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भिलाई / शौर्यपथ संवाददाता।
भिलाई इस्पात संयंत्र के भीतर कॉपर केबल चोरी का एक बड़ा मामला सामने आया है। CISF की सतर्कता से दो ठेका श्रमिकों को 60 किलो तांबे की केबल के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया, जो संयंत्र से चोरी कर बाहर ले जाने का प्रयास कर रहे थे। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर भिलाई भट्टी पुलिस ने अपराध दर्ज किया है।
घने जंगल में संदिग्ध गतिविधि, CISF ने किया पीछा
घटना 4 अक्टूबर की सुबह लगभग 9 बजे की है। CISF के प्रधान आरक्षक अरविंद एक्का रोलिंग मिल गेट पर तैनात थे, तभी उन्होंने गेट के बाहर जंगल क्षेत्र में दो संदिग्ध व्यक्तियों को देखा। संदेह होने पर उन्हें रोका गया और तलाशी में बैग में छिपाई गई कॉपर केबल (स्क्रैप) बरामद हुई।
पूछताछ में आरोपियों ने अपना नाम
सुरेंद्र कुमार देवांगन (30 वर्ष), पिता ललित कुमार देवांगन — ठेका फर्म G.R. एंटरप्राइजेज का कर्मचारी और जगदीश नायक (25 वर्ष), पिता किशोर नायक — दोनों शंकर पारा, स्टेशन मरोदा (वार्ड-62, सिविक सेंटर, भिलाई) निवासी बताए।
अंदर से निकला कर्मचारी, बाहर से साथी — प्लांट के भीतर से की चोरी
पूछताछ में सामने आया कि सुरेंद्र देवांगन प्लेट मिल में क्रेन ऑपरेटर के रूप में कार्यरत है, जबकि जगदीश नायक बाहरी व्यक्ति था जो बिल्डिंग नंबर-14 के पिछले हिस्से से अवैध रूप से संयंत्र में घुसा था। दोनों ने मिलकर यूआरएम (URM) क्षेत्र से कॉपर केबल चोरी की और उसे बैग में भरकर बाहर निकालने की कोशिश की। CISF उप निरीक्षक रामकुमार धीरन (55 वर्ष) की रिपोर्ट पर भिलाई भट्टी थाना में मामला दर्ज किया गया।
बरामद सामग्री को बीएसपी के महाप्रबंधक (PBS) जी.पी. कुर्रे के समक्ष प्रस्तुत करने पर उन्होंने उसे संयंत्र की संपत्ति के रूप में पहचान की और प्रमाण पत्र जारी किया। बरामद कॉपर वायर की कीमत लगभग ₹39,000 आँकी गई है।
बाइक, मोबाइल और वायर सहित माल जब्त — पुलिस ने दर्ज किया अपराध
CISF ने दोनों आरोपियों से बरामद दो मोटरसाइकिलें (CD Deluxe CG07 AP 6757 और Pulsar CG07 CW 1942),दो मोबाइल फ़ोन और चोरी की कॉपर वायर पुलिस को सुपुर्द किए।
भिलाई भट्टी पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 303(2), 3(5) एवं
छत्तीसगढ़ राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 25, 26 के अंतर्गत अपराध दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार,
“भिलाई इस्पात संयंत्र एक प्रतिबंधित औद्योगिक क्षेत्र है।
ऐसे क्षेत्र से की गई चोरी को संज्ञेय अपराध माना जाता है।”
सुरक्षा बलों की तत्परता से बची बड़ी चोरी
CISF की चौकसी और समय रहते की गई कार्रवाई से संयंत्र के भीतर औद्योगिक चोरी की एक बड़ी साजिश नाकाम रही। इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि CISF और BSP की संयुक्त सुरक्षा प्रणाली संयंत्र की परिसंपत्तियों की रक्षा में पूरी तरह सक्षम है।
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