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दीपक वैष्णव की ख़ास रिपोर्ट
कोंडागांव / शौर्यपथ / कोंडागांव जिले के चिलपुटी स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हुई एक गंभीर कहानी अब झूठे जांच-प्रतिवेदनों और प्रशासनिक मिलीभगत के आरोपों के केंद्र में आ गई है। दैनिक अख़बार में प्रकाशित खबर के बाद सूचना का अधिकार (RTI) से प्राप्त दस्तावेजों ने खुलासा किया है कि विद्यालय के पूर्व प्रभारी प्रिंसिपल कृष्णा सिंह के पक्ष में कथित तौर पर मंगाई गई और अधूरी जांच रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को गुमराह करने का प्रयास किया गया।
पत्रकारों व ग्रामीणों की शिकायत का सार:
खबरों में यह आरोप था कि प्रधानाचार्य कृष्णा सिंह ने अपने पद के दुरुपयोग के तहत चौकीदार श्यामलाल यादव के पुत्र को स्कूल में कार्य करवा लिया — यानी “बाप की जगह बेटा” को सरकारी वेतन पर काम पर लगाया गया। शिकायत में यह भी कहा गया कि चौकीदार स्वास्थ्य खराब होने का बहाना कर रहा है, जबकि उसका पुत्र नियमित रूप से स्कूल में उपस्थित दिखाया गया। इस खबर के बाद जिला प्रशासन ने जांच कराई — पर उसी जांच की प्रतिवेदनों में ऐसे कई अंतर पाए गए जो शंकास्पद हैं।
RTI दस्तावेजों और जांच रिपोर्ट में पायी गई गड़बड़ियाँ (मुख्य बिंदु)
गैर-व्यावहारिक बयान और अभावित गवाहों का उल्लेख — जांच रिपोर्ट में केवल स्कूल के पदस्थ शिक्षकों का उल्लेख है, किन्तु किसी भी शिक्षक के बयान के साथ उनका नाम, दिनांक या हस्ताक्षर नहीं जोड़ा गया। ऐसे अनाम—निराधार बयानों को रिपोर्ट में तथ्य के रूप में पेश किया गया है।
रात-कार्यकर्ता का दिन में 'पुत्र द्वारा खाना पहुँचाने' जैसा विरोधाभासी बयान — रिपोर्ट में लिखा गया है कि चौकीदार का पुत्र रोज स्कूल खाना पहुँचाया करता था; जबकि चौकीदार की ड्यूटी रात्रि में है — रात में चौकीदार विद्यालय की निगरानी करता है और दिन में शिक्षक उपस्थित रहते हैं। यह तर्क व व्यावहारिकता से मेल नहीं खाता।
श्रमिक की अस्वस्थता एवं चिकित्सीय दस्तावेजों का समय-क्रम — सूत्रों व RTI से मिली जानकारी के अनुसार चौकीदार का मेडिकल रिकॉर्ड और चिकित्सीय प्रमाणपत्र पत्रकार के स्कूल पहुंचने व खबर प्रकाशित होने के कुछ ही दिनों पहले विद्यालय/विभाग में जमा कराए गए थे, जिससे शक उठता है कि मेडिकल दस्तावेज घटनाक्रम के अनुरूप बाद में तैयार कर दिए गए।
जांच समिति का गठन और जिम्मेदारियों का अनियमित वितरण — जांच समिति में नरेंद्र कुमार नायक (प्राचार्य) को जांच अधिकारी व इरसाद (इरशाद) अंसारी (सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी) को प्रस्तुतकर्ता नामित किया गया था। हालांकि RTI प्रतिलेखों से प्रतीत होता है कि ये अधिकारी स्वयं पूर्वप्रभारी के अनुकूल रिपोर्ट तैयार करने में सक्रिय रहे।
चौकीदार की वास्तविक स्थिति — स्थानीय सूत्रों का कहना है कि श्यामलाल यादव वर्षों पहले लकवे से प्रभावित हुए थे और वे स्वयं दैनिक कार्य करने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे व्यक्ति के स्थान पर पुत्र का अनियमित तौर पर नियुक्त/काम करवाने के आरोपों की गंभीरता और जांच की आवश्यकता बनती है।
दस्तावेज क्या कहते हैं — निष्पक्षता बनाम छिपाने की साज़िश
RTI से प्राप्त जांच प्रारूप व शासकीय आदेशों के संलग्न प्रतिलिपियों का विश्लेषण दर्शाता है कि जांच समिति ने मूलभूत प्रक्रिया — गवाहों के साक्ष्य, हस्ताक्षर, दिनांक और चिकित्सीय प्रमाणों की वैधता — पर समुचित प्रश्न नहीं उठाए या उठाकर भी सही दस्तावेज नहीं दिए। इससे यह आशंका जोर पकड़ती है कि रिपोर्ट को घटना के अनुरूप मोड़कर तैयार किया गया, ताकि पूर्वप्रभारी को अनावश्यक लाभ/रक्षा दी जा सके।
