलाने में कारगर साबित होते हैं. लैवेंडर, कैमोमाइल, पेपरमिंट और बेजिल एसेंशिल ऑयल सिर का दर्द दूर कर सकते हैं. इन ऑयल्स को सूंघने या माथे पर मलने से राहत मिल सकती है.
व्रत त्योहर /शौर्यपथ / हिंदू महीनों में सावन भगवान शिव की पूजा अराधना के लिए समर्पित है. सावन माह में सोमवार के दिन का विशेष महत्व होता है और इस दिन शिव भक्त सावन सोमवार का व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं. इस साल यह पवित्र माह 22 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 19 अगस्त को समाप्त होगा. इस बार खास बात यह है कि सावन की शुरूआत सोमवार से हो रही है. इसके साथ ही सावन में कुल पांच सोमवार के व्रत रखे जाएंगे. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे रखना चाहिए सावन सोमवार का व्रत और किन चीजों से करना चाहिए शिवलिंग का अभिषेक.
सावन सोमवार व्रत कैसे करें ?
सावन में सोमवार का व्रत रखने के लिए प्रात: जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
इसके बाद घर के पूजा घर या मंदिर की साफ सफाई करें.
भगवान की पूजा मंदिर या घर में की जा सकती है.
भगवान शिव की पूजा के लिए बेलपत्र, धतुरा, दूध, जल, फल जैसी चीजों की जरूरत होती है.
मंदिर या घर में विधि विधान से शिवलिंग की पूजा करने के बाद अभिषेक करना चाहिए.
व्रत रखने वालों को फलहार करना चाहिए. अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए.
शिवलिंग अभिषेक सामग्री
सावन सोमवार व्रत रखने वालों को इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए. शिवलिंग का अभिषेक दूध, दही या जल से किया जा सकता है. शिव पुराण के अनुसार, अभिषेक से महादेव अति प्रसन्न होते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के बाद निकले विष का पान करने से शिव भगवान का कंठ नीला पड़ गया था. तब विष की उष्णता को शांत करने के लिए देवताओं ने उन्हें जल चढ़ाया था. इसलिए भगवान शिव को अभिषेक अत्यंत प्रिय है.
शिवलिंग अभिषेक विधि
शिव जी के अभिषेक के लिए जल, दूध या दही का उपयोग करना चाहिए. सामग्री में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हुए इस मंत्र का जाप करें-
ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवध्र्नम्उर्वारुकमिव बंन्धनान् मृत्युमरुक्षीयम मामृतात
व्रत त्यौहार/शौर्यपथ /श्रावण मास कैलाश निवासी भगवान शिव की पूजा आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस माह में सोमवार का काफी महत्व होता है और विशेष संयोग के चलते इस बार श्रावण मास की शुरुआत सोमवार से ही होगी. श्रवण नक्षत्र में सर्वार्थ सिद्धि योग से श्रावण के पावन माह की शुरुआत होगी. इससे भी खास बात यह है कि भगवान शिव की पूजा-आराधना के लिए समर्पित श्रावण मास में इस बार कई श्रेष्ठ और फलदायी शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. इस वर्ष श्रावण मास 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि योग पर पूर्णिमा के दिन समाप्त हो जाएगा.
सावन के श्रेष्ठ शुभ मुहूर्त
इस बार श्रावण मास में 10 विशेष शुभ मुहूर्त वाले दिन बन रहे हैं. पांच सोमवार के अलावा 1 और 17 अगस्त को प्रदोष व्रत और 4 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि पुष्य योग के साथ अमावस्या. शुभ मुहूर्त वाले विशेष दिनों पर पूजा-अर्चना, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक जैसे विशेष उपाय कर दोष दूर किया जा सकता है, ऐसी मान्यता है. ऐसा माना जाता है कि श्रेष्ठ शुभ मुहूर्त में विशेष पूजा-अर्चना और उपाय कर आप मनवांछित फल पा सकते हैं.
तीन खास उपाय से बनेंगे सभी काम
वैसे तो संपूर्ण श्रावण मास ही शुभ और फलकारी होता है लेकिन माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में विशेष उपाय की मदद से आप दोषमुक्त होकर मनोवांछित फल पा सकते हैं. सभी तीन उपायों से अलग-अलग फल प्राप्त होंगे. माना जाता है कि राहु-केतु का अशुभ प्रभाव कम करने, कर्ज और कई तरह के कष्टों से छुटकारा पाने के लिए और गृह शांति के लिए सोमवार को विशेष पूजा, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करना शुभ है. रोग निवारण, पितृ दोष और कर्ज मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन रवि पुष्य योग में विशेष पूजा-अर्चना करना अच्छा है. मान्यतानुसार सावन शिवरात्रि और प्रदोष में पूजा, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने से संतान फल प्राप्त होता है.
