October 14, 2024
Hindi Hindi

इलेक्टोरल बॉन्ड : सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसला सुरक्षित रखने के बाद भी छप गए करोड़ों के बॉन्ड इलेक्टोरल बॉन्ड : गोपनीय चंदे की योजना में सरकार ने ख़र्च किया जनता का पैसा Featured

 नई दिल्ली / लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू किन्तु इस उलटी राजनैतिक चर्चा से ज्यादा दो समाचार ही सुर्खिया बटोर रही है पहला राजनैतिक पार्टियों को दिया जाने वाला गोपनीय चंदा जो अब सार्वजानिक हो चुका है वही दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी . दोनों ही मामलो में सत्ताधारी सरकार और भाजपा की छवि काफी धूमिल हुई . सुप्रीम कोर्ट के इलेक्टोरल बॉन्ड के फैसले के बाद अब कई और तथ्य सामने आ रहे है जिसके कारण मोदी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग पर भी सवालिया निशान लग रहे है . पूर्व में भी कई हजारो करोड़ के घोटालो के व्यक्तियों का भाजपा में प्रवेश और जांच बंद होने के मामले में भले ही भाजपा के नेता लाख सफाई दे लाख न्यायालय की बात करे किन्तु भ्रष्टाचारियो के साथ सत्ता चलाने के कारण आम जनता के उस विश्वास को भी कही ना कही चोट पहुंची जिन्होंने २०१४ में कालाधन , महंगाई , बेरोजगारी , भ्रष्टाचार मुक्त , स्मार्ट सिटी की लम्बी श्रृखला जैसे वादों पर भरोसा कर एक नई सरकार को सत्ता सौपी . इलेक्टोरल बॉन्ड  के मामले पर अब एक नया खुलासा हुआ जो कही ना कही यह भी दर्शा रहा कि किस तरह सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखने के बाद भी इस गोपनीय चंदे पर कार्य हुआ .
  बता दे कि 31 अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर सुनवाई शुरू की और दो नवम्बर को जारी रही जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया.लेकिन उसके बाद सामने आई जानकारियों से ये साफ़ हो गया है कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सुरक्षित होने के बाद भी सरकार ने नए इलेक्टोरल बॉन्ड छापने का काम जारी रखा.सूचना के अधिकार के ज़रिए मिली जानकारी से पता चलता है कि 8,350 इलेक्टोरल बॉन्ड की आख़िरी खेप साल 2024 में छाप कर उपलब्ध करवाई गई. जो 21 फ़रवरी २०२४ को सप्लाई की गई जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 15 फ़रवरी २०२४ को इस योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था.
  साथ ही ये बात भी उजागर हुई है कि इलेक्टोरल बॉन्ड की योजना को चलाने वाले स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने कमीशन के तौर पर सरकार से क़रीब 12 करोड़ रुपये (जीएसटी मिलाकर) की मांग की है जिसमें से सरकार 8.57 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है.साथ ही बॉन्ड्स को नासिक की इंडिया सिक्योरिटी प्रेस में छपवाने के लिए सरकार को 1.93 करोड़ रुपये (जीएसटी मिलाकर) का बिल मिला है जिसमें से 1.90 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.आसान शब्दों में कहें तो एक ऐसी योजना जिसमें गोपनीय तरीक़े से करोड़ों का दान देने वाले किसी भी व्यक्ति या कंपनी से कोई सर्विस चार्ज नहीं लिया गया.
 बड़ा सवाल यह है कि जिस योजना को आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक क़रार दिया, उस योजना को चलाने के लिए क़रीब 13.98 करोड़ रुपये का ख़र्चा सरकारी ख़ज़ाने से यानी टैक्सपेयर या टैक्स देने वालों या आसान शब्दों में कहें तो जनता के पैसे से किया गया.

  बता दे कि आरटीआई कार्यकर्ता कमोडोर लोकेश बत्रा पारदर्शिता से जुड़े मुद्दों पर काम करते रहे हैं.इलेक्टोरल बॉन्ड मुद्दे पर उन्होंने पिछले कुछ सालों में कई आरटीआई आवेदन किए जिनके जवाबों से मिली जानकारियों को जोड़ कर देखें तो एक साफ़ तस्वीर उभर कर आती है.14 मार्च 2024 को स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने आरटीआई के जवाब में बताया कि किस साल में कितने इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए.
 इस जानकारी के मुताबिक़, साल 2018 में सबसे ज़्यादा 6 लाख 4 हज़ार 250 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए. इनमें से सबसे ज़्यादा बॉन्ड एक हज़ार और 10 हज़ार रुपये मूल्य के थे और सबसे कम बॉन्ड एक करोड़ रुपये मूल्य के थे. वही साल 2019 में 60,000 बॉन्ड छापे गए. इस साल एक हज़ार और 10 हज़ार रुपये का एक भी बॉन्ड नहीं छापा गया. सबसे ज़्यादा बॉन्ड एक लाख रुपये मूल्य के छापे गए.
  साल 2022 में 10,000 बॉन्ड छापे गए. ये सभी बॉन्ड एक-एक करोड़ रुपये के थे. अन्य किसी मूल्य का कोई बॉन्ड नहीं छापा गया.वही 8,350 बॉन्ड्स की सबसे हालिया खेप साल 2024 में छापी गई. ये सभी बॉन्ड भी एक-एक करोड़ रुपये मूल्य के थे. अन्य किसी मूल्य का कोई बॉन्ड नहीं छापा गया.