स्थानीय प्रतिक्रिया और माँगें
ग्रामवासी, शिक्षक व स्थानीय अभियंताओं ने कहा कि यदि ऐसा सच है तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए — न केवल रिपोर्ट तैयार करने वाले सदस्यों के विरुद्ध बल्कि उस प्रकरण की वास्तविकता छिपाने के लिए मंथन करने वालों के विरुद्ध भी। ग्रामीणों ने स्पष्ट मांग की है कि इस मामले की स्वतंत्र रूप से पुनः जांच कराई जाए और यदि आवश्यकता हो तो FIR के तहत धाराओं के मुताबिक कार्रवाई की जाए (संभावित धाराएँ — धोखाधड़ी, सरकारी कागजातों में हेराफेरी/झूठे दस्तावेज, सार्वजनिक पद का दुरुपयोग इत्यादि)।
क्या कहा जाना चाहिए प्रशासन को — सुझाव
इस मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच तृतीय-पक्ष (जिला से बाहर) अधिकारी अथवा एसपी/डीएम स्तर द्वारा करवाई जाए।
जांच समिति की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में दिये गए सभी बयानों के मूल साक्ष्य (हस्ताक्षरित बयान, उपस्थिति सूची, चिकित्सा प्रमाण) सार्वजनिक किए जाएं।
यदि जांच में अनियमितता सिद्ध होती है तो तत्काल अनुलग्न अधिकारियों/जांच सदस्यों के विरुद्ध अनुशासनात्मक व आवश्यक कानूनी कार्यवाही की जाए। चौकीदार व उसके पुत्र की नियुक्ति/भुगतान संबंधी समस्त दस्तावेजों की भी स्वतंत्र ऑडिट करवाई जाए।
प्रेस की भूमिका और प्रशासन की जवाबदेही
यह मामला सिर्फ एक शिक्षक बनाम चौकीदार का मामूली विवाद नहीं है; यह सार्वजनिक भरोसे और सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता से जुड़ा प्रश्न है। मीडिया द्वारा उठाई गई शिकायतों पर प्रशासन को पारदर्शिता के साथ जवाब देना होगा। वर्तमान RTI दस्तावेजों व प्राप्त जानकारियों के आधार पर यह आग्रह किया जा रहा है कि कागजी रिपोर्टों के बारे में प्रशासन जल्दीबाजी में निष्कर्ष पर न पहुंचे — बल्कि सत्यापन के लिए स्वतंत्र जांच सुनिश्चित करे, ताकि दुहराव और संभावित साज़िशों से बचा जा सके।
✍️ संपादकीय विश्लेषण
दुर्ग। लोकतंत्र की जड़ें तभी मजबूत होती हैं जब सत्ता में बैठे लोग जनसेवा को प्राथमिकता दें और नैतिकता को अपना आदर्श बनाएं। परंतु विडंबना यह है कि आज राजनीति में नैतिकता का स्थान स्वार्थ ने ले लिया है। चुनाव के समय नेता जनता के द्वार पर हाथ जोड़कर सेवा का वादा करते हैं, लेकिन पद मिलते ही वही नेता जनसेवा के वादों को भुलाकर सरकारी तंत्र और संसाधनों के दुरुपयोग में लग जाते हैं।
सरकारी बंगले, जो प्रशासनिक जरूरतों और सार्वजनिक सेवा से जुड़े पदाधिकारियों के लिए आरक्षित होते हैं, आज राजनीतिक रसूख की पहचान बन गए हैं। नेताओं के लिए बंगले केवल निवास नहीं, बल्कि शक्ति प्रदर्शन के प्रतीक बन चुके हैं। और यही प्रवृत्ति लोकतंत्र की आत्मा पर सबसे गहरा आघात करती है।
? दुर्ग का उदाहरण: सम्मानित नाम के पीछे उठते सवाल
दुर्ग शहर का राजनीतिक इतिहास साक्षी है कि स्वर्गीय हेमचंद यादव का नाम आज भी सम्मान और सेवा के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। उनका मिलनसार स्वभाव, सरल व्यक्तित्व और जनता से जुड़ाव ने उन्हें जननेता के रूप में स्थापित किया था।
परंतु अफसोस की बात यह है कि उनके जाने के वर्षों बाद भी, उनके नाम पर आवंटित सरकारी बंगले पर आज भी उनके परिजनों का कब्जा बना हुआ है — जबकि कोई संवैधानिक या सरकारी पद उनके पास नहीं है।
यह स्थिति केवल एक बंगले की नहीं, बल्कि नैतिकता की दीवारों में लगी दरार का प्रतीक है।
क्योंकि जहां जनता के लिए उपलब्ध सुविधाएं सीमित हैं, वहीं सत्ता की निकटता से लाभान्वित परिवार सरकारी संपत्ति को निजी उपयोग में बनाए रखते हैं।
⚖️ जब एक पूर्व मंत्री ने दी थी मिसाल...
