August 01, 2025
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रायपुर, 29 जुलाई 2025 | विशेष संवाददाता

छत्तीसगढ़ भाजपा के युवा नेता एवं केड्रा इकाई रायपुर के नव नियुक्त अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी इन दिनों गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। ऊर्जा विभाग से संबंधित एक कार्य में निजी ईकाइयों से 3% कमीशन की मांग और न देने पर धमकी देने की शिकायत मुख्यमंत्री सचिवालय तक पहुँच चुकी है। इस पत्र की प्रति सार्वजनिक होने के बाद मामला गरमा गया है और अब यह एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है।


शिकायत और मुख्यमंत्री सचिवालय की कार्रवाई
दिनांक 20 जून 2025 को रायपुर की एक ईकाई द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में यह आरोप लगाया गया कि भूपेंद्र सवन्नी ऊर्जा विभाग के तहत नए सिस्टम निर्माण संबंधी कार्यों के लिए ठेकेदारों और ईकाइयों से 3% की कथित मांग कर रहे हैं। शिकायत में कहा गया है कि जो ईकाइयाँ यह "हिस्सा" देने से इनकार करती हैं, उन्हें धमकाया जाता है और उनके कार्य रोके जाते हैं।

इस पर मुख्यमंत्री सचिवालय ने त्वरित संज्ञान लेते हुए ऊर्जा विभाग को पत्राचार भेजकर पूरे प्रकरण की जनहित में वेब पोर्टल पर अपलोडिंग सहित नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अवर सचिव अरविंद कुमार खोपड़े द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि मामला गंभीर है और इसकी पड़ताल आवश्यक है।


प्रदेश कांग्रेस ने बनाया बड़ा राजनीतिक हथियार
शिकायत पत्र के सार्वजनिक होते ही यह मुद्दा प्रदेश कांग्रेस के लिए बैठे-बैठाए एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन गया है। कांग्रेस नेताओं द्वारा इसे सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर तेजी से साझा किया जा रहा है।
ट्विटर (एक्स), फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे मंचों पर कांग्रेस प्रवक्ताओं और नेताओं ने भूपेंद्र सवन्नी को ‘भ्रष्टाचार का प्रतीक’ बताते हुए भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है। कई वरिष्ठ नेताओं ने मांग की है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और दोषी को पार्टी से निष्कासित किया जाए।

कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि “यह मामला भाजपा के युवाओं में फैलते सत्ता-प्रदत्त भ्रष्टाचार का प्रमाण है। जब युवा नेतृत्व ही भ्रष्टाचार में लिप्त होगा तो राज्य की राजनीतिक संस्कृति का क्या होगा?”


भूपेंद्र सवन्नी और पूर्व विवाद
भूपेंद्र सवन्नी पर यह कोई पहला आरोप नहीं है। पूर्व में भी मंडल एवं अन्य शासकीय कार्यों में हस्तक्षेप, नियुक्तियों में मनमानी और अधिकारियों पर दबाव डालने जैसे आरोप उन पर लग चुके हैं। हालांकि, इस बार मामला दस्तावेजी प्रमाणों के साथ सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुँच चुका है, जिससे इसकी संवेदनशीलता और भी बढ़ गई है।


राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अब केवल प्रशासनिक जांच का नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति और साख का मुद्दा बन गया है। भाजपा को जहाँ आंतरिक स्तर पर इस पर संज्ञान लेना होगा, वहीं कांग्रेस इस पूरे प्रकरण को आगामी नगर निकाय और पंचायत चुनावों से पहले एक नैतिक मुद्दा बनाकर जनता के बीच ले जाने की तैयारी में है।


निष्कर्ष
भूपेंद्र सवन्नी के खिलाफ लगे आरोपों ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। एक ओर भाजपा के लिए यह नेतृत्व की जवाबदेही का सवाल है, वहीं कांग्रेस इसे भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनजागरण का अवसर मान रही है। अगर जांच निष्पक्ष होती है, तो यह पूरे राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है।


