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शौर्यपथ विशेष रिपोर्ट
"अगर केंद्र, राज्य और नगर निगम में एक ही पार्टी की सरकार होगी, तो विकास दौड़ेगा!"
यह था भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री सरोज पांडे का वादा, जब उन्होंने दुर्ग की जनता से "ट्रिपल इंजन" का समर्थन मांगा था।
लेकिन आज, जब ट्रिपल इंजन से चलने वाला दुर्ग शहर गड्ढों, गंदगी और गुटबाजी के दलदल में फंसा है, जनता खुद सवाल पूछ रही है - "वादा किया था रोशनी का, फिर क्यों पसरा है अंधेरा?"
जब सरोज पांडे थीं महापौर: दुर्ग बना था विकास का पर्याय
महापौर रहते सुश्री सरोज पांडे ने दुर्ग नगर निगम को विकास की दिशा में एक नई पहचान दी थी।चौड़ी सड़कें,सुव्यवस्थित बाजार,सुंदर उद्यान,और सफाई व्यवस्था -
उस दौर में दुर्ग को "छोटा स्मार्ट सिटी" कहने लगे थे लोग।
आज उसी शहर में, जहां उन्होंने विकास की नींव रखी, वहीं अब बदहाल व्यवस्थाएं और टूटी उम्मीदें एक कटु सच्चाई बन चुकी हैं।
आज का दुगर्: नालियां जाम, सड़कों पर जान का खतरा ,अतिक्रमण से जकड़े बाजार ,आवारा पशुओं से भरा शहर ,अधूरी सड़कें , और राजेंद्र चौक जैसे व्यावसायिक हब पर सरकारी सुस्ती ,नगर निगम की 6 महीने की सत्ता और राज्य सरकार के 20 महीनों के कार्यकाल में सुधार की बजाय गिरावट ही सामने आई है।
नालियों की सफाई अब भी "प्रक्रिया में" है, पार्कों की घास सूख रही है, और जनता धूल, दुर्गंध और दुश्वारियों के बीच जूझ रही है।
गुटबाजी का गड्ढा: महापौर बनाम विधायक
शहर के दो जिम्मेदार चेहरे - महापौर और स्थानीय विधायक – आमने-सामने हैं। कोई काम अगर हो भी गया, तो उसका श्रेय लेने की राजनीतिक होड़ जारी है। सामंजस्य और टीमवर्क जैसे शब्द शहरी प्रशासन की डिक्शनरी से नदारद हो चुके हैं। विपक्ष को परिषद में बोलने तक का मौका नहीं देना लोकतांत्रिक मर्यादा का खुला उल्लंघन है।
गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों को संरक्षण
इंदिरा मार्केट हो या कपड़ा लाइन - जहां आम ठेलेवालों को हटाया जा रहा है, वहीं बड़े दुकानदारों द्वारा बरामदे पर कब्जा बरकरार है।
भाजपा नेता के संरक्षण में राम रसोई को गलत दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों की भूमि का आवंटन भी अब चर्चा में है, लेकिन कार्रवाई शून्य।
जनता पूछ रही - "अब किससे लें जवाब?"
क्या जवाब दें वो भाजपा संगठन जो विपक्ष में रहकर हर गड्ढे पर धरना देता था? या वो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडे, जिन्होंने वादा किया था कि "ट्रिपल इंजन" से दुर्ग दौड़ेगा?"
अब जब वही इंजन धुएं में उलझ गया है, तो जनता सिर्फ इंतज़ार में है कि -"कोई आए, और इन सवालों का ईमानदारी से जवाब दे!"
आईना देखिए, पोस्टर नहीं
यह सिर्फ बदहाल दुर्ग की रिपोर्ट नहीं, बल्कि उन तमाम वादों का आइना है, जो वोट से पहले बड़े-बड़े मंचों पर बोले गए थे।
महापौर रहते सरोज पांडे का विकास मॉडल आज खुद सवाल कर रहा है - "क्या भाजपा की आज की नगर सरकार उस स्तर को भी छू पाई?"
