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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की सुरक्षा, विकास और पुनर्वास आधारित एकीकृत रणनीति से देश नक्सल-मुक्ति के लक्ष्य की ओर — मार्च 2026 तक नक्सलवाद का सम्पूर्ण उन्मूलन केंद्र का लक्ष्य।
नई दिल्ली,/ shouryapath news /
भारत में वामपंथी उग्रवाद यानी नक्सलवाद के विरुद्ध केंद्र सरकार की सशक्त रणनीति अब निर्णायक परिणाम दे रही है। 2014 से 2024 के बीच नक्सली हिंसा की घटनाओं में 53% की कमी आई है, जबकि नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर केवल 18 रह गई है।
पिछले एक दशक में 576 किले सदृश पुलिस थाने, 336 नए सुरक्षा कैंप, 68 नाइट लैंडिंग हेलीपैड, और सैकड़ों किलोमीटर सड़क व संचार नेटवर्क तैयार हुए हैं — जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों में शासन, सुरक्षा और विकास का नया युग शुरू हुआ है।
2014–2024 के बीच नक्सली घटनाएं 16,463 से घटकर 7,744 रह गईं।
मुठभेड़ों में मारे गए सुरक्षा कर्मियों की संख्या 1,851 से घटकर 509 और आम नागरिकों की मौतें 4,766 से घटकर 1,495 हो गईं — यानी क्रमशः 73% और 70% की गिरावट।
केवल वर्ष 2025 में ही 270 नक्सली मारे गए, 680 गिरफ्तार हुए और 1,225 ने आत्मसमर्पण किया। ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ जैसे अभियानों ने बीजापुर, सुकमा और महाराष्ट्र में उग्रवादियों को मुख्यधारा से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
पिछले दस वर्षों में केंद्र ने नक्सली क्षेत्रों में 576 सशक्त पुलिस स्टेशन और 336 सुरक्षा कैंप स्थापित किए।
ड्रोन सर्विलांस, सैटेलाइट इमेजिंग, एआई-बेस्ड डेटा एनालिटिक्स और साइबर ट्रैकिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से अब सुरक्षा बलों की निगरानी क्षमता कई गुना बढ़ी है।
इससे नक्सली ठिकानों की पहचान, मूवमेंट ट्रैकिंग और सटीक कार्रवाई संभव हुई है।
एनआईए और ईडी ने नक्सलियों की ₹52 करोड़ से अधिक की संपत्ति ज़ब्त की है।
राज्यों ने भी ₹40 करोड़ की अतिरिक्त संपत्ति जब्त कर दी है। इससे शहरी नक्सली तंत्र और उनके सूचना युद्ध की क्षमता को गहरा झटका लगा है।
‘सिक्योरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर योजना’ के तहत पिछले 11 वर्षों में राज्यों को ₹3,331 करोड़ मिले — जो पिछले दशक की तुलना में 155% अधिक है।
‘स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम’ के अंतर्गत ₹991 करोड़ की स्वीकृति, और विकास के लिए ‘स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंस’ से ₹3,769 करोड़ के प्रोजेक्ट्स स्वीकृत हुए हैं।
सड़क संपर्क: 17,589 किमी सड़कों के निर्माण हेतु ₹20,815 करोड़ स्वीकृत; जिनमें से 12,000 किमी सड़कों का कार्य पूरा।
मोबाइल कनेक्टिविटी: ₹6,290 करोड़ से अधिक लागत के 4जी टावर — 8,527 में से 2,602 चालू।
वित्तीय पहुंच: 1,007 बैंक शाखाएं, 937 एटीएम और 37,850 बैंकिंग संवाददाता कार्यरत; 5,899 डाकघर 90 जिलों में सेवा दे रहे हैं।
शिक्षा व कौशल: 46 आईटीआई और 49 कौशल विकास केंद्र संचालित, 48 जिलों में रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण जारी।
स्थानीय सहभागिता: 2018 में गठित बस्तरिया बटालियन में 1,143 रंगरूट — जिनमें 400 स्थानीय युवा, सुरक्षा अभियानों का प्रतीक।
सरकार की “ट्रेस–टारगेट–न्यूट्रलाइज” नीति से प्रमुख नक्सली गढ़ जैसे बुध पहाड़, पारसनाथ, बरमशिया और चक्रबंधा लगभग मुक्त हुए।
2024 में सुरक्षा बलों ने 26 बड़ी मुठभेड़ों में शीर्ष नक्सली कैडरों को ढेर किया —
1 ज़ोनल समिति सदस्य, 5 उप-ज़ोनल, 2 राज्य समिति सदस्य, 31 डिविजनल और 59 एरिया समिति सदस्य मारे गए।
सुरक्षा बल अबूझमाड़ जैसे दुर्गम गढ़ों तक पहुँचने में सफल हुए हैं।
2024–2025 में छत्तीसगढ़ सहित देशभर में 1,574 नक्सलियों ने हथियार छोड़े।
सरकार पुनर्वासित कैडरों को ₹5 लाख (उच्च रैंक), ₹2.5 लाख (मध्यम/निम्न रैंक) और ₹10,000 मासिक वजीफा (36 माह) के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण दे रही है।
इस नीति ने संघर्षरत युवाओं को सम्मानजनक जीवन की नई राह दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नक्सलवाद के विरुद्ध भारत की रणनीति सुरक्षा, विकास और सामाजिक न्याय का त्रिवेणी संगम बन चुकी है।
सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक भारत को पूर्णत: नक्सल-मुक्त बनाना है।
एक दशक की निर्णायक नीति ने उन इलाकों को, जो कभी भय के प्रतीक थे, अब अवसर और प्रगति के केंद्रों में बदल दिया है।
— रिपोर्ट: शौर्यपथ डिजिटल / शरद पंसारी
स्रोत: गृह मंत्रालय, भारत सरकार (प्रशासनिक प्रेस विज्ञप्ति 25 अक्टूबर 2025)
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