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सीएम साय ने दिए निर्देश:आदिवासी अँचलों में 77,292 घरों में बिजली पहुंचाने का कार्य प्रगति पर
8,091 किलोमीटर लाइनें, 2217 ट्रांसफॉर्मर, 7950 बसाहटें
रायपुर / शौर्यपथ / आदिवासी अँचलों में बिजली से वंचित रह गए घरों में बिजली पहुंचाने के लिए 3 अतिविशिष्ट योजनाओं के माध्यम से 77,292 घरों में बिजली पहुंचाने की कार्ययोजना बनाकर उस पर अमल प्रारंभ कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी द्वारा इस महती कार्ययोजना पर कार्य किया जा रहा है जिसमें से 2 योजनाएं केंद्र सरकार की है तथा 1 योजना छत्तीसगढ़ शासन की है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 426 करोड़ रुपए से अधिक लागत की इन योजनाओं का क्रियान्वयन शीघ्रता से करने के निर्देश दिए है। वहीं छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनीज के अध्यक्ष रोहित यादव ने तीनों योजनाओं की प्रगति की नियमित तौर पर मॉनिटरिंग की व्यवस्था की है।
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा-अभियान (पीएम जनमन) के अंतर्गत छत्तीसगढ़ की अति पिछड़ी 7 जनजातियों जिनमें अबुझमाड़िया, बैगा, भारिया, पहाड़ी कोरवा, कमार तथा बिरहोर शामिल हैं, इन 7 जनजातियों के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। ग्रिड से विद्युतीकृत गांवों के 7,077 घरों में बिजली पहुंचाने के लिए 37 करोड़ 60 लाख रुपए की लागत से कार्य किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 1,087 बसाहटों में 363.24 किलोमीटर 11 के.वी. लाइन, 267 नग 25 के.वी.ए. क्षमता के वितरण ट्रांसफॉर्मर तथा 650 किलोमीटर से अधिक निम्नदाब लाइनें बिछाई जा रही है। पीएम जनमन के तहत अभी तक 4,500 घरों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है।
प्रधानमंत्री जनजाति उन्नत ग्राम अभियान की घोषणा हाल ही में की गई है जिसके अंतर्गत 919 गांवों के 65,711 अविद्युतीकृत घरों में बिजली पहुंचाने के लिए 323 करोड़ 63 लाख रुपए की कार्ययोजना को स्वीकृति मिली है। जिसके अंतर्गत 6,863 बसाहटों में 1889.56 किलोमीटर लाइनें, 25 के.वी.ए. क्षमता के 1950 वितरण ट्रांसफॉर्मर स्थापित किए जाएंगे तथा 5,188 किलोमीटर से अधिक निम्नदाब लाइनें बिछाई जाएंगी।
आदिवासी बहुल गांवों में बिजली पहुंचाने में सबसे बड़ी समस्या वहां के सघन वन क्षेत्र होते हैं। घने जंगलों में बहुत से क्षेत्र पहुंच विहीन होती हैं। इसके अलावा बस्तर के सघन वन क्षेत्रों में विरासत में मिली नक्सलवाद की समस्या भी है जिसके समाधान की दिशा में राज्य सरकार द्वारा केंद्र की मदद से लगातार प्रयास किया जा रहा है। इस मोर्चे पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के कार्यकाल में बड़ी सफलताएं भी मिल रही हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर सुरक्षाबलों की तैनाती केंद्र तथा राज्य शासन द्वारा की गई है। जिसके लिए सुरक्षा कैम्प बनाए गए है। सुरक्षा कैम्पों के समीप 5 किलोमीटर के दायरे में बहु-आयामी विकास कार्यों को गति देने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा नियद नेल्लानार योजना प्रांरभ की गई है। इस योजना के अंतर्गत 24 सुरक्षा कैम्पों के 5 किलोमीटर के दायरे में 96 गांवों में घरों को रोशन करने की कार्ययोजना बनाकर कार्य प्रारंभ किया गया है। इसमें ग्रिड से विद्युतीकृत 8 गांवों के 105 आवासों तथा ऑफग्रिड विद्युतीकृत 61 गांवों के 4,399 आवासों को ग्रिड से विद्युतीकृत करने की योजना प्रचलन में है। 61 करोड़ रुपए की लागत से इस योजना के अंतर्गत उपकेंद्रों, वितरण लाइनों की स्थापना की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत बीजापुर जिले के यथागुण्डम तथा चिन्तावागु गांवों का विद्युतीकरण किया गया है तथा 60 आवासों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनीज के अध्यक्ष रोहित यादव के निर्देशानुसार इन तीनों योजनाओं को प्राथमिकता से पूरा किया जाना है। एम.डी. डिस्ट्रीब्यूशन भीमसिंह कंवर द्वारा नियमित तौर पर क्रियान्वयन की समीक्षा की जा रही है।
समाचार सार
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों की 6 साल से लंबित मांग 24 घंटे के अंदर हुई पूरी
समितियों के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में हुई बढ़ोत्तरी
छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ ने मुख्यमंत्री के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की संवेदनशील पहल पर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के प्रबंधकों और कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त हो गई। मुख्यमंत्री श्री साय की पहल पर समिति कर्मचारियों की 6 वर्षों से लंबित वेतन वृद्धि की मांग को पंजीयक सहकारी संस्थाएं द्वारा 24 घंटे के भीतर पूर्ण करते हुए समिति कर्मचारियों के वेतन और भत्ते में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गयी। इसके साथ ही अन्य 2 मांगों के संबंध में शासन स्तर पर अंतर्विभागीय समिति का गठन कर उचित कार्यवाही की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री साय के पहल पर वर्ष 2018 के बाद पहली बार सहकारी समितियों के लगभग 13 हजार कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कर्मचारियों की मांगों पर स्वयं संज्ञान लेकर इनके निराकरण के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये थे, इस संबंध में मुख्यमंत्री श्री साय के समक्ष 10 नवम्बर को विभागीय अधिकारियों के साथ सहकारी समितियों के कर्मचारियों की मांगों को लेकर सकारात्मक चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों की मांगों के शीघ्र निराकरण के संबंध में निर्देश दिये।
समिति के कर्मचारियों के वेतन एवं भत्तों में 25 प्रतिशत की वृद्धि
मुख्यमंत्री के निर्देशों के परिपालन में आयुक्त सहकारिता विभाग द्वारा सहकारी समिति कर्मचारी सेवा नियम में संशोधन किये जाने के आदेश 11 नवम्बर 2024 को जारी कर दिये गए। इसमें समिति के कर्मचारियों के वेतन एवं भत्तों में 25 प्रतिशत की वृद्धि स्वीकृत कर दी गई है, जिसमें सभी कर्मचारियों में हर्ष एवं उल्लास व्याप्त है।
खाद्य विभाग द्वारा इस आशय का पत्र भी जारी कर दिया गया है कि धान उपार्जन समाप्त होने के एक माह के अंदर धान का उठाव राइस मिलर्स एवं विपणन संघ द्वारा किया जाएगा, यदि इसके पश्चात् भी उपार्जन केन्द्रों में धान शेष रहता है तो खाद्य विभाग द्वारा सहकारी समितियों को धान की सूखत दिये जाने संबंधी प्रस्ताव वित्त विभाग को प्रेषित किया जाएगा। कर्मचारियों की अन्य मांग के निराकरण के संबंध में खाद्य विभाग, वित्त विभाग, कृषि विभाग, सहकारिता विभाग एवं विपणन संघ को शामिल करते हुए एक अंर्तविभागीय समिति का गठन किया गया है, जो कर्मचारी संघ की मांग पर विचार कर निराकरण हेतु प्रस्ताव शासन को प्रेषित करेगी। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा संवेदनशीलता के साथ सहकारी समितियों के कर्मचारियों की मांगों के निराकरण करने पर कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया है।
कर्मचारी अपनी-अपनी समितियों में कार्य में वापस लौटे
सभी कर्मचारी अपनी-अपनी समितियों में कार्य में वापस आ गए हैं तथा 14 नवम्बर 2024 से प्रारंभ हो रही धान खरीदी की समुचित व्यवस्था में लग गए हैं। कर्मचारियों द्वारा यह भी आश्वस्त किया गया है कि किसानों को धान उपार्जन के दौरान किसी प्रकार की कोई कठिनाई नही होगी। धान उपार्जन केन्द्रों में सभी आवश्यक तैयारी 13 नवम्बर 2024 तक पूर्ण कर ली जाएगी। आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएं श्री कुलदीप शर्मा द्वारा पूरी पारदर्शिता के साथ धान उपार्जन सुगमतापूर्वक किये जाने के निर्देश सभी विभागीय कर्मचारियों-अधिकारियों को दिये गये हैं। धान उपार्जन के दौरान उपार्जन केन्द्रों का सतत् निरीक्षण एवं पर्यवेक्षण के निर्देश भी उन्होंने अधिकारियों को दिये हैं।
छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ द्वारा 4 नवम्बर 2024 से की जा रही हड़ताल आज समाप्त घोषित कर दी गई है। छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र साहू ने समिति कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त घोषित करते हुए कहा है कि समस्त समिति कर्मचारी शासन की समस्त योजनाओं का समिति स्तर से क्रियान्वयन किए जाने हेतु प्रतिबद्ध हैं। कर्मचारी महासंघ द्वारा मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, सहकारिता मंत्री श्री केदार कश्यप, खाद्य मंत्री श्री दयाल दास बघेल, स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल, खाद्य विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती ऋचा शर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव श्री बसव राजू एस., सचिव सहकारिता डॉ. सी.आर. प्रसन्ना, आयुक्त एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएं छत्तीसगढ़ श्री कुलदीप शर्मा, प्रबंध संचालक अपेक्स बैंक श्री के.एन काण्डेय सहित अन्य अधिकारियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया गया है।
