March 15, 2025
Hindi Hindi

फाइव स्‍टार होटल में खाना और वाइन, अयोध्‍या आदेश का जश्‍न नहीं था : गोगोई

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के हाल ही में लॉन्च संस्मरणों में अयोध्या बेंच के अन्य न्यायाधीशों के साथ दिल्ली के लक्जरी होटल में डिनर के वक्त की एक तस्वीर है.

नई दिल्ली /शौर्यपथ/

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के हाल ही में लॉन्च संस्मरणों में अयोध्या बेंच के अन्य न्यायाधीशों के साथ दिल्ली के लक्जरी होटल में डिनर के वक्त की एक तस्वीर है. इस तस्वीर का कैप्शन है 'सेलिब्रेटिंग द लैंडमार्क अयोध्या वर्डिक्ट'. अपनी किताब में, मुख्य न्यायाधीश गोगोई कहते हैं: "फैसले सुनाने वाली शाम को मैं न्यायाधीशों को डिनर के लिए ताज मानसिंह होटल ले गया. हमने चाइनीज खाना खाया और वहां की सबसे अच्छी वाइन की एक बोतल शेयर की."

अयोध्या विवाद के रूप में एक विवादास्पद मुद्दे पर फैसले का जश्न मनाना उचित था? न्यायमूर्ति गोगोई ने इस बात से इनकार किया कि डिनर एक जश्न था." उन्होंने सवाल के जवाब में सवाल पूछा कि जब आप कभी दोस्तों के साथ डिनर के लिए जाते हैं, तो आपको बाहर का खाना चखने का मन नहीं करता है?"

यह पूछे जाने पर कि क्या यह असंवेदनशील नहीं होगा, खासकर उन लोगों के लिए जो शायद फैसला हार चुके हैं. उन्होंने इसे खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, "इनमें से सभी न्यायाधीश ने काम किया और चार महीने (अयोध्या फैसले पर) काम किया है. हम सभी ने इतनी मेहनत की, हमने सोचा कि हम एक ब्रेक लेंगे. क्या हमने कुछ ऐसा किया है जो उचित नहीं है?"

साक्षात्कार न्यायमूर्ति गोगोई की आत्मकथा को लेकर था, जिसका शीर्षक "जस्टिस फॉर द जज" है. इसमें कोर्ट की एक महिला स्टाफ द्वारा न्यायमूर्ति गोगोई के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की सुनवाई की अध्यक्षता करने के उनके फैसले के बारे में भी है.

उन्होंने कहा, "मेरी किताब में एक वाक्य है, कि शायद पीठ में मेरी भागीदारी सही नहीं थी."

उन्होंने कहा कि यह फैसला उनकी प्रतिष्ठा को लेकर चिंता के चलते लिया गया है.

"सीजेआई (भारत के मुख्य न्यायाधीश) स्वर्ग से नहीं उतरते हैं. 40 साल की कड़ी मेहनत के बाद मिली प्रतिष्ठा को नष्ट करने की कोशिश की जाती है. इस स्थिति में आपको एक कॉल लेने की आवश्यकता होती है. इसमें कुछ गलत हो जाता है."

सुनवाई के अंत में, बेंच ने एक आदेश पारित किया जिसमें मीडिया को "जंगली और निंदनीय आरोपों" की रिपोर्ट करने से सावधान रहने के लिए कहा गया. जैसे कि जस्टिस गोगोई के खिलाफ आरोपों को शुरू में ही लिखना. हालांकि, इस पीठ का हिस्सा रहे न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि इस आदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ा.

"आदेश घटना की रिपोर्टिंग में मीडिया को संयमित रहने के लिए दी गई एक तरह की सलाह थी... बेंच जो कहना चाह रही थी, वह यह है कि जो आरोप बेबुनियाद और निंदनीय हैं, उन्हें उचित सावधानी के साथ रिपोर्ट किया जाना चाहिए. बस इतना ही."

राज्यसभा में उनके विवादास्पद प्रवेश पर, न्यायाधीश ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, कि उन्होंने "इसे स्वीकार करने से पहले नहीं सोचा," और उन्होंने कल्पना नहीं की थी कि यह आरोप लगाया जाएगा कि यह सीट राफेल और राम जन्मभूमि मामलों में "दिए गए निर्णयों के लिए एक प्रतिफल थी"." उन्होंने कहा कि वे इस प्रस्ताव को इसलिए स्वीकार कर लिए क्योंकि इससे उन्हें न्यायपालिका और उनके गृह राज्य असम की समस्याओं को उजागर करने का अवसर मिलेगा.

राज्यसभा के रिकॉर्ड बताते हैं कि संसद में उनकी 10 फीसदी से भी कम उपस्थिति है.

राज्यसभा में उनकी उपस्थिति के खराब रिकॉर्ड के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा, "व्यक्तिगत रूप से मुझे वहां जाने में बहुत सहज महसूस नहीं हुआ. और महामारी चल रही है और आज भी मैं राज्यसभा में जाने में बहुत सहज महसूस नहीं कर रहा हूं ... हालांकि सामाजिक दूरी के मानदंड लागू किए गए हैं, लेकिन उनका पालन नहीं किया जा रहा है."

उन्होंने कहा, "मुद्दा यह है कि जब मुझे लगेगा कि राज्यसभा जाना चाहिए.. जब मुझे लगेगा कि जरूरी मामले हैं जिन पर मुझे बोलना चाहिए, मैं जाऊंगा... मैं एक मनोनीत सदस्य हूं. मैं किसी पार्टी के व्हिप द्वारा शासित नहीं हूं. मैं सदन का एक स्वतंत्र सदस्य हूं. मैं अपनी मर्जी से जाऊंगा और अपनी मर्जी से बाहर आऊंगा."


ऐसे आरोप भी लगे कि संसद की सीट राफेल और अयोध्या मामले जैसे मामलों में उनके फैसलों के लिए एक "इनाम" थी. इसपर उन्होंने कहा कि फैसले सिर्फ उनके नहीं थे बल्कि एक बेंच द्वारा पारित किए गए थे.

 

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)