March 15, 2025
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पैर में पर्दा लपेटकर देनी पड़ी परीक्षा छात्रा को परीक्षा ....

गुवाहाटी / शौर्यपथ / असम से एक हैरान कर देना वाला मामला सामने आया है. एक परीक्षा में शॉर्ट्स पहनने वाली 19 वर्षीय छात्रा को परीक्षा में बैठने से पहले अपने पैरों के चारों ओर पर्दा लपेटने के लिए मजबूर किया गया. छात्रा के साथ इस व्यवहार के बाद बढ़ते आक्रोश को देखते हुए असम कृषि विश्वविद्यालय ने मामले की जांच शुरू कर दी है. छात्रा के परिवार की ओर से कोई औपचारिक शिकायत नहीं की गई है.
छात्रा बुधवार को अपने गृहनगर बिश्वनाथ चरियाली से गिरिजानंदा चौधरी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज की प्रवेश परीक्षा देने के लिए तेजपुर गई थी. परीक्षा हॉल में निरीक्षक ने उसके शॉर्ट्स पर आपत्ति जताई.
छात्रा ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों बात करने के बाद निरीक्षक को बताया कि प्रवेश पत्र में कोई ड्रेस कोड नहीं है. उसने उन्हें यह भी बताया कि हाल ही में राष्ट्रीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET) में भी वह शॉर्ट्स पहनकर गई थी.
छात्रा के परिवार का आरोप है कि निरीक्षक ने उसकी एक नहीं सुनी.
छात्रा भागकर परीक्षा केंद्र के बाहर खड़े अपने पिता के पास पहुंची और उनसे ट्राउज़र लाने को कहा. छात्रा के पिता बाबुल तमुली ने कहा कि जब तक वह बाजार से ट्राउज़र लेकर लौट पाते तब तक कॉलेज के अधिकारियों ने उनकी बेटी को पैरों को ढकने के लिए एक पर्दा दिया था.
तमुली ने पीटीआई को बताया, "मेरी बेटी को आघात पहुंचा और उसने कुछ स्थानीय पत्रकारों से अपमानजनक घटना के बारे में बात की और यह मुद्दा सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. कई लोगों ने इस घटना की निंदा की है, लेकिन कई ने मेरी बेटी पर एक शैक्षणिक संस्थान में ड्रेस कोड का पालन नहीं करने के लिए हमला किया है, जिसने उसे और अधिक मानसिक रूप से परेशान कर दिया है.''
उन्होंने कहा, "हमने आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है और मेरी बेटी की मानसिक भलाई के हित में मामले को यहीं रहने दिया है. हम चाहते हैं कि वह अपने शैक्षणिक भविष्य पर ध्यान केंद्रित करे." कांग्रेस प्रवक्ता बोबीता शर्मा ने कहा कि एक युवा लड़की को शॉर्ट्स पहनने के लिए परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देना एक खतरनाक और प्रतिगामी मानसिकता को दर्शाता है.
उन्होंने कहा, "यह एक पहाड़ बना रहा है और परीक्षा से ठीक पहले छात्र के मानसिक उत्पीड़न के समान है. मुझे खेद है कि एक लड़की जो पहनती है उसके बारे में समाज इतना प्रतिगामी हो गया है. ऐसी मानसिकता लड़कियों की सुरक्षा के लिए खतरनाक है."
केके हांडिक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी में जनसंचार के प्रोफेसर जयंत सरमा ने कहा, "लोगों को तालिबान जैसा रवैया छोड़ देना चाहिए."

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