राजधानी रायपुर में आयोजित “नवा सौगात” कार्यक्रम में मिला सम्मान
9 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने में निभाई अहम भूमिका
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की सरकार महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है । इसी बीच साय सरकार ने मितानिनों के हित में एक पहल की है। मुख्यमंत्री साय ने आज मितानिनों के खाते में प्रोत्साहन राशि आनलाइन ट्रांसफर की है। राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित “नवा सौगात” कार्यक्रम में मुख्मंत्री साय ने उपस्थित होकर प्रदेश की लगभग 73 हजार 831 मितानिनों, प्रशिक्षकों और समन्वयकों के खाते में कुल 90 करोड़ 8 लाख 84 हजार रुपये की मितानिन प्रोत्साहन राशि का अंतरित किया। सीधे खाते में पैसे पाकर मितानिनों में खुशी की लहर है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली मितानिनों को सीएम ने किया सम्मानित
“नवा सौगात” कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न हिस्सों से आई हुई मितानिन बहनों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने सम्मानित भी किया। सम्मानित होने वाली मितानिनों में जशपुर जिले के ग्राम बगिया की मितानिन दीदी माधुरी पैंकरा भी शामिल हैं। जिन्हें मुख्यमंत्री ने “मितानिन पासबुक” के साथ शाल एवं श्री फल देकर सम्मानित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री साय ने कई मितानिन बहनों से बातचीत की। इसी बीच जशपुर जिले के तहसील कुनकुरी के ग्राम पंचायत बेहराखार (रेंगारी) निवासी मितानिन दीदी श्रीमती मुलिका बाई से मुख्यमंत्री जी ने सीधा संवाद किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री श्री साय ने सभी मितानिन बहनों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारी सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रही है और वो राज्य में सुशासन की राह पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके इस सफर में राज्य भर में काम कर रही 70 हजार से अधिक मितानिन बहनों का भी अमूल्य योगदान है जिनके दम पर राज्य मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में अभूतपूर्व सुधार हासिल करने मे कामयाब हुआ है। उन्होंने कहा कि मितानिन बहनें छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था का आधार हैं जो सुदूर क्षेत्रों में जाकर भी इमानदारी से काम करती हैं।
माधुरी पैकरा ने 9 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने में निभाई अहम भूमिका
कुनकुरी के ग्राम बगिया की मितानिन दीदी माधुरी पैकरा को स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने सम्मानित भी किया है । श्रीमती माधुरी पैकरा ने बेहतर सेवा भाव से कार्य कर 9 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका निभाई हैं। वह अपने क्षेत्र में विगत कई वर्षों से कार्य कर रही हैं और कुपोषण मुक्ति, मातृत्व सुरक्षा सहित स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने पूरी इमानदारी से काम कर रही हैं।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 13 जुलाई को श्री रामलला का दर्शन करने अयोध्या धाम जाएंगे। जारी कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री 13 जुलाई शनिवार को प्रातः 9.30 बजे स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट से प्रस्थान कर पूर्वान्ह 11 बजे महर्षि वाल्मिकी इंटरनेशनल एयरपोर्ट अयोध्या धाम पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री पूर्वान्ह 11.15 बजे से शाम 5 बजे तक श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या धाम में श्री रामलला का दर्शन और मंदिर भ्रमण करेंगे। मुख्यमंत्री शाम 5.15 बजे अयोध्या धाम एयरपोर्ट से प्रस्थान कर संध्या 6.45 बजे स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट रायपुर लौट आएंगे।
