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रायपुर /शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ी साहित्य और हास्य काव्य के शिखर पुरुष पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि समूचे साहित्यिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि अपने विलक्षण हास्य, तीक्ष्ण व्यंग्य और अनूठी रचनात्मकता के माध्यम से डॉ. दुबे ने न केवल देश-विदेश के मंचों को गौरवान्वित किया, बल्कि छत्तीसगढ़ी भाषा को वैश्विक पहचान दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई। जीवनपर्यंत उन्होंने समाज को हँसी का उजास दिया, लेकिन आज उनका जाना हम सभी को गहरे शोक में डुबो गया है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि डॉ. सुरेन्द्र दुबे की जीवंतता, उनकी ऊर्जा और साहित्य के प्रति समर्पण सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा। वे मंचीय काव्य परंपरा में हास्य और व्यंग्य को जिस गरिमा और गहराई से प्रस्तुत करते थे, वह विरल है।
मुख्यमंत्री साय ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की और शोक संतप्त परिजनों एवं असंख्य प्रशंसकों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना की है।
महापौर श्रीमती अलका बाघमार के निर्देश व आश्वासन के बाद काम पर लौटे राजस्व विभाग कर्मी:
महापौर ने कहा नागरिक हो या जनप्रतिनिधि,निगम परिसर के भीतर कर्मचारियो से अभद्रता करने वालो पर होगी कड़ी कार्रवाही:
दुर्ग/शौर्यपथ /नगर पालिक निगम कार्यलाय में राजस्व विभाग के सहायक राजस्व अधिकारी के कक्ष में संपतिकर जमा करने आए अंकुश जैन द्वारा सहायक राजस्व अधिकारी के कक्ष में अधिकारी/कर्मचारियो के साथ किये गए दुर्व्यवहार और अभद्र टिप्पणी के पश्यात राजस्व विभाग के कर्मचारियो द्वारा काम बंद हड़ताल पर बैठ गए थे।
तथा राजस्व विभाग टीम अमला संयुक्त रूप से इस घटना की शिकायत आयुक्त सुमित अग्रवाल से किये जाने के पश्चात उनके द्वारा तत्काल कार्रवाही करने के लिए एफआईआर करने थाना प्रभारी को पत्र लिखा गया।इस घटना के दौरान उक्त अंकुश जैन जिन अधिकारी/कर्मचारियो से अभद्रता व दुर्व्यवहार किया गया था, सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए कहा की भविष्य में मैं कभी इस तरह का दुर्व्यवहार किसी भी अधिकारी/कर्णचरियो के साथ नही करूँगा ऐसा कभी नही करने का सार्वजनिक रूप से विश्वास दिलाया है।
महापौर श्रीमती अलका बाघमार ने अधिकारी/कर्मचारियो के बीच आश्वासन दिया देते हुए कहा कि भविष्य में कोई भी नागरिक और जनप्रतिनिधियों द्वारा वार्डो में हो या कार्यालाय के भीतर किसी भी तरफ के दुर्व्यवहार व अभद्रता करते है शिकायत मिलती है तो उन्हें बक्शा नही जाएगा, उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाही की जाएगी।
महापौर श्रीमती बाघमार के आश्वासन के बाद हड़ताल समाप्त कर कर्मचारी आने काम पर लौटेने के निर्देश के दौरान अंकुश जैन को सख्त चेतवानी के बाद एफआईआर नही किया गया।
- अग्निवीर योजना के अंतर्गत कैरियर गाइडेंस 25 जून से 29 जून तक
राजनांदगांव /शौर्यपथ /भारत सरकार की अग्निवीर योजना भारतीय युवाओं को नौसेना, वायु सेना और थल सेना में उपयुक्त पैकेज देने के साथ-साथ एक गौरवशाली जीवन का एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है। इसी कड़ी में राजनांदगांव जिले के सभी विकासखंडों में वायु सेना में जाने एवं आवश्यक मार्गदर्शन एवं जानकारी प्रदान करने के लिए कैरियर गाइडेंस का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत वायु सेना के विंग कमांडर एवं कमांडिंग अफसर द्वारा छत्तीसगढ़ के योग्य युवक एवं युवतियों को अग्निवीर वायु सेना को कैरियर के रूप में चयन करने की प्रक्रिया और भविष्य के उज्ज्वल निर्माण के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। भारतीय वायुसेना के अधिकारियों द्वारा 25 जून से 29 जून तक राजनांदगांव जिले के विभिन्न विकासखंडों में कैरियर गाइडेंस का आयोजन किया गया है। राजनांदगांव विकासखंड के दिग्विजय कॉलेज में 26 जून 2025 को सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक तथा बसंतपुर स्कूल में दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजन किया गया है। डोंगरगढ़ विकासखंड के खालसा स्कूल डोंगरगढ़ में 27 जून 2025 को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक आयोजन किया जाएगा। डोंगरगांव विकासखंड के महाविद्यालय में तथा छुरिया महाविद्यालय में 28 जून 2025 को कैरियर गाइडेंस का आयोजन किया गया है। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने जिले के सभी योग्य युवाओं से अपील की गई है कि अवसर का लाभ लेने अधिक से अधिक संख्या में इस विषय के जो विद्यार्थी है वो जरूर इस कार्यक्रम में जुड़े और आवश्यक जानकारी प्राप्त करें और अग्निवीर वायु सेना में जाने के अपने विकल्प के अनुसार अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करें।