(यह रिपोर्ट तीन आधिकारिक पत्रों एवं सोशल मीडिया पर जारी प्रतिक्रियाओं के विश्लेषण पर आधारित है। संबंधित पक्षों से सफाई या प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर उसे आगामी संस्करण में प्रकाशित किया जाएगा।)

दुर्ग। शौर्यपथ।

  दुर्ग नगर निगम में हाल ही में तीन कर्मचारियों के निलंबन के बाद माहौल अत्यधिक तनावपूर्ण हो गया है। त्वरित निलंबन आदेश जारी करने के बाद अब निगम प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। इसी क्रम में एक चिंताजनक घटना सामने आई जब निलंबित कर्मचारियों में से एक महिला कर्मचारी ने गुरुवार देर शाम महमरा डैम में आत्महत्या करने की कोशिश की। गनीमत रही कि वहां मौजूद कुछ लोगों की तत्परता से उनकी जान बच गई, अन्यथा यह मामला बहुत बड़े संकट का रूप ले सकता था।
  इस घटना ने निगम कर्मचारियों और शहरवासियों दोनों को झकझोर कर रख दिया है। निगम प्रशासन पर यह आरोप लग रहे हैं कि कई वर्षों से लंबित और गंभीर शिकायतों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन हाल ही में आई एक शिकायत पर मात्र 24 घंटे में निलंबन आदेश जारी कर दिया गया। इससे निगम की कार्यप्रणाली में भेदभाव और पक्षपात की आशंका गहराई है।

चर्चा में है लॉलीपॉप अनुबंध घोटाला
   निगम कर्मचारी थान सिंह यादव द्वारा लॉलीपॉप अनुबंध में राजस्व को हुए नुकसान का मामला भी चर्चा का विषय बना हुआ है। कर्मचारियों का कहना है कि जब इतने बड़े राजस्व नुकसान की जांच तक नहीं हुई, तो हालिया मामूली आरोपों में त्वरित निलंबन की कार्रवाई जल्दबाजी और पूर्वाग्रह से ग्रसित लगती है।

पारिवारिक लाभ और पद दुरुपयोग पर भी उठे सवाल
  इसी बीच यह भी सामने आया है कि कुछ अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपात्र पुत्रों को शासकीय सुविधाएं दिलवाईं, फिर भी उन मामलों पर आज तक कोई जांच शुरू नहीं की गई। ऐसे मामलों की अनदेखी और कुछ मामलों में त्वरित निलंबन से निगम में कार्यरत कर्मचारी अब खुलकर सवाल उठा रहे हैं।

पूर्व में अशोक करिहार कांड की याद ताजा

  महिला कर्मचारी की आत्महत्या की कोशिश ने पूर्व में निगमकर्मी अशोक करिहार द्वारा प्रताडऩा से तंग आकर आत्महत्या किए जाने की घटना की याद ताजा कर दी है। कर्मचारियों में भय और असंतोष स्पष्ट झलक रहा है। यदि कुछ क्षणों की देरी हो जाती, तो आज एक और परिवार उजड़ जाता।

अब निगाहें आयुक्त सुमित अग्रवाल पर
  निगम आयुक्त सुमित अग्रवाल पर अब यह जिम्मेदारी है कि वे इस पूरे मामले में निष्पक्ष और संवेदनशील कार्रवाई करें। आम जनता और निगम के कर्मचारी यह उम्मीद कर रहे हैं कि लॉलीपॉप अनुबंध, गुमठी आवंटन, एनयूएलएम योजनाओं में मिलीभगत, अपात्र लाभार्थियों को सरकारी सुविधाएं दिलाने जैसे मामलों में भी शीघ्र जांच हो और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव के "जीरो टॉलरेंस" और "सुशासन" की नीति तभी सार्थक होगी जब हर स्तर पर निष्पक्ष और निर्भीक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

   रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ के दुर्गम और नक्सल प्रभावित इलाकों में अब डिजिटल क्रांति की नई लहर दौड़ने वाली है। केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं दूरसंचार राज्यमंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्र शेखर ने आज रायपुर में जानकारी दी कि केंद्र सरकार 400 नए बीएसएनएल टावर लगाने जा रही है, जिससे इन क्षेत्रों में भी तेज, सुरक्षित और सुलभ 4G इंटरनेट सेवा उपलब्ध हो सकेगी।
  राजधानी रायपुर में आयोजित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में डॉ. शेखर ने कहा कि ये टावर चरणबद्ध तरीके से स्थापित किए जाएंगे और इसके लिए सुरक्षा बलों और वन विभाग से आवश्यक अनुमतियाँ ली जा रही हैं।

 डिजिटल इंडिया के मिशन को मिलेगा बल

डॉ. शेखर ने बताया, “बीएसएनएल देश के कोने-कोने में उच्च गुणवत्ता की 4G सेवाएं प्रदान कर रहा है। ये 400 टावर ‘डिजिटल इंडिया’ मिशन को नक्सल क्षेत्र जैसे दूरस्थ इलाकों तक ले जाने की दिशा में बड़ा कदम हैं।”

 ग्रामीण विकास योजनाओं की समीक्षा में दिखा संतोष
   बैठक में ग्रामीण विकास, डाक, और दूरसंचार विभाग सहित BSNL के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। डॉ. शेखर ने प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) जैसे कार्यक्रमों के प्रभावशाली क्रियान्वयन पर संतोष जताया और कहा कि यह योजनाएं गांवों में बदलाव की मजबूत बुनियाद रख रही हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में ‘पिंक ऑटो’ जैसी पहल
  राज्यमंत्री ने स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की भूमिका को सराहते हुए बताया कि राज्य में ‘पिंक ऑटो’ योजना के तहत महिलाओं को ऑटो उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
    “SHGs को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और विपणन अवसर देकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कई सार्थक प्रयास हो रहे हैं। ये पहल देश के अन्य राज्यों के लिए **मॉडल बन सकती है।”

नक्सल क्षेत्रों में 'मिशन मोड' पर विकास
 डॉ. शेखर ने स्पष्ट किया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार मिशन मोड में काम कर रही है:

     विद्यालयों का डिजिटलीकरण, जिससे छात्र JEE, NEET जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर पा रहे हैं
     दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष सुविधाएं, ताकि कोई भी पीछे न रह जाए
     सेवाओं की घर-घर पहुंच से वंचित क्षेत्रों में विकास की रफ्तार तेज

 "अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे विकास" — यही है संकल्प

अपने संबोधन के अंत में डॉ. शेखर ने कहा:  “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की योजनाएं अब अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुँच रही हैं। आदिवासी, वंचित और दुर्गम क्षेत्रों में अब तेज़ बदलाव और समावेशी विकास देखने को मिल रहा है।”उन्होंने यह भी जोड़ा कि डिजिटल, भौतिक और सामाजिक ढांचे को एकीकृत करते हुए “सबका साथ, सबका विकास” के विजन को ज़मीन पर उतारने का कार्य किया जा रहा है।

अब जंगलों में भी गूंजेगा नेटवर्क — छत्तीसगढ़ को मिलेगी डिजिटल उड़ान।

दुर्ग। शौर्यपथ।
नगर पालिका निगम दुर्ग में नवनियुक्त महापौर श्रीमती अलका बाघमार ने अपने 100 दिनों के कार्यकाल में ही अपनी कार्यशैली की ऐसी अमिट छाप छोड़ दी है, जिसे जनता पीढ़ियों तक याद रखेगी! दुर्ग निगम क्षेत्र इन दिनों खुशहाली के ऐसे वातावरण में जी रहा है कि मानो स्वर्ग ही धरती पर उतर आया हो।