लाल भाजी, जिमीकांदा, मुनगा की सब्जी, इडहर कड़ी का चखा स्वाद
दरभा की जयमनी ने मुख्यमंत्री से कहा- बस्तर आएं तो अवश्य चखें खट्टी-चटपटी चापड़ा चटनी का स्वाद
बैगा जनजाति की मितानिन दीदी दसनी बाई लोगों तक पहुंचा रही हैं स्वास्थ्य सुविधाएं
रायपुर / शौर्यपथ / राजधानी रायपुर में मितानिन दीदियों को प्रोत्साहन राशि वितरण के लिए आयोजित ‘नवा सौगात‘ कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मितानिन बहनों के साथ दोपहर का भोजन किया।
मुख्यमंत्री साय पंगत में बस्तर दरभा से आयी मितानिन दीदियों जयमनी नाग और कवर्धा की बैगा जनजाति की दसनी बाई के साथ भोजन करने बैठे। भोजन में दही मिर्ची, लाई बड़ी, बिजौरी, चावल पापड़, चना, लाल भाजी, जिमीकांदा, मुनगा की सब्जी, इडहर कड़ी, भरवा करेला, चावल, कोदो चावल, रोटी, मीठे में रागी लड्डू, अंदरसा, गुलगुला, पीड़िया, मठ्ठा आदि परोसा गया। भोजन के प्रारंभ में फ्रूट सलाद भी सर्व किया गया।
मुख्यमंत्री ने मितानिन दीदियों के साथ बड़े चाव के साथ भोजन किया। इस दौरान उन्होंने जयमनी नाग और दसनी बाई से बड़ी ही आत्मीयता के साथ उनका कुशल क्षेम पूछा और कहा कि अब उनके बैंक खाते में हर महीने प्रोत्साहन राशि सीधे मिल जाया करेगी। मुख्यमंत्री ने जयमनी नाग से बातचीत के दौरान कहा कि बस्तर तो कई बार गया हूं, लेकिन चापड़ा चटनी का स्वाद चखने का मौका नहीं मिला। जयमनी नाग ने कहा कि अब जब बस्तर आएं तो खट्टी-चटपटी चापड़ा चटनी का स्वाद अवश्य चखें।
मितानिन बहनों के साथ उपमुख्यमंत्री अरुण साव, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, वन एवं संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप, विधायक अनुज शर्मा, विधायक गुरु खुशवंत साहब स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ ने भोजन किया।
भिलाई इस्पात संयंत्र एवं ग्रेट इंडिया टैलेंट फाउंडेशन के बीच एमओयू हुआ साइन
durg / shouryapath / सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के स्टील एजुकेशन सोसाइटी एवं अक्षय पात्र की सहयोगी संस्था ग्रेट इंडिया टैलेंट फाउंडेशन के बीच, दिनांक 8 जुलाई 2024 को इस्पात भवन के कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) के सभागार में एक एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग) साइन किए गए। रथ यात्रा उत्सव के शुभ अवसर पर कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) श्री पवन कुमार एवं मुख्य महाप्रबंधक (टीएसडी एवं सीएसआर) श्री जे वाय सपकाले के सम्मुख इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। भिलाई इस्पात संयंत्र की ओर से महाप्रबंधक (शिक्षा) श्रीमती शिखा दुबे, स्टील एजुकेशन सोसाइटी की सचिव एवं महाप्रबंधक (मानव संसाधन) सुश्री के सुपर्णा तथा अक्षय पात्र एवं ग्रेट इंडिया टैलेंट फाउंडेशन की ओर से रीजनल प्रेसिडेंट (अक्षय पात्र एवं ग्रेट इंडिया टैलेंट फाउंडेशन) स्वामी व्योमपाद दास द्वारा इस एमओयू पर साइन किया गया।
इस अवसर पर, मुख्य महाप्रबंधक (एफ एंड ए) श्री डी एन करन, महाप्रबंधक (सीएसआर) श्री शिवराजन नायर, महाप्रबंधक (ईडी एचआर – सचिवालय) श्री एच शेखर, महाप्रबंधक (जनसम्पर्क विभाग) श्री प्रशांत तिवारी, उप महाप्रबंधक (इंटरनल ऑडिट) सुश्री गगन गोयल, सहायक महाप्रबंधक (ईडी एचआर – सचिवालय) श्री के के साहू, वरिष्ठ प्रबंधक (सीएसआर) श्री सुशील कुमार कामड़े तथा उप प्रबंधक (सीएसआर) श्री के के वर्मा मौजूद रहे। साथ ही बीएसपी शिक्षा विभाग की ओर से उप प्रबंधक (शिक्षा) श्री अशोक सिंह, उप प्रबंधक (शिक्षा) श्रीमती विभा कटियार, प्राचार्या (सेक्टर 10) सुश्री सुमिता सरकार तथा अक्षय पात्र की ओर से स्वामी गोपावृंदा पाल दास, श्रीमती वृंदा अनिल, स्वामी लोकनाथ दास, श्री अनिल विश्वनाथन उपस्थित थे।