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने जिला स्तर पर अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। कलेक्टर डॉ. भुरे ने कार्यक्रम के संचालन एवं शैक्षिक संस्थानों के चयन के लिए जिला शिक्षा अधिकारी श्री प्रवास सिंह बघेल को जिम्मेदारी दी है। प्राचार्य दिग्विजय कॉलेज डॉक्टर सुचित्रा गुप्ता को कार्यक्रम के संचालन में महाविद्यालय के चयन की जिम्मेदारी दी गई है तथा जिला रोजगार अधिकारी श्री वीएस राजोरिया को शैक्षिक संस्थानों में अन्य व्यवस्थाओं की उपलब्धता के लिए जिम्मेदारी दी गई है। उल्लेखित है कि राज्य में इस प्रकार का यह पहला कार्यक्रम भारतीय वायु सेना द्वारा और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है। जिला प्रशासन के सभी अधिकारी इस कार्यक्रम से जुड़ेंगे और जिले के युवकों और को युवतियों को विज्ञान संकाय से हैं और 11वीं एवं 12वीं अथवा महाविद्यालय में अध्ययनरत है इनको एक बेहतर अवसर के रूप में अग्निवीर वायु सेना को कैरियर के रूप में चयन करने के लिए कैरियर गाइडेंस का आयोजन किया जा रहा है।
आपातकाल स्मृति दिवस पर सम्मानित हुए लोकतंत्र सेनानी
रायपुर /शौर्यपथ /लोकतंत्र केवल एक शासन प्रणाली नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है। आज हम लोकतंत्र की फिजा में जिस आज़ादी का अनुभव कर रहे हैं, उसकी कीमत आपातकाल के दौरान कुछ लोगों ने यातना, अपमान और जेलों में समय काटकर चुकाई थी। इन लोकतंत्र सेनानियों की पीड़ा और संघर्ष को हर पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित आपातकाल स्मृति दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने लोकतंत्र विरोधी ताकतों से सावधान रहने और लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को बेड़ियों में जकड़कर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। यह सब स्वतंत्र भारत में हुआ, लेकिन उस अमानवीयता ने अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की याद दिला दी। आपातकाल के दौरान असहनीय कष्ट सहने वाले लोकतंत्र सेनानी आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने इस अवसर पर लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में उन्होंने श्री सच्चिदानंद उपासने द्वारा लिखित पुस्तक ‘वो 21 महीने: आपातकाल’ का भी विमोचन किया।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि 25 जून 1975 को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है। आपातकाल में हजारों लोगों को बिना अपराध के जेलों में ठूंस दिया गया, मौलिक अधिकार छीन लिए गए और लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि उन्होंने इस त्रासदी को बहुत करीब से देखा है। उनके स्वर्गीय बड़े पिताजी श्री नरहरि प्रसाद साय भी उस दौर में 19 महीने तक जेल में बंद रहे थे। उनके द्वारा सुनाए गए किस्से आज भी रोंगटे खड़े कर देते हैं। उन्होंने बताया कि किस प्रकार लोकतंत्र सेनानियों को बेड़ियों में जकड़कर शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं। यह सब स्वतंत्र भारत में हुआ, लेकिन उस अमानवीयता ने अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की पुनः याद दिला दी। उन्होंने कहा कि आपातकाल में कलाकारों की स्वतंत्रता तक छीनी गई। पार्श्व गायक किशोर कुमार द्वारा सरकारी प्रचार गीत गाने से इनकार करने पर उनके गीतों पर आकाशवाणी में प्रतिबंध लगा दिया गया था।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान राशि देने की शुरुआत की थी, जिसे पूर्ववर्ती सरकार ने बंद कर दिया। हमारी सरकार ने न केवल यह सम्मान राशि पुनः प्रारंभ की, बल्कि पूर्व सरकार द्वारा रोकी गई पिछले पाँच वर्षों की बकाया राशि का भी भुगतान किया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अब लोकतंत्र सेनानियों की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी और उनके परिजनों को ₹25,000 की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, विधानसभा में एक अधिनियम पारित कर यह सुनिश्चित किया गया है कि भविष्य में कोई भी सरकार इस सम्मान योजना को समाप्त न कर सके।