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दीपक वैष्णव की खास रिपोर्ट | शौर्य पथ | कोंडागांव
कोंडागांव बस स्टैंड स्थित नेशनल हाइवे पर गुरुवार 17 सितम्बर की दोपहर एक गंभीर घटना ने यातायात व्यवस्था की पोल खोल दी। एक बिना नंबर प्लेट की बुलेरो ने लापरवाही से चलते हुए एक दोपहिया वाहन चालक को ठोकर मार दी। हादसे के बाद यह सामने आया कि बुलेरो चालक के पास न तो कोई दस्तावेज था और न ही वाहन पर आगे-पीछे नंबर प्लेट।
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे कोतवाली में पदस्थ एएसआई भूपेंद्र बघेल ने न तो मामले की गंभीरता को समझा और न ही मोटर वाहन अधिनियम के तहत आवश्यक कार्रवाई की। उल्टा बुलेरो चालक को मौके से ही छोड़ दिया गया। गवाहों के मुताबिक, गलती बुलेरो चालक की थी, लेकिन पुलिस ने न तो वाहन ज़ब्त किया, न ही चालक पर चालान किया। इस लापरवाही के चलते आरोपी चालक मौके से फरार हो गया।
पीड़ित परिवार की मजबूरी
हादसे में घायल टू-व्हीलर चालक के परिजन अस्पताल में भर्ती थे। इस कारण पीड़ित ने विवाद में समय गंवाने के बजाय सीधे अस्पताल जाना उचित समझा। बुलेरो चालक से नुकसान की भरपाई मांगने पर जब उसने पैसे देने से इनकार किया, तो पीड़ित निराश होकर अपने परिवार के पास चला गया।
उठते सवाल
कोंडागांव जिला यातायात व्यवस्था में सुधार की बातें तो खूब होती हैं, लेकिन बिना नंबर–नेमप्लेट वाले वाहन खुलेआम सड़कों पर दौड़ रहे हैं। पुलिस विभाग की जिम्मेदारी यातायात नियमों का पालन सुनिश्चित कराने की है, मगर जब मौके पर मौजूद एएसआई ही नियमों को अनदेखा कर दें, तो सवाल उठना लाज़मी है—
क्या एएसआई को मोटर वाहन अधिनियम की जानकारी नहीं?
या फिर जानबूझकर बिना कार्रवाई किए वाहन को छोड़ दिया गया?
कानून क्या कहता है?
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 39 और 192 के अनुसार:बिना नंबर प्लेट वाहन चलाना गैरकानूनी है।पहली बार पकड़े जाने पर ₹5,000 तक का जुर्माना।बार-बार अपराध करने पर ₹10,000 तक का जुर्माना व जेल की सजा।पुलिस को ऐसे वाहन को ज़ब्त करने का अधिकार।
क्यों है नंबर प्लेट ज़रूरी?
नंबर प्लेट वाहन की पहचान होती है। हादसा, अपराध या आपात स्थिति में यह सबसे अहम कड़ी होती है। बिना नंबर की गाड़ियां अक्सर अवैध कारोबार, तस्करी या आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल होती रही हैं।
निष्कर्ष :कोंडागांव का यह मामला केवल एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि पुलिस विभाग की लापरवाही का आईना है। बिना नंबर प्लेट की बुलेरो को छोड़ना न सिर्फ मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि यह सड़क सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी भी है। सवाल उठता है कि क्या पुलिस ऐसे मामलों में भी सिर्फ अनदेखी कर देगी, या फिर जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देगी?
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