
CONTECT NO. - 8962936808
EMAIL ID - shouryapath12@gmail.com
Address - SHOURYA NIWAS, SARSWATI GYAN MANDIR SCHOOL, SUBHASH NAGAR, KASARIDIH - DURG ( CHHATTISGARH )
LEGAL ADVISOR - DEEPAK KHOBRAGADE (ADVOCATE)
दुर्ग / शौर्यपथ / 1984 में तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पूरे प्रदेश सहित दुर्ग के भी शहरी क्षेत्रों में आबादी व नजूल पट्टे का वितरण किया गया था जिसमे खास तौर पर जो लोग अतिक्रमण कर आवास बनाकर रह थे उन्हें पट्टों का वितरण किया गया था लेकिन अब मामला उलट है पट्टटो को भी हितग्राहियों ने दुर्ग नगर निगम के अधिकारियों की मदद से बेच दिया अब दिखावे के लिए इन 21 हितग्राहियों को अतिक्रमण का नोटिस भेजा गया है .
आपको बता दे कि तात्कालिक मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आबादी भूमि पर काबिज परिवारो को उनके नाम पर पट्टे जारी किए गए थे ताकि उन्हें उसी स्थान का मालिकाना हक मिल सके सरकार के इस फैसले से अकेले दुर्ग में ही उस समय लगभग 27 हजार परिवारों को काबिज जमीन पर मालिकाना हक मिला था वर्तमान में दुर्ग भिलाई नगर निगम क्षेत्र में 27 हजार से अधिक ऐसे परिवार निवासरत हैं जिन्हें वर्ष 1984 के बाद आबादी पट्टा प्रदान किया गया था 30 साल की अवधि समाप्त हो जाने के बाद पट्टे के नवीनीकरण के लिए उन्हें नोटिस तमिल किया गया जिसमे से 21 लोग ऐसे थे जो कब्जा कर कबीजे थे पूरे कागजात खंगाले गए तो जिन लोगो को उनके घर का पट्टा दिया गया था वे अब रिकॉर्ड में ही नहीं है पूरे रिकॉर्ड खंगालने पर पता चला कि पट्टे की जमीन जिस व्यक्ति को मिली उसने किसी ओर बेच दी इस तरह एक ही जमीन कई बार कई लोगो को बेची गई जो नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं .
आखिर में उन सभी को नोटिस जारी किया गया है और उनके द्वारा निर्मित मकानों को अवैध में श्रेणी में डालने की प्रक्रिया चल रही है आपको बता दे कि असली पट्टा धारकों मे से लगभग 9० फीसदी परिवारों ने अपने पट्टे की जमीन दूसरे को बेच दी है जिन 21 लोगो ने पट्टे की जमीन बेची है या खरीदी है उन लोगों के ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही का भी प्रवधान है लेकिन कोई भी व्यक्ति बेघर न हो इसके लिए सरकार ने कुछ नियम भी जारी किए है नियमानुसार शहरी आबादी निगम क्षेत्र में निवासरत परिवारों को जिनके पास वर्ष 1984 में प्रदान किया गया पट्टा है और लेकिन वो किसी दूसरे से खरीदा गया है तो उसे सरकारी रिकॉर्ड में अवैधानिक माना जाता है। पट्टा दूसरे व्यक्ति के नाम हस्तांतरित नहीं हो सकता लेकिन धन्य है दुर्ग नगर निगम और उसके अधिकारी...
Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.