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने उद्बोधन में आपातकाल की भयावहता और लोकतंत्र सेनानियों के बलिदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आपातकाल के 21 महीनों की प्रताड़ना और लोकतंत्र पर हुए आघात को देश के हर नागरिक तक पहुँचाना आज की पीढ़ी की ज़िम्मेदारी है। डॉ. सिंह ने कहा कि यह हम सबका सौभाग्य है कि आज मीसाबंदी आंदोलन के सहभागी और उनके परिजन हमारे बीच हैं। उन्होंने आपातकाल को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि उस समय पूरे देश को एक विशाल जेल में बदल दिया गया था। लोकतंत्र के स्तंभ—न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया—को निष्क्रिय कर दिया गया था। प्रेस पर सेंसरशिप थोप दी गई थी और सच्चाई बोलने वालों को जेलों में डाल दिया गया था।उन्होंने बताया कि देश उस समय गहरे आर्थिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा था—मंहगाई, बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार चरम पर थे। जनता के भीतर आक्रोश पनप रहा था और उसी को कुचलने के लिए आपातकाल थोपा गया। उन्होंने कहा कि यदि आज लोकतंत्र जीवित और मजबूत है, तो इसका श्रेय उन सेनानियों को जाता है जिन्होंने अपार कष्ट सहकर भी संविधान और देश की आत्मा की रक्षा की।
इस अवसर पर श्री पवन साय और लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सच्चिदानंद उपासने ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
कार्यक्रम में उद्योग मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, विधायक श्री मोतीलाल साहू, सीजीएमएससी के अध्यक्ष श्री दीपक म्हस्के, नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री संजय श्रीवास्तव, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री अमरजीत छाबड़ा, रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री नन्द कुमार साहू, लोकतंत्र सेनानी संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री दिवाकर तिवारी सहित बड़ी संख्या में लोकतंत्र सेनानी एवं उनके परिजन उपस्थित थे।
देश की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता-उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा
कोरिया /शौर्यपथ /छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1800-233-1905 जारी किया है। यह निर्णय राज्य के उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री श्री विजय शर्मा के निर्देशानुसार लिया गया है। हेल्पलाइन 24×7 (सप्ताह के सातों दिन, चौबीसों घंटे) सक्रिय रहेगी।
हेल्पलाइन पर सूचना देने वाले की पहचान रहेगी गोपनीय
यह हेल्पलाइन नागरिकों को अपने आस-पास किसी भी संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिक या उसकी गतिविधियों की जानकारी सीधे पुलिस प्रशासन तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम प्रदान करती है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी, ताकि लोग निर्भीक होकर राष्ट्रहित में योगदान दे सकें।
सुरक्षा सर्वाेच्च प्राथमिकता- विजय शर्मा
उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा ‘देश की सुरक्षा हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ को अवैध गतिविधियों और घुसपैठ से मुक्त रखने के लिए प्रतिबद्ध है। यह हेल्पलाइन आम जनता को एक सीधा, सुरक्षित और प्रभावी माध्यम देती है जिससे वे देश और प्रदेश की सुरक्षा में अपनी भागीदारी निभा सकें।‘
पुलिस विभाग को त्वरित कार्रवाई के निर्देश
श्री शर्मा ने पुलिस विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे हेल्पलाइन पर प्राप्त हर सूचना को गंभीरता से लें, तत्काल जाँच करें और उचित कार्रवाई सुनिश्चित करें। उन्होंने इस अभियान के तहत जनजागरूकता अभियान चलाने और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में व्यापक प्रचार-प्रसार के निर्देश भी जारी किए हैं।
ग़लत पहचान से बचने के लिए सावधानी
पुलिस विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी सूचनाओं की सत्यता की गहन जांच की जाएगी ताकि निर्दाेष व्यक्तियों को किसी भी प्रकार की असुविधा ना हो।