प्रदेश की राजनीति में पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने एक बार नैतिक उदाहरण प्रस्तुत किया था। विधायक रिकेश सेन द्वारा उनके बंगले के आवंटन की प्रक्रिया शुरू होते ही उन्होंने बिना किसी विवाद या टकराव के बंगला तत्काल खाली कर दिया।
यही वह राजनीतिक संस्कार था जो दिखाता है कि लोकतंत्र में पद से बड़ा नैतिक कर्तव्य होता है।
लेकिन आज जब जीत हेमचंद यादव जैसे युवा नेता, जिनकी पहचान अभी भी स्वर्गीय हेमचंद यादव की विरासत पर टिकी है, उसी सरकारी बंगले पर कब्जा बनाए रखते हैं, तो यह सवाल उठना लाजिमी है —
क्या यह वही "नैतिकता" है जिसकी बातें नेता जनता के सामने करते हैं?
?️ बंगला या प्रतीक — राजनीति का असली चेहरा
सरकारी बंगले की दीवारें केवल ईंट-पत्थर की नहीं होतीं, वे जनता के विश्वास की नींव होती हैं।
जब कोई नेता सरकारी संपत्ति पर पद छोड़ने के बाद भी कब्जा जमाए रखता है, तो यह जनता के विश्वास का दुरुपयोग है। यह वही जनता है जिसने उन्हें सम्मान, पहचान और पद सब कुछ दिया।
यदि जीत हेमचंद यादव वास्तव में अपने पिता की प्रतिष्ठा और सम्मान को जीवित रखना चाहते हैं, तो उन्हें चाहिए कि वे नैतिकता के आधार पर बंगले को स्वयं मुक्त करें।
यही कदम यह साबित करेगा कि वे अपने पिता की राजनीतिक विरासत को केवल नाम से नहीं, बल्कि आचरण से भी जीवित रखे हुए हैं।
?️ निष्कर्ष:
लोकतंत्र में नैतिकता और आदर्श केवल भाषणों का विषय नहीं होने चाहिए, बल्कि वह आचरण में उतरने चाहिए।
सरकारी संपत्तियों पर कब्जा, चाहे किसी भी दल या व्यक्ति द्वारा किया गया हो, जनता के संसाधनों का दुरुपयोग है — और यह जनसेवा नहीं, सत्ता-सेवा का प्रतीक है।
आज जरूरत है कि जीत हेमचंद यादव जैसे युवा नेता उदाहरण पेश करें —
और दिखाएं कि नैतिकता की बात केवल कहने के लिए नहीं, निभाने के लिए होती है।
पटना। शौर्यपथ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का एक नया और दिलचस्प चेहरा अब सामने आ रहा है—जहां छत्तीसगढ़ के दो यादव नेता अलग-अलग खेमों से बिहार की सियासत में मोर्चा संभाले हुए हैं। भाजपा से छत्तीसगढ़ के मंत्री गजेंद्र यादव और कांग्रेस से विधायक देवेंद्र यादव दोनों ही अपनी-अपनी पार्टियों के लिए बिहार के यादव वोट बैंक को साधने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
यादव समुदाय, जो कि बिहार की कुल आबादी का लगभग 14.26 प्रतिशत हिस्सा है, हर चुनाव में सत्ता की कुंजी साबित होता है। इसलिए इस बार दोनों राष्ट्रीय दलों ने अपने यादव नेताओं को बिहार के मैदान में उतारकर एक तरह से ‘यादव बनाम यादव’ सियासी संघर्ष की नींव रख दी है ।
गजेंद्र यादव को भाजपा नेतृत्व ने बिहार में एनडीए के पक्ष में यादव वोटों को आकर्षित करने की प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी है। वे न केवल प्रदेश के एकमात्र यादव मंत्री हैं, बल्कि संगठन और प्रचार की कमान भी संभाले हुए हैं। वहीँ कांग्रेस के लिए देवेंद्र यादव, जो दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और बिहार चुनाव के सह प्रभारी भी हैं, लगातार बिहार में महागठबंधन को धार देने के लिए सक्रिय हैं। देवेंद्र यादव पर पार्टी में टिकट वितरण को लेकर विवादों के बावजूद कांग्रेस का विश्वास बरकरार है ।
छत्तीसगढ़ का ये यादव समीकरण बिहार में सिर्फ यादव वोट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों राज्यों की सियासत पर असर डालने लगा है। भाजपा की तरफ से गजेंद्र यादव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की चुनावी रणनीति का "संगठनिक स्तंभ" माना जा रहा है, वहीं कांग्रेस में देवेंद्र यादव की भूमिका “भूपेश बघेल टीम” के हिस्से के रूप में देखी जा रही है—जो संगठन पुनर्जीवन का प्रयास कर रही है।
राजनीतिक रणनीतिकारों के अनुसार, बिहार की इस ‘यादव बनाम यादव’ जंग का असर ना केवल नीतीश-तेजस्वी समीकरण पर पड़ेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ के राजनीतिक शक्ति-संतुलन को भी नया आयाम देगा। गजेंद्र यादव जहां भाजपा के लिए “यादव समुदाय का सेतु” बनना चाहते हैं, वहीं देवेंद्र यादव कांग्रेस के लिए “वोटर पुनःसंयोजन का प्रतीक” बनने की दिशा में काम कर रहे हैं।
