December 07, 2025
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Naresh Dewangan

Naresh Dewangan

जगदलपुर, शौर्यपथ। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बस्तर दशहरा के मुरिया दरबार में शामिल होने के लिए जगदलपुर पहुँचे। जगदलपुर में स्थित मां दंतेश्वरी हवाई अड्डे पर मंत्री, सांसद, विधायक, अन्य जनप्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारियों ने केंद्रीय गृहमंत्री का आत्मीय स्वागत किया गया। केंद्रीय गृहमंत्री मूरिया दरबार, लाल बाग में प्रदर्शनी का अवलोकन, बस्तर दशहरा लोकोत्सव कार्यक्रम में शामिल होंगे। केंद्रीय गृहमंत्री के साथ में प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा भी पहुंचे हैं।

​हवाई अड्डे पर वन मंत्री केदार कश्यप, जनजाति कल्याण मंत्री राम विचार नेताम, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ,बस्तर सांसद महेश कश्यप, जगदलपुर विधायक किरण सिंह देव, कोंडागांव विधायक लता उसेंडी, चित्रकोट विधायक विनायक गोयल, दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी, विधायक कांकेर आशाराम नेताम जगदलपुर के महापौर संजय पांडेय, ब्रेवरेज कार्पोरेशन के अध्यक्ष श्रीनिवास राव मद्दी, पूर्व विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधियों और डी जी पी अरुण देव गौतम, प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ, कमिश्नर डोमन सिंह, आईजी सुंदर राज पी., कलेक्टर हरिस एस, पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने स्वागत किया।

By- नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व में सोमवार को रथ परिक्रमा की अंतिम और सबसे अनूठी रस्म 'बाहर रैनी' निभाई गई। इस दौरान राज परिवार के सदस्य ने सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए माड़िया आदिवासी समुदाय के लोगों के साथ 'नवाखानी' (नए चावल की खीर) खाई। इस अवसर पर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, महापौैर संजय पांडे सहित जनप्रतिनिधिगण भी शामिल रहे। नवाखानी के बाद विशालकाय विजय रथ की वापसी हुई। यह रस्म बस्तर की अनूठी सामाजिक समरसता और आदिवासी संस्कृति की झलक पेश करती है।

 

​परंपरा: रथ चोरी और राजा का मान-मनौव्वल

​दरअसल, विजयादशमी की रात (भीतर रैनी) को माड़िया समुदाय के ग्रामीणों ने परंपरानुसार आठ पहियों वाले विशाल रथ को चुराकर नगर के समीप कुम्हड़ाकोट जंगल में छिपा दिया था। यह रस्म उस ऐतिहासिक घटना को याद करती है जब एक बार ग्रामीणों ने राजा से असंतुष्ट होकर रथ चुरा लिया था।

​शुक्रवार दोपहर राज परिवार के सदस्य, राजगुरू और मांझी-मुखिया पूरे लाव-लश्कर और गाजे-बाजे के साथ रथ को वापस लाने के लिए कुम्हड़ाकोट पहुँचे। यहाँ राजा द्वारा ग्रामीणों से रथ वापस करने के लिए मान-मनौव्वल किया गया।

 

नवाखानी से हुआ सद्भाव

​माड़िया समुदाय ने रथ लौटाने के लिए शर्त रखी कि राजा उनके साथ नवाखानी खाएँगे। राज परिवार ने सहर्ष इस शर्त को स्वीकार किया। नए चावल से बने इस प्रसाद को सभी ने एक साथ ग्रहण किया, जो राज और आदिवासी समुदाय के बीच गहरे पारंपरिक संबंध और सद्भाव का प्रतीक है।

​नवाखानी की रस्म पूरी होने के बाद माँ दंतेश्वरी का छत्र विधि-विधान के साथ रथ पर विराजित किया गया। माड़िया समुदाय के लोगों ने भारी उत्साह के बीच विजय रथ को जंगल से वापस खींचकर दंतेश्वरी मंदिर के सिंहद्वार तक पहुँचाया।