यह निःशुल्क हेल्पलाइन नंबर 1800-233-1905 है। यदि क्षेत्र में कोई संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिक या अवैध गतिविधि की जानकारी है, तो तुरंत इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
स्वास्थ्य, शिक्षा, जल आपूर्ति, खेती और स्व-सहायता समूहों पर दिया गया विशेष जोर
रायपुर/शौर्यपथ /राज्यपाल श्री रमेन डेका दो दिवसीय दौरे पर खैरागढ़-छुईखदान-गंडई पहुंचे। अपने प्रवास के दौरान उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक लेकर विकास कार्यों की जानकारी ली। विशेष रूप से उन्होंने अपने गोद लिए ग्राम सोनपुरी में संचालित योजनाओं की प्रगति पर विस्तार से चर्चा की।
राज्यपाल ने शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रधानमंत्री आवास योजना, कृषि, उद्यानिकी और जल जीवन मिशन जैसे बुनियादी सेवाओं की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि सभी योजनाओं का लाभ प्रत्येक ग्रामीण तक पहुँचना चाहिए, यह सुनिश्चित करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
खेती और प्रोसेसिंग पर बल
राज्यपाल डेका ने ग्राम सोनपुरी में टमाटर की खेती की संभावनाओं को देखते हुए बाड़ी में टमाटर उत्पादन करने कहा। उन्होंने कहा कि टमाटर के अधिक उत्पादन को देखते हुए उसकी प्रोसेसिंग को बढ़ावा देना जरूरी है, ताकि किसानों को बेहतर मूल्य मिले और फसल की बर्बादी न हो।
शत-प्रतिशत योजना लाभ का देने निर्देश
उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत शत-प्रतिशत कार्ड बनाए जाएं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से वंचित किसानों को शीघ्र लाभान्वित किया जाए।
जल जीवन मिशन के तहत नल-जल पहुंच सुनिश्चित करें
जल जीवन मिशन की प्रगति पर चर्चा करते हुए राज्यपाल ने सोनपुरी में प्रत्येक घर तक नल से शुद्ध पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने जल स्रोतों की सततता बनाए रखने के लिए वर्षा जल संग्रहण, सोखता गड्ढे और पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण जैसे उपायों को प्राथमिकता देने को कहा।
एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अंतर्गत वृक्षारोपण का आह्वान
राज्यपाल ने ‘एक पेड़ माँ के नाम‘ अभियान के अंतर्गत सभी शासकीय भवनों जैसे स्कूल, आंगनबाड़ी, पंचायत भवन और स्वास्थ्य केंद्रों में अधिकाधिक वृक्ष लगाने का आग्रह किया। उन्होंने इसे पर्यावरण और मातृत्व दोनों से जुड़ी एक संवेदनशील पहल बताया।
शिक्षा में ड्रॉपआउट रोकने निर्देश
स्कूल छोड़ चुके बच्चों की जानकारी लेते हुए राज्यपाल ने ऐसे बच्चों को दोबारा विद्यालय से जोड़ने के लिए ठोस पहल करने को कहा। उन्होंने ग्रामीणों को साक्षर बनाने की भी अपील की, ताकि वे कम से कम अपना नाम लिख सकें।
महिला समूहों की सराहना
राज्यपाल ने स्व-सहायता समूहों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की और अधिकारियों को निर्देशित किया कि समूहों को आवश्यक संसाधन एवं प्रशिक्षण प्रदान कर उनकी आर्थिक स्थिति को और सशक्त किया जाए। राज्यपाल श्री रमेन डेका ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि तीन माह के भीतर ग्राम सोनपुरी में चल रहे समस्त विकास कार्यों की जानकारी ली जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी योजना में कोई कमी या बाधा पाई गई, तो उसे तत्काल दूर करते हुए गुणवत्ता युक्त कार्य सुनिश्चित किया जाएगा।
दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु निर्देश
राज्यपाल श्री रमेन डेका ने पुलिस विभाग के कार्यों की जानकारी लेते हुए सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए समुचित उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने खासकर मोटरसाइकिल दुर्घटनाओं की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई और जागरूकता अभियान चलाने पर बल दिया।
उन्होंने शहर में भारी वाहनों की गति को नियंत्रित करने के लिए वाहन मालिकों को अपने चालकों को समझाइश देने को कहा। साथ ही दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की पहचान कर वहां सुरक्षा उपाय जैसे स्पीड ब्रेकर, चेतावनी बोर्ड आदि लगाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री संविधान हत्या दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हुए शामिल: आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित प्रदर्शनी का किया अवलोकन