बिहार चुनाव 2025 न केवल प्रदेश की सत्ता का फैसला करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि यादव राजनीति की आवाज किस खेमे से अधिक गूंजेगी—गजेंद्र या देवेंद्र?
पटना। शौर्यपथ।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे चुनावी समीकरणों में अप्रत्याशित बदलाव दिखाई देने लगे हैं। नामांकन पत्रों की जांच के बाद कई प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के पर्चे निरस्त कर दिए गए हैं, जिससे सियासी हलचल तेज हो गई है।
चुनाव आयोग की जानकारी के अनुसार, पहले चरण में 121 सीटों पर कुल 1314 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा था, जिनमें से 315 नामांकन रद्द कर दिए गए। वहीं दूसरे चरण की 122 सीटों के लिए हुई जांच में 519 उम्मीदवारों के नामांकन खारिज हुए हैं ।
प्रमुख उम्मीदवार जिनके पर्चे रद्द हुए
मौजूदा राजनीतिक समीकरणों में सबसे बड़ा झटका राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को लगा है। कैमूर जिले की मोहनिया सीट से आरजेडी प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन निर्वाचन आयोग ने रद्द कर दिया है। आयोग ने पाया कि श्वेता सुमन उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले की मूल निवासी हैं और बिहार निर्वाचन सूची में उनका नाम दर्ज नहीं था। इस वजह से उनका नामांकन अमान्य करार दिया गया ।
सुगौली विधानसभा (मोतिहारी) से विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रत्याशी शशि भूषण सिंह का नामांकन अधूरी दस्तावेज़ी प्रक्रिया के चलते निरस्त हुआ है। वहीं मढ़ौरा (सारण) सीट से एनडीए घटक लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की उम्मीदवार सीमा सिंह का पर्चा भी तकनीकी कारणों से खारिज कर दिया गया ।
इसके अलावा वाल्मीकिनगर (पश्चिमी चंपारण) से जनसुराज पार्टी के दीर्घ नारायण प्रसाद, लालगंज (वैशाली) से राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की सीमा सुंदरी देवी, डेहरी (रोहतास) से बसपा के धनजी कुमार, और चिरैया (पूर्वी चंपारण) से आरएलजेपी के सलाउद्दीन समेत कई प्रत्याशियों के नामांकन भी खारिज हुए हैं ।
सियासी असर और दलों की रणनीति
आरजेडी और वीआईपी दोनों के लिए यह स्थिति झटका साबित हो रही है क्योंकि तीनों प्रभावित सीटें पहले से ही उनके लिए महत्वपूर्ण मानी जाती थीं। अब महागठबंधन को इन सीटों पर नए चेहरों की तलाश करनी होगी जबकि एनडीए की ओर से एलजेपी(आर) को भी मढ़ौरा सीट पर नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ रही है ।
निष्कर्ष
6 और 11 नवंबर को मतदान और 14 नवंबर को मतगणना से पहले नामांकन निरस्त होने की इस स्थिति ने बिहार की सियासत में नया मोड़ ला दिया है। चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में पर्चे रद्द होना अभूतपूर्व है और इसका असर कई सीटों पर मुकाबले की दिशा तय कर सकता है
रणवीरपुर में ग्राम सेमरहा के बच्चों संग साझा किया दीपोत्सव का आनंद, कहा — ‘इनकी मुस्कान ही मेरा सच्चा उत्सव’
कबीरधाम / शौर्यपथ।
दीपावली के शुभ अवसर पर पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने अपने गृह ग्राम रणवीरपुर में प्रेम, स्नेह और जनसेवा की भावना के साथ दीपोत्सव मनाया। इस दौरान ग्राम सेमरहा के बच्चों का विधायक भावना बोहरा के निवास पर आगमन हुआ, जहाँ उनका पारंपरिक तिलक लगाकर, मिठाई खिलाकर और स्नेहपूर्वक स्वागत किया गया। बच्चों के साथ भोजन करने और दीपावली का उत्सव मनाने के दौरान पूरे परिसर में उल्लास और खुशी का माहौल रहा।
विधायक भावना बोहरा ने बताया कि उन बच्चों के चेहरों पर खुशी और मुस्कान देखकर मन को संतोष और आत्मिक सुख की अनुभूति हुई। उन्होंने कहा —
“इन बच्चों को जीवन में एक नई दिशा देने और उनका उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने का अवसर मुझे मिला, यह मेरे लिए गर्व की बात है। मैं सदैव इनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करती रहूंगी, क्योंकि ये सभी बच्चे मेरे परिवार का हिस्सा हैं।”