दुर्ग। शौर्यपथ । भिलाई रिसाली दशहरा मैदान में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस पर कथा का विश्राम करते हुए बताया कि कैसे प्रभु भक्तों की भक्ति के अधीन होकर जीवों को स्वीकार करते हैं । समयंतक मणि की कथा बताते हुए, प्रभु के 16108 विवाह की लीला कथा बताई गई । और उसके बाद श्रीकृष्ण के प्यारा सखा सुदामा जी का चरित्र बताया गया । और आज के समय में भगवान को पाने के इतने अलग अलग मार्ग क्यों चल रहे हैं तो इसका कारण क्या हैं और कौन से मार्ग पर चलकर जीव अपना कल्याण कर सकता है । श्रीमद्भागवत के अनुसार स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण उद्धव जी को बताते हैं । अपने अपने रुचि के अनुसार अनेकों मार्ग चल रहे है लेकिन उद्धव मै तो केवल एक भक्ति का ही मार्ग बताया हु मुझे केवल भक्ति के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त किया जा सकता है।और कोई दूसरे मार्ग पर चलकर मुझे जानना ही जीव के लिए कठिन है । और फिर उसके बाद परीक्षित मोक्ष की कथा बताते हुए । तुलसी वर्षा गीता पाठ हुआ और फूलों की होली भोग आरती करते हुए कथा का विराम किया गया ।
सांप के जहर से शरीर हो रहा था लकवाग्रस्त, 42 घंटे तक नहीं था होश, 3 दिन तक वेंटीलेटर पर रखा गया
एक हफ्ते तक विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में चला गहन इलाज
परिजनों ने कहा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में मिले इलाज से बच्चे की मुस्कुराहट लौट आई
रायगढ़ / शौर्यपथ / तीन तस्वीरों से समझा जा सकता है कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार के प्रयास कैसे लोगों के जीवन में संजीवनी का काम कर रहे हैं। यह तस्वीर 3 साल के मासूम मानविक की है, जिसे जहरीले करैत सांप ने डस लिया था। मरणासन्न हालत में उसे मेडिकल कॉलेज रायगढ़ में इलाज के लिए जब भर्ती कराया गया तो सांप का जहर पूरे शरीर में फैल चुका था उसकी स्थिति काफी गंभीर हो चुकी थी। शरीर में लकवे का असर दिख रहा था और सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। शुरुआती 40 से 42 घंटे तक वह पूरी तरह से होश में नहीं आया था और उसे वेंटीलेटर में रखना पड़ा था। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल रायगढ़ के डॉक्टरों ने एक हफ्ते तक गहन इलाज कर उसकी जान बचाई और नया जीवनदान दिया।
करैत भारत में पाए जाने वाले सर्वाधिक जहरीले सांपों में से एक है। इसका जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है। जिससे नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है। सही समय पर इलाज न मिले तो जान बचने की गुंजाइश कम होती है। ऐसे में एक छोटे मासूम बच्चे की रायगढ़ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में मिले उचित इलाज से जान बचाई जा सकी।
रायगढ़ के खरसिया ब्लॉक के औरदा गांव के निवासी तुलेश्वर चौहान के 3 साल के बेटे मानविक चौहान को सोते समय घर में सुबह पांच बजे के करीब जहरीले करैत सांप ने दाहिने हाथ की उंगली में काट लिया। परिजन बच्चे को सिविल अस्पताल खरसिया लेकर गए। वहां चिकित्सकों द्वारा प्राथमिक उपचार कर बच्चे को बेहतर ईलाज के लिए संत बाबा गुरु घासीदास जी स्मृति शासकीय चिकित्सालय रायगढ़ में रेफर कर दिया गया। बच्चे को सुबह लगभग 8 बजे के आसपास संत बाबा गुरु घासीदास जी स्मृति शासकीय चिकित्सालय रायगढ़ के आपातकालीन विभाग में अत्यंत गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया। बच्चे के शरीर में सॉप का जहर फैल चुका था, बच्चे की आँखों की दोनों पलकों में लकवा मार चुका था, सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, मुँह से झाग आ रहा था, बच्चे के हाथ-पैर ठंडे पड़ गए थे एवं नाड़ी भी कमजोर हो रही थी। बच्चे को आपातकालीन विभाग में ही बाल्य एवं शिशुरोग विभाग के आपातकालीन ड्युटी में उपस्थित डाक्टरों द्वारा त्वरित ईलाज प्रारंभ कर चिकित्सकों की आपातकालीन टीम द्वारा आई.सी.यू. वार्ड में शिफ्ट किया गया। गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉ.एल. के. सोनी, विभागाध्यक्ष बाल्य एवं शिशुरोग के नेतृत्व में डॉक्टरों और स्टॉफ नर्सों की टीम के अथक प्रयासों से बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार आना शुरू हुआ। बच्चे के शरीर में सांप के जहर का असर कम होने के उपरांत बच्चे को 3 दिवस पश्चात वेंटीलेटर से बाहर निकाला गया। वेंटीलेटर से बाहर निकलने के पश्चात् बच्चे के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ। एक हफ्ते तक चले गहन इलाज से बच्चे के स्वास्थ्य में पूर्ण सुधार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दिया गया।
परिजनों ने कहा मेडिकल कॉलेज के इलाज से लौटी बच्चे की मुस्कुराहट
