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नई दिल्ली / शौर्यपथ / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल साउथ के देशों से एकजुट होने तथा एक दूसरे की ताकत बनने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री ने आज तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ वर्चुअल सम्मेलन में अपने प्रारंभिक वक्तव्य में अनिश्चिता और चुनौतीपूर्ण मौजूदा वैश्विक माहौल पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दुनिया अभी कोविड के प्रभाव से पूरी तरह नहीं उभरी है और विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे टकरावों ने ग्लोबल साउथ देशों की विकास यात्रा के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि ये देश जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा की चिंताओं का सामना कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद समाज के लिए गंभीर खतरे बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी विभाजन और प्रौद्योगिकी से संबंधित नई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां भी उभर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि भारत ग्लोबल साउथ के सभी देशों के साथ अपने अनुभव और क्षमताओं को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने व्यापार, समावेशी विकास, सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति और महिलाओं के नेतृत्व में विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में बुनियादी ढांचे, डिजिटल और ऊर्जा कनेक्टिविटी के माध्यम से ग्लोबल साउथ के साथ सहयोग को बढ़ावा दिया गया है। श्री मोदी ने कहा कि मिशन लाइफ के तहत भारत न केवल देश में बल्कि, साझेदार देशों में भी रूफटॉप सोलर और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को प्राथमिकता दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने ग्लोबल साउथ के विभिन्न देशों को यूपीआई से जोड़ने के प्रयास भी शुरू कर दिये हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा, क्षमता निर्माण और कौशल विकास के क्षेत्रों में ग्लोबल साउथ देशों के साथ साझेदारी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने ग्लोबल साउथ यंग डिप्लोमैट फोरम के शुभारंभ का उल्लेख करते हुए कहा कि ग्लोबल साउथ एक्सीलेंस सेंटर क्षमता निर्माण, कौशल विकास और ज्ञान साझा करने पर काम कर रहा है। समावेशी विकास में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) की भूमिका का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में हुए जी-20 सम्मेलन में एक ग्लोबल डीपीआई डिपोजिटरी का गठन इस संबंध में आम सहमति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत ने ग्लोबल साउथ में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में प्रगति के लिए एक सामाजिक कोष की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि भारत इस कोष में दो करोड़ 50 लाख डॉलर का शुरुआती योगदान करेगा।
श्री मोदी ने कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भारत का मिशन – एक विश्व-एक स्वास्थ्य और विजन – “आरोग्य मैत्री” है। उन्होंने कहा कि भारत ने अफ्रीका तथा प्रशांत द्वीप देशों में अस्पतालों, डायलिसिस मशीनों, जीवन रक्षक दवाओं और जन औषधि केंद्रों पर सहयोग के जरीये इस मैत्री को कायम रखा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवीय संकट के समय भारत ने मित्र राष्ट्रों की सबसे पहले सहायता की है। बाद में श्री मोदी ने अपने समापन भाषण में कहा कि आज की चर्चा ने साथ मिलकर आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह चर्चा ग्लोबल साउथ देशों द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों को बढ़ावा देगी। प्रधानमंत्री ने भारत की ओर से एक व्यापक वैश्विक विकास समझौते का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि इस समझौते की नींव भारत की विकास यात्रा और विकास साझेदारी के अनुभव पर आधारित होगी।
श्री मोदी ने कहा कि व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भारत दो करोड़ 50 लाख डॉलर का कोष बनायेगा। उन्होंने कहा कि व्यापार नीति और व्यापार वार्ता में क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिसके लिए भारत दस लाख डॉलर का योगदान करेगा। ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन दुनिया को प्रभावित करने वाली कई जटिल चुनौतियों जैसे टकराव, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा संकट तथा जलवायु परिवर्तन पर पिछले शिखर सम्मेलनों में हुई चर्चाओं को विस्तार देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ के देश विकास की चुनौतियों, प्राथमिकताओं और समाधानों पर विचार-विमर्श जारी रखेंगे। इस शिखर सम्मेलन का विषय – सतत भविष्य के लिए सशक्त ग्लोबल साउथ है।
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