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नरेश देवांगन की खास रिपोर्ट
जगदलपुर । शौर्यपथ । बस्तर जिले में औषधी नियंत्रण विभाग की उदासीनता की वजह से प्रतिबंधित दवाई जो बिना विशेषज्ञ डॉ के सलाह के, ना दी जाने वाली गर्भपात दवाई (एमटीपी किट) की गोली बिना लाइसेंस के बेचना जो गैरकानूनी हैं, बावजूद यह जान को जोखिम में डालने वाली गोली बाजार में धड़ल्ले से बिक रही है। ताज़ा मामला बकावंड ब्लॉक के ग्राम करपावंड के आर्यन मेडिकल स्टोर्स का हैं जहा पर खुलेआम एमटीपी किट बेचे जा रहे हैं। चिकित्सकों की पर्ची के बिना मेडिकल स्टोर पर छः सौ रुपए लेकर गर्भपात का सामान बेचा जा रहा है।
इस मामले की जानकारी जब शौर्यपथ की टीम को मिली की चिकित्सकों की पर्ची के बिना ही मेडिकल स्टोर पर खुलेआम एमटीपी किट बेचे जा रहे हैं। इसकी पुष्टि के लिए जब टीम ने ग्राहक बन मेडिकल स्टोर पर पहुंच दुकान के संचालक से एमटीपी किट माँगा तो दुकानदार ने पहले तो मना किया की हम नहीं रखते बाद में कुछ देर के बाद कहा की दवाई बाहर से ला के देंगे लेकिन ज्यादा शुल्क देना होगा कहते हुए दवाई देने की बात कही गई जिसके बाद संचालक ने दुकान में काम कर रहे युवक को दवाई लाकर देने को कहा. जिसके बाद युवक ने दवाई लाने के बाद दुकान से थोड़े दूर में ले जाकर गर्भपात किट देने के बाद पूरा तरीका भी बगैर किसी झिझक के टेबलेट रखकर समझाया कि उस टेबलेट को कैसे लेना है। जिसके बाद दवाई की राशि की मांग की गई। टीम ने नगद राशि ना होने की बात कहते हुए पैसे को ऑनलाइन ट्रांसफर करने की बात में दुकान के संचालक ने तत्काल सहमति देते हुए पैसे छः सौ रुपए ऑनलाइन लिया। टीम ने जब दुकान के संचालक मणिकराम साहू से दवाई कहा से लाया जाता हैं पूछे जाने पर दुकान संचालक ने स्वास्तिक एजेंसी से लाने की बात कही।
विभाग दावा जरुर कर रहा है की समय-समय पे उनकी टीम निरिक्षण करती है, यह तो जाँच का विषय है की टीम कब - कब ओर कहां-कहा जाँच करती है ? कुछ समय पूर्व में शौर्यपथ अख़बार ने जिले भर में लगभग मेडिकल में बिना फार्मासिस्ट के दवा का संचालन करने को लेकर खबरें भी प्रकशित की थी लेकिन विभाग के जिम्मेदार कार्यवाही के नाम से साफ बचते नज़र आये। अब तो शहर के चौक चौहराहो में चर्चा चल रहा हैं की क्या औषधी नियंत्रण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ईमानदारी से अपना काम कर रहे हैं ? विभाग की लापरवाही की वजह से ही मेडिकल स्टोर में बिना फार्मासिस्ट के दवा का संचालन किया जा रहा हैं साथ ही मेडिकल स्टोर में बिना चिकित्सकों की पर्ची के गर्भपात किट बिना किसी डर के बेचा जा रहा हैं। लेकिन बीते कुछ दिनों में राजस्व विभाग की कार्यवाही को लेकर तारीफ की जानी चाहिए विभाग के अधिकारी को शिकायत मिलते ही तत्काल टीम का गठन कर कार्यवाही की हैं कार्यवाही में आड़ावाल के राधास्वामी मेडिकल पर चलानी कार्यवाही व गीदम रोड में श्री वर्मा नामक व्यक्ति के द्वारा बिना नर्सिंग होम एक्ट में पंजीयन किये ही लोगो का इलाज व दवाई की भण्डारण को लेकर सख्त कार्यवाही की हैं। जिसका श्रेय राजस्व विभाग को जाता हैं, सुचना मिलते ही त्वरित कर्यवाही की हैं।
अब देखने वाली बात होंगी की क्षेत्र में चल रहे इस धंधे का भंडाफोड़ करने के बाद भी विभाग मौन रहता हैं या कार्यवाही के नाम पे खाना पूर्ति करता हैं ? क्यूंकि जब-जब विभाग को खबरों के माध्यम से शिकायत मिली हैं तब पुरे मामले पर विभाग खानापूर्ति कर जाँच के नाम से यह बोला जाता हैं की टीम मौक़े पर गई तो ऐसा कुछ नहीं पाया। जबकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है की गर्भपात किट बिना डॉक्टर के परामर्श के सेवन से बिगड़े केस अस्पताल पहुंचते हैं। जबकि चिकित्सक के बिना परामर्श के दवाई देकर नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
एक तरफ जहां बेटियों को बचाने को लेकर सरकार व चिकित्सा विभाग समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाते है, वहीं दूसरी तरफ इन लोगों के ऐसे कारनामे गर्भ में ही बेटियों को मारने की कवायद पर पर्दा डाल देते हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि विभिन्न क्षेत्रों के ये लोग दुकान खोलकर लोगों का इलाज तक कर रहे हैं। गर्भपात की दवाई रख रहे हैं, तो विभाग नियम का पालन कर शख़्ती से इन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?
इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संजय बैशाख का कहना हैं की एमटीपी किट बिना डॉक्टर की सलाह के नही बेच सकते अगर ऐसा हो रहा है तो मै इसकी जांच करवाता हूं,इतना ही नहीं इसमें सजा का भी प्रावधान होता है। जिसमें एफआईआर दर्ज, मेडीकल सील व लाइसेंस भी रद्द किया जाता है।
इस मामले में ड्रग विभाग के एडीसी श्री नगवंशी का कहना हैं की मेडिकल स्टोर में एमटीपी किट रख सकते हैं लेकिन बिना विशेषज्ञ डॉ के सलाह पर्ची के दवाई नहीं दी जा सकती। एमटीपी किट सेडुल H-1 के अंतर्गत आता हैं। बिना डॉ के पर्ची के दवाई दी जा रही हैं तो इसकी तत्काल जाँच कर लाइसेंस रद्द की कार्यवाही की जाएगी।
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