किसी भी माता पिता के लिए अपने बच्चे को जिंदगी और मौत से लड़ते देखना बहुत हृदयविदारक होता है। नन्हा मानविक अपने माता पिता की इकलौती संतान है। करैत के डसने से उसकी हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि शुरुआती 40 से 42 घंटे तक वह पूरी तरह से होश में नहीं था। लेकिन मेडिकल कॉलेज में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम के साथ सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध होने से उसका बेहतर इलाज संभव हुआ। पिता तुलेश्वर चौहान कहते हैं कि डॉक्टरों के प्रयासों से उसके बच्चे की मुस्कान वापस लौट आई।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए राज्य सरकार बेहद संवेदनशील है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए स्वास्थ्य बजट को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। स्वस्थ छत्तीसगढ़ के लिए यह जरूरी है कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था कुशल चिकित्सकों के हाथों में रहे। लेकिन आज से 24 वर्ष पहले छत्तीसगढ़ में सिर्फ एक शासकीय मेडिकल कालेज था जिसमें मात्र 100 एमबीबीएस की सीटें थीं। बीते 24 वर्षों में राज्य में शासकीय मेडिकल कालेजों की संख्या 1 से बढ़कर 10 हो गयी है और एमबीबीएस की सीटें भी बढ़कर 1460 हो गयी हैं। शासकीय मेडिकल कालेजों में 291 स्नातकोत्तर की सीटें भी बढ़ी हैं जिससे राज्य को विशेषज्ञ चिकित्सक मिल रहे हैं।
वो छत्तीसगढ़ जो 1 नवंबर 2000 को जन्म लेते समय बीमारू राज्य का दर्जा रखता था वो आज बीते जमाने की बात हो गयी है। वर्तमान में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की सरकार ये बात भली भांति समझती है कि भारत की तर्ज पर छत्तीसगढ़ को भी वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाना है तो स्वास्थ्य ही वो पहली कड़ी है जो राज्य को सक्षम और समृद्ध बनाएगा। खुशी की बात ये है कि राज्य की वर्तमान सरकार इस पर लगातार प्रयास कर रही है और इसके बेहतर परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल स्वास्थ्य सेवाओं को सजग रूप से आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। राज्य स्तर पर डीकेएस और मेकाहारा जैसे अस्पताल अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हो रहे हैं तो वहीं संभाग स्तर पर सुपर स्पेशिलिटी अस्पतालों का कार्य निरंतर जारी है। इसी तरह से जिले और ब्लाक स्तर पर आयुष्मान आरोग्य मंदिर राज्य के लोगों की सेहत का विशेष ध्यान रख रहे हैं।
मोहला / शौर्यपथ / किसी भी व्यक्ति के जीवन के लिए पैसे का बड़ा अहमियत होता है। पैसा ही वह सहारा होता है, जिससे वह अपने इच्छाओं को पूरा कर सकता है। जरूरत चाहे छोटी-छोटी हो या बड़ी। हर चीज के लिए पैसे की बड़ी अहमियत होती है। महिलाओं को अपने दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पैसे की आवश्यकता तो होती है, ऐसे में महतारी वंदन योजना महिलाओं के लिए कारगर साबित हो रहा है। महतारी वंदन योजना से मिलने वाली राशि से महिलाएं अपनी इच्छाओं को पूरी कर रही है। जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी के अंतर्गत 82 हजार से अधिक महिलाओं को महतारी वंदन योजना का लाभ मिल रहा है। इन महिलाओं के लिए योजना कारगर साबित हो रहा है। जिससे वह अपनी इच्छाओं को पूरी कर जीवन में उल्लास ला रही है। महिलाओं को आत्मनिर्भरता के साथ स्वाभिमान पूर्वक जीवन जीने की राह प्रशस्त हुआ है। योजना अंतर्गत मिलने वाली राशि से महिलाएं अपने दैनिक आवश्यकताओं के साथ-साथ घर गृहस्ती की वस्तुओं की खरीदारी करने के साथ ही अपने बच्चों की देखरेख के लिए खर्च कर रही है। विकास खंड मानपुर के ग्राम बेलगांव निवासी श्रीमती अनीता विश्वास ने बताया कि उसे हर महीने उसके खाते में 1000 रूपये की राशि मिल रही है। वह इस राशि को लेकर बेहद उत्साहित है। उन्होंने बताया कि महतारी वंदन योजना अंतर्गत मिलने वाली राशि से वह अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के साथ ही अपनी जरूरत को पूरा कर रही है। योजना के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति अपना आभार व्यक्त किया है।
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /अधिकतर लोगों को अपने घर पर पेड़ पौधे लगाना पसंद होता है, यह न सिर्फ घर के वातावरण को शुद्ध करते हैं बल्कि वास्तु के हिसाब से भी फायदेमंद होते हैं और कुछ पौधे तो ऐसे होते हैं, जिनमें वास्तव में देवी देवताओं का वास होता है. जैसे तुलसी को देवी के समान पूजा जाता है, इसी तरह से जेड प्लांट यानी कि क्रासुला को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. दिवाली से पहले अगर आप अपने घर में लक्ष्मी मां की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस जेड प्लांट को इन तरीकों से अपने घर पर लगा सकते हैं.