उन्होंने कहा कि हर त्योहार पर वह अपने इन बच्चों के साथ समय बिताने का प्रयास करती हैं ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की कमी महसूस न हो। दीपावली पर पटाखों, रोशनी और मिठाइयों के बीच बच्चों के चेहरों की चमक ही उनके लिए सबसे बड़ी खुशी रही।
जनसेवा ही भावना सेवा सुविधा केंद्र में मिला जनस्नेह
दीपावली के अवसर पर रणवीरपुर स्थित ‘जनसेवा ही भावना सेवा सुविधा केंद्र’ में विधायक भावना बोहरा को क्षेत्रवासियों द्वारा स्नेहिल शुभकामनाएँ और बधाइयाँ दी गईं। उन्होंने हृदय से सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जनता का यह स्नेह और विश्वास उन्हें अपने कर्तव्यों के निर्वहन और पंडरिया विधानसभा के विकास के लिए निरंतर कार्य करने की प्रेरणा देता है।
इस अवसर पर उन्होंने कबीरधाम जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 12 के सदस्य रोशन दुबे और प्रमोद मानिकपुरी को जन्मदिन की शुभकामनाएँ भी दीं।
विधायक ने माँ लक्ष्मी से प्रार्थना करते हुए कहा कि प्रदेश और क्षेत्र के हर परिवार में सुख, समृद्धि और संपन्नता बनी रहे। उन्होंने सभी नागरिकों को दीपावली की शुभकामनाएँ दीं और कहा कि यह पर्व हर घर में नई ऊर्जा और उजाला लेकर आए।
पंडरिया में ‘सीता रसोई’ का उद्घाटन — सेवा की नई मिसाल
दीपावली के शुभ अवसर पर विधायक भावना बोहरा ने पंडरिया में “सीता रसोई” का उद्घाटन किया और संचालक, दानदाताओं व समर्थकों को इस जनसेवा की नेक पहल के लिए बधाई दी।
उन्होंने कहा —
“यह केवल एक रसोई नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा और समुदाय की एकजुटता का प्रतीक है। माँ सीता के नाम से प्रेरित यह रसोई त्याग, सेवा और समर्पण के मूल्यों को जीवंत करती है। यहाँ हर भूखे पेट को भोजन और हर व्यक्ति को सम्मान मिलेगा।”
सीता रसोई का उद्देश्य क्षेत्र में निराश्रित और जरूरतमंद लोगों को भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। विधायक ने इसे समाज में मानवीय संवेदना को सशक्त करने वाली पहल बताया।
दीपावली की सौहार्दपूर्ण शुभकामनाएँ
विधायक भावना बोहरा ने कहा —
“दीपावली का यह पावन पर्व सबके जीवन में प्रकाश, आरोग्य और समृद्धि लेकर आए। प्रेम, सौहार्द और सेवा की भावना ही इस त्योहार का सच्चा संदेश है।”
उन्होंने क्षेत्रवासियों से अपील की कि वे भी अपने परिवार और समाज के साथ नई उमंग, उत्साह और खुशियों के साथ दीपावली मनाएँ तथा जरूरतमंदों को भी अपनी खुशियों में शामिल करें।
#शुभदीपावली ? — सेवा और स्नेह से आलोकित दीपोत्सव का संदेश पंडरिया से पूरे प्रदेश के लिए।
स्वास्थ्य शिक्षा और सेवाओं को नई दिशा — निविदा दरों की स्वीकृति के बाद जल्द शुरू होगा निर्माण
रायपुर / शौर्यपथ।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा देते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। राज्य में चार नए शासकीय मेडिकल कॉलेजों सहित कुल छह महत्वपूर्ण निर्माण परियोजनाओं के लिए निविदा दरों को अनुमोदित किया गया है।
छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) के नया रायपुर स्थित मुख्यालय में आयोजित 51वीं संचालक मंडल बैठक में इन परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई। इन सभी परियोजनाओं की कुल लागत 1,390 करोड़ रुपए से अधिक है। इस निर्णय से प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को नई गति मिलेगी।
बैठक में चार नए मेडिकल कॉलेजों की भवन निर्माण परियोजनाओं के लिए निम्नानुसार निविदा दरों को स्वीकृति दी गई —
मनेंद्रगढ़ मेडिकल कॉलेज – ₹323.03 करोड़
कबीरधाम मेडिकल कॉलेज – ₹318.27 करोड़
जांजगीर-चांपा मेडिकल कॉलेज – ₹318.27 करोड़
गीदम मेडिकल कॉलेज – ₹326.53 करोड़
इन कॉलेजों के निर्माण से प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा का दायरा बढ़ेगा और युवाओं को डॉक्टर बनने के अधिक अवसर मिलेंगे।
इसके अलावा मनेंद्रगढ़ में 220 बिस्तर वाले अस्पताल भवन के निर्माण हेतु ₹28.48 करोड़ तथा बिलासपुर के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय और अस्पताल भवन के निर्माण हेतु ₹79.52 करोड़ की निविदा दर को भी मंजूरी दी गई है।
