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दुर्ग, छत्तीसगढ़/ शौर्यपथ / दुर्ग विधानसभा क्षेत्र के विधायक गजेंद्र यादव की अनूठी पहल ने शहर के नागरिकों में छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र को देखने की उत्सुकता बढ़ा दी है। विधायक यादव शहर की जनता को सीधे विधानसभा की कार्यवाही का साक्षी बनने का अवसर प्रदान कर रहे हैं, जिससे उनमें अपनी सरकार और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को करीब से समझने की ललक जगी है।
इस कड़ी में, 14 जुलाई को दुर्ग जैन समाज के सदस्यों ने विधायक गजेंद्र यादव के साथ विधानसभा सत्र की कार्यवाही का अवलोकन किया और प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ समय बिताया। इसके बाद, भाजपा कार्यकर्ताओं को भी यह अवसर मिला जब विधायक यादव ने चांदी शीतला मंदिर मंडल के सदस्यों को विधानसभा सत्र दिखाने की व्यवस्था की।
विधायक गजेंद्र यादव की इस अभिनव पहल के बाद, अब शहर के अन्य समाजों और विभिन्न मंडल प्रतिनिधियों में भी विधानसभा सत्र देखने की लालसा बढ़ गई है। सभी यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें भी छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही को प्रत्यक्ष देखने का सौभाग्य मिलेगा। मानसून सत्र के बचे हुए दिनों में किस समाज या मंडल को यह अवसर प्राप्त होगा, इसको लेकर शहर में चर्चाएं तेज़ हैं।
पिछले सत्र में भी दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव के साथ शहर के कई नागरिकों और भाजपा कार्यकर्ताओं ने विधानसभा सत्र की कार्यवाही का लाभ उठाया था। अब यह लालसा और उम्मीद हर वर्ग में जागृत हो चुकी है, और सभी को अपनी बारी का बेसब्री से इंतजार है कि कब उन्हें विधायक गजेंद्र यादव के सानिध्य में छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र देखने का सौभाग्य मिलेगा।
इसी बीच, दुर्ग शहर के पत्रकार समुदाय में भी यह चर्चा का विषय बन गया है कि उन्हें भी प्रदेश सरकार की विधानसभा सत्र की कार्यवाही देखने का यह महत्वपूर्ण अवसर मिलना चाहिए। हर व्यक्ति प्रदेश सरकार की विधानसभा सत्र की कार्यवाही देखने का इच्छुक होता है, और ऐसे में यह पहल हर ओर उम्मीद और आशा की किरण जगा रही है।
दुर्ग / शौर्यपथ राजनैतिक विश्लेषण /
कांग्रेस नेता और पूर्व साडा उपाध्यक्ष बृजमोहन सिंह पिछले डेढ़ महीने से जेल में हैं। सोशल मीडिया पर एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ की गई टिप्पणियों के आधार पर उन पर कार्रवाई हुई है और मामला फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में यह कहना व्यर्थ होगा कि कौन दोषी है और कौन निर्दोष, लेकिन इस प्रकरण ने कांग्रेस के भीतर एक नई बहस छेड़ दी है।
बृजमोहन सिंह भिलाई में एक जाना-पहचाना नाम हैं और कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। उन्होंने पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहकर संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस संगठन की ओर से जिस तरह की अनदेखी देखने को मिली है, वह कई जमीनी कार्यकर्ताओं को हैरान कर रही है। पिछले डेढ़ महीने में संगठन ने उनके समर्थन में कोई ऐसा कदम नहीं उठाया है, जो चर्चा का विषय बने।
यह भी सच है कि सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी राजनीतिक मामलों से जुड़ी नजर आ रही है, लेकिन इसके बावजूद संगठन का मौन धारण करना कई कार्यकर्ताओं के मनोबल को कमजोर कर रहा है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अब यह चर्चा आम हो गई है कि जब एक जाना-पहचाना चेहरा और संगठन के लिए समर्पित कार्यकर्ता की अनदेखी हो सकती है, तो आम कार्यकर्ताओं का क्या होगा।