क्रासुला का पौधा लगाने के लिए सामान
मां लक्ष्मी का पसंदीदा क्रासुला पौधा लगाने के लिए आपको पर्याप्त जल निकासी वाले गमले की जरूरत होगी. इसके अलावा आप ऑर्गेनिक मिट्टी, जैविक खाद, वर्मी कंपोस्ट और गोबर की खाद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इससे पौधे को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और पौधा जल्दी सूखता नहीं है.
इस तरह लगाएं क्रासुला का पौधा
अगर आप घर में जेड का पौधा लगाना चाहते हैं, तो इसकी कलम या फिर बीज की मदद से पौधा उगा सकते हैं. एक गमले में मिट्टी डालें, कम से कम 1 इंच की दूरी पर 3 से 4 बीज बोएं, अब हल्की मिट्टी छिड़कते हुए बीज को ढक दें. मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए थोड़ा-थोड़ा पानी डालते रहे, इससे बीज में से जल्द ही पौधा उग जाएगा. इसके अलावा आप जेड प्लांट की कलम या नर्सरी से छोटा सा पौधा लाकर भी गमले में इसे लगा सकते हैं. इसकी जड़ को मिट्टी में अच्छी तरह से लगाएं, ऊपर से और मिट्टी डाल दें, रोज थोड़ा-थोड़ा पानी छिड़कते रहें.
इस तरह हरा भरा रखें क्रासुला का पौधा
क्रासुला पौधे को हरा भरा रखने के लिए धूप और पानी की जरूरत होती है. इसे दिन में कुछ घंटे के लिए धूप में जरूर रखें, इससे प्लांट के पत्ते हरे रहते हैं. क्रासुला को जरूरत के हिसाब से पानी देना चाहिए, जब आपको मिट्टी सूखी दिखें, तो इसकी मिट्टी को थोड़े से पानी से गिला कर लें. इसके अलावा कीड़ों से बचाने के लिए आप नीम के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक स्प्रे बोतल में पानी और 1-2 चम्मच नीम तेल की मिलाकर स्प्रे करें, इससे कीड़ों से बचा जा सकता है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /हिंदू धर्म में दिवाली सबसे प्रमुख त्योहारों में शामिल है. कार्तिक अमावस्या को मनाए जाने वाले त्योहार दिवाली के दो दिन पहले कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है. धनतेरस से दिवाली का पांच दिवसीय त्योहार शुरू हो जाता है. धनतेरस को भगवान धन्वंतरी, भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा की जाती है. मान्यता है कि धनतेरस को विधि विधान से पूजा करने और खरीदारी करने से जीवन में सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है और देवी लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं कब है धनतेरस और धनतेरस को पूजा और खरीदारी का मुहूर्त .
कब है धनतेरस
इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अकटूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक रहेगी. 29 अक्टूबर मंगलवार को धनतेरस की पूजा की जाएगी.
धनतेरस पूजा का मुहूर्त
29 अक्टूबर मंगलवार को शाम को 5 बजकर 38 मिनट से रात के 8 बजकर 13 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा और शाम 6 बजकर 31 मिनट से रात 8 बजकर 31 मिनट तक गोधुली रहेगा. धनतेरस की पूजा शाम 6 बजकर 31 से रात के 8 बजकर 13 मिनट तक किया जा सकता है.
धनतेरस को खरीदारी का मुहूर्त
इस बार धनतेरस पर अति शुभ योग त्रिपुष्कर बन रहा है. इस योग में खरीदारी बहुत शुभ मानी जाती है. पहला मुहूर्त 29 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक है. दूसरा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मकनट से 12 बजकर 27 मिनट तक है. धनतेरस को सोना चांदी जैसे धातु से लेकर बरतन, आभूषण, वाहन की खरीदारी शुभ होती है.
धनतेरस को क्या करें क्या न करें
धनतेरस को भगवान धन्वंतरी, भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करने के साथ साथ खरीददारी करनी चाहिए. इस दिन कर्ज लेने और देने से बचना चाहिए. पूजा के पहले पूरे घर और पूजा घर की अच्छे से साफ सफाई करना चाहिए. धनतेरस के दिन कोध्र और नकारात्मकता से भी दूर रहना चाहिए.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ /रमा एकादशी का बेहद खास महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और दान करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं. एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है यानी इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. रमा एकादशी कार्तिक महीने में मनाई जाती है जोकि 18 अक्टूबर से शुरू हो चुका है. इस साल रमा एकादशी का व्रत 28 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को कई तरह के सुखों की प्राप्ति होती है. इस एकादशी पर दान-पुण्य का भी अत्यधिक महत्व होता है. यहां जानिए रमा एकादशी पर किन चीजों को दान में दिया जा सकता है.
रमा एकादशी पर किन चीजों का करें दान
रमा एकादशी के दिन आप अपनी क्षमता के अनुसार पीले वस्त्र, पीले फल, तुलसी के पौधे, मुरली, धन, कामधेनु गाय या अन्न का दान कर भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं. इसके अलावा इस दिन गरीबों के लिए कंबल दान कर सकते हैं. साथ ही, एकादशी पर सरसों के तेल का दान करना शुभ होता है. कहते हैं इससे भगवान शिव की कृपा आप पर बनी रहेगी. इसके अलावा आप बच्चों के लिए पढ़ने-लिखने की चीजों का भी दान कर सकते हैं. ऐसा करने से माता लक्ष्मी और माता सरस्वती की भी कृपा आप पर बनी रहेगी .