अब जनता तय करेगी -बातों के ट्रिपल इंजन से शहर नहीं चलता, ज़मीन पर पसीने से काम करना होता है।
रायपुर / शौर्यपथ /
छत्तीसगढ़ के राजस्व तंत्र को पिछले सात दिनों से ठप करने वाली तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की अनिश्चितकालीन हड़ताल आखिरकार बुधवार को स्थगित कर दी गई। प्रदेश भर के करीब 550 राजस्व अधिकारी अब दोबारा काम पर लौट आए हैं। यह निर्णय बुधवार को राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा और तहसीलदार संघ के प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई अहम बैठक के बाद लिया गया।
तहसीलदार संघ के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार लहरे ने कहा,
"हमारी 17 सूत्रीय मांगों को मंत्री ने गंभीरता से सुना है और आश्वासन दिया है कि इन पर शीघ्र कार्यवाही होगी। इसी विश्वास के आधार पर हम फिलहाल हड़ताल स्थगित कर रहे हैं।"
30 जुलाई से थे हड़ताल पर
तहसीलदार और नायब तहसीलदार 30 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे। राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों में राजस्व से जुड़े कार्य पूरी तरह ठप पड़ गए थे। जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, सीमांकन, बटांकन, भूमि अभिलेख सुधार जैसी जनहित से जुड़ी सेवाएं प्रभावित हुई थीं।
प्रमुख मांगें जो बनीं संघर्ष का कारण
तहसीलदार संघ ने सरकार के समक्ष 17 सूत्रीय मांगों की एक विस्तृत सूची पेश की थी, जिनमें प्रशासनिक ढांचे से लेकर सेवा शर्तों तक कई अहम मुद्दे शामिल थे:
तहसीलों में पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति - पटवारी, कंप्यूटर ऑपरेटर, चपरासी जैसे पदों की कमी से जूझ रहे तहसीलों को लोक सेवा गारंटी अधिनियम से छूट देने की मांग।
पदोन्नति नियमों में सुधार-तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर बनने की प्रक्रिया में पुराने 50:50 अनुपात की बहाली।
राजपत्रित दर्जा और ग्रेड पे में वृद्धि-नायब तहसीलदारों को राजपत्रित अधिकारी घोषित करने व ग्रेड पे में संशोधन की मांग।
कार्य सुविधा व सुरक्षा-कार्यालयीय वाहन, सरकारी मोबाइल नंबर, सुरक्षा गार्ड, तकनीकी स्टाफ और कोर्ट ड्यूटी को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश।
निलंबन व जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता-जांच अवधि 15 दिनों में समाप्त करने व बिना उचित कारण के निलंबन पर रोक।
संघ की मान्यता व संवाद की व्यवस्था-तहसीलदार संघ को आधिकारिक मान्यता देने की मांग ताकि शासन के साथ सीधा संवाद संभव हो सके।
प्रशासन को राहत, जनता को उम्मीद
हड़ताल खत्म होने के बाद तहसील कार्यालयों में फिर से कामकाज शुरू हो गया है। इससे न केवल राजस्व कार्यों की लंबित फाइलों को गति मिलेगी, बल्कि आम नागरिकों को भी राहत मिलेगी। कई जिलों में सीमांकन और मुआवजा वितरण जैसे कार्य प्राथमिकता पर लिए जा रहे हैं।
राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम घटनाक्रम
इस हड़ताल को लेकर सरकार पर प्रशासनिक असंतोष संभालने में विफल होने के आरोप लग रहे थे। अब जबकि संघ ने सरकार के आश्वासन पर हड़ताल स्थगित की है, यह सरकार के लिए भी एक अवसर है कि वह संवाद और समाधान की नीति से प्रशासनिक तंत्र को मजबूत करे।
आगे की राह
हालांकि हड़ताल "स्थगित" की गई है, समाप्त नहीं। इसका अर्थ यह भी है कि यदि सरकार ने शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए, तो राजस्व विभाग फि र से संकट में आ सकता है। आने वाले सप्ताह सरकार की मंशा और कार्यशैली इस पूरे घटनाक्रम का भविष्य तय करेगी।
विशेष टिप्पणी: राजस्व विभाग किसी भी राज्य के प्रशासनिक और विकासात्मक ढांचे की रीढ़ होता है। तहसीलदारों की मांगें केवल व्यक्तिगत सुविधाओं तक सीमित नहीं, बल्कि कार्यकुशलता और जवाबदेही से जुड़ी हैं। सरकार यदि इस अवसर को संरचनात्मक सुधार के रूप में लेती है, तो यह छत्तीसगढ़ के राजस्व प्रशासन में ऐतिहासिक परिवर्तन का आधार बन सकता है।
नया रायपुर / शौर्यपथ / छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एक बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों का तबादला किया है। यह आदेश आज शाम सामान्य प्रशासन विभाग, मंत्रालय, महानदी भवन, नया रायपुर अटल नगर द्वारा जारी किया गया।
जारी आदेश के अनुसार, राज्य शासन ने कुल 10 आईएएस अधिकारियों का स्थानांतरण किया है। इस फेरबदल में कुछ अधिकारियों को वर्तमान दायित्वों के साथ-साथ अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है, जबकि कुछ अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां दी गई हैं।
मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
* श्री अविनाश चंपावत (भा.प्र.से. 2003), सचिव, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन तथा पुनर्वास विभाग को उनके वर्तमान कर्तव्यों के साथ-साथ सचिव, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
* श्री रितेश कुमार अग्रवाल (भा.प्र.से. 2012), संचालक, कोष एवं लेखा तथा अति. प्रभार संचालक, पेंशन, पंजीयक, फर्म एवं संस्थाएं को अब आगामी आदेश पर्यंत प्रबंध संचालक, छ.ग. मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन, रायपुर के पद पर पदस्थ किया गया है।
* श्री रवि मित्तल (भा.प्र.से. 2016), आयुक्त, जनसंपर्क तथा अति. प्रभार मुख्य कार्यपालन अधिकारी, संवाद को आयुक्त, जनसंपर्क तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी, संवाद के अतिरिक्त प्रभार सौंपे गए हैं।
* श्रीमती पद्मिनी भोई साहू (भा.प्र.से. 2016), प्रबंध संचालक, छ.ग. मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन, रायपुर को आगामी आदेश पर्यंत प्रबंध संचालक, कोष एवं लेखा तथा संचालक, पेंशन और पंजीयक, फर्म एवं संस्थाएं का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
* श्रीमती हीना अनिमेष नेताम (भा.प्र.से. 2016), उप सचिव, राजभवन, रायपुर को आगामी आदेश पर्यंत संचालक, आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के पद पर पदस्थ किया गया है।
सरकार ने प्रशासनिक कार्यों में गति लाने और जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को और प्रभावी बनाने के लिए यह निर्णय लिया है। इन तबादलों को राज्य की प्रशासनिक मशीनरी को और अधिक चुस्त-दुरुस्त करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। राज्यपाल के नाम से जारी यह आदेश छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव, रजत कुमार, द्वारा हस्ताक्षरित है।
यह प्रशासनिक बदलाव राज्य में शासन-प्रशासन के स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा और विभिन्न विभागों के कामकाज में नई ऊर्जा का संचार होने की उम्मीद है।