रायपुर/शौर्यपथ /मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित संविधान हत्या दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह अत्यंत आवश्यक है कि लोकतंत्र की हत्या के उस काले दिन को हमारी भावी पीढ़ी भी जाने, समझे और उससे सीख ले। आपातकाल के दौर को याद करते हुए भावुक हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह कालखंड मेरे जीवन से गहराई से जुड़ा है। यह मेरे लिए मात्र एक घटना नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत पीड़ा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि उनके बड़े पिताजी स्वर्गीय श्री नरहरि प्रसाद साय आपातकाल के दौरान 19 माह तक जेल में रहे। उस समय लोकतंत्र सेनानियों के घरों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी—कई बार घर में चूल्हा तक नहीं जलता था। ऐसे अनेक परिवारों को मैंने स्वयं देखा है। उन्होंने कहा कि निरंकुश सत्ता ने उस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल दिया था, नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे। वास्तव में, वह लोकतंत्र का काला दिन था, जिसका दंश हमारे परिवार ने झेला है और जिसे मैंने स्वयं जिया है।
मुख्यमंत्री साय ने कार्यक्रम के दौरान लोकतंत्र सेनानी परिवारों के सदस्यों से भेंट कर उन्हें सम्मानित किया तथा शॉल, श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह भेंट किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार लोकतंत्र सेनानी परिवारों को सम्मान देने का कार्य कर रही है। इन परिवारों को प्रतिमाह 10 हजार से 25 हजार रुपए तक की सम्मान राशि दी जा रही है—यह उनके संघर्ष और बलिदान को नमन करने का एक विनम्र प्रयास है।
कार्यक्रम में उपस्थित छात्र-छात्राओं और युवाओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान की रक्षा हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे आपातकाल के इतिहास को जानें, पढ़ें और समझें कि किस प्रकार उस कालखंड में संविधान को कुचला गया था। लोकतंत्र को जीवित रखने और सशक्त करने के लिए जन-जागरूकता और सक्रिय भागीदारी अनिवार्य है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के संविधान और लोकतंत्र पर आपातकाल एक ऐसा कलंक है, जिसे इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज किया गया है। आपातकाल थोपकर न केवल संविधान को निष्क्रिय कर दिया गया, बल्कि मौलिक अधिकारों को समाप्त कर लोकतंत्र की आत्मा को कुचल दिया गया।
उन्होंने कहा कि उस समय देश को एक खुली जेल में बदल दिया गया था, जिसमें भय और आतंक का वातावरण था। एक लाख से अधिक लोगों को बिना न्यायिक प्रक्रिया के जेलों में बंद कर दिया गया, और उन्हें यातनाएं दी गईं। यह केवल राजनीतिक दमन का दौर नहीं था, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक चेतना को समाप्त करने का सुनियोजित प्रयास था।
डॉ. सिंह ने युवाओं से आह्वान किया कि वे आपातकाल के विषय में शोध करें, पढ़ें और समझें कि लोकतंत्र की रक्षा हेतु कितने लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। भविष्य में लोकतंत्र को सुरक्षित बनाए रखने के लिए हमें सदैव जागरूक और सजग रहना होगा।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि 25 जून 1975 भारतीय लोकतंत्र का सबसे शर्मनाक और काला दिन था। इस दिन संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को जिस तरह से कुचला गया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में नहीं मिलता। संविधान में मनमाने ढंग से संशोधन किए गए, जिससे देश की आत्मचेतना और नागरिक अधिकारों का दमन हुआ।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित जनजागरूकता रैली में भी भाग लिया।
मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ने आपातकाल पर आयोजित विशेष प्रदर्शनी का किया अवलोकन
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आधारित विशेष प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
इस प्रदर्शनी में आपातकाल के दौरान की दमनकारी नीतियों, मानवाधिकारों के उल्लंघन और लोकतंत्र के हनन को चित्रों एवं दस्तावेजों के माध्यम से दर्शाया गया।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय है, जिसे विस्मृत नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी प्रदर्शनी नई पीढ़ी को लोकतंत्र और संविधान के महत्व को समझाने में सहायक सिद्ध होगी।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रदर्शनी लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वालों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
