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दुर्ग / शौर्यपथ / नगर पालिक निगम सीमा अंतर्गत शहर के विभिन्न छोटे बड़े नाले एवं नालियों से होकर पुलगांव नाला एवं शंकर नाला से होते हुए शिवनाथ नदी में मिलने वाले गंदा पानी को एनजीटी ( NGT ) के दिशा निर्देश अनुसार नदी में मिलने से पूर्व पानी का उपचार कर पानी का पुनः उपयोग किया जाना है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनने से शहर के घरों से निकलने वाले गंदे पानी को जो नालियों के माध्यम से नाले में चला जाता है. फिर नाले से वही प्रदुषित पानी नदी में मिल जाता है जिससे जनस्वाथ्य पर बुरा असर होता है।नगर निगम दुर्ग द्वारा शिवनाथ नदी के मुहाने पर स्थित इंटेकवेल से लगकर शासकीय भूमि तथा उरला स्थित शासकीय भूमि खसरा नंबर 94 की भूमि को चिन्हांकित कर सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट हेतु भूमि मांग की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। इसके लिए दावा आपत्ति का प्रकाशन भी किया गया है, भूमि आबंटन पश्चात् इसका सीमांकन कराया जाएगा। डीपीआर अनुसार इस प्रस्ताव हेतु अमृत मिशन 2.0 योजनांतर्गत 147.93 करोड़ रुपये लागत राशि प्रस्तावित है। पुष्पवाटिका के समीप बनने वाली एसटीपी 24 एमएलडी और उरला में बनने वाली एसटीपी की क्षमता 47 एमएलडी की होगी। नगर निगम आयुक्त लोकेश चंद्राकर ने भवन अधिकारी एवं सहायक अभियंता गिरीश दीवान, स्वास्थ्य अधिकारी जावेद अली व उपअभियंता मोहित मरकाम के साथ शिवनाथ नदी पुलगांव व उरला स्थित ख.नं0 94 जमीन का मौका मुआयना किया है। सहायक अभियंता व भवन अधिकारी गिरीश दीवान ने बताया, कि निगम प्रशासन द्वारा उरला स्थित प्रस्तावित सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को सोलर पैनल के माध्यम से संचालित किया जायेगा, जिससे विद्युत व्यय से मुक्ति मिलेगी तथा अतिरिक्त उत्पादन को ग्रिड के माध्यम से पुलगांव एसटीपी में समयोजित किया जाना जाएगा, जिससे एसटीपी संचालन की विद्युत लागत लगभग नगण्य रहेगी। आपको बता दे कि एसटीपी प्लांट के माध्यम से नालों के गंदे पानी को ट्रीटमेंट प्लान्ट में शुद्धिकरण पश्चात् नदी में, कृषि एवं उधोगो में उपयोग किया जायेगा। चिन्हित स्थल पर निर्माण कार्य हेतु भूमि आबंटन पश्चात निर्माण संबंधी आवश्यक कार्रवाही की जाएगी, निर्माण कार्य होने से नदी का पानी की शुद्धता एवं शहर को मिलने वाला पीने का पानी और भी शुद्ध व गुणवत्ता को बनाये रखने में सुविधा होगी साथ ही कृषि व औद्योगिक क्षेत्र में उपयोग किया जाएगा, जिससे निगम के आय में वृद्धि के साथ एनजीटी ( NGT ) के नियमों का पालन करते हुए शहर के नालों से निकलने वाले गंदे पानी को प्राकृतिक जल स्त्रोत में मिलने से पहले उसका उपचार किया जाना संभव हो जायेगा।
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