सेक्टर 6 एवं सेक्टर 11 खुर्सीपार में स्थित भिलाई इस्पात विकास विद्यालय को भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा प्रारंभ किया गया था। सेक्टर 6 स्थित भिलाई इस्पात विकास विद्यालय को 7 जुलाई 2007 एवं सेक्टर 11 खुर्सीपार में स्थित भिलाई इस्पात विकास विद्यालय को 30 अप्रैल 2011 में प्रारंभ किया गया था। यह दोनों स्कूल कमजोर वर्ग के निर्धन बच्चों के लिए अंग्रेजी माध्यम में एक बेहतर शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से खोला गया था। अब इस एमओयू के अनुसार इन स्कूलों के सम्पूर्ण प्रबंधन का कार्य, देशव्यापी संस्था अक्षय पात्र फाउंडेशन की एक सहयोगी संस्था “महान भारत प्रतिभा फाउंडेशन” (ग्रेट इंडिया टैलेंट फाउंडेशन) द्वारा संचालित किया जाएगा। ज्ञात हो कि मान्यता प्राप्त यह संस्था, त्रिपुरा में महान भारत प्रतिभा विद्यालय, काशीराम पारा नाम से एवं बेंगलुरु, हैदराबाद, भुवनेश्वर सहित कई शहरों में भी शिक्षण संस्थानो का संचालन कर रहे हैं, इसलिए इस संस्था को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) श्री पवन कुमार ने कहा, किसी समय में अन्न दान को महादान माना जाता था, परंतु मेरे विचार से आज के युग में शिक्षा का दान बहुत ही महत्वपूर्ण और अहम है। भिलाई इस्पात संयंत्र प्रारम्भ से ही शिक्षा के क्षेत्र में काफी अच्छा कार्य करते आ रही है तथा आगे इसको और भी बेहतर बनाने में निरंतर प्रयासरत हैं। अक्षय पात्र संगठन एक राष्ट्रव्यापी और बहुत ही व्यवस्थित तरीके से मध्यान भोजन का संचालन करती है। अक्षय पात्र संस्था के कार्यों को देखते हुए भिलाई इस्पात विकास विद्यालय जैसी शालाओं के संचालन हेतु जिम्मेदारी प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा “बीएसपी ने भिलाई इस्पात विकास विद्यालय को बड़े मनोयोग व उम्मीद के साथ प्रारंभ किया गया था तथा ये दोनों शालाएं हमारे संयंत्र के लिए “बच्चे” जैसी है। जिसे हम पूरे विश्वास के साथ अक्षय पात्र के हाथों में सौंप रहे हैं और हमें उम्मीद है कि आप इसे बेस्ट बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे।” उन्होंने कहा, हम भिलाई की शिक्षा को आज के दौर के अनुकूल बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। हम अपने कार्मिकों एवं कॉन्ट्रैक्ट लेबर के बच्चों के लिए भी अच्छी शिक्षा हेतु श्रेष्ठ दिशा में कार्य कर रहे हैं।
रीजनल प्रेसिडेंट (अक्षय पात्र एवं ग्रेट इंडिया टैलेंट फाउंडेशन) स्वामी व्योमपाद दास ने अपनी संस्था को रेखांकित करते हुए कहा, भिलाई इस्पात संयंत्र के सहयोग से हम यहाँ भिलाई में वर्ष 2007 से अक्षय पात्र का संचालन कर रहे हैं। बीएसपी के साथ इस तरह का एक नोबल कार्य करते हुए हमें 13 साल से अधिक हो चुके हैं। हमारे ईमानदार प्रयासों और अच्छे कार्यों को देखते हुए, सेल जैसे संगठन ने हम पर विश्वास किया और शिक्षा के क्षेत्र में भी हमें एक नई जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। इसके लिए हम सेल एवं भिलाई इस्पात संयंत्र के आभारी हैं। उन्होंने कहा, हमारी संस्था अंग्रेजी शिक्षा के क्षेत्र में कदम रख चुकी है ताकि हम त्रिपुरा, बेंगलुरु, हैदराबाद और भुवनेश्वर सहित कई और बेंगलुरु सहित कई स्थानों पर अच्छे संस्कारों के साथ-साथ बेहतर शिक्षा देने का प्रयास कर सकें। भिलाई इस्पात विकास विद्यालय को हमने बहुत ही करीब से देखा है, सेल एवं भिलाई इस्पात संयंत्र इन स्कूलों को आज भी बहुत ही अच्छे तरीकों से संचालित कर रहे हैं। हमें जो जिम्मेदारी दी जा रही है वह बेहतर को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए दी जा रही है। यह कार्य कठिन होने के साथ साथ एक बड़ी जिम्मेदारी भी है। हम पूरी ईमानदारी के साथ शतप्रतिशत प्रयास करेंगे कि इस जिम्मेदारी को निभाने में हम खरे उतर सकें।