इन छह परियोजनाओं की निविदा दरों को स्वीकृति मिलने के बाद अब इनके निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ होंगे। इनके पूर्ण होने पर प्रदेश की जनता को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ मिलेंगी, जिससे बड़े शहरों पर उपचार की निर्भरता में उल्लेखनीय कमी आएगी।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार लगातार स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा, “नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से न केवल चिकित्सा शिक्षा का दायरा बढ़ेगा बल्कि डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की उपलब्धता भी सुदृढ़ होगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की संवेदनशील सोच और दूरदर्शी नेतृत्व में स्वास्थ्य क्षेत्र को नई दिशा मिल रही है। प्रदेश के हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुँचाना हमारी प्राथमिकता है।”
सीजीएमएससी की 51वीं संचालक मंडल बैठक में अध्यक्ष दीपक म्हस्के, स्वास्थ्य विभाग के सचिव अमित कटारिया, सीजीएमएससी के प्रबंध संचालक रितेश अग्रवाल, वित्त विभाग, जीएसटी विभाग और कॉर्पोरेशन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में परियोजनाओं के क्रियान्वयन की समयसीमा, गुणवत्ता मानकों और पारदर्शिता पर विशेष बल दिया गया। निर्णय लिया गया कि निर्माण कार्य समयबद्ध रूप से और उच्च गुणवत्ता मानकों के साथ पूर्ण किए जाएंगे।
इन मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के शुरू होने से प्रदेश के युवाओं के लिए चिकित्सा शिक्षा के नए अवसर खुलेंगे और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी बढ़ेगा। साथ ही ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ सुलभ होंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ में ऐसा स्वास्थ्य ढाँचा विकसित हो, जहाँ हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण और सुलभ चिकित्सा सुविधा मिले। राज्य सरकार जनता के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।”
रायपुर / शौर्यपथ / राजभवन में आज दीपावली पर्व के अवसर राज्यपाल रमेन डेका के मुख्य आतिथ्य में दीपावली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। श्री डेका ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । उन्होंने सभी अतिथियों को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दी। साथ ही सभी के सुख, शांति एवं समृद्धि की कामना की। समारोह में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय विशेष रूप से उपस्थित थे। मुख्यमंत्री सहित आमंत्रित अतिथियों ने भी राज्यपाल को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर राज्य की प्रथम महिला श्रीमती रानी डेका काकोटी एवं राज्यपाल के परिजन उपस्थित थे।
कार्यक्रम में विभिन्न रंगारंग प्रस्तुति के माध्यम से छत्तीसगढ़ की गौरवशाली संस्कृति को दर्शाया गया। छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक नृत्य राउत नाच की प्रस्तुति केशव राम यादव एवं दल के द्वारा और सूफी गायक पद्मश्री मदन चौहान के मधुर गायन और विधायक अनुज शर्मा ने भजन की प्रस्तृति से समारोह के उत्साह को दोगुना कर दिया ।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा, उप मुख्यमंत्री अरुण साव, वन मंत्री केदार कश्यप, संस्कृति मंत्री राजेश अग्रवाल, मुख्य सचिव विकासशील पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, सांसद श्रीमती रूप कुमारी चौधरी, विधायकगण, पूर्व राज्यपाल रमेश बैस, राज्यपाल के सचिव डॉ. सी. आर. प्रसन्ना सहित अन्य अधिकारी तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
खाद्य सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले ने उज्ज्वला योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के दिए निर्देश