सोशल मीडिया पर कई कांग्रेस कार्यकर्ता लगातार अपनी आवाज उठा रहे हैं, जिससे उम्मीद है कि बड़े नेता उनकी बातों पर ध्यान देंगे। इस स्थिति में भाजपा संगठन की एकता और कार्यकर्ताओं के प्रति सक्रियता की मिसाल दी जा रही है। भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने के लिए लगातार प्रयासरत रहती है और उन्हें सफलता भी मिलती है। कोई भी संगठन कार्यकर्ताओं के जोश के बिना आगे नहीं बढ़ता और कांग्रेस में दिख रहा यह लचीलापन एक बार फिर यह साबित करने के लिए काफी है कि पार्टी अभी भी चाटुकारों की फौज में ही मस्त है और नेतृत्व भी इन्हीं की चाटुकारिता से प्रसन्न है।
ऐसी स्थिति में भविष्य में कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं का पार्टी से मोहभंग होना कोई बड़ी बात नहीं होगी। यह घटना उस समय की याद दिलाती है जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी और पाटन क्षेत्र में शराब दुकान को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ विवाद हुआ था। उस समय तत्कालीन सांसद विजय बघेल ने सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया और कार्यकर्ताओं के साथ खड़े रहने का संदेश दिया था। बृजमोहन सिंह के मामले में ऐसी कोई पहल नजर नहीं आ रही है।
कांग्रेस के भीतर से उठ रही ये आवाजें संगठन की निष्क्रियता और नेतृत्व की उदासीनता की ओर इशारा कर रही हैं। क्या कांग्रेस अपने समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ खड़ी नहीं होगी? यह सवाल वर्तमान समय में संगठन के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
शौर्यपथ दैनिक समाचार का यह स्पष्ट मानना है कि भारत के हर नागरिक को संविधान और न्यायपालिका का पूर्ण सम्मान करना चाहिए। सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की अभिव्यक्ति करते समय संवैधानिक मर्यादाओं और न्यायिक प्रक्रियाओं का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। न्यायालय में विचाराधीन मामलों में अंतिम निर्णय आने तक निष्कर्ष निकालना अनुचित होगा। अत: इस पूरे मामले को निष्पक्ष दृष्टि से देखा जाना चाहिए, और साथ ही राजनीतिक संगठनों को भी अपने कार्यकर्ताओं के प्रति उत्तरदायी भूमिका निभानी चाहिए।
गौरव पथ विज्ञापन घोटाला: महापौर की सक्रियता के लिए उठी आम जनता की उम्मीद
दुर्ग / शौर्यपथ /
नगर निगम दुर्ग में एक बार फिर भ्रष्टाचार का जिन्न बोतल से बाहर आता दिख रहा है। इस बार मामला तात्कालिक बाजार अधिकारी थान सिंह यादव से जुड़ा है, जिन पर दिसंबर 2024 में एक ऐसे अनुबंध पत्र तैयार करने का आरोप है, जिससे निगम को राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। यह अनुबंध गौरव पथ पर लगे लॉलीपॉप विज्ञापन बोर्डों से संबंधित है, जहाँ जमीनी सच्चाई और दस्तावेजों के बीच बड़ा अंतर सामने आया है।
74 खंभे, पर अनुबंध में केवल 60 का उल्लेख
सूत्रों के अनुसार, गौरव पथ पर कुल 74 खंभों पर विज्ञापन बोर्ड लगे हैं, लेकिन तात्कालिक बाजार अधिकारी ने अनुबंध करते समय केवल 60 खंभों का ही उल्लेख किया। इससे सीधे तौर पर 14 खंभों से होने वाले राजस्व का नुकसान नगर निगम को उठाना पड़ा। इतना ही नहीं, अनुबंध में जो बोर्ड साइज का उल्लेख किया गया, वह भी मौके पर स्थापित बोर्डों के आकार से मेल नहीं खाता, जिससे शासन को अतिरिक्त राजस्व हानि हुई है।
पूर्ववर्ती विवादों से घिरा रहा है नाम
यह पहली बार नहीं है जब थान सिंह यादव विवादों में हैं। उनका नाम पहले भी विभागीय खींचतान और स्थानांतरणों में चर्चा में रहा है। अधिकांश आयुक्तों के आते ही उनका कार्य क्षेत्र बदला गया, जो उनके कार्य निष्पादन पर सवाल उठाता रहा है। ऐसे में अब जब सुशासन की बात हो रही है, यह आवश्यक हो जाता है कि ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई हो।
महापौर पर उठते सवाल या उम्मीदें?