जानिए रमा एकादशी का मुहूर्त
इस बार रमा एकादशी 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी. एकादशी तिथि की शुरूआत 27 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 23 मिनट पर होगी और वहीं 28 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर इसका समापन होगा. यानी 28 अक्टूबर को व्रत रखा जाएगा और 29 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट से लेकर 08 बजकर 44 मिनट के बीच व्रत का पारण किया जाएगा .
खाना खजाना /शौर्यपथ / बच्चों के टिफिन में ऐसा क्या दें जिसे वो पूरा खत्म कर लें और मजे से खाएं. ये टेंशन हर उस मां को होती है जो अपने बच्चे को स्कूल भेजते समय उनका टिफिन पैक करती है. अक्सर ये टेंशन होती है कि बच्चों को ऐसा क्या दिया जाए जो हेल्दी होने के साथ टेस्टी भी हो. बता दें कि आज हम आपको एक ऐसी ही पौष्टकता सेभरपूर रेसिपी बताएंगे जिसे आप अपने बच्चों को अलग-अलग फिलिंग्स के साथ बनाकर दे सकते हैं. हम आपको बताएंगे टेस्टी रैप बनाने की रेसिपी.
आलू चना रैप बनाने की रेसिपी
सामग्री
आलू
प्याज
चने
धनिया के पत्ते
मटर
टॉर्टिलाज
ऑलिव ऑयल
जीरा
हल्दी
गरम मसाला
शहद
ऑयल स्प्रे
काले तेल
आलू रैप रेसिपी
आलू चना रैप बनाने के लिए सबसे पहले अवन को 180°C पर गरम कर के इसमें बेकिंग पेपर लगाकर ट्रे को रख दें. अब उबले हुए आलू को अच्छे से मैश कर के कुछ देर के लिए रख दें. अब एक पैन में ऑलिव ऑयल को गर्म करें इसमें कटा हुआ प्याज डालकर नर्म होने तक पकाएं. इसके बाद इसमें 1 चम्मच जीरा, आधा चम्मच हल्दी और दो चम्मच गरम मसाला डालकर अच्छे से मिक्स कर दीजिए. मसालों के साथ प्याज को मिलाकर कुछ देर तक भून लीजिए. अब मैश्ड आलू को प्याज के साथ मिला लें. इसमें 3 बड़े चम्मच पानी को डालने के साथ ही इसमें चने, शहद, मटर के दाने, हरा धनिया डालकर अच्छी तरह से मिला लें. अब इस मिक्सचर को टॉर्टिला रैप पर अच्छे से फिल करें. इन टॉर्टिला को अवन ट्रे पर रखें और तेल लगाकर 10 मिनट तक बेक कर लें. हरा धनिया के साथ गार्निश कर के टिफिन में पैक कर दें. आपके बच्चे इसे बहुत ही मजे से खाएंगे.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ /देसी घी को अगर भारतीय किचन की जान कहा जाए तो ऐसा कहना शायद गलत नहीं होगा. अपने पोषक तत्वों से भरपूर होने के ही साथ ये खाने का स्वाद भी बढ़ाता है. स्वाद और सेहत से भरपूर देसी घी का तड़का किसी भी सब्जी या दाल में एक अलग स्वाद जोड़ता है. इसके साथ ही देसी घी में बने पराठे, पूरी और देसी घी लगी रोटी का भी अपना एक अलग स्वाद होता है. अब जब हम सभी जानते हैं कि देसी घी हमारे खाने में कितना खास है. इस वजह से कई लोग इसे अपने घर में स्टोर कर के रखते हैं. इसका ढेर सारा स्टॉक जमा कर लेते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा करना सही भी है या नही. क्या देसी घी भी कभी एक्सपायर हो सकता है? अगर आपके मन में भी कुछ ऐसे ही सवाल हैं तो आइए इस कंफ्यूजन को दूर करते हैं.
क्या देसी घी भी कभी एक्सपायर होता है?
क्या आपके मन में भी कभी ये सवाल आया है कि देसी घी भी कभी एक्सपायर या खराब हो सकता है. तो इसका जवाब है हां, जिस तरह से बाकी चीजें खराब होती हैं ठीक उसी तरह से देसी घी भी खराब हो सकता है. बाजार से लाए गए देसी घी में एक्सपायरी डेट लिखी होती है. वो टाइम ही इसे यूज करने का सही समय होता है. वहीं जो देसी घी आप घर पर बनाते हैं वो भी खराब होता है. जब देसी घी की महक बदलने लगे और स्वाद बदलने लगे तो समझ जाएं कि वो खराब हो गया है.
कैसे करें स्टोर
बता दें कि अगर आप देसी घी को सही तरीके से स्टोर करते हैं तो वो 3 साल तक भी खराब नहीं होता है. इसके लिए आपको देसी घी को एयर टाइट कंटेनर में स्टोर करके रखना चाहिए. इसमें हवा ना पहुंचने से ये लंबे समय तक खराब होने से बचा रहता है. इसके साथ ही कोशिश करें कि देसी घी को हमेशा कांच के कंटेनर में ही स्टोर कर के रखें. इसके अलावा आप देसी घी को फ्रिज में स्टोर कर के भी रख सकते हैं.