इस अवसर पर उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन, विधायकगण श्री पुरंदर मिश्रा, गुरु खुशवंत साहेब, मोतीलाल साहू, सीएसआईडीसी के अध्यक्ष श्री राजीव अग्रवाल, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष श्री नीलू शर्मा, लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सच्चिदानंद उपासने, प्रदेश अध्यक्ष श्री दिवाकर तिवारी, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री शशांक शर्मा तथा संचालक संस्कृति श्री विवेक आचार्य सहित बड़ी संख्या में विद्वान, लोकतंत्र सेनानी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
निवेश और औद्योगिक विकास को गति मिलने की संभावना
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में उपलब्ध सामरिक एवं रणनीतिक महत्व के खनिजों के सुव्यवस्थित अन्वेषण एवं दोहन के संबंध में राजधानी रायपुर स्थित न्यू सर्किट हाउस के कन्वेंशन हॉल में एकदिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला के शुभारंभ सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री के सचिव एवं खनिज संसाधन विभाग के सचिव पी. दयानंद ने कहा कि छत्तीसगढ़ खनिज संपदा से परिपूर्ण एक समृद्ध राज्य है, जहाँ 28 प्रकार के प्रमुख खनिज जैसे—कोयला, चूना पत्थर, डोलोमाइट, लौह अयस्क, बाक्साइट, टिन अयस्क के साथ-साथ लीथियम, कोबाल्ट तथा रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे सामरिक एवं परमाणु महत्व के खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि नेशनल प्रोग्राम ऑन एक्सप्लोरेशन स्ट्रैटेजी तथा नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (हृरूश्वञ्ज) के अंतर्गत संचालित प्रयासों को और अधिक गति प्रदान करने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना तथा राज्य में रणनीतिक खनिज परियोजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन की दिशा में ठोस कदम उठाना है।
इस कार्यशाला का आयोजन खनिज संसाधन विभाग तथा छत्तीसगढ़ भूविज्ञान एवं खनन संचालनालय द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इसका उद्देश्य भारत की क्रिटिकल मिनरल्स क्षमता के समुचित दोहन हेतु वैज्ञानिक अन्वेषण तकनीकों को प्रोत्साहित करना, प्रस्ताव प्रस्तुतिकरण प्रणाली को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना तथा राष्ट्रीय स्तर की रणनीतिक अन्वेषण नीतियों में राज्य की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करना था।
कार्यशाला के तकनीकी सत्रों में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के रविकांत गुप्ता ने छत्तीसगढ़ की भूवैज्ञानिक विशेषताओं एवं ओजीपी क्षेत्रों की संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड के भुवनेश्वर कुमार ने लीथियम, कोबाल्ट, ग्रेफाइट, निकल, टंगस्टन, फॉस्फेट जैसे खनिजों की खोज हेतु आधुनिक भू-भौतिकीय एवं भू-रासायनिक तकनीकों पर आधारित प्रस्तुति दी, जिससे अधिकारियों को नवीनतम विधियों की जानकारी प्राप्त हुई। एनएमईटी से अक्षय वर्मा ने प्रस्ताव तैयार करने की प्रक्रिया, वित्तीय सहायता एवं अनुदान नीतियों की जानकारी साझा करते हुए एनएमईटी के अंतर्गत उपलब्ध अवसरों को रेखांकित किया और राज्य की अधिक सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया।
वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रृंखला में छत्तीसगढ़ की भूमिका पर बल
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि छत्तीसगढ़ की खनिज विविधता और गुणवत्ता इसे वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी बना सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि खनिज उत्पादन, बाज़ार मांग और भविष्य की संभावनाओं के बीच संतुलन स्थापित कर राज्य खनिज आधारित औद्योगिक विकास का नेतृत्व कर सकता है।