    दुर्ग नगर निगम अब केवल नगर निगम नहीं, बल्कि "विकास तीर्थ" बन चुका है, जहां आकर योजनाएं मोक्ष प्राप्त करती हैं और समस्याएं स्वर्गवास को प्राप्त हो जाती हैं।

जन-जन की महापौर: सुलभता की नई मिसाल


पूर्व के शासनकाल में शहरी सरकार के मुखिया से मिलने के लिए महीनों गुजर जाते थे, क्योंकि वे चाटुकारों से घिरे रहते थे। परंतु वर्तमान समय में ऐसी स्थिति बिल्कुल भी नहीं है। अब आम जनता महापौर से आसानी से मिल सकती है! मानो महापौर महोदया हर समय जनता-जनार्दन के लिए ही उपलब्ध हों। यह सुलभता ही उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण है।" लोग अब राशन की दुकान से कम और महापौर के दर्शन से ज़्यादा तृप्ति पा रहे हैं।"

दुर्ग का कायाकल्प: सुंदरता और स्वच्छता का संगम

क्या सड़कें, क्या गलियां – हर तरफ स्वच्छता का अद्भुत साम्राज्य! आधे घंटे की बारिश तो छोड़िए, अगर प्रलय भी आ जाए तो नालियों में जाम की स्थिति नहीं रहेगी। पूरे शहर में कहीं भी पानी का जमावड़ा देखने को नहीं मिलता है; सड़कें गड्ढा रहित होकर ऐसी हो गई हैं जैसे घर का आंगन हो।

   " ऐसी सफाई तो कभी इंसान के मन में भी नहीं देखी गई, जैसी दुर्ग की गलियों में देखी जा रही है! अब कचरा खुद चलकर स्वेच्छा से डंपिंग यार्ड में चला जाता है।"
  "रात के समय शहर में घूमने से ऐसा प्रतीत होता है जैसे चांद की रोशनी अपनी छटा बिखेर रही हो, हर कोना जगमगा रहा है।"

   शहर के मध्य सुराना कॉलेज के सामने का क्षेत्र जो कभी बदबूदार वातावरण से घिरा रहता था, अब खुशबूदार वातावरण में निर्मित है। कभी यहां कचरे का ढेर होता था, अब सुंदर उद्यान बन चुके हैं। चौक-चौराहों की बात करें तो उनकी सुंदरता अद्भुत है, मानो हर चौराहा कला का एक नायाब नमूना हो। कचरा निष्पादन के लिए बड़ी-बड़ी डंपिंग मशीनें लग चुकी हैं, जिससे शहर की गंदगी का नामोनिशान मिट गया है।
अतिक्रमण मुक्त दुर्ग: न्याय और व्यवस्था का राज

दुर्ग निगम क्षेत्र की सड़कें अतिक्रमण मुक्त हो गई हैं, और आम जनता के यातायात में अतिक्रमणकारियों के कारण हो रही बाधाएं अब दूर हो गई हैं। हर तरफ खुशी का वातावरण है।

    "सड़कों से अतिक्रमण इस कदर हट गया है कि अब हर वाहन को चलने से पहले सड़क से अनुमति लेनी पड़ती है कि कहीं वह उसकी स्वच्छता तो नहीं बिगाड़ रहा।"

   अवैध रूप से बिल्डिंग/घर बनाने वालों को ख्वाब में भी अब निगम के भवन विभाग जाना पड़ता है, और शहर में अवैध प्लाटिंग पूरी तरह बंद हो गई है। सड़कों पर अब आवारा गाय कहीं नजर नहीं आतीं – वे भी शायद महापौर के शासन से प्रभावित होकर अनुशासित हो गई हैं! इंदिरा मार्केट अब प्रदेश का सबसे सुंदर बाजार नजर आने लगा है। व्यापारियों ने बरामदे का स्थान खाली कर दिया है ताकि आम जनता के आवागमन में किसी प्रकार की दिक्कत न हो।