इस पूरे मामले में राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों की निगाहें दुर्ग की महापौर श्रीमती अलका बाघमार की ओर हैं। हालांकि कुछ वर्गों ने प्रारंभ में उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए, परंतु अब जानकारी सामने आ रही है कि महापौर अलका बाघमार ने तात्कालिक बाजार अधिकारी के अनुबंध से जुड़े इस विवाद सहित उनके द्वारा पूर्व सरकार को गुमराह कर प्रस्तुत की गई कई अन्य वित्तीय अनियमितताओं की जानकारी संकलित कर ली है।
जाँच समिति की पहल: सुशासन की दिशा में अहम कदम
प्राप्त जानकारी के अनुसार, महापौर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक स्वतंत्र जाँच समिति के गठन की दिशा में पहल की है, ताकि दोषियों के विरुद्ध निष्पक्ष जांच हो सके और नगर निगम की प्रतिष्ठा को बनाए रखा जा सके। सुशासन तिहार जैसे आयोजनों में निगम की सक्रियता और जवाबदेही को जनता के सामने प्रस्तुत करना महापौर का प्रमुख उद्देश्य रहा है, और इस दिशा में यह पहल उनके सुशासन के प्रति प्रतिबद्ध दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।
जनता को उम्मीद न्याय की
महापौर की ओर से यदि यह जांच समिति शीघ्र गठित होती है और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होती है, तो इससे आम जनता को यह संदेश मिलेगा कि वर्तमान नगर निगम प्रशासन, विशेषकर महापौर अलका बाघमार, भ्रष्टाचार के विरुद्ध बिल्कुल भी नरमी नहीं बरतती। साथ ही यह कदम नगर प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की नई मिसाल प्रस्तुत कर सकता है।
शासन के ?1 का भी नुकसान करने वाले अधिकारी को वह सजा मिलनी चाहिए जो करोड़ों की गड़बड़ी करने वालों को मिलती है—इस सच्चाई को स्थापित करने का यह एक उपयुक्त अवसर है। अब देखना यह है कि महापौर की अगुवाई में नगर निगम दुर्ग इस चुनौती को कैसे सकारात्मक अवसर में बदलता है।
सक्ति, छत्तीसगढ़ / शौर्यपथ /
सक्ति जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) के महत्वपूर्ण पद पर एक परिवीक्षाधीन (Provisional) डॉक्टर, श्रीमती पूजा अग्रवाल की नियुक्ति ने स्वास्थ्य विभाग में हलचल मचा दी है। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब जिले में कई वरिष्ठ और अनुभवी चिकित्सा अधिकारी उपलब्ध हैं, जो लंबे समय से शासन को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं और बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। इस फैसले से स्वास्थ्य कर्मियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच गहरी नाराजगी और चर्चा का माहौल है।
मिली जानकारी के अनुसार, श्रीमती पूजा अग्रवाल वर्ष 2022 बैच की अधिकारी हैं और वर्तमान में अपनी परिवीक्षाधीन अवधि में हैं। इसके बावजूद उन्हें जिले जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपना, कई लोगों को नागवार गुजर रहा है। विभाग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय वरिष्ठता और अनुभव को पूरी तरह से दरकिनार करता है।
वरिष्ठ अधिकारियों में निराशा का माहौल
शासन के इस अप्रत्याशित कदम से कई वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी खुद को आहत महसूस कर रहे हैं। वर्षों के अनुभव और समर्पण के बाद भी उन्हें नजरअंदाज कर एक प्रोविजनल अधिकारी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी देना, उनके मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। यह सवाल उठ रहा है कि क्या जिले में एक भी परमानेंट और अनुभवी अधिकारी ऐसा नहीं था, जो इस पद को संभालने में सक्षम होता?