इस कार्यक्रम में मुख्य महाप्रबंधक (टीएसडी एवं सीएसआर) श्री जे वाय सपकाले ने कहा, कि हम एक अच्छी शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसके अंतर्गत हम अपने शिक्षण संस्थानों को और भी बेहतर बनाने के लिए अक्षय पात्र जैसे संगठन को जिम्मेदारी सौंप रहे हैं। प्रारंभ में महाप्रबंधक (सीएसआर) श्री शिवराजन नायर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए इस एग्रीमेंट का विवरण प्रस्तुत किया तथा इसमें शामिल विभिन्न बिंदुओं के बारे में बताया। श्री कार्यक्रम के अंत में श्री जे वाय सपकाले द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। इस संपूर्ण कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन सीएसआर विभाग द्वारा किया गया। उल्लेखनीय है कि अक्षय पात्र फाउंडेशन, भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1882 के तहत पंजीकृत एक स्वतंत्र धर्मार्थ ट्रस्ट है। जो देश में स्कूलों में भूख और कुपोषण के व्यापक सामाजिक मुद्दों को हल करने के लिए अपना सहयोग प्रदान करते हैं। अक्षय पात्र फाउंडेशन स्कूलों में बच्चों को स्कूल आने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए हर दिन गर्म, पौष्टिक और स्वादिष्ट मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराते हैं, ताकि भारत में कोई भी बच्चा भूख के कारण शिक्षा से वंचित न रह जाए।
वहीँ अक्षय पात्र फाउंडेशन की सहयोगी संस्था ‘“महान भारत प्रतिभा फाउंडेशन” (जीआईटीएफ) का प्रयास बच्चों की स्वाभाविक प्रवृत्ति को पोषित करने के साथ-साथ समग्र विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे वे अपने और अपने परिवार व समुदाय के लिए भविष्य को बेहतर और सुरक्षित कर सकें।
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /मखाना जिसे लोट्स या फिर फॉक्स सीड भी कहते हैं, व्रत के समय सबसे ज्यादा खाए जाने वाला सूखा मेवा है. क्योंकि इससे इंस्टैंट एनर्जी मिलती है और पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहता है. कुछ लोग इसे नार्मल खाते हैं, तो कुछ इसे घी में भूनकर खाते हैं. लेकिन कौन सा तरीका ज्यादा हैल्दी है इसको लेकर मन में सवाल जरूर रहता है. ऐसे में आज हम आपको यहां पर बताने जा रहे हैं, आखिर मखाने किस तरीके से खाना फायदेमंद है. तो चलिए बिना देर किए जानते हैं.
मखाना कैसे खाना है हैल्दी -
घी में भूनकर खाएं
1- इसमें कोई संदेह नहीं है कि घी में भुना हुआ मखाना एक शानदार और सेहतमंद नाश्ता है. इसकी कम वसा और उच्च प्रोटीन सामग्री उन लोगों के लिए एक बेस्ट ऑप्शन है, जो कुछ एकस्ट्रा किलो कम करते हुए एक हैल्दी लाइफस्टाइल बनाए रखना चाहते हैं. घी में मखाना भूनने से इसका स्वाद बहुत बढ़िया और मक्खन जैसा हो जाता है. आप इसके स्वाद को बढ़ाने के लिए इसमें थोड़ा सा नमक और काली मिर्च भी डाल सकते हैं.
हैल्दी ब्रेकफास्ट है
2- घी स्वस्थ वसा का एक स्रोत है और इसमें विटामिन ए, डी, ई और के जैसे आवश्यक पोषक तत्व होते हैं. जब मखाना को घी में भूना जाता है, तो यह बीजों के पोषण मूल्य को बढ़ाता है और एक संतुलित और पौष्टिक नाश्ता प्रदान करता है.
पाचन तंत्र करे मजबूत
3- घी में ब्यूटिरिक एसिड होता है, जो पाचन में सहायता करता है. जब मखाने को घी में भूना जाता है, तो यह आसानी से पच जाता है.
