November 24, 2024
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धर्म संसार / शौर्यपथ / प्रभु यीशु के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाने वाला क्रिसमस का त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार कई मायनों में बेहद खास है। क्रिसमस को बड़ा दिन, सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहा जाता है। प्रभु यीशु ने दुनिया को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। उन्होंने लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया। प्रभु यीशु को ईश्वर का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है। इस त्योहार से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
क्रिसमस ऐसा त्योहार है जिसे हर धर्म के लोग उत्साह से मनाते हैं। यह एकमात्र ऐसा त्योहार है जिस दिन लगभग पूरे विश्व में अवकाश रहता है। 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह त्योहार आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च में 6 जनवरी को मनाया जाता है। कई देशों में क्रिसमस का अगला दिन 26 दिसंबर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। क्रिसमस पर सांता क्लॉज़ को लेकर मान्यता है कि चौथी शताब्दी में संत निकोलस जो तुर्की के मीरा नामक शहर के बिशप थे, वही सांता थे। वह गरीबों की हमेशा मदद करते थे उनको उपहार देते थे। क्रिसमस के तीन पारंपरिक रंग हैं हरा, लाल और सुनहरा। हरा रंग जीवन का प्रतीक है, जबकि लाल रंग ईसा मसीह के रक्त और सुनहरा रंग रोशनी का प्रतीक है। क्रिसमस की रात को जादुई रात कहा जाता है। माना जाता है कि इस रात सच्चे दिल वाले लोग जानवरों की बोली को समझ सकते हैं। क्रिसमस पर घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस ट्री को दक्षिण पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है। फेंगशुई के मुताबिक ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पोलैंड में मकड़ी के जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा है। मान्यता है कि मकड़ी ने सबसे पहले जीसस के लिए कंबल बुना था।

रजिस्ट्रार, सहकारिता डॉ. नीरज के. पवन ने कहा कि जीवन के किसी भी कार्यक्षेत्र में स्वस्थ शरीर सर्वाधिक प्राथमिक आवश्यकता है। व्यायाम और आहार स्वस्थ शरीर के दो आधार हैं। स्वस्थ शरीर ही समस्त सामाजिक जीवन का आधार है, इसलिए हमें शरीर का सम्मान करना चाहिए। इसके लिए क्या खाना है यह जानने के सााथ, यह जानना भी आवश्यक है कि क्या नहीं खाना है।

डॉ. पवन मंगलवार को यहां सहकार भवन में निरोगी राजस्थान योजना के तहत सहकारिता विभाग के अधिकारियों, निरीक्षकों एवं कर्मिकों हेतु स्वस्थ जीवनशैली पर सहकारी प्रबंध संस्थान, जयपुर के तत्वावधान में आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टि अनेक समस्याओं का इलाज है।

उन्होंने विभाग के समस्त अधिकारियों एवं कार्मिकों का आह्रान किया कि राजकीय कार्यों की अधिकता को तनाव का कारण न बनने दें तथा ऑफिस व पारिवारिक जीवन में स्पष्ट विभाजन रखे, घर का तनाव ऑफिस नहीं लाना है तथा ऑफिस का तनाव घर लेकर नहीं जाना है।

सेमिनार में विषय विशेषज्ञ शिखर प्रजापति ने बताया कि प्रतिदिन न्यूनतम आधा घण्टा या दस हजार कदम पैदल घूमना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि भोजन में तेल एवं चीनी का प्रयोग न्यूनतम करना चाहिए। अधिक नमक का प्रयोग उच्च रक्त चाप व हृदय रोग को आंमत्रण देना है। उन्होंने बताया कि गरम पानी पीना अनेक शारीरिक व्याधिेयों का समाधान है।

कमिश्नर ने कहा कि सभी सेक्टर अधिकारी मतदान के पूर्व अपने-अपने सेक्टर में आने वाले मतदान केंद्रों का व्यक्तिगत रूप से कम से कम तीन बार भ्रमण एवं अवलोकन कर वहां बिजली, पानी, छाया, शौचालय, फर्नीचर, दिव्यांग मतदाताओं के लिए रैम्प आदि सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराएं। वे सेक्टर का नजरी नक्शा, पहुंच मार्गों की जानकारी तथा अधिकारियों के फोन नंबर भी अपने साथ रखें। मतदान के एक दिन पूर्व वे अपने सेक्टर में ही रात्रि विश्राम करें, जिससे सुबह से ही वे अपने निर्वाचन कार्यों का संपादन कर सकें।

जगदलपुर :- सालों से जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई की प्रक्रिया एक कदम और आगे बढ़ गई है। अब इन आदिवासियाें की रिहाई के दस्तावेज न्यायालय तक पहुंच गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज ऐके पटनायक के नेतृत्व में बनी कमेटी ने 313 आदिवासियों को रिहा करने की अनुशंसा की थी। इसे राज्य सरकार ने मान लिया था और 313 आदिवासियों के मामलों की समीक्षा कर अब उनकी रिहाई के लिए कागजात अलग-अलग न्यायालयों में भेज दिए गए हैं। अब इन आदिवासियों के खिलाफ चल रहे प्रकरण न्यायालय के जरिए वापस होंगे। न्यायालय तक दस्तावेज पहुंचने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि फरवरी के पहले पखवाड़े या अंत तक इनकी रिहाई हो जाएगी। प्रदेश में यह पहला मौका है जब सरकार एक साथ इतने आदिवासियों को रिहा कर रही है। अभी तक सिर्फ आबकारी एक्ट के तहत जेलों में बंद किए गए आदिवासियों को रिहा किया जाता रहा है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान वादा किया था कि जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों को जल्द रिहा करेगी। इसके बाद एक कमेटी का गठन भी किया गया जो लगातार जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा कर रही है।

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