आप चीजों को लंबे समय तक और सही तरीके से स्टोर कर के रख सकते हैं. लेकिन फायदा उसी में है जब आप चीजों को कम मात्रा में बनाएं और समय रहते उनका इस्तेमाल कर लें.
सेहत टिप्स /शौर्यपथ / आंवला जूस सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. इसमें विटामिन C, एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर, और कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. आंवले के जूस का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. अगर आप एक महीने तक नियमित रूप से आंवला जूस का सेवन करते हैं तो इससे आपको कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं. आइए जानते हैं 1 महीने तक अगर आप लगातार आंवला जूस का सेवन करते हैं तो आपको क्या लाभ मिलेगा.
1. स्ट्रांग इम्यूनिटी
आंवले में विटामिन C की उच्च मात्रा होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर शरीर को संक्रमण से लड़ने में सहायक है. रोजाना आंवला जूस पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
2. बेहतर डाइजेशन
आंवला जूस का सेवन पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है. यह कब्ज, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं को दूर करता है और आंतों की सफाई करता है.
3. ग्लोइंग स्किन
आंवला जूस पीने से त्वचा में चमक आती है और दाग-धब्बे कम होते हैं. यह एक नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट है, जो स्किन को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है, जिससे स्किन लंबे समय तक जवां दिखती है.
4. वेट लॉस
आंवला जूस मेटाबॉलिज्म को तेज करता है, जिससे कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है. एक महीने तक आंवला जूस का सेवन वजन घटाने में मदद कर सकता है.
5. बालों के लिए फायदेमंद
आंवला जूस में मौजूद पोषक तत्व बालों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं, बालों के झड़ने की समस्या कम करते हैं और बालों को घना, चमकदार बनाते हैं.
कैसे करें सेवन:
आंवला जूस को सुबह खाली पेट पीना फायदेमंद माना जाता है.
अगर जूस का स्वाद कड़वा या तीखा लगता है, तो इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर पी सकते हैं.
ध्यान रखें कि इसका अधिक मात्रा में सेवन न करें, क्योंकि इससे पेट में जलन या एसिडिटी हो सकती है.
नियमित रूप से आंवला जूस का सेवन सेहत के लिए लाभकारी है. यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है, त्वचा को निखारता है, और कई गंभीर बीमारियों से भी बचाने में सहायक है.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह की अमावस्या पर दिवाली मनाई जाती है. दिवाली दीपों का पर्व है जिसमें रोशनी से हर गली-मोहल्ले जगमगाते नजर आते हैं. दिवाली की रात मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूरे मनोभाव से पूजन किया जाता है. इस साल 31 अक्टूबर के दिन दिवाली मनाई जा रही है. माना जाता है कि लक्ष्मी-गणेश की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में खुशहाली बनी रहती है सो अलग. इस दिन घर में मां लक्ष्मी के कदमों की छापलगाने की भी विशेषता होती है. ऐसे में जानिए किस तरह दिवाली पर फर्श पर मां लक्ष्मी के कदमों की छाप लगाई जाए जिससे घर-परिवार को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो.
मां लक्ष्मी के कदमों की छाप कहां लगाएं
माना जाता है कि दिवाली पर मां लक्ष्मी के कदम घर पर लगाने से मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है. मां लक्ष्मी घर आती हैं तो अपने साथ सुख-समृद्धि और खुशहाली भी लाती हैं. घर में धन-वैभव आने लगता है और आर्थिक दिक्कतें दूर रहती हैं. मां लक्ष्मी के कदमों की छाप आमतौर पर बाजार से खरीदकर लाई जाती है.
मां लक्ष्मी के कदम घर के मंदिर की ओर जाते हुए लगाने चाहिए. इस तरह कदम लगाना बेहद शुभ माना जाता है. मंदिर की ओर जाते हुए मां लक्ष्मी के कदम लगाना इस ओर संकेत करता है कि माता घर में प्रवेश कर रही हैं और घर के मंदिर में विराजमान होने आ रही हैं. मां लक्ष्मी घर के मंदिर में रहती हैं तो घर-परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं जिससे घर में बरकत आती है.
घर पर मां लक्ष्मी के जो कदम लगाए जा रहे हैं वो लाल, गुलाबी, पीले या हरे रंग के हो सकते हैं. रंग-बिरंगे कदम लगाना भी शुभ माना जाता है.
कहां नहीं लगाने चाहिए मां लक्ष्मी के कदम
बहुत से लोग मां लक्ष्मी के कदमों को सजावट की तरह इस्तेमाल करते हैं. सजावट करने के लिए ज्यादातर लोग घर के मुख्यद्वार पर मां लक्ष्मी के कदमों की छाप लगा देते हैं परंतु इसे सही नहीं माना जाता है. मां लक्ष्मी के कदमों को मुख्य द्वार पर लगाने से जाने-अनजाने लोग कदमों पर पैर रख सकते हैं. इसे मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है और इससे मां लक्ष्मी क्रोधित हो सकती हैं. वहीं, बाथरूम या कूड़ेदान के पास भी मां लक्ष्मी के कदम नहीं लगाने चाहिए.