​बाहर रैनी रस्म के समापन के साथ ही बस्तर दशहरा की रथ परिक्रमा पूरी हो गई। 75 दिनों तक चलने वाला यह अनोखा पर्व अब आगामी रस्मों-काछन जात्रा और कुटुम्ब जात्रा- के साथ अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है।

By - नरेश देवांगन 

​जगदलपुर, शौर्यपथ। विश्व प्रसिद्ध 75 दिवसीय बस्तर दशहरा पर्व के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक भीतर रैनी की रस्म गुरुवार को पूरी हुई। इस दौरान भव्य आठ चक्कों वाले विजय रथ की परिक्रमा हुई, जिसे खींचने के लिए कोड़ेनार और किलेपाल क्षेत्र के दूर-दराज के गाँवों से बड़ी संख्या में आदिवासी जन जुटे और बारिश के बावजूद रथ को बड़े उत्साह के साथ खींचा।

गुरुवार को बस्तर दशहरा के महत्वपूर्ण दिन भीतर रैनी की रस्म निभाई गई, पिछले वर्ष तैयार आठ चक्कों वाले विशाल विजय रथ को सुसज्जित कर विधि विधान के साथ पूजा अनुष्ठान के पश्चात संचालन किया गया। मां दंतेश्वरी के छत्र को रथारूढ़ करने के बाद पुलिस जवानों द्वारा हर्ष फायर कर सलामी दी गई। इसके बाद रथ को खींचा गया।

इस विशाल रथ को मावली मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, गोल बाजार चौक, गुरु नानक चौक होते हुए दंतेश्वरी मंदिर तक परिक्रमा कराई गई। इस विशाल आठ चक्के के विजय रथ में जहां दंतेश्वरी मां की डोली और छत्र विराजमान थी, वहीं इसके सामने सुसज्जित वाहन में दंतेवाड़ा से आई मावली मां की डोली और छत्र विराजमान थी। रथ के सामने बस्तर संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से दशहरा में पहुंचे देवी-देवताओं के छत्र, डोली, और लाठ लिए पुजारी, सेवक चल रहे थे वहीं आंगादेव पूरे मार्ग पर दौड़ते हुए मार्ग के अवरोध हटाने में जुटे नजर आए। इस विहंगम दृश्य को देखने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से आए ग्रामीणों के साथ ही नागरिकगण भी जुटे रहे। लगातार हो रही बारिश के बीच भी बस्तर दशहरे का आकर्षण एवं वैभव नजर आया।

दशहरे की रौनक में बस्तर पुलिस का सराहनीय योगदान

नरेश देवांगन की खास रिपोर्ट 

जगदलपुर, शौर्यपथ। बस्तर दशहरा अपनी परंपरा और भव्यता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इन दिनों जगदलपुर शहर में लाखों श्रद्धालु और पर्यटक जुट रहे हैं, जिससे भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन जाती है। इस चुनौती को बस्तर पुलिस बखूबी संभाल रही है।

पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा के कुशल नेतृत्व में सुरक्षा व्यवस्था लगातार सुदृढ़ की जा रही है। श्री सिन्हा स्वयं व्यवस्था पर नजर बनाए हुए हैं और समय-समय पर मैदानी हालात का जायजा ले रहे हैं।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग के मार्गदर्शन में उप पुलिस अधीक्षक (यातायात) संतोष जैन और यातायात प्रभारी मधुसूदन नाग अपनी टीम के साथ शहर के मुख्य मार्गों पर मुस्तैदी से डटे हुए हैं। बैरिकेड्स, ट्रैफिक डायवर्जन और पार्किंग की स्पष्ट व्यवस्था से श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुगम मार्ग मिल रहा है।

भीड़भाड़ वाले इलाकों में अतिरिक्त जवानों की तैनाती और अधिकारियों की लगातार फील्ड निगरानी से दशहरे की रौनक में किसी तरह की अव्यवस्था नहीं दिख रही है। पुलिस जवान श्रद्धालुओं को लगातार मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

