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बिलासपुर / शौर्यपथ / मरवाही विधानसभा क्षेत्र में कुल 237 मतदान केन्द्र है, और मतदाताओं की संख्या एक लाख 90 हजार 254 के लगभग है। जिसमें से महिलाओं मतदाताओं की संख्या 96 हजार और पुरूष मतदाता 93 हजार के लगभग है। इन मतदाताओं को संभालने के लिए कांग्रेस ने अपने 48 विधायकों को सैक्टरवाईज़ जिम्मेदारी दी है। चार मंत्रियों को ही उतार दिया है। छत्तीसगढ़ एक ऐास प्रदेश है जिसने दो बरा उपचुनाव में मुख्यमंत्री को चुनाव लड़ते देखा। पहली बार विभाजित मध्यप्रदेश के वक्त अर्जुन सिंह ने खरसियां जिला रायगढ़ से चुनाव लड़ा और दुसरी बार छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2001 में अजीत जोगी ने मरवाही विधानसभा से उपचुनाव लड़ा। दोनो चुनाव के बीच लंबा अंतराल था, और दो बड़े अंतर थे अर्जुन सिंह के चुनाव में कांग्रेस के विधायक लक्ष्मी पटेल ने इस्तिफा देकर सीट खाली की थी जबकि मरवाही में भाजपा के रामदयाल उईके ने अपनी सीट छोड़ दी थी।
खरसियां का उपचुनाव राजनैतिक इतिहास में हमेशा याद किया जाता है। क्योंकि यहां पर अर्जन सिंह जैसे दिग्गज राजनेता को जीत के लिए एड़ीचोटी का जोड़ लगाना पड़ा। वे मात्र 8 हजार वोट से जीत पाए थे और हारने के बावजूद पराजीत प्रत्याशी दिलीप सिंह जुदैव का जुलूस आज भी खरसियां की जनता को याद है। इससे उल्ट कहानी मरवाही की थी। 2001 में मरवाही ने अजीत जोगी ने जीत की जो इमारत खड़ी की वह 2018 तक बढ़ती ही चली गई। फिर चाहे चुनाव अजीत जोगी लड़ रहे हो या अमित जोगी। कभी भी कैसी भी परिस्थिति में जीत का आकड़ा 40 हजार से नीचे नहीं गया। वर्ष 2018 के चुनाव में अजीत जोगी को मात्र एक मतदान के लिए कटरा में हार मिली और वहां भी वे प्रत्याशी से नही नोटा से हारे। 2018 के चुनाव में मरवाही में नोटा को 4 हजार 501 वोट मिला। कटरा में नोटा 89, जोगी 78, कांग्रेस गुलाब सिंह राज 64 और भाजपा अर्चना पोर्ते 58 मत पाएं थे।
मरवाही जैसे आदिवासी बहुल्य क्षेत्र में नोटा को प्राप्त होने वाला वोट राजनैतिक पंडितों को आश्र्चय में डालता है। 4 सेक्टरों में कांग्रेस ने जिन लोगों को जिम्मेदारी दी है। उसमें सासंद, संसदीय सचिव और विधायक शामिल है। उत्तर क्षेत्र में के प्रभारी उत्तम वासुदेव और मंत्री गुरू रूद्र कुमार है। दक्षिण क्षेत्र में विधायक शैलेष पांडेय और मंत्री डाॅक्टर प्रेम साय सिंह। गौरेला क्षेत्र अर्जुन तिवारी और मोहम्मद अकबर, पेंड्रा क्षेत्र में मोहित केरकेटा और मंत्री कवासी लखमा को जिम्मेदारी मिलीं 4 मंत्री 48 विधायक आकड़ा थोड़ा छोटा है। असल में प्रदेश के मुखिया ने मरवाही में अपने मंत्री मंडल को उतार दिया है। प्रत्याशी भले ही केके धु्रव किन्तु चुनाव में सीधे मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा जुड़ी है। इस कथा का पुरा सार नामाकंन जांच के बाद पढ़ने मिलेगा।
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