समापन सत्र में राज्य में अब तक किए गए खनिज सर्वेक्षणों, उनके निष्कर्षों एवं प्रस्तावित परियोजनाओं की समीक्षा की गई। अधिकारियों ने तकनीकी दक्षता तथा अंतर-विभागीय समन्वय को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। भूविज्ञान एवं खनन संचालनालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि खनिज संसाधन किसी भी राज्य की आर्थिक प्रगति का मूल आधार होते हैं। कार्यशाला ने यह स्पष्ट किया कि पारदर्शी, तकनीकी रूप से सक्षम एवं समयबद्ध प्रक्रियाएं अपनाकर छत्तीसगढ़ न केवल निजी एवं सार्वजनिक निवेश को आकर्षित कर सकता है, बल्कि राष्ट्रीय रणनीतिक खनिज नीति में भी अग्रणी भूमिका निभा सकता है। सभी प्रतिभागियों ने खनिज आधारित सतत औद्योगिक विकास हेतु संयुक्त प्रयास और दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर कार्यशाला में आईआईटी धनबाद के प्रो. साहेंद्र सिंह, आईबीएम के प्रेम प्रकाश, संचालक रजत बंसल, संयुक्त संचालक अनुराग दीवान एवं संजय कनकाने सहित विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों, नीति सलाहकारों एवं तकनीकी विशेषज्ञों ने सहभागिता की।
दुर्ग। शौर्यपथ।
दुर्ग नगर निगम में वर्तमान शहरी सरकार ने अभी मात्र 100 दिन पूरे किए हैं, लेकिन इन सौ दिनों में निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली को लेकर कर्मचारियों से लेकर आम जनता तक में असंतोष की लहर साफ तौर पर देखी जा सकती है। जहां एक ओर सत्ताधारी जनप्रतिनिधि इन 100 दिनों को "जनसेवा की प्रतिबद्धता" का समय कह रहे हैं, वहीं कर्मचारियों और जनता के एक बड़े वर्ग का मानना है कि यह कार्यकाल अब तक "अवमानना, भेदभाव और गुटबाजी" की मिसाल बनकर रह गया है।
कर्मचारियों में उपेक्षा की भावना
निगम कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें लगातार अपमानित और नजरअंदाज किया जा रहा है। हाल ही की घटनाओं में जनप्रतिनिधियों से जुड़े लोगों द्वारा निगम अधिकारियों से दुव्र्यवहार की खबरें सामने आईं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से निगम की शीर्ष नेतृत्व – महापौर या अन्य जिम्मेदार पदाधिकारियों की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई। इस चुप्पी ने कर्मचारियों के बीच असंतोष और अविश्वास को और गहरा कर दिया है।
फिर याद आया पुराना कार्यकाल
इसी संदर्भ में अब निगम के कर्मचारी और वरिष्ठ पार्षद आपसी चर्चाओं में पूर्व महापौर धीरज बाकलीवाल और सुश्री सरोज पांडेय के कार्यकाल को याद कर रहे हैं, जब निगम परिवार को "सम्मान, संवाद और सहयोग" की संस्कृति में कार्य करने का अवसर मिला था। कर्मचारी यह भी कहते हैं कि भले ही विचारधाराएं भिन्न रही हों, लेकिन तब नेतृत्व में स्पष्टता, जवाबदेही और संवेदनशीलता थी।
एमसीसी कर्मचारी की मनमानी और प्रशासन की चुप्पी
एक और चिंताजनक स्थिति यह भी सामने आई है कि नगर निगम के एमसीसी (मिशन क्लीन सिटी ) से जुड़े कर्मचारियों, जिनकी ड्यूटी शहर की मैदानी गतिविधियों जैसे सफाई व्यवस्था, कचरा प्रबंधन आदि पर केंद्रित होनी चाहिए, उन्हें कार्यालयीन कार्यों में लगाया गया है। महापौर बाघमार द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि ऐसे कर्मचारियों को पुन: उनके मूल कार्यक्षेत्र में भेजा जाए, परंतु अधिकारियों की मौन सहमति के बाद भी एक प्रमुख एमसीसी कर्मचारी नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र शाखा में कार्यरत है। इस अवैधानिक नियुक्ति के बावजूद प्रशासनिक अमला पूरी तरह अनभिज्ञ बना हुआ है, जो निगम की शासन-प्रशासनिक गंभीरता और नियंत्रणहीनता को उजागर करता है।
जनता को अब भी इंतज़ार है ठोस कार्यों का
विकास कार्यों के नाम पर शहर में कुछ औपचारिक घोषणाएं और सोशल मीडिया प्रचार तो हुआ, लेकिन वास्तविक धरातल पर समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। विशेष रूप से कचरा प्रबंधन और साफ-सफाई जैसे बुनियादी मुद्दों पर शहरी सरकार की उदासीनता आगामी बरसात में भारी पड़ सकती है। शहर के बीचोंबीच स्थित स्रुक्ररू सेंटर से उठती दुर्गंध पहले ही जनस्वास्थ्य पर प्रश्नचिह्न लगा रही है।
गुटबाजी और विपक्ष की उपेक्षा
शहर की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए यह भी चिंता का विषय है कि विपक्ष की आवाज़ को नजऱअंदाज़ किया जा रहा है। पार्षदों के बीच स्पष्ट गुटबाजी और सत्ता पक्ष के एकाधिकार की भावना से नगर निगम की लोकतांत्रिक संरचना कमजोर होती दिख रही है। एक राष्ट्र, एक चुनाव की कल्पना को साकार करने की बातें सिर्फ भाषणों और सोशल मीडिया पोस्ट तक सिमट गई हैं।
क्या होगा आने वाले दिनों में?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या आने वाले समय में नगर निगम की कार्यशैली में कोई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा? क्या निगम परिवार में संवाद और सहयोग का वातावरण फिर से बहाल हो सकेगा? या फिर यह आंतरिक असंतोष और गुटबाजी भविष्य में और विकराल रूप लेगी?