ऊर्जावान रखे
4- घी ऊर्जा प्रदान करता है, और जब मखाने को इसमें भूना जाता है, तो यह स्थायी ऊर्जा के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन जाता है. यही कारण है कि इसे अक्सर उपवास के दौरान नाश्ते के रूप में खाया जाता है.
तनाव करता है कम
5- घी अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है, और जब इसे मखाने के साथ मिलाया जाता है, तो यह शरीर को मुक्त कणों और ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदद कर सकता है.
बैड कोलेस्ट्रोल करे कम
6- इन लाभों के अलावा, घी में भुने हुए मखाने का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखने में भी मदद मिलती है क्योंकि इसमें सोडियम की मात्रा कम होती है.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /मानसून के मौसम में आपको भी गर्मागर्म पकौड़े और चाय पीने का मन करता होगा. किचन से आती पकोड़ों की खुशबू आपका मन मोह लेती होगी लेकिन इसी किचन का मानसून में बुरा हाल हो जाता है. जी हां मानसून की नमी का सबसे ज्यादा असर किचन पर ही पड़ता है क्योंकि यहां आटा, मसाले, चावल और अन्य खाने पीने की चीजों के डिब्बों में नमी आ जाती है जिससे किचन के ज्यादातर इंग्रीडिएंट्स खराब हो जाते हैं. जहां सूखे मसाले सील जाते हैं और उनमें गांठ पड़ जाती है वहीं आटा, चावल, बेसन सूजी भी खराब होने लगते हैं और उनमें कीड़े पड़ने लगते हैं. ऐसे में कई उपाय बेकार साबित हो जाते हैं. चलिए हम आपको बताते हैं कि मानसून की नमी से किचन में खाने पीने की चीजों को कैसे खराब होने से बचाया जा सकता है.
मानसून की नमी से किचन में खाने पीने की चीजों को कैसे बचाएं
सबसे पहले जरूरी है कि आप सही क्वालिटी के किचन इंग्रीडिएंट्स लाएं. बाजार से फ्रेश चीजें ही लाएं. इसके बाद दूसरी सबसे बड़ी बात है स्टोरेज की. जी हां, आप किचन का सामान जिन डिब्बों में रखती हैं, वो हवा और नमी को बाहर ही रोक देते हैं. आजकल बाजार में रबर गैस्केट वाले कांच के जार मौजूद हैं. कोशिश करें कि आपके कंटेनर गहरे रंग के हों, इससे बाहर की धूप और लाइट इसके अंदर रखे सामान को खराब नहीं कर पाएगी.
मसाले हों या चावल और आटा, इनको हमेशा अंधेरी और ठंडी जगह पर ही स्टोर करना चाहिए. इनको गर्म या उमस वाली जगह पर रखने से बचना चाहिए. कई बार गैस, ओवन के पास रखी चीजें जल्दी खराब हो जाती हैं. इसलिए गर्म जगह से दूर इन चीजों को अंधेरी और ठंडी जगह पर ही स्टोर करें.
पानी की नई बोतल में आपने सिलिका जेल पैक देखा होगा. ये जेल पैक अगर कंटेनर में रखे सामान की नमी सोख लेता है और उसे खराब होने से बचाता है. आप भी बाजार से सिलिका जेल पैक लाकर अपने किचन के सामान के कंटेनर में डाल सकते हैं. इससे मानसून में आपकी खाने पीने की चीजें जल्द खराब नहीं होंगी.आप चाहें तो इसके बदले नमक और चावल की छोटी छोटी पोटली बनाकर भी कंटेनर में डाल सकते हैं, क्योंकि ये चीजें भी नमी सोखने का काम करती हैं.
जब भी कुछ चीज स्टोर करें तो पहले कंटेनर को पूरी तरह सूखा और साफ कर लें. जिस चीज को स्टोर करना है, उसे भी बिल्कुल सूखा और ठंडा होना चाहिए. कई बार खाने पीने की चीज गर्म होने के कारण कंटेनर में नमी आ जाती है. कई बार कंटेनर ही गीला होता है और उसमे रखी चीज भी खराब हो जाती है.
अगर आपके पास पैकेट बंद मसाले हैं तो आप उनको फ्रिज में भी रख सकते हैं. यहां वो लंबे समय तक ताजे और सुरक्षित रहेंगे. आप दालों को एयर टाइट पॉलिपैक में स्टोर करके फ्रिज में रख सकते हैं.