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पंजाब / एजेंसी / पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बेअदबी मामले पर आज पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू की आलोचनाओं के बीच सरकारी कानूनी टीम का समर्थन किया. सिद्धू ने बीते शुक्रवार को कांग्रेस को एक अल्टीमेटम दिया था. पंजाब में अगले साल होने वाले चुनाव से पहले 2015 के बेअदबी मामले और पुलिस फायरिंग पर विवाद बढ़ता जा रहा है. इन मामलों को लेकर सत्ताधारी पार्टी में अब भी दो मत बने हुए हैं.
एक कार्यक्रम के दौरान सीएम चन्नी ने ड्रग्स के मुद्दे को उठाते हुए कहा, "हमारी कानूनी टीम गुरमीत राम रहीम से बेअदबी मामले में पूछताछ करने की अनुमति प्राप्त करने में कामयाब रही. हमारे वकील भी अदालत में ड्रग्स के मामले में लड़ रहे हैं और उम्मीद है कि 18 नवंबर को सीलबंद रिपोर्ट खोली जाएगी."
नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को पद से अपना इस्तीफा वापस लेते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी को एक अल्टीमेटम दिया है. उन्होंने कहा, जब तक शीर्ष सरकारी वकील एपीएस देओल को हटाया नहीं जाता, तब तक वह वापस नहीं आएंगे.
बेअदबी मामले में पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी सुमेध सैनी का प्रतिनिधित्व करने वाले देओल ने इस सप्ताह की शुरुआत में इस्तीफा दे दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किय था. इसके चलते सिद्धू ने एक बार फिर चन्नी नेतृत्व पर हमला तेज कर दिया है.
सिद्धू ने नाराजगी जताते हुए कहा, "जब नया महाधिवक्ता नियुक्त किया जाएगा तो मैं पार्टी कार्यालय जाऊंगा और कार्यभार संभाल लूंगा. सुमेध सैनी के लिए जमानत पाने वाला वकील महाधिवक्ता कैसे हो सकता है और आईपीएस सहोता जैसा व्यक्ति डीजीपी कैसे हो सकता है."
सिद्धू ने कहा, "मैं इन मुद्दों के बारे में नए मुख्यमंत्री को याद दिलाता रहा हूं. ड्रग्स और बेअदबी के मुद्दे को उजागर करने में अग्रणी कौन था? यह हमारे अध्यक्ष राहुल गांधी थे. हमें इन मुद्दों को हल करना चाहिए."
देओल ने आज पलटवार करते हुए कहा कि हमले कुछ और नहीं बल्कि "कांग्रेस को बदनाम करने की कोशिश" थे. देओल ने संक्षिप्त बयान में लिखा, "पंजाब में आगामी चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक लाभ के लिए कांग्रेस पार्टी के कामकाज को खराब करने के लिए निहित स्वार्थों द्वारा पंजाब के महाधिवक्ता के संवैधानिक कार्यालय का राजनीतिकरण करने का एक ठोस प्रयास किया जा रहा है."
पंजाब में चुनावों से पहले काफी ड्रामा देखने को मिल रहा है. कांग्रेस में आंतरिक मतभेदों को सुलझाने का प्रयास अब भी जारी है. सिद्धू ने पहले अमरिंदर सिंह के खिलाफ खुले तौर पर विद्रोह किया था.
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