जिस भावभूमि बिल्डर द्वारा निगम की जमीन पर कब्जा कर लिया गया था, वह अब कब्जा मुक्त हो चुका है। यह महापौर की दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि उन्होंने न्याय और व्यवस्था को सर्वोपरि रखा है। गोठान की गायों के लिए भरपूर चारा उपलब्ध कराने में शहरी सरकार की अहम भूमिका नजर आ रही है, जो पशु कल्याण के प्रति उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है।

भ्रष्टाचार का युग समाप्त: पारदर्शिता और ईमानदारी का नया दौर

घोटाले की बात करें तो अब घोटाले की बात बहुत दूर नजर आती है। आम जनता के सपनों में भी घोटाले नजर नहीं आते। अब तो आम जनता निगम के नोटिस को देखते ही कांप जाती है – भ्रष्टाचार का निगम के दरवाजे में आगमन बिल्कुल बंद हो चुका है।

    "जिन अफसरों पर कभी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, अब वे ध्यान और प्रायश्चित में लीन हो चुके हैं। बताया जाता है कि कुछ तो हिमालय की ओर भी प्रस्थान कर चुके हैं।"

  "निगम के कर्मचारी रोज सुबह उठकर शहरी सरकार के कार्यों की आराधना करते हैं, मानो वे देवता समान हों।"

भले ही शहरी सरकार भाजपा की है, परंतु शहरी सरकार की न्याय प्रणाली में सुशासन एक बड़ा महत्वपूर्ण अंग माना जा रहा है। जिस अपंजीकृत संस्था राम रसोई के भूमि आवंटन पर विवाद उत्पन्न हुआ था, उस मामले पर शहरी सरकार ने दस्तावेजों का निरीक्षण किया और सभी गलतियों को संज्ञान में लेते हुए, भाजपा नेता और राम रसोई के संरक्षक चतुर्भुज राठी से राजनीतिक संबंधों को न निभाते हुए, निष्पक्ष कार्यवाही की और बस स्टैंड को एक व्यवस्थित बस स्टैंड के रूप में बना दिया।

    "यह महापौर का ही जादू है कि अब कागजों में भी सच्चाई झलकने लगी है – दस्तावेज़ भी डर के मारे झूठ बोलने से परहेज़ करते हैं।"

राजस्व वसूली में क्रांति: निगम बना आत्मनिर्भर

राजस्व वसूली के मामले में तो अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि साल भर में कम से कम ₹100 करोड़ की राजस्व वसूली हो जाएगी, जो कि एक अभूतपूर्व उपलब्धि है!

    "करदाता अब अपनी खुशी से टैक्स देने पहुंचते हैं, कुछ तो अतिरिक्त टैक्स देकर निकलते हैं यह कहते हुए कि "राशि कम लग रही है, कुछ और लें!"

प्रदेश सरकार से दुर्ग निगम में करोड़ों रुपए के कार्य अब तक महापौर के सानिध्य में आ चुके हैं, और ऐसी चर्चा है कि कई हजार करोड़ रुपए भी अब आने वाले समय में दुर्ग निगम में आ जाएंगे।

    शहरी सरकार, प्रदेश सरकार और उनके जनप्रतिनिधियों के साथ ऐसा तालमेल बैठाकर चल रही है कि मानो राज्य सरकार पैसे लेकर निगम के दरवाजे पर खड़ी हो, मिन्नतें कर रही हो कि दुर्ग निगम ये पैसे ले ले!

