November 22, 2024
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बिग बी पर जब-जब भी पड़ा संकट, काशी ने संभाला

मनोरंजन / शौर्यपथ / अंदाज, आवाज और अल्फाज के बलबूते महानायक का खिताब अर्जित करने वाले बिग-बी जब-जब संकट में हुए, बनारस उनके साथ खड़ा रहा। विद्यार्थी जीवन में इलाहाबाद आकाशवाणी की स्वर परीक्षा में फेल हो जाने की घटना से लेकर, कुली फिल्म की शूटिंग में घायल होने, 1988 में जबरदस्त आर्थिक संकट में घिरने और हाल-फिलहाल कोरोना पॉजिटिव पाए जाने तक उनके हर संकट को टालने में बनारस किसी न किसी रूप में मददगार बना है। मानवीय संवेदनाओं के ताने-बाने से बुने गए इसी रिश्ते के हक से बनारस आज अमिताभ बच्चन का 78वां जन्मदिन मना रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के दौरान अमिताभ में फिल्मों में जाने की चाह जगी। इस दिशा में पहला कदम उन्होंने इलाहाबाद आकाशवाणी की तरफ बढ़ाया, जहां स्वर परीक्षा में वह फेल हो गए। 1962 में हुई घटना से व्यथित अमिताभ को मणिकर्णिका घाट निवासी ज्योतिषाचार्य पं. राधाकांत मिश्र ने राह दिखाई थी। हरिवंश राय बच्चन के मित्र पं. राधाकांत ने उन्हें ज्योतिषीय सलाह दी थी। वरिष्ठ समीक्षक अमिताभ भट्टाचार्य बताते हैं कि 1982 में कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान गंभीर घायल अमिताभ के लिए महामृत्युंजय मंदिर में 51 दिनों तक महानुष्ठान हुआ था। अमिताभ बच्चन के घोर प्रशंसक रहे पं. कुष्णमुरारी पांडेय ने अपने खर्च पर 11 ब्राह्मणों द्वारा 51 दिनों तक लगातार महामृत्युंजय जाप का महानुष्ठान कराया था।
1984 से 87 तक की छोटी सी राजनीतिक पारी के बाद फिल्मों में पुन: वापसी के बाद अमिताभ का करियर गिरता ही गया। 1996 में अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लि.( एबीसीएल) की स्थापना की मगर 99 तक वह आर्थिक और कानूनी दोनों ही संकट से घिर गए। ऐसे में बीएचयू से जुड़े एक प्रख्यात ज्योतिषी ने अमिताभ की राह आसान की। उनके बताए उपचारों का लाभ अमिताभ को ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के रूप में मिलना शुरू हुआ। ब्रिटिश टेलीविजन शो के खेल, 'हू वाण्टस टु बी ए मिलिनेयर” के हिंदी संस्करण ने हॉलीवुड के शहंशाह के अग्निपथ की आंच ठंडी कर दी। बीती 12 जुलाई को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद 13 जुलाई से ही काशी के महामृत्युंजय महादेव मंदिर में पं. विशाल जोशी ने 17 दिनों तक महामृत्युंजय जाप किया था।
अमिताभ ने अनुष्ठान कर व्यक्त की कृतज्ञता
वर्ष 2000 में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की लांचिंग और जबरदस्त कामयाबी के बाद कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए अमिताभ बच्चन 2006 में सपरिवार काशी आए। पहले संकटमोचन मंदिर में हवन आदि किया, उसके उपरांत श्रीकाशी विश्वनाथ की मंगला आरती में शरीक हुए। इससे पूर्व 25 जनवरी 2003 को जब वह अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की अस्थियां विसर्जित करने आए तब भी पूरा बनारस उनके पीछे-पीछे चला था।

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