स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ ने भी उठाई आपत्ति
इस मामले में केवल वरिष्ठ अधिकारी ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ, छत्तीसगढ़ ने भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। संघ का कहना है कि इस तरह की नियुक्तियां पारदर्शिता और योग्यता के मानदंडों पर सवाल खड़े करती हैं। संघ ने शासन से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और वरिष्ठता तथा अनुभव को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है।
क्या शासन लेगा संज्ञान?
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या शासन इस पूरे मामले को संज्ञान में लेगा? क्या वरिष्ठ अधिकारियों की नाराजगी और संघ की आपत्तियों पर गौर करते हुए नियुक्ति पर पुनर्विचार किया जाएगा? या फिर एक प्रोविजनल अधिकारी ही शक्ति जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की कमान संभालेगी? यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था और अनुभवी अधिकारियों के सम्मान का यह मामला अब सबकी निगाहों में है।
रायपुर/शौर्यपथ /वन मंत्री केदार कश्यप के बयानों का कड़ा विरोध करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि जब भी कोई आदिवासियो के विकास की बातें करता है, आदिवासी सम्मान को सशक्त करने की बात करता है, तब भाजपाईयों को पीड़ा होती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी आदिवासी नेताओं से भेंट कर आदिवासी नेतृत्व को आगे बढ़ाने की बात करते है, तो वन मंत्री केदार कश्यप तिलमिला गये। क्योंकि वे उसी भाजपा आर.एस.एस संस्कृति के नेता है, जो आदिवासी को आदिवासी नहीं वनवासी कहते है। ताकि आदिवासी संस्कृति को नष्ट किया जा सके।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने वन मंत्री केदार कश्यप से कहा कि वे छत्तीसगढ़ की जनता को हिसाब दे।
ऽ आप प्रदेश में 16 साल 8 महीने तक मंत्री है, प्रदेश के आदिवासियों के लिये आपने क्या किया?
ऽ आपकी की पूर्ववर्ती सरकार ने 3500 स्कूल बंद किये थे, तब आप स्कूल शिक्षा मंत्री थे। अब 10463 स्कूल आदिवासी क्षेत्रों में क्या हालत है, पता है?
ऽ आपके 16 साल के मंत्री कार्यकाल में बस्तर के हजारों आदिवासियों को फर्जी नक्सली केस में जेल भेज दिये तो आप कहां थे?
ऽ आपके 16 साल 8 महीने मंत्री रहते बस्तर में आदिवासियों को नक्सली बताकर कई फर्जी एनकाउंटर किये तब आप कहां थे?
ऽ अब बैलाडीला के आयरन ओर दो खदाने आरसेलर मित्तल को कांकेर जिले के हाहालादी की आयरन ओर की खदाने और बीजापुर के कोरन्डम की खदाने निजी उद्योगपति को बेच दिया, आप कहां है, एक शब्द क्यों नहीं बोलते?
ऽ हसदेव में कोल माइंस के लिये पूरा जंगल कट रहा है और आप वन मंत्री है आपको पता है कि आप कहां है?
ऽ तमनार में कोल माइंस के लिये पूरा जंगल कट रहा है, आप वन मंत्री है, पता है कि नहीं?
ऽ बोधघाट बनने से 42 गांव के आदिवासियों का क्या होगा?
ऽ बीजापुर में एक निर्दोष आदिवासी रसोइया महेश कुडियाम मारा गया, जो सरकारी स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाने और परोसने का काम करता था, जिसे आपकी सरकार हर माह तनखा दे रही थी, तो चुप क्यों है?
ऽ सुकमा जिले में तेंदूपत्ता तोड़ने वाले आदिवासियों का पैसा खा गये, शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक बीमा योजना बंद कर दिये, आप मौन है?
ऽ बस्तर में तेंदूपत्ता तोड़ने वाले आदिवासियों को जूता-चप्पल देना है तो उनके खाते में सीधा पैसा क्यों जमा नहीं करते?