स्थानीय नागरिक और बाहर से आए पर्यटक पुलिस की इस मुस्तैदी की खुले दिल से तारीफ कर रहे हैं। लोगों का कहना है, “इस बार दशहरा का आनंद दोगुना हो गया है, क्योंकि पुलिस की सतर्कता ने हमें पूरी सुरक्षा और भरोसे का माहौल दिया है।”

निस्संदेह, दशहरे के इस ऐतिहासिक पर्व में बस्तर पुलिस का योगदान लगातार व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एसपी और उनकी टीम की यह तत्परता पूरे समाज में सुरक्षा और विश्वास का सकारात्मक संदेश दे रही है।

नरेश देवांगन की खास रिपोर्ट 

जगदलपुर, शौर्यपथ। राजमहल परिसर में मीना बाजार का ‘‘मौत का कुआँ’’ खेल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन कारण रोमांच नहीं बल्कि लापरवाही है। लगभग 30 साल पुरानी गाड़ियों को बिना तकनीकी जांच और बिना सुरक्षा इंतज़ाम मौत के कुएँ में झोंक दिया गया। फिटनेस शुल्क भरकर कागज़ी मंजूरी तो दिला दी गई, मगर यह कौन तय करेगा कि सड़क पर चलने लायक वाहन मौत का कुआँ जैसे खतरनाक खेल में भी दौड़ाए जा सकते हैं?

 

गृह मंत्री आएँ तो फिटनेस सख़्त, जनता आए तो सब ढीला

विडंबना देखिए—4 अक्टूबर को लालबाग के स्वदेशी मेला में देश के गृहमंत्री अमित शाह कार्यक्रम में संभावित मौजूदगी है। वहाँ मंच की मजबूत लकड़ी से लेकर बिजली के तार तक की फिटनेस जांची जा रही है। हर विभाग का अफसर मैदान में उतरकर पसीना बहा रहा है ताकि कार्यक्रम में सुरक्षा पर कोई सवाल न उठे।

लेकिन दूसरी तरफ़ मीना बाजार, जहाँ रोज़ हज़ारों आम नागरिक जुट रहे हैं, वहाँ जगह जगह कटे केबल बिना इन्सुलेटेट तार जैसी जानलेवा, बिना फिटनेस जाँच के झूला पर सवारी साथ ही मौत का कुआँ लगभग 30 साल पुरानी गाड़ियाँ दौड़ रही हैं। न फिटनेस की असली जांच, न सुरक्षा उपकरण, न ही जिम्मेदार अधिकारियों की मौजूदगी। लगता है प्रशासन के लिए जनता की जान किसी कागज़ी फिटनेस सर्टिफिकेट से भी सस्ती है।

 

दोहरे मानक पर सवाल

जनता पूछ रही है—

क्या फिटनेस सर्टिफिकेट का मतलब यह भी है कि गाड़ियाँ मौत का कुआँ में उड़ाई जा सकती हैं?

जब गृह मंत्री आते हैं तो सुरक्षा की परत दर परत जांच होती है, मगर जनता की भीड़ के लिए जिम्मेदार क्यों खामोश हैं?

क्या नियम-कानून सिर्फ खास मेहमानों पर लागू होते हैं और आम जनता महज़ भीड़ समझी जाती है?

 

कार्यवाही की मांग 

स्थानीय लोगों ने कहा कि यह दोहरा रवैया जनता के विश्वास पर सीधा चोट है। अगर प्रशासन सिर्फ़ नेताओं और खास मेहमानों के लिए ही सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, तो आम जनता की जान का जिम्मेदार कौन होगा? उन्होंने मांग की है कि आयोजकों और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख़्त कार्यवाही हो, वरना आने वाले दिनों में मीना बाजार जैसी जगहें रोमांच नहीं बल्कि मौत का गढ्ढा साबित होंगी।

 

विभागीय जानकारों की माने तो फिटनेस नियम क्या कहते हैं?

