December 07, 2025
Hindi Hindi

इलाज के दौरान चिकित्सकीय लापरवाही से मरीज की मौत :: क्षतिपूर्ति के रूप में डॉक्टर और हॉस्पिटल परिजनों को देंगे 7 लाख 73 हजार रुपये हर्जाना ::

  • Ad Content 1

दुर्ग / शौर्यपथ / इलाज में घोर लापरवाही और व्यावसायिक कदाचार के चलते मरीज की मृत्यु होने पर जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने डॉ. दिलीप रत्नानी, अपोलो बीएसआर हॉस्पिटल के डायरेक्टर एवं यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पर पर 07 लाख 73 हजार रुपये हर्जाना लगाया।

परिवादी की शिकायत
परिवादी राज पंजवानी और विक्रम पंजवानी के पिता तथा श्रीमती सुशीला पंजवानी के पति खेराज मल पंजवानी (मरीज) को दिनांक 21.08. 2015 को सीने में दर्द होने से बीएम शाह हॉस्पिटल में चेकअप के लिए भर्ती कराया गया। जहां से इलाज हेतु मरीज को अपोलो बीएसआर हॉस्पिटल जुनवानी में इलाज हेतु दिखाने को कहा गया। अपोलो बीएसआर हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद डॉक्टर दिलीप रत्नानी ने लगातार मरीज का इलाज किया। शुरू में मरीज को नॉर्मल बताया गया किंतु आईसीयू में रखा गया और ऑपरेशन के लिए टालते हुए 3 दिन व्यतीत कर दिए और 24 अगस्त 2015 को डॉ. दिलीप रत्नानी ने आउट ऑफ स्टेशन जाने की बात कह कर मरीज को नारायणा हॉस्पिटल रायपुर के डॉ. चंदेल को रेफर करने को कहा। दिनांक 27 अगस्त 2015 के बाद अचानक मरीज को सीरियस बताते हुए डॉ. दिलीप रत्नानी ने रु. 50000 जमा करने को कहा। इसके बाद डॉ. दिलीप रत्नानी ने कंप्यूटर पर दिखाया कि जो भी ब्लॉकेज उसे क्लियर कर ऑपरेशन कर दिया गया है किंतु शाम 3:15 बजे हॉस्पिटल की नर्स ने बताया कि मरीज की डेथ हो गई है। अनावेदकगण का कृत्य सेवा में कमी और व्यवसायिक कदाचार की श्रेणी में आता है।

अनावेदकगण का बचाव
हॉस्पिटल और डॉक्टर ने यह बचाव लिया कि मरीज की हालत अत्यंत गंभीर थी, उसे गंभीर हृदयाघात हुआ था। उसके हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज थे जिसके कारण हृदय की क्षमता मात्र 20 प्रतिशत थी उसका हृदय कभी भी बंद हो सकता था, जिसे बैलूनपंप सपोर्ट दिया गया तथा अस्थाई तौर पर पेसमेकर भी लगाया गया था, इसके साथ ही आवश्यक बाईपास सर्जरी हेतु मरीज के परिजनों को समझाया गया था लेकिन अपोलो बीएसआर हॉस्पिटल में कोई कार्डियक सर्जन ना होने के कारण उसे रायपुर स्थित कार्डियक सेंटर में भिजवाने की व्यवस्था करने को कहा गया लेकिन मरीज के परिजन काफी गरीब थे इसलिए मरीज को अन्यत्र शिफ्ट करने के लिए सहमत नहीं थे, ऐसे में मरीज की जान बचाने के लिए डॉक्टर दिलीप रत्नानी ने मजबूरी में मरीज का एंजियोप्लास्टी करके ब्लॉकेज हटाने की कोशिश की एवं स्टेंट भी लगाया लेकिन हर संभव प्रयास करने के बावजूद मरीज की जान नहीं बच पाई।

अनावेदक क्रमांक 3 बीमा कंपनी द्वारा यह कहा गया कि यदि डॉ दिलीप रत्नानी के विरुद्ध यदि चिकित्सकीय उपेक्षा का मामला सिद्ध होता है तो डॉ रत्नानी द्वारा बीमा कंपनी के खिलाफ नियम और शर्तों के तहत दावा कर करने पर उन्हें दावा भुगतान किया जाएगा किंतु बीमा कंपनी परिवादीगण को कोई क्षतिपूर्ति भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है।

आयोग का फैसला
प्रकरण में पेश दस्तावेजों एवं प्रमाणों तथा दोनों पक्षों के तर्को के आधार पर जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने यह निष्कर्ष निकाला कि अनावेदक हॉस्पिटल में कोई कार्डियक सर्जन उपलब्ध नहीं था और पाया कि परिवादी राज पंजवानी अपने पिता के अच्छे इलाज के लिए गंभीर था और वह गरीब होने के बावजूद हैदराबाद में इलाज कराने हेतु संपूर्ण दस्तावेज और सीडी के साथ राय लेना चाहता था किंतु अनावेदक डॉक्टर और हॉस्पिटल इस बात से सहमत नहीं थे और इसकी जानकारी होने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की और ऐसी परिस्थितियां निर्मित की जिससे परिवादी को बीच में ही यात्रा रोक कर भिलाई वापस आना पड़ा। किसी भी चिकित्सक का प्रथम दायित्व अपने मरीज के प्रति होता है और डॉक्टरी पेशे को ईश्वर के समकक्ष का दर्जा दिया गया है और उक्त पेशे में इस तरह की गतिविधियां निश्चित रूप से पेशे के सम्मान को कम करती है और यदि कोई डॉक्टर किसी मरीज का सिर्फ अपने लाभ के लिए इलाज करना चाहता है या अपनी कमजोरी को छुपाने के लिए अपने परिचित डॉक्टर के पास भेजना चाहता है, जिसके लिए मरीज का परिवार सहमत नहीं है तो निश्चित रूप से डॉक्टर का उक्त कृत्य घोर व्यवसायिक कदाचरण की श्रेणी का है। आयोग ने यह भी प्रमाणित पाया कि अनावेदकगण ने मरीज का बाईपास संबंधी इलाज करने में अत्यधिक देरी की यदि वास्तव में मरीज दिनांक 21 अगस्त 2015 को भर्ती करने के दिन सीरियस होता तो उसके लंग्स और हार्ट बेडहेड टिकट के अनुसार सामान्य नहीं होते। अनावेदक डॉक्टर और हॉस्पिटल ने मरीज का संदेहास्पद इलाज किया है।

जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने यह अभिनिर्धारित किया कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत के अनुसार मृत्यु की क्षति के रूप में परिवादीगण 672000 रूपये और मानसिक क्षति के एवज में 100000 रुपये कुल मिलाकर 772000 रुपये अनावेदकगण से प्राप्त करने के अधिकारी हैं, आयोग ने यह आदेश भी दिया कि 672000 रुपये पर दिनांक 15.03.2016 से 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी देना होगा तथा वाद व्यय के रूप में पृथक से 1000 रुपये देना होगा।

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)