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दुर्ग / शौर्यपथ / अखंड सौभाग्य का प्रतीक तीज पर्व शुक्रवार को पारम्परिक रूप से मनाया जाएगा। इसके लिए छत्तीसगढ़ की परंपरा के अनुसार तीजहारिन बहन बेटियों का ससुराल से मायके पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते सार्वजनिक परिवहन बंद रहने से तीजहारिनों ने निजी वाहनों से मायके का रूख किया।
छत्तीसगढ में तीजा के नाम से प्रसिद्ध हरितालिका तीज को लेकर विवाहिताओं में खासा उत्साह नजर आ रहा है। यह पर्व कल शुक्रवार को मनाया जाएगा। स्थानीय परंपरा के अनुसार पति के दीर्घायु की कामना के साथ महिलाएं मायके पहुंंचकर व्रत रखती है।
इस परंपरा के निर्वहन हेतु पिता व भाई बुधवार को पोला मनाने के बाद आज बहन-बेटियों को लेने उनके ससुराल पहुंच गए। मायके में आज शाम को करेले की सब्जी के साथ भोजन लेकर तीजहारिनें कड़ू भात की रस्म निभाएंगी। इसके बाद शनिवार की सुबह तक के लिए निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। इस व्रत में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना कर व्रती महिलाएं अखंड सौभाग्य का वरदान मांगेगी।
गौरतलब रहे कि इस वक्त कोरोना महामारी के संक्रमण का खतरा बना हुआ है। लिहाजा सार्वजनिक यात्री परिवहन व्यवस्था पर रोक लगी हुई है। शहरी क्षेत्र में प्रमुख रुट पर आटो जैसे सवारी वाहन दौड़ रहे हैं। लेकिन ट्रेन व बस का परिचालन ठप्प रहने से तीजहारिनों को मायके पहुंचने में खासी दिक्कत उठानी पड़ी। अनेक लोग निजी चार पहिया वाहन लेकर बहन बेटियों को लेने गए। वहीं भिलाई-दुर्ग से भी बड़ी संख्या में महिलाओ ने अपनी-अपनी व्यवस्था के अनुसार पिता अथवा भाई के साथ मायके का रूख किया। अनेक लोग अपनी दुपहिया वाहन में ही छोटे छोटे बच्चों के साथ बहन बेटियों को तीजा के लिए ले जाते देखे गए।
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