ऽ बस्तर के लोहाण्डीगुड़ा में आदिवासी व किसानों की जमीन में टाटा स्टील प्लांट लगाने के नाम पर आदिवासियो को ठगा गया, बिना उद्योग लगाये केवल जमीन छीन कर लैण्ड बैंक बनाकर रखा गया था, तब आप चुप क्यों थे?
ऽ पूरे बस्तर और सरगुजा संभाग में पेसा कानून का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है, ग्राम सभा के अधिकार कुचले जा रहे है, उस पर आप मौन क्यों है?
ऽ हां अगर आप कह रहे है कि आदिवासियों का विकास हुआ है तो आओ हमारे साथ हसदेव चलो, तमनार चलो, बैलाडीला चलो, बीजापुर कोरन्डम खदान चलो, बोधघाट प्रभावित क्षेत्र चलो, वहां के आदिवासियों का हाल पूछो तो पता चलेगा कितना विनाश हुआ है या विकास। सच यह है कि बस्तर के समृद्धि, संस्कृति और संसाधन को बेचने के गुनहगार है आप।
पंडित लखनलाल मिश्र अमर रहें" के जयघोष से गूंजा गौरव स्थल:
दुर्ग/शौर्यपथ /स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के संपूर्ण छत्तीसगढ़ अंचल से पधारे उत्तराधिकारीगण आज दुर्ग नगर निगम द्वारा स्थापित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित लखनलाल मिश्र की आदमकद प्रतिमा के समक्ष एकत्रित हुए एवं उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।
कार्यक्रम की शुरुआत गौरव स्थल में पुष्पांजलि अर्पित कर की गई, जिसके पश्चात सभी सदस्य पंडित मिश्र की प्रतिमा स्थल पर पहुंचे। इस भावपूर्ण अवसर पर संगठन के अध्यक्ष मुरली मनोहर खंडेलवाल, सेवानिवृत्त आईएएस गणेश शंकर मिश्रा, पूर्व विधायक चंद्रप्रकाश बाजपेयी, प्रो. किशोर कुमार अग्रवाल, सुरेश मिश्रा, श्रीमती रमा जोशी, श्रीमती रेखा जोशी, घनश्याम सोनी, श्री सुनील बजारी सहित बड़ी संख्या में संगठन के सदस्य एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
पंडित मिश्र को किया स्मरण...
उपस्थितजनों ने पंडित मिश्र के स्वतंत्रता संग्राम में किए गए योगदान को स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान “पंडित लखनलाल मिश्र अमर रहें”, “भारत माता की जय”, “वंदे मातरम्” तथा “महात्मा गांधी की जय” के जयघोष से वातावरण गूंज उठा।
प्रतिमा अनावरण का उल्लेख.
उल्लेखनीय है कि पंडित लखनलाल मिश्र की प्रतिमा का अनावरण 5 जनवरी 2025 को छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. श्री रमन सिंह के करकमलों द्वारा किया गया था। इस ऐतिहासिक अवसर पर उपमुख्यमंत्री एवं दुर्ग जिले के प्रभारी मंत्री श्री विजय शर्मा की विशेष उपस्थिति रही थी।
उत्तराधिकारी संगठन की भूमिका..