ग़ौरतलब है कि साल 2020, 2021 और 2023 में कोई इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं छापे गए.8,350 बॉन्ड की आख़िरी खेप 27 दिसंबर 2023 के बाद छापी गई इसका पता वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ इकोनॉमिक अफ़ेयर्स (डीईए) के दो आरटीआई के जवाबों से भी चलता है.डीईए ने 27 दिसंबर 2023 को बताया था कि उस तारीख़ तक कुल 6, लाख 74 हज़ार 250 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए थे.ठीक दो महीने बाद 27 फरवरी 2024 को एक और आरटीआई के जवाब में इस विभाग ने बताया कि उस तारीख़ तक कुल 6 लाख 82 हज़ार 600 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए.यानि 27 दिसंबर 2023 और 27 फ़रवरी 2024 के बीच 8,350 इलेक्टोरल बॉन्ड छापे गए जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले पर अपना फ़ैसला 2 नवम्बर को ही सुरक्षित कर लिया था.

क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले से थी आश्वस्त ..
  आरटीआई कार्यकर्ता कमोडोर लोकेश बत्रा कहते हैं, "इन जानकारियों से ये साफ़ दिखता है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर इतनी ज़्यादा आश्वस्त थी कि उन्होंने और ज़्यादा बॉन्ड छपवाने का काम जारी रखा."स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से आरटीआई के ज़रिये मिली जानकारी के मुताबिक़, आख़िरी खेप में 8,350 बॉन्ड्स छपवाने से पहले ही स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के पास क़रीब 12,013 करोड़ रुपये के ऐसे बॉन्ड उपलब्ध थे, जो बिके नहीं थे. इन बॉन्ड्स में से 9,019 करोड़ के बॉन्ड एक करोड़ रुपये मूल्य के थे.
  कमोडोर बत्रा कहते हैं, "इतने ज़्यादा बॉन्ड पहले से ही थे. उसके बावजूद सरकार ने 8,350 करोड़ रुपये के नए बॉन्ड छपवाए. ऐसा लगता है कि 2024 के चुनाव से पहले उन्हें बॉन्ड्स की बम्पर बिक्री की उम्मीद थी."अंजलि भारद्वाज एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो सूचना का अधिकार, पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दों पर काम करती हैं.वो कहती हैं, "जब तक अदालत ने अपना फ़ैसला नहीं सुनाया था तब तक सरकार साफ़तौर पर अपना काम हमेशा की तरह कर रही थी. सरकार ने शायद इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि सर्वोच्च न्यायालय इस योजना को असंवैधानिक घोषित कर सकता है और इसे रद्द कर सकता है."
 अंजलि भारद्वाज के मुताबिक़, सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई समाप्त होने के बाद भी सरकार ने और ज़्यादा बॉन्ड छपवाए तो इससे पता चलता है कि शायद सरकार नहीं सोच रही थी कि योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया जाएगा.
आरटीआई में मिली जानकारियों से कुछ और दिलचस्प बातें भी सामने आई हैं:

कुल बिके बॉन्ड्स की कीमत 16,518 करोड़ रुपये थी.जिसमे करीब 95 फ़ीसदी बॉन्ड एक करोड़ रुपये के मूल्य वाले थे.वही 25 करोड़ रुपये की कीमत वाले 219 बॉन्ड ऐसे थे जिन्हें राजनीतिक दलों ने नहीं भुनाया.स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़ इस 25 करोड़ रुपये की राशि को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में जमा कर दिया गया.एक और चौंकाने वाली बात ये सामने आई है कि जहां 2018 से 2024 के बीच कुल 6,82,600 इलेक्टोरल बॉन्ड छपवाए गए वहीं जो इलेक्टोरल बॉन्ड बिके उनकी संख्या सिर्फ़ 28,030 थी जो कि कुल छापे गए बॉन्ड्स का महज़ 4.1 फ़ीसदी था.

समाचार संकलन बीबीसी समाचार

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

हमारा शौर्य

हमारे बारे मे

whatsapp-image-2020-06-03-at-11.08.16-pm.jpeg
 
CHIEF EDITOR -  SHARAD PANSARI
CONTECT NO.  -  8962936808
EMAIL ID         -  shouryapath12@gmail.com
Address           -  SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)