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मुंबई/एजेंसी /कोरोना महामारी के बाद पढ़ाई के लिए ऑनलाइन क्लास बच्चों के लिए घातक साबित हो रही है. ऑनलाइन क्लास से बढ़े स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों में आंख की बीमारी बढ़ रही है. ऑनलाइन क्लास, मोबाइल, टीवी से बच्चों की आंखों को नुकसान पहुंच रहा है और बच्चे ‘मायोपिया' के शिकार हो रहे हैं. मायोपिया आंखों का ऐसा दोष है जिसमें निकट की चीजें तो साफ-साफ दिखतीं हैं, लेकिन दूर की रोशनी धुंधली हो जाती है. चाहे बच्चे हों या बड़ें, सभी का अधिकांश समय ऑनलाइन बीत रहा है.
सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले 12 साल के छात्र आदी चंद्रा ने बताया, ''पैंडेमिक के पहले मैं करीब 2 घंटा स्क्रीन पर रहता था, कोविड में ऑनलाइन क्लासेस शुरू होने के बाद करीब 12 घंटे स्क्रीन पर रहता था. जिससे मेरी आंखें दुखती थीं, सर दुखता था, चक्कर आता था, उल्टी जैसा फील होता था.''
फोर्टिस हीरानंदानी अस्पताल में के डॉ. हर्षवर्धन घोरपड़े ने बताया, ''बच्चों में ड्राई आइज़ बहुत कॉमन हो चुका है. आइ इन्फ़ेक्शन भी कॉमन हो चुका है. सबसे जरूरी है मयोपिया माइनस पॉवर बढ़ना. आगे चलकर ये बड़ा प्रॉब्लम हो सकता है, बहुत सारे बच्चे माईनस 1-2 से लेकर सीधे माइनस 4-5 तक जा रहे हैं और सबसे कॉमन एज ग्रुप है 6-10 साल. ये ग्रोइंग एज है, इसमें मायोपिया बढ़ने का चांस ज़्यादा रहता है और ऑनलाइन की वजह से ये बहुत बढ़ गया है.''
आई स्पेशलिस्ट डॉ ऊषा जौहारी बताती हैं कि वो एक दिन में ऐसे 10 बच्चों का इलाज कर रही हैं. उन्होंने कहा, ''दो साल पहले हफ़्ते में हम क़रीब 15 मरीज़ देखते थे, लेकिन अब हर रोज़ क़रीब 10 बच्चे आंख की शिकायत के साथ आ रहे हैं. बच्चों का स्क्रीनटाईम बढ़ने से ये हुआ है. मोबाइल 1 फ़ीट दूर, लैपटॉप देख रहे हैं तो 2 फ़ीट दूर हो और टीवी 10 फ़ीट दूर से देखें.''
डॉ.संदीप कटारिया , Opthalmologist, Wockhardt Hospital ने कहा, ''बीते दो साल में काफ़ी पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ कम्प्लेंट लेकर आ रहे हैं की आंख से ठीक से दिखायी नहीं दे रहा है, आंख लाल हो रही है. बड़ों को भी ये दिक्कत आ रही है. जब आप स्क्रीन के ऊपर देखते हो तो ब्लिंक किया करो, ताकि वो मॉईस्ट रहे, ब्लिंक करना बहुत ज़रूरी है. नहीं तो आंख ड्राई रहती है. ये कुछ सावधानियां आप खुद बरत सकते हैं.''
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