व्रत त्यौहार /शौर्यपथ / 5 दिनों तक चलने वाले दीपावली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस के साथ होती है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना करने के साथ ही मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग घर में कोई नई चीज खरीद कर लाते हैं. इस दिन सोना , चांदी या पीतल खरीदने का महत्व होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो लोग पहले से ही करोड़पति हैं वो लोग धनतेरस पर अपने घर ऐसी कौन सी चीज लाते हैं जिससे मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती है और साल भर उन पर पैसों की बरसात होती है. तो चलिए हम आपको बताते हैं सोना चांदी के अलावा करोड़पति लोग अपने घर में धनतेरस के दिन ऐसा क्या लाते हैं जिसे आप भी खरीद सकते हैं.
एक छोटी सी चम्मच धनतेरस पर ले आएं घर
धनतेरस पर अधिकतर लोग सोने चांदी के आभूषण सिक्के या अन्य चीजें खरीदते हैं. लेकिन करोड़पति लोग अमीर होने के बावजूद भी धनतेरस पर एक छोटी सी चम्मच जरूर खरीदते हैं. हालांकि, इस चम्मच का इस्तेमाल खाने में नहीं किया जाता है, बल्कि इस चम्मच को तिजोरी में रखना बहुत उत्तम माना जाता है. कहते हैं ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती हैं और साल भर धन की कमी घर में नहीं होती है और तो और धन में बढ़ोतरी होती है. आप अपनी सुविधा अनुसार चांदी, पीतल या स्टील का चम्मच भी खरीद कर ला सकते हैं और धनतेरस पर इसकी पूजा करने के बाद इसे तिजोरी में रखें.
कब मनाया जाएगा धनतेरस का त्योहार
दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से ही होती है और धनतेरस का त्योहार इस बार 29 अक्टूबर 2024 के दिन मनाया जाएगा. इस दिन घरों में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के साथ ही भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है, साथ ही कुबेर देव को भी पूजा जाता है. आप अपने घर में एक चौमुखी आटे का दीपक जरूर जलाएं और धनिया के बीज, कौड़ी, चम्मच और एक झाड़ू अवश्य खरीद कर लाएं. कहते हैं धनतेरस के दिन ये चीजें खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और हमेशा अपने भक्तों पर धन की वर्षा करती हैं.
ब्यूटी टिप्स /शौर्यपथ /बालों की देखरेख करने के लिए सिर पर तेल लगाया जाता है. लेकिन, अगर सही तेल और सही तरह से तेल ना लगाया जाए तो बालों पर कुछ खासा असर नहीं पड़ता है. ऐसे में यहां उस तेल का जिक्र किया जा रहा है जिसे उसके आयुर्वेदिक गुणों के लिए जाना जाता है. इस तेल को दादी-नानी भी अपने समय में खूब इस्तेमाल किया करती थीं और आज भी बालों की इसी से चंपी करती हैं. हम बात कर रहे हैं सरसों के तेल की. सरसों का तेल एक नहीं बल्कि कई गुणों से भरपूर होता है और बालों को कई फायदे देता है. यहां जानिए बालों पर सरसों का तेल लगाने का सही तरीका क्या है जिससे बालों की ग्रोथ बेहतर होती है और बाल लंबे होने लगते हैं.
बाल बढ़ाने के लिए सरसों का तेल | Mustard Oil For Hair Growth
सरसों के तेल में फैटी एसिड्स, विटामिन, खनिज, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड्स पाए जाते हैं जो बालों की सेहत बनाए रखते हैं. सरसों के तेल से बालों को मिलने वाला विटामिन ई एक पावरफुल एंटी-ऑक्सीडेंट्स है जो हेयर फॉलिकल्स को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाता है. इस तेल में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पौटेशियम होते हैं जो ऑवरओल हेयर हेल्थ को बनाए रखते हैं.
आमतौर पर लोग सरसों के तेल को जस का तस ही बालों पर लगा लेते हैं जबकि इस तेल को गुनगुना गर्म करके बालों पर लगाया जाए तो बाल ज्यादा तेजी से बढ़ सकते हैं. सरसों का तेल हल्का गर्म करें और बालों की जड़ों से लेकर सिरों तक लगा लें. इस तेल से बालों की चंपी करें और एक से डेढ़ घंटे इसे बालों में लगाकर रखने के बाद धोकर हटा लें. बालों को बढ़ने (Hair Growth) में मदद मिलेगी, बाल घने होंगे, बालों का टेक्सचर बेहतर होने लगेगा और बालों का झड़ना कम होने में भी मदद मिलेगी.
सरसों के तेल से बालों के लिए हेयर मास्क भी बनाया जा सकता है. हेयर मास्क (Hair Mask) बनाने के लिए दही में सरसों का तेल मिलाकर बालों पर लगाएं. इसे सिर पर आधे से एक घंटे तक लगाकर रखने के बाद धोकर हटा लें. सिर की सतह पर जमा डैंड्रफ भी निकल जाता है. हफ्ते में एक बार बालों पर इस हेयर मास्क को लगाकर देख सकते हैं.