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दुर्ग / शौर्यपथ / दुर्ग नगर निगम के पूर्व एल्डरमैन भाजपा नेता डॉ. प्रतीक उमरे ने कलेक्टर अभिजीत सिंह से अवैध प्लॉटिंग करने वालों पर सख्त कार्यवाही करने की मांग किया है।डॉ. प्रतीक उमरे ने बताया कि दुर्ग सहित आसपास क्षेत्रों में भू-माफियाओं के द्वारा अवैध रूप से किए जा रहे प्लाटिंग व कृषि भूमि को डायवर्सन बगैर बेचा जा रहा है।किसानों से कम कीमत में भूमि को खरीदकर उसे प्लाट काट कर अधिक कीमत पर बेचा जा रहा है।अपनी चालाकी से आम जनता को भूमाफियाओं द्वारा लुभाया जाता है कि डायवर्सन हम कराकर देंगे और अंततः जनता को प्लाट लेने के बाद डायवर्सन मिल ही नहीं पाता।अधिकारियों को जानकारी होने के बाबजूद अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई के नाम पर खाता शून्य है।जैसे प्रशासन ने मान लिया है कि अवैध प्लाटिंग पूरी तरह से खत्म हो गया है।जबकि कार्रवाई बंद होने के बाद अवैध प्लाटिंग का धंधा और जोर-शोर से चल रहा है। शासन-प्रशासन के सारे नियमों को ताक पर रखकर यहां खेत खलिहान की आवासीय प्लाट के रूप में खरीदी बिक्री हो रही है। स्थिति यह है कि शहर के आसपास इलाकों में रोज कहीं ना कहीं कालोनी का नक्शा खींचा जा रहा है।यहां बिल्डर रियल एस्टेट रेगुलेटरी (रेरा) के नियमों की कोई परवाह नहीं कर रहे हैं।लोगों को लुभाने के लिए बकायदा इन खेतों को प्लाटिंग करने वाले लोग पहले कच्ची सड़क तैयार करते हैं इसके बाद वहां अपने तरीके से प्लाटिंग करते है।जिन भी किसानों की जमीन रोड से लगी हुई है उनसे भूमाफियाओं द्वारा काम कीमत पर खरीद कर ज्यादा रेट में बेचा जा रहा है। इससे भूमाफियाओं के जेब भरते जा रहे हैं। साथ ही जिन किसानों के खेत हाइवे नेशनल के पीछे हैं उन्हें आने-जाने के लिए रोड भी नहीं मिलता,जिससे मजबूरी में किसानों को अपना खेत कम कीमत पर बेचना पड़ता है।
*डायवर्सन के बिना बेचना अवैध*
कृषि योग्य भूमि को प्लाट के रूप में विकसित कर खरीदी बिक्री के लिए नियमानुसार डायवर्सन करना पड़ता है।एक से अधिक प्लाट काटने के बाद नियमानुसार कॉलोनाइजर एक्ट के तहत सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद उसकी खरीदी बिक्री होनी चाहिए। लेकिन,भूमाफिया बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कालोनी तान दे रहे हैं हैं बल्कि खेत खलिहान का आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग तक कर रहे हैं।नियमानुसार निजी भूमि पर कालोनी का निर्माण कराने से पहले लाइसेंस लेना पड़ता है।कालोनाइजर को संबंधित नगर पालिका से डायवर्सन के लिए एनओसी लेना होता है।कालोनाइजर को ट्रांसफार्मर,पानी,सड़क का निर्माण कराना होगा।पार्क के लिए भूमि आरक्षित रखनी होगी। टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग से भी कालोनी निर्माण के लिए अनुमति लेनी होगी।एक एकड़ से कम क्षेत्र में कालोनी बनाई जा रही है तो पालिका में वर्तमान रेट का 15 प्रतिशत आश्रय शुल्क जमा करना पड़ता है,अगर एक एकड़ से ज्यादा जमीन है तो एयर डिस्टेंस दो किमी के भीतर ईडब्ल्यूएस बनाने के लिए जमीन छोडनी पड़ती है। लेकिन भूमाफियाओं द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और जिला प्रशासन मूक दर्शक बना बैठा हुआ है।जैसे प्रशासन के अधिकारियों ने इसके लिए मौन सहमति प्रदान कर दिया है।
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