March 15, 2025
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चन्द्रा फाईन आर्टस के कलाकार दस साल से अपने द्वारा कार्य के भुगतान के लिए भटक रहा है , मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद भी नही हुई कोई कार्यवाही

भिलाई / शौर्यपथ / वार्ड पांच लक्ष्मी नगर सुपेला निवासी व चन्द्रा फाईन आर्टस के संचालक चंद्रशेखर गंवई जिनके द्वारा पॉवर हाउस बाबा साहेब अंबेडकर चौक का सौन्दर्यीकरण कार्य 18 जून 2010 को स्वीकृति राशि 968707 के तहत स्वीकृत हुआ जिसमें से अब तक 1 लाख 88 हजार रूपये ही काम का मिला है और 7 लाख 80 हजार 707 रूपये बकाया है। आज दस साल बीत जाने के बाद भी उक्त कलाकार एवं कांग्रेस नेता चंन्द्र्रशेखर गंवई अपना पेमेंट को लेकर मुख्यमंत्री के दरवाजे तक दस्तक दे चुके है, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नही हुई है। इससे दुखी कलाकार चंद्रशेखर गंवई ने कहा कि जब मेरे द्वारा निगम अधिकारियों से बार बार मिल कर बिल भुगतान करने का अनुरोध किया गया तो निगम के अधिकारियो ने बताया कि आपकी फाईल गुम हो गई है, जिसकी प्राथमिकी सहायक ग्रेड 2 के सुनिल कुमार तिवारी द्वारा 14 अक्टूबर 2014 को सुपेला थाना में प्राथमिकी सूचना दर्ज करने का कष्ट करें का आवेदन दिया गया है, लेकिन हकीकत यह है कि पुलिस द्वारा इस मामले में धारा 154 के तहत एफआईआर दर्ज करना चाहिए लेकिन मजेदार बात है कि पुलिस ने धारा 155 के तहत मामला बताते हुए उल्टा न्यायालय जाने का हवाला दे दिया। मजेदार बात यह है कि इतने बडे मामले में न ही उसके बाद कोई निगम अधिकारी ध्यान दिया और न ही पुलिस ने।
वैसे भी नगर निगम भिलाई फाईल गुमने और फाइर्ल जलने और चोरी होने के मामलों में हमेशा प्रदेश में नंबर वन रहा हैें लेकिन आज तक किसी भी मामले को न ही पुलिस ने ही भांडा फोड़ किया है और न ही निगम के अधिकारियों ने ऐसे मामले में कभी दिलचस्पी ली। इससे साफ जाहिर है कि निगम से फाईल चोरी होने और गुमने का कार्य नही होता है जान बूझकर उन फाईलों को गायब किया जाता है जिनसे निगम अधिकारियों कर्मचारियों को टेबल के नीचे से उपहार नही मिलता है या जिस मामले में निगम के अधिकारी और कर्मचारी फंसने वाले होते है, वहीं फाईल गायब कर दिया जाता है। उसका नतीजा चंद्रशेखर गंवई ही नही बल्कि सैकड़ों लोग अब तक भुगत रहे है।
आखिर निगम अधिकारियों और कर्मचरियों की गलती बेचारे गंवई जैसे लोग क्यों भुगते। निगम अधिकारियों को इस ओर ध्यान देकर जिस भी अधिकारी से या कर्मचारी से फाईल गुमने का कार्य होता है, उसपर कठोर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए या जेल भेजना चाहिए। तब कहीं जाकर निगम से फाईल चोरी होने का मामला नही होगा। इस मामले मे ंपीडि़त चन्द्रशेखर गंवई कांग्रेस के नेता है और उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है कि आखिर मेरी मूल नस्ती कहां गायब हो गई। और समय समय पर मैँ निगम अधिकारियेां से अपने भुगतान के लिए मिल मिल कर गुहार लगाता रहा हूं, लेकिन हमेेशा मुझे निराशा ही हाथ लगा। फाईन आर्टिस्ट एवं कांग्रेस नेता गंवई ने मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हुए कहा कि मैं दस सालों से अपने भुगतान को लेकर प्रताडि़त हो रहा हंूं। मैँ अपने जीवन के 26 सालों से कांग्रेस से जुड़ा रहा। कांग्रेस पार्टी के निर्देसानुसार जो भी मुझे जिम्मेदारी दी गई मैँ उससे पूरी ईमानदारी से निर्वहन करता रहा और जब भाजपा की सरकार थाी तो भाजपा और निगम क्षेत्र की समस्याओं को लेकर भी सदा मैँ धरना प्रदर्शन करता रहा, हो सकता है कि निगम के अधिकारी कर्मचारी इससे कारण मेरा भुगतान रोक कर रखे हैँ और मुझे परेशान कर रहे हैँ।
तात्कालीन भाजपा सरकार में कलेक्टर जनदर्शन 8 मई 2017 को टोकन क्रमांक 100217001894 निगम जनदर्शन 12 जून 2017 जिसका टोकन क्रमांक 17 महापौर आयुक्त 8 मई 2017 को भी अपने भुगतान के लिए शिकायत पत्र सौंपा हूं, लेकिन आज तक मुझे मेरे कार्य का भुगतान नही हो सका है। मुख्यमंत्री के ओएसडी मनीष बंछोर ने मुझे वर्तमान आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी से मुलाकात करने के लिए मुझे कहा था, जब मैं आयुक्त रघुवंशी से मिला तो उन्होंने भी सीधा पल्ला झाड़ते हुए स्पष्ट कहा कि आपके मामले की फाईल नही मिल रही है, भुगतान नही कर सकता हूं। उस समय कौन अधिकारी थे और क्या हुआ, मै नही जानता? आप बिल व्हाउचर और भुगतान आर्डर को जाकर देखें। जिम्मेदार अधिकारी द्वारा इस प्रकार का जवाबद देने से कही न कहीं कांंग्रेस सरकार के मुखिया और कांग्रेस सरकार की छवि खराब हो ही रही है, और इस गंवईजैसे कलाकारों का मनोबल भी गिर रहा है, इसके कारण उनके परिवार के सामने लॉकडाउन और कोरोना के इस संकट की घड़ी में आर्थिक स्थितियों का बूरी तरह सामना करना पड़ रहा है। यदि निगम चाहे तो गंवई का भुगतान हो सकता है क्येांकि जब 1 लाख 88 हजार रूपये भुगतान कर चुका है तो बाकी का भी भुगतान हो सकता है, क्योंकि अब डिजीटल युग है और जब भी कोई कार्य इस तरह का निगम द्वारा कराया जाता है तो फोटोग्राफी कराई जाती है, तो इसका भी फोटोग्राफी कराई ही गई होगी। उस आधार पर और जिस आधार पर 1 लाख 88 हजार रूपये भुगतान किया गया है,उस आधार पर गंवई का बिल का भुगतान किया जा सकता है।

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