कार्यक्रम के माध्यम से उत्तराधिकारी संगठन ने स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को सजीव रखने और उनके संघर्ष को नई पीढ़ी तक पहुँचाने की प्रतिबद्धता दोहराई। संगठन के सदस्यों ने कहा कि यह श्रद्धांजलि मात्र एक परंपरा नहीं, बल्कि एक पीढ़ी का कर्तव्य है, जो अपने स्वतंत्रता सेनानी पूर्वजों के सपनों का भारत बनाने हेतु प्रेरित करती है।
भू-अभिलेख सुधार, डिजिटल सर्वे और राजस्व न्यायालयों में मामलों के त्वरित निराकरण को लेकर हुई विस्तृत चर्चा
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज विधानसभा परिसर स्थित कार्यालय में भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग के सचिव श्री मनोज जोशी ने सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर भू-अभिलेख प्रणाली को सुदृढ़ करने, भूमि सर्वेक्षण में तकनीकी नवाचारों के उपयोग, तथा राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों के शीघ्र निराकरण को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। बैठक में राजस्व मंत्री टंकाराम वर्मा भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि राज्य सरकार भू-राजस्व दस्तावेजों को अद्यतन करने और आवश्यक सुधार के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड जितने व्यवस्थित होंगे, राजस्व न्यायालयों में मामलों का निपटारा उतना ही शीघ्र और प्रभावी रूप से हो सकेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भूमि अभिलेखों में सुधार संबंधी केंद्र सरकार की सभी पहल के साथ राज्य सरकार कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करेगी, ताकि यह प्रणाली और अधिक प्रभावशाली व जनहितकारी बन सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा तकनीक आधारित नवाचारी पहलों के माध्यम से भू-राजस्व रिकॉर्ड में पारदर्शिता, गति और सटीकता लाने का महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है, जिससे किसानों और आम नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा। उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे इस दिशा में सभी आवश्यक कदम तत्परता से सुनिश्चित करें।
केंद्रीय भूमि संसाधन सचिव मनोज जोशी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में भू-अभिलेखों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है और राज्य सरकार के सक्रिय सहयोग से इसमें और अधिक सुधार लाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्व में पारंपरिक पद्धति से किए जाने वाले भूमि सर्वेक्षण में समय अधिक लगता था, किंतु अब आधुनिक तकनीकों के उपयोग से यह प्रक्रिया तेज़, अधिक सटीक और भरोसेमंद हो गई है।
जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार भू-अभिलेख संधारण प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए विशेष प्रयास कर रही है, जिसके अंतर्गत राज्यों को वित्तीय और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि जमीन की खरीद-बिक्री के दौरान नक्शों के अद्यतन में कई बार तकनीकी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिन्हें डिजिटल सर्वेक्षण के माध्यम से प्रभावी रूप से दूर किया जा सकेगा। इससे प्रत्येक नागरिक को अद्यतन और प्रमाणिक नक्शा प्राप्त होगा, जिससे गड़बड़ियों में कमी आएगी और शहरी क्षेत्रों के विस्तार को बेहतर ढंग से नियोजित किया जा सकेगा।
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, भारत सरकार के संयुक्त सचिव कुणाल सत्यार्थी, राजस्व सचिव अविनाश चंपावत, संचालक भू-अभिलेख विनीत नंदनवार सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
मंत्रिपरिषद द्वारा वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान दिए जाने के निर्णय हेतु व्यक्त किया आभार
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से विधानसभा स्थित कार्यालय में राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों ने सौजन्य भेंट कर मंत्रिपरिषद की बैठक में वर्ष 2005 से 2009 बैच तक के अर्हकारी सेवा अवधि पूर्ण कर चुके अधिकारियों को वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान प्रदान किए जाने के निर्णय हेतु आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा भी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि 11 जुलाई 2025 को आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य पुलिस सेवा संवर्ग के समुचित प्रबंधन हेतु 30 सांख्येतर पदों का सृजन करते हुए वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान प्रदान करने का निर्णय लिया गया। यह निर्णय उन अधिकारियों के लिए लिया गया है जिन्होंने सेवा में निर्धारित अर्हता अवधि पूर्ण कर ली है।
इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लखन पटले,कीर्तन राठौर, अनंत साहू, डॉ. संगीता माहेलकर एवं श्रीमती प्रज्ञा मेश्राम उपस्थित थीं।
छत्तीसगढ़ में पारदर्शी, वैज्ञानिक और जनहितैषी खनिज नीति के तहत रेत खनन व्यवस्था को मिल रहा नया स्वरूप
रायपुर/शौर्यपथ /राज्य में रेत खनन नीति को अधिक पारदर्शी, संगठित, पर्यावरण-संवेदनशील और जनहितैषी बनाने के उद्देश्य से व्यापक कदम उठाए गए हैं। पूर्ववर्ती सरकार के शासन काल के दौरान राज्य में संचालित रेत खदानों की संख्या 300 से घटकर लगभग 100-150 रह गई थी, जिससे निर्माण कार्य प्रभावित हुए और अवैध खनन को बढ़ावा मिला। वर्तमान सरकार द्वारा खनिज नीति में सुधार कर रेत खनन की व्यवस्था को संगठित, नियंत्रित और जनहितकारी बनाया गया है।
पर्यावरणीय मंजूरी प्रक्रिया में तीव्रता
राज्य में पर्यावरणीय स्वीकृति प्रक्रिया को गति देने के लिए भारत सरकार से अनुमोदन प्राप्त कर तीन राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण समितियों का गठन किया गया है। पूर्व में केवल एक समिति कार्यरत थी। इस निर्णय से लंबित प्रकरणों के शीघ्र निपटारे की प्रक्रिया सुगम हुई है।
वैध खदानों की संख्या में वृद्धि
वर्तमान में 119 रेत खदानें पर्यावरणीय स्वीकृति के साथ विधिवत संचालित हैं, जबकि 94 अन्य खदानों की मंजूरी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। साथ ही, आगामी 1 से 1.5 वर्षों में 300 से अधिक नई खदानों को स्वीकृति दिए जाने की योजना है, जिससे रेत की आपूर्ति सुलभ बनी रहेगी और निर्माण कार्यों को गति मिलेगी।
IIT रुड़की की रिपोर्ट: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खनन
प्रमुख नदियों पर खनन के पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर IIT रुड़की से कराए गए अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है कि विधिवत और नियंत्रित रेत खनन से नदियों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। यह रिपोर्ट राज्य की वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित खनिज नीति को समर्थन प्रदान करती है।
अवैध खनन पर सख्त कार्यवाही
वर्ष 2024-25 से जून 2025 तक 6,331 अवैध खनन प्रकरण दर्ज किए गए, जिनमें से ₹18.02 करोड़ की वसूली, 184 मशीनों की जब्ती, 56 एफआईआर तथा 57 न्यायालयीन परिवाद दायर किए गए। जिला एवं राज्य स्तरीय टास्क फोर्सों द्वारा लगातार निगरानी और कार्रवाई की जा रही है, जिसमें खनिज, राजस्व, पुलिस, परिवहन और पर्यावरण विभाग के अधिकारी सम्मिलित हैं।
विवादों पर त्वरित कार्यवाही
राजनांदगांव और बलरामपुर सहित राज्य के विभिन्न जिलों में रेत से संबंधित विवादों एवं घटनाओं पर त्वरित कानूनी और प्रशासनिक कार्यवाही की गई है। शासन का स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी अवैध गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों को रॉयल्टी में राहत
15 मार्च 2024 को लिए गए निर्णय के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पात्र हितग्राहियों को रेत पर रॉयल्टी से छूट प्रदान की गई है। इस निर्णय से गरीबों और जरूरतमंदों को प्रत्यक्ष राहत मिली है।
भविष्य की नीति: पारदर्शिता और संतुलन
छत्तीसगढ़ शासन की नीति स्पष्ट है — खनिज संसाधनों के दोहन को जनहित, पारदर्शिता और पर्यावरणीय संतुलन के सिद्धांतों पर आधारित करना। संगठित, वैज्ञानिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से तैयार की गई यह नई रेत खनन नीति राज्य के समग्र विकास और पर्यावरण संरक्षण दोनों के लिए सशक्त आधार बनेगी।
रायपुर/शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने Axiom-4 अंतरिक्ष मिशन की ऐतिहासिक सफलता और अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी पर भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला सहित पूरी टीम को हार्दिक बधाई दी है। मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में शुभांशु शुक्ला की यह उपलब्धि, गगनयान मिशन की ओर बढ़ते भारत के आत्मनिर्भर और वैज्ञानिक कदमों का प्रतीक है। शुभांशु की यह उपलब्धि देश के करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा है और उनके सपनों को एक नई उड़ान देने वाली है।
मुख्यमंत्री साय ने समस्त छत्तीसगढ़वासियों की ओर से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह क्षण केवल भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के लिए ही नहीं, अपितु हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय है। शुभांशु शुक्ला की यह उपलब्धि भारत की युवा वैज्ञानिक प्रतिभा और वैश्विक स्तर पर बढ़ती वैज्ञानिक भागीदारी का प्रमाण है।