नगर निगम की इस 100 दिन की कार्यावधि ने जनता को उम्मीदों की बजाय आशंकाओं से भर दिया है। अब आवश्यकता इस बात की है कि नेतृत्व अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से समझे, कर्मचारियों को सम्मान और सुरक्षा का भरोसा दे, और जनता के सवालों का जवाब जमीन पर कार्यों के रूप में दे — न कि केवल सोशल मीडिया की चकाचौंध में।
दुर्ग / शौर्यपथ न्यूज /
विद्यालयों और कॉलेजों के आसपास नशीले और तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और कोटपा अधिनियम 2003 (ष्टह्रञ्जक्क्र) की धारा 6(ड्ढ) के प्रावधानों के तहत नगर निगम दुर्ग द्वारा लगातार सख्त कार्रवाई की जा रही है। इसी क्रम में बुधवार को निगम की संयुक्त टीम ने शहर के विभिन्न स्कूल-कॉलेजों के आसपास औचक जांच अभियान चलाया, जिसमें बीड़ी, सिगरेट, गुटखा और तंबाकू जैसे प्रतिबंधित पदार्थ जब्त किए गए तथा 7000 से अधिक का जुर्माना वसूला गया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पृष्ठभूमि
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न आदेशों में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि विद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज (लगभग 91 मीटर) के दायरे में किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पादों की बिक्री पूर्णत: प्रतिबंधित है। यह गाइडलाइन देशभर में लागू है और सभी राज्य सरकारों व नगर निकायों को इसके पालन का निर्देश है। इसके उल्लंघन को बाल अधिकारों के हनन के रूप में देखा जाता है।
निगम की कार्रवाई - प्रतिबंधित वस्तुएं जब्त
होटल-बेकरी पर भी कार्रवाई
नगर निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल के निर्देश पर गठित विशेष दल ने अतिक्रमण अधिकारी परमेश्वर यादव के नेतृत्व में बाजार निरीक्षण अधिकारी ईश्वर वर्मा, शशिकांत यादव तथा निगम अमले के साथ बोरसी वार्ड क्रमांक 52, शासकीय स्कूल, विश्वदीप स्कूल और आसपास के क्षेत्र में व्यापक जांच अभियान चलाया।
टीम ने मौके पर मौजूद दुकानों और ठेलों से बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, तंबाकू उत्पादों को जब्त किया और संबंधित दुकानदारों पर जुर्माना ठोका। इसके साथ ही भिलाई बेकरी और एक नॉनवेज होटल से डिस्पोजल आइटम और झिल्ली के उपयोग पर भी कानूनी कार्यवाही की गई और जुर्माना वसूला गया।
क़ानूनी पृष्ठभूमि: कोटपा अधिनियम 2003
यह अभियान ष्टह्रञ्जक्क्र ्रष्ह्ल, 2003 के तहत संचालित किया गया, जिसमें धारा 6(ड्ढ) के अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों से 100 गज की परिधि में तंबाकू उत्पादों की बिक्री प्रतिबंधित है। उल्लंघन करने वालों पर 200 से 5000 तक का जुर्माना तथा आगे कठोर कार्रवाई का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, धारा 4 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान वर्जित है।