निजी वाहनों की आरसी (RC) केवल 15 वर्ष तक वैध रहती है।

इसके बाद वाहन चलाने के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट का नवीनीकरण अनिवार्य है।

फिटनेस का नवीनीकरण यह साबित करता है कि गाड़ी सड़क पर साधारण परिस्थितियों में चलने लायक है।

जोखिमभरे खेल या स्टंट (जैसे मौत का कुआँ) के लिए कोई भी कानून फिटनेस को मान्यता नहीं देता।

ऐसे आयोजनों के लिए अलग सुरक्षा मापदंड और अनुमति आवश्यक है।

 

सवाल अभी भी बाकी…

क्या 30 साल पुरानी गाड़ियों को मौत का कुआँ में उतारना कानून की अवहेलना नहीं है?

जब फिटनेस सिर्फ सड़क पर चलने की इजाजत देता है, तो विभाग ने इन वाहनों को जोखिमभरे खेल में क्यों नज़रअंदाज़ किया?

 

इस मामले पर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी श्री बंजारे का कहना है की परमिशन हमारे यहाँ से नहीं लिया गया है इसकी शिकायत भी हमें मिली है जिस पर मैंने उड़न्दस्ता की टीम को जाँच के लिए मैंने उड़न्दस्ता प्रभारी व इंस्पेक्टर को बोल दिया है की जाके इसकी फिटनेस, रजिस्ट्रेशन, पाल्यूशन की जाँच कर ले ओर किसी प्रकार की कमी पाई जाती है तो उस पर जुर्माना करें हमारे पास मौत की कुआँ पे चलने वाली गाड़ियों को लेकर कोई गाइड लाइन अभी नहीं आया है यें लोग प्राइवेट गाड़ियों को चलाते है व्यवसायिक गाड़ीयां तो है नहीं यदि इस टाइप से चला रहे होंगे तो फाइन होगा मौत के कुआँ मे करतब दिखा रहे है सुरक्षा नियमों का पालन नहीं हो रहा है तो इसके लिए मै यातायात प्रभारी से बात कर बोलूंगा की नियमों का पालन करवाये ताकि किसी प्रकार का भविष्य मे हादसा ना हो बीते वर्ष भी इस मामले की शिकायत प्राप्त हुई थी जिसकी जाँच कर लगभग पचास हजार रुपए जुर्माना लगाया गया था जुर्माना लगाने के बाद भी ऐसा होगा तो जप्ती की कार्यवाही कर न्यायलय पेश किया जायेगा।

स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के तहत किया गया स्वच्छता अभियान

जगदलपुर,शौर्यपथ। स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत आज विशेष कार्यक्रम का आयोजन सिरहासार चौक स्थित शहीद स्मारक परिसर में किया गया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव और वन मंत्री केदार कश्यप ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री श्री साव ने प्रदेश के नगरीय निकायों द्वारा स्वच्छता के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी साझा की और कहा कि स्वच्छता हमारे संस्कार का विषय होना चाहिए, हमारे बड़े बुजुर्ग स्वच्छता को लेकर हमें प्रेरित करते थे। स्वच्छता जन आंदोलन बन गया है, हरेक व्यक्ति की सहभागिता से देश, प्रदेश और नगर को स्वच्छ - स्वस्थ बनाने का प्रयास है। उन्होंने जगदलपुर शहर को स्वच्छ बनाने के लिए सभी नागरिकों की सहभागिता जरूरी बताया। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री ने सभी उपस्थित लोगों को स्वच्छता बनाए रखने की शपथ दिलवाई और समाज में स्वच्छता को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने का संकल्प लिया गया।

इसके बाद सिरहासार परिसर के समीप मंत्रियों, महापौर संजय पांडेय, सभापति खेमसिंह देवांगन, आयुक्त नगर निगम प्रवीण वर्मा, नगर निगम के एमआईसी के सदस्य, जनप्रतिनिधियों, नगर निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों और आम नागरिकों की सहभागिता से नगर में स्वच्छता अभियान चलाया गया। लोगों ने आसपास की साफ-सफाई कर ‘स्वच्छता ही सेवा’ का संदेश दिया।कार्यक्रम में अन्य अतिथियों ने भी शहीद स्मारक की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। साथ ही स्वच्छता अभियान के तहत स्वच्छता दौड़ में सहभागी बने बच्चों को प्रशस्ति पत्र भी वितरण किया गया ।