सामंजस्य और सम्मान: विपक्ष भी हुआ नतमस्तक

  पूर्व की शहरी सरकारो ने हमेशा विपक्ष का अपमान किया है, परंतु वर्तमान समय में शहरी सरकार के द्वारा विपक्ष के नेताओं का भी पूरा सम्मान किया जा रहा है। उन्हें बड़े-बड़े कार्यालय दिए गए हैं ताकि वे जनता की बातों को सुन सकें और अपनी बातों को शहरी सरकार के सामने रख सकें।

   अतिश्योक्ति " नगर निगम के मंत्रिमंडल में इतनी एकता है कि एक मंत्री खांसी भी करता है तो दूसरा टॉवल लेकर दौड़ पड़ता है। ऐसी सामूहिक भावना केवल महापौर के करिश्मे से संभव हो पाई है।"यह लोकतंत्र में सद्भाव की अद्भुत मिसाल है!

शहरी सरकार के मंत्रिमंडल की काबिलियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर मंत्री आपस में अपनी कार्यो की रूपरेखा को भली-भांति उचित ढंग से निर्वाहन कर रहा है। आपसी मतभेद की कहीं बातें नजर नहीं आ रही हैं, और शहर के विधायक के साथ सामंजस्य की अद्भुत मिसाल सबके सामने नजर आ रही है। शासकीय सुविधाओं का दोहन करने के बजाय आम जनता की सुविधाओं के लिए शहरी सरकार कटिबद्ध है।

    अब नगर निगम के कर्मचारियों की सुबह 'सुशासन मंत्र' के जाप से शुरू होती है और रात 'महापौर चालीसा' के पाठ से समाप्त होती है।

निष्कर्ष: स्वर्णिम युग का प्रारंभ

पूर्व की शहरी सरकार के कार्यकाल को अब जनता बिल्कुल भूल चुकी है। ऐसी कोई बातें हैं जिनकी व्याख्या करते-करते सुबह से रात हो जाएगी, परंतु वर्तमान की शहरी सरकार की कार्यप्रणाली और सुशासन की बातें कभी खत्म नहीं होंगी। हर दृष्टिकोण से वर्तमान की शहरी सरकार, महापौर श्रीमती अलका बाघमार के सानिध्य में नई ऊंचाइयों को छू रही है, और हम धन्य हैं कि हम इस स्वर्णिम युग के साक्षी हैं!

    "यदि वर्तमान महापौर जी इसी गति से कार्य करती रहीं, तो संभावना है कि आने वाले दिनों में संयुक्त राष्ट्र भी दुर्ग निगम को 'ग्लोबल रोल मॉडल फॉर अर्बन गवर्नेंस' घोषित कर देगा।"

  भाजपा नेता के अपंजीकृत संस्था पर कार्यवाही हो गई ( विकाश के चश्मे से )

   मुक्तिधाम में पशु मृत आत्मा को श्रधांजलि देते हुए ( विकाश के चश्मे से )

   सडको पर अब आवारा पशु नजर नहीं आते (विकास के चश्मे से )

   इंदिरा मार्केट का सुन्दर रूप बरामदा हुआ कब्ज़ा मुक्त (विकास के चश्मे से )

लेखक: शरद पंसारी
(यह व्यंग्य लेख नगर निगम दुर्ग की प्रेस विज्ञप्तियों में दर्शाए गए विकास और जमीनी सच्चाई के तुलनात्मक विश्लेषण पर आधारित है। विकास के चश्मे से शहर में विकास कार्य और सुशासन चरम सीमा पर है )

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय बोले – “नक्सलवाद की रात ढल रही है, बस्तर में विकास की नई सुबह हो रही है”

  रायपुर/शौर्यपथ ब्यूरो/
(साभार: जनसंपर्क विभाग, छत्तीसगढ़ शासन)

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे को लेकर एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि "नक्सलवाद की रात अब ढल रही है और विकास की नई सुबह का उदय हो चुका है।" उन्होंने बताया कि बस्तर रेंज में ₹2.54 करोड़ के इनामी 66 हार्डकोर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ने का संकल्प लिया है। इस आत्मसमर्पण में ₹25 लाख के इनामी माओवादी SZCM (South Zonal Committee Member) रामन्ना ईरपा उर्फ जगदीश भी शामिल है, जो संगठन का एक शीर्ष रणनीतिकार रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक आत्मसमर्पण डबल इंजन सरकार की सुशासन, सुरक्षा और पुनर्वास नीति का प्रत्यक्ष प्रमाण है। सरकार की समावेशी और सशक्त योजनाओं ने इस दिशा में निर्णायक बदलाव लाया है।
एक ही दिन में 5 जिलों से आए 66 नक्सली मुख्यधारा में