रायपुर / शौर्यपथ / भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण और परिवारों के स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 25 लाख अतिरिक्त एलपीजी गैस कनेक्शन जारी किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस निर्णय से देशभर में करोड़ों महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार और घरेलू ऊर्जा सुरक्षा को नई दिशा मिलेगी।
छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत नियद नेल्ला नार योजना में चिन्हांकित ग्रामों के बीपीएल परिवारों की महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर नए गैस कनेक्शन प्रदान किए जाएंगे। “सुशासन तिहार” और “नियद नेल्लानार योजना” के अंतर्गत 1.59 लाख पात्र माताओं और बहनों को उज्ज्वला योजना के तहत बीपीएल परिवारों की महिलाओं को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ में उज्ज्वला योजना के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु आज खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले ने 16 अक्टूबर को तेल कंपनियों के अधिकारियों की बैठक लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उज्ज्वला योजना के नए चरण में राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ स्वास्थ्य संरक्षण को भी प्राथमिकता दे रही है।
बैठक में सचिव श्रीमती कंगाले ने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत नवीन गैस कनेक्शन जारी करने की प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता दोनों सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में “नियद नेल्लानार योजना” के तहत चिन्हांकित ग्रामों में निवासरत पात्र बीपीएल परिवारों को उज्ज्वला गैस कनेक्शन में विशेष प्राथमिकता दी जाए। इन ग्रामों की महिलाओं को सबसे पहले इस योजना का लाभ मिले, ताकि विकास और सशक्तिकरण की प्रक्रिया जमीनी स्तर पर महसूस की जा सके।
सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले ने कहा कि चिन्हांकित ग्रामों में विशेष शिविरों का आयोजन करें, जहां उज्ज्वला योजना के अंतर्गत पात्र परिवारों के आवेदन प्राप्त किए जाएँ। उन्होंने यह भी कहा कि शिविरों के माध्यम से लाभार्थियों को योजना के लाभ, सुरक्षा उपायों और उपयोग के तौर-तरीकों की जानकारी दी जाए।
बैठक में डॉ. फरिहा आलम, संचालक (खाद्य नागरिक आपूर्ति), राज्य स्तरीय समन्वयक (तेल उद्योग), हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के क्षेत्रीय प्रबंधक सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि उज्ज्वला योजना के माध्यम से न केवल महिलाओं को स्वच्छ ईंधन का लाभ मिलेगा, बल्कि उनके श्रम, समय और स्वास्थ्य की भी रक्षा होगी। यह पहल ग्रामीण जीवन में सुरक्षा, सुविधा और सम्मान का नया अध्याय लिखेगी तथा नियद नेल्ला नार योजना के उद्देश्यों को गति प्रदान करेगी।
रायपुर / शौर्यपथ / मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय, बगिया (जशपुर) में सपरिवार गोवर्धन पूजा कर प्रदेश की सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री की माता श्रीमती जसमनी देवी साय, धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय एवं परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण की उस प्रेरणादायी लीला की स्मृति है, जिसमें उन्होंने गोकुलवासियों को प्रलयकारी वर्षा और संकट से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर सभी को शरण दी थी। यह पर्व हमें बताता है कि जब समाज एकजुट होकर विश्वास और सहयोग के साथ कार्य करता है, तब कोई भी संकट अजेय नहीं रहता। उन्होंने कहा कि गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि कृतज्ञता, सह-अस्तित्व और प्रकृति-पूजन का प्रतीक है। इस दिन गोवंश की पूजा की जाती है, जो भारतीय संस्कृति की आत्मा — गौ-संवर्धन और पर्यावरण संरक्षण — को जीवंत रखती है।
रायपुर / शौर्यपथ।
छत्तीसगढ़ की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर राजधानी नवा रायपुर का आसमान 5 नवम्बर को एक ऐतिहासिक दृश्य का साक्षी बनेगा। भारतीय वायुसेना की प्रसिद्ध सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम (Suryakiran Aerobatic Team – SKAT) अपने रोमांचकारी हवाई करतबों से छत्तीसगढ़ और पूरे देश को गर्व, उत्साह और देशभक्ति की भावना से भर देगी। यह शो रजत जयंती समारोह का सबसे विशेष आकर्षण होगा।
राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ पर आयोजित यह एरोबैटिक शो छत्तीसगढ़ की प्रगति, उपलब्धियों और आत्मविश्वास का प्रतीक बनेगा। नवा रायपुर के आसमान में जब सूर्यकिरण टीम उड़ान भरेगी, तब ‘बॉम्ब बर्स्ट’, ‘हार्ट-इन-द-स्काई’ और ‘एरोहेड’ जैसी प्रसिद्ध फॉर्मेशन्स पूरे दर्शक समुदाय को रोमांच और गर्व से भर देंगी।
सूर्यकिरण टीम का यह प्रदर्शन छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह दिखाएगा कि अनुशासन, तकनीक और टीमवर्क से कैसे असंभव को संभव बनाया जा सकता है। राज्य शासन और भारतीय वायुसेना के संयुक्त प्रयास से आयोजन की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं।
रायपुर और आसपास के जिलों से हजारों नागरिक, विद्यार्थी और परिवार इस एरोबैटिक शो को देखने नवा रायपुर पहुँचेंगे। यह आयोजन छत्तीसगढ़ की जनसहभागिता और राष्ट्रीय गौरव का जीवंत उदाहरण बनेगा।
‘सूर्यकिरण एरोबैटिक शो’ केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि यह भारतीय वायुसेना के शौर्य, सटीकता और समर्पण का प्रतीक है।
5 नवम्बर को नवा रायपुर का आसमान गर्व, रोमांच और देशभक्ति के रंगों से भर उठेगा। सूर्यकिरण टीम का यह ऐतिहासिक शो छत्तीसगढ़ की रजत जयंती को यादगार बना देगा और हर दर्शक के मन में भारत के वीर वायुसैनिकों के प्रति सम्मान और गर्व की भावना जगाएगा।
1996 में गठित सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम भारतीय वायुसेना की सटीकता, साहस और तकनीकी दक्षता का प्रतीक है। अपने गठन के बाद से इस टीम ने भारत की हवाई क्षमता और अनुशासन का भव्य प्रदर्शन देश-विदेश के अनेक मंचों पर किया है।
सूर्यकिरण टीम एशिया की एकमात्र नौ-विमान वाली एरोबैटिक डिस्प्ले टीम है, जो भारतीय वायुसेना की तकनीकी क्षमता और समन्वय की मिसाल मानी जाती है। इनके विमानों की उड़ानें इतनी सटीक होती हैं कि कभी-कभी पंखों के बीच की दूरी पाँच मीटर से भी कम रह जाती है — यही कौशल भारत को वैश्विक स्तर पर अलग पहचान देता है।
टीम ने अपनी यात्रा की शुरुआत HJT-16 Kiran Mk-II विमान से की थी। वर्ष 2015 में इसने स्वदेशी तकनीक पर आधारित HAL Hawk Mk-132 Advanced Jet Trainer के साथ नई उड़ान भरी।
सूर्यकिरण टीम केवल हवाई करतबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह युवाओं को भारतीय सशस्त्र बलों में सेवा के लिए प्रेरित करती है।
अब तक सूर्यकिरण टीम ने भारत और विदेशों में 700 से अधिक प्रदर्शन किए हैं। श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, ब्रिटेन और थाईलैंड जैसे देशों में इस टीम ने भारत का गौरव बढ़ाया है।
टीम ने सिंगापुर एयर शो, दुबई एयर शो और रॉयल थाई एयर फोर्स की 88वीं वर्षगांठ पर भी शानदार प्रस्तुतियाँ दीं। इन प्रदर्शनों ने भारत की तकनीकी क्षमता और रक्षा सहयोग की भावना को विश्व स्तर पर स्थापित किया है।
वर्ष 2023 में सूर्यकिरण टीम ने अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में क्रिकेट विश्वकप के दौरान अपने शानदार प्रदर्शन से पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया था। इस अवसर ने खेल और सैन्य गौरव को एक साथ जोड़ने का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।
“यह छत्तीसगढ़ के लिए अत्यंत गौरव का अवसर है कि भारतीय वायुसेना की सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम हमारे रजत जयंती समारोह का हिस्सा बनेगी। छत्तीसगढ़ की रजत जयंती के इस ऐतिहासिक अवसर पर यह शो राज्य के विकास, आत्मविश्वास और राष्ट्रीय गौरव की उड़ान का प्रतीक बनेगा। यह प्रदर्शन न केवल हमारे युवाओं में देशभक्ति और गर्व की भावना को प्रबल करेगा, बल्कि उन्हें राष्ट्रसेवा की प्रेरणा भी देगा। मैं प्रदेशवासियों से आह्वान करता हूँ कि वे इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनें और हमारे वीर वायुसैनिकों के कौशल को सलाम करें।”