By - नरेश देवांगन 

जगदलपुर, शौर्यपथ। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की एक और अत्यंत महत्वपूर्ण रस्म 'मावली परघाव' बुधवार की रात को पूरी श्रद्धा और भव्यता के साथ अदा की गई। यह रस्म दो देवियों के मिलन के रूप में जाना जाता है, जिसे जगदलपुर के दन्तेश्वरी मंदिर प्रांगण और कुटरूबाड़ा के समीप पारंपरिक रीति-रिवाजों से निभाया गया। इस ऐतिहासिक रस्म को देखने के लिए हर साल की तरह इस बार भी रात को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा। माटी पुजारी कमलचंद भंजदेव की अगुवाई में किए गए मावली परघाव के अवसर पर उप मुख्यमंत्री अरुण साव, वन मंत्री केदार कश्यप, सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, जगदलपुर विधायक किरण देव, महापौर संजय पांडे, कमिश्नर डोमन सिंह, पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पी, कलेक्टर हरीस एस, पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा उपस्थित रहे। दंतेवाड़ा से मावली माता की डोली के साथ पुजारी, कलेक्टर कुणाल दुदावत, पुलिस अधीक्षक गौरव राय भी पहुंचे।

माईजी की डोली का भव्य स्वागत

परंपरा के अनुसार, दंतेवाड़ा से मावली देवी की छत्र डोली और दंतेश्वरी का छत्र जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर लाए गए। दंतेवाड़ा से पहुंची माईजी की डोली और छत्र का भव्य स्वागत राजपरिवार सदस्य कमलचंद भंजदेव और समस्त बस्तरवासियों ने किया। इस दौरान आतिशबाजियां की गईं और फूलों की बारिश की गई, जिसने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया। माईजी की डोली के स्वागत की इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी पहुंचे थे।

'मावली परघाव' रस्म में फूल से बना साफा एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह साफा केवल जंगल में पाए जाने वाले फूलों से तैयार किया जाता है। राजा को यह साफा पहनाया जाता है और इसकी विशेष पूजा की जाती है। इसी साफा को पहनकर देवी की डोली को राजमहल परिसर स्थित दंतेश्वरी मंदिर में स्थापित किया जाता है, जिसके बाद इसे दशहरा पर्व के अन्य रस्मों में शामिल किया जाता है।

बस्तर दशहरा की परंपरा के अनुसार, बस्तर माटी पुजारी कमलचंद भंजदेव ने माईजी की डोली की पूजा अर्चना की। पूजा के बाद माईजी की डोली को दशहरा पर्व के समापन होने तक मंदिर के भीतर रखा गया है। इन सदियों पुरानी रीति-रिवाजों और परंपराओं का निर्वहन बस्तर की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।

अधिकारियों को समयपूर्व सभी आवश्यक तैयारी एवं व्यवस्था सुनिश्चित करने दिए निर्देश

जगदलपुर, शौर्यपथ। उप मुख्यमंत्री एवं प्रभारी मंत्री बस्तर जिला विजय शर्मा ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आगामी 04 अक्टूबर को बस्तर प्रवास कार्यक्रम की तैयारियों का निरीक्षण कर अधिकारियों को सभी आवश्यक तैयारी एवं व्यवस्था समयपूर्व सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने सिरहासार भवन एवं कार्यक्रम स्थल लालबाग में तैयारी का जायजा लिया और अधिकारियों की बैठक में प्रवास कार्यक्रम की प्रत्येक तैयारी एवं व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की। इस दौरान सांसद बस्तर महेश कश्यप, विधायक जगदलपुर किरण देव, महापौर संजय पाण्डे तथा अन्य जनप्रतिनिधियों सहित कमिश्नर बस्तर डोमन सिंह, आईजी बस्तर रेंज सुंदरराज पी, कलेक्टर हरिस एस, पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा और जिला प्रशासन के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

जगदलपुर, शौर्यपथ। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित श्रीरामलला दर्शन (अयोध्या धाम) योजना के तहत 30 सितंबर की शाम को बस्तर जिले के कुल 87 तीर्थ यात्रियों को टाउन हॉल के सामने बस से रवाना किया गया। सांसद महेश कश्यप, नगर निगम महापौर संजय पांडे, वेद प्रकाश पांडे, रामाश्रय सिंह ने श्रीरामलला दर्शन योजना के यात्रियों को पुष्प भेंट कर सुखद यात्रा की शुभकामनाएं दी। यात्रा के प्रारम्भ होने से पूर्व सभी यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया। जिले में श्रीरामलला दर्शन योजना समिति के सदस्य रामाश्रय सिंह एवं अन्य अधिकारियों के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में हरी झंड़ी दिखाकर रवाना किया गया है। जिले से विगत वर्ष से अब तक 873 तीर्थ यात्रियों को अयोध्या धाम यात्रा से लाभान्वित किया जा चुका है। इस अवसर पर जिला पंचायत अति. मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं नोडल अधिकारी बीरेंद्र बहादुर सहित जिला पंचायत कार्यालय के अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

 

जगदलपुर, शौर्यपथ। वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक आलोक कुमार तिवारी के निर्देशानुसार वनमण्डलाधिकारी उत्तम कुमार गुप्ता के कुशल मार्गदर्शन में वन विभाग लगातार अवैध अतिक्रमण, अवैध कटाई के खिलाफ लगातार एक्शन मोड में है और कार्यवाही कर रही है। इसी दौरान गुप्तसूत्रों के द्वारा सूचना प्राप्त हुई कि भानपुरी परिक्षेत्र के जामगांव सर्किल के ग्राम बोरीगांव में कुछ लोगों द्वारा राजकीय वृक्ष साल की अवैध कटाई कर घर में चिरान रखने की सूचना प्राप्त हुई। जिस पर उपवनमंडलाधिकारी बस्तर आई पी बंजारे के नेतृत्व में वन परिक्षेत्र अधिकारी डॉ प्रीतेश पाण्डेय ने एक टीम का गठन किया गया। 27 सितंबर को कुलमन पिता सुक्लो के घर 25 नग(0.76 घन मीटर) Por no 15487/11 के तहत साल लकड़ी चिरान किया गया उनके द्वारा घर बाड़ी एवं खेत छुपा रखा था फिर 28 सितंबर को कृषक बुधराम पिता गुड्डी के घर से 15 नग साल चिरान (0.39घन मीटर )por नॉ 15487/12 के तहत बरामद की एवं भारत पिता हिड़मा के घर से 11नग साल चिरान (0.213घन मीटर )POR ना 15487/13 के तहत कार्यवाही की गई जिसे अभियुक्तों से पूछताछ करने पर उनके द्वारा बताया गया कि आरक्षित वनखंड के कक्ष क्रमांक 1007 से काटी गई है। इस पर वन परिक्षेत्र अधिकारी डॉ प्रीतेश पाण्डेय ने तत्काल कार्यवाही करते हुए भारतीय वन अधिनियम 1927 एवं चिरान अधिनियम के तरह प्राथमिकी दर्ज की साथ ही ग्रामीणों को हिदायत दी की वनों की अवैध कटाई और अतिक्रमण गैर कानूनी है और ऐसा किए जाने पर अपराधी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।इस कार्रवाई में सहायक परिक्षेत्र अधिकारी डोमू राम नेताम, जयदेव मौर्य,ओमप्रकाश सिंह, बुद्रुरु राम कश्यप साथ ही परिसर रक्षक श्रीमती मुन्नी मौर्य छेंदु राम, हेमंत मोर्य, अरुण नाग, योगेश रामटेक, नृपेंद्र गौतम एवं वन चौकीदारों का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ

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