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि:

    बीजापुर से 25,    दंतेवाड़ा से 15,    कांकेर से 13,    नारायणपुर से 8,    सुकमा से 5 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।

इन सभी ने राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर हिंसा का मार्ग छोड़ शांति और विकास की दिशा में चलने का निर्णय लिया।


‘पूना मारगेम’ – पुनर्वास से पुनर्जीवन की नीति बनी बदलाव की धुरी

मुख्यमंत्री साय ने “पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” नीति को इस परिवर्तन का केंद्रीय तत्व बताते हुए कहा कि राज्य सरकार इन नक्सलियों के भविष्य को संवारने और उन्हें समाज के सम्मानित नागरिक के रूप में पुनः स्थापित करने हेतु पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।

18 महीनों में 1,570 माओवादियों का आत्मसमर्पण – सरकार की नीति की व्यापक स्वीकार्यता

मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 18 महीनों में 1,570 माओवादी कैडर आत्मसमर्पण कर चुके हैं। यह सरकार की पारदर्शी, नागरिक हितैषी और मानवीय दृष्टिकोण से प्रेरित नीति की सफलता का प्रमाण है। आत्मसमर्पण करने वालों में कई कुख्यात और रणनीतिक स्तर के माओवादी शामिल हैं।
केंद्र-राज्य समन्वय से बस्तर में विकास और सुरक्षा की नई लहर

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में राज्य और केंद्र सरकार मिलकर बस्तर के दूरस्थ क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास का समवेत अभियान चला रही हैं।

उन्होंने बताया कि अब बस्तर के सुदूर क्षेत्रों में:

    सड़कों का विस्तार,    पेयजल आपूर्ति,    प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा केंद्र,    स्वास्थ्य सुविधाएं,    परिवहन,    बिजली एवं डिजिटल नेटवर्क जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुँच चुकी हैं।

रामन्ना ईरपा का आत्मसमर्पण – माओवादी नेटवर्क को गहरा झटका

सूत्रों के अनुसार, रामन्ना ईरपा उर्फ जगदीश माओवादी संगठन का दक्षिण जोनल कमेटी सदस्य (SZCM) था, जो रणनीति, भर्ती और स्थानीय नेटवर्क संचालन का प्रमुख चेहरा रहा है। उसका आत्मसमर्पण माओवादी नेटवर्क की रीढ़ तोड़ने जैसा माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री का संदेश – “बस्तर भय से नहीं, भविष्य से पहचाना जाएगा”

मुख्यमंत्री साय ने आत्मसमर्पण करने वाले सभी व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा:

    "हम हर उस हाथ को थामेंगे, जो हथियार छोड़कर शांति, शिक्षा और सृजन की राह पर लौटना चाहता है। यह बस्तर के पुनर्निर्माण का समय है। यह सामाजिक भागीदारी से संचालित नया युग है।"

निष्कर्ष: नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार, विकास की ठोस जमीन

बस्तर की यह घटना केवल एक प्रशासनिक सफलता नहीं, बल्कि आशा, पुनर्वास और सामाजिक पुनरुत्थान की ऐतिहासिक पटकथा है। नक्सलवाद के आतंक से लंबे समय से जूझते बस्तरवासियों के लिए यह एक निर्णायक मोड़ है — अब बस्तर की पहचान भय नहीं, बल्कि भविष्य की संभावना होगी।

? रिपोर्ट: शरद पंसारी
संपादक: शौर्यपथ दैनिक समाचार
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(साभार: जनसंपर्क विभाग, छत